UP Board and NCERT Solution of Class 10 Science [विज्ञान] ईकाई 2 जैव जगत – Chapter- 8 Heredity (आनुवंशिकता )अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 10वीं विज्ञान ईकाई 2 जैव जगत (Organic world) के अंतर्गत चैप्टर 8 (आनुवंशिकता) पाठ के अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं हमारी मेहनत की क़द्र करते हुए इसे अपने मित्रों में शेयर जरुर करेंगे।
विभिन्नताएँ, आनुवंशिक लक्षणों की वंशागति का आण्विक आधार
मेण्डल : आनुवंशिकता के जनक, मेण्डल के नियम, लिंग निर्धारण
Class | 10th | Subject | Science (Vigyan) |
Pattern | NCERT | Chapter- | Heredity |
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न / लघु उत्तरीय प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आनुवंशिकता क्या है?
उत्तर– माता-पिता और पूर्वजों से संतान में पहुँचने वाले लक्षण को आनुवंशिकता कहते हैं।
प्रश्न 2. जीन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर– जीन डिऑक्सीराइबोन्यूक्लीक अम्ल (DNA) का भाग होता है और DNA ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आनुवंशिक सूचनाओं के वाहक होते हैं।
प्रश्न 3. डी.एन.ए. का विस्तृत रूप लिखिए।
उत्तर– डि-ऑक्सीराइबोन्यूक्लीक अम्ल (de oxyribonuclic acid)।
प्रश्न 4. एक ‘A-रुधिर वर्ग‘ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन–सा विकल्प लक्षण–रुधिर वर्ग‘A’ अथवा ‘Ὸ’ प्रभावी लक्षण हैं? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर– नहीं, यह सूचना पर्याप्त नहीं है। यह बताने के लिए कि कौन-सा विकल्प लक्षण रुधिर वर्ग A का रुधिर वर्ग प्रभावी है।
प्रश्न 5. बैंक क्रॉस क्या होता है? तथा किसी इसका क्या अनुपात होता है? द्विसंकर क्रॉस में (2017 BV)
उत्तर– बैंक क्रॉस-यदि संकर संतानों को किसी भी जनक (माता-पिता) से संकरित कराया जाय, तो ऐसे संकरण को प्रतीप संकरण कहते हैं।
अनुपात- 9:3:3:1
उदाहरण–मिराबिलिस जलापा के ऐसे दो पाँचों के, जिनमें से एक में लाल पुष्प तथा दूसरे में सफेद पुष्प हों, क्रास कराने पर पहली पीढ़ी (F) में लाल पुष्पों के स्थान पर गुलाबी रंग के पुष्प उत्पत्र होते हैं। जब इन्हीं पौधों में स्वपरागण कराया जाता है तो दूसरी पीढ़ी (F) में 1 लाल, 2 गुलाबी तथा 1 सफेद रंग के पौधे बनते हैं।
प्रश्न 6. शुद्ध लम्बे (TT) एवं शुद्ध बौने (tt) पौधों के मध्य एक संकरण से प्रथम पीढ़ी F, के वंशज किस प्रकार के प्राप्त होंगे?
उत्तर– शुद्ध लम्बे (TT) एवं शुद्ध बौने (tt) पौधों के मध्य एक संकरण से प्रथम पीढ़ी F. के वंशज (Tt) लम्बे प्राप्त होंगे।
प्रश्न 7. मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे को क्यों चुना?
उत्तर– मेण्डल ने अपने प्रयोग में मटर का पौधा इसलिए चुना क्योंकि यह आसानी से विभिन्न गुण वाले होते हैं और पूरे वर्ष मिल जाते हैं।
प्रश्न 8. ऑटोसोम्स एवं लिंग गुणसूत्र किसे कहते हैं?
अथवा पुष्य में पाए जाने वाले लिंग गुणसूत्र का विवरण दीजिए।
उत्तर– अलिंग गुणसूत्र या ऑटोसोम्स– ये गुणसूत्र लिंग के निर्धारण को छोड़कर अन्य लक्षणों का निर्धारण करते हैं। मनुष्य में 22 जोड़ी ऑटोसोम्स होते हैं।
लिंग गुणसूत्र– ये गुणसूत्र लिंग का निर्धारण करते हैं। इन्हें हेटरोसोम भी कहते हैं। जैसे मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्र पाये जाते हैं। XY को लिंग गुणसूत्र कहते हैं।
प्रश्न 9. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में डी.एन.ए. कहाँ पाया जाता है? डी.एन.ए. का क्या महत्त्व है?
उत्तर– प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं के कोशाद्रव्य में डी.एन.ए. पाया जाता है। डी.एन.ए. आनुवंशिक लक्षणों को पीढ़ी दर पीढ़ी पहुँचाता है। कोशिका की उपापचय क्रियाओं का नियन्त्रण और नियमन करता है।
प्रश्न 10. यदि किसी चूहे की पूँछ काटकर प्रजनन कराया जाये तो बच्चा कैसा पैदा होगा और क्यों?
उत्तर– पूँछ काटकर प्रजनन कराने पर भी पूँछ वाले ही सन्तति चूहे उत्पन्न होंगे क्योंकि कायिक विभिन्नताएँ वंशागत नहीं होती हैं।
प्रश्न 11. डी.एन.ए. तथा आर.एन.ए. में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर– (i) डी.एन.ए. में डीऑक्सीराइबोस शर्करा तथा आर.एन.ए. में राइबोस शर्करा पायी जाती है। (ii) डी.एन.ए. दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला से बना होता है, आर.एन.ए. एक पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला से बना होता है।
प्रश्न 12. शुद्ध लम्बे तथा शुद्ध बौने पौधों के मध्य एकसंकर संकरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर– एकसंकर संकरण– शुद्ध लम्बे तथा शुद्ध बौने पौधों के मध्य संकरण कराने पर प्रभाविता के नियमानुसार संकर लम्बे (hybrid tall) पौधे प्राप्त होते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मेण्डल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
उत्तर– मेण्डल के प्रयोगों, विपर्यासी लक्षणों वाले पौधों का स्वपरागण द्वारा जनन के पश्चात् प्रथम संतति पीढ़ी (F) में केवल एक ही लक्षण परिलक्षित हुआ और दूसरा लक्षण परिलक्षित नहीं हुआ। यह प्रदर्शित करता है कि लक्षण प्रभावी व अप्रभावी होते हैं।
प्रश्न 2. मेण्डल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभित्र लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
उत्तर– मेण्डल के प्रयोगों में द्वितीय संतति पीढ़ी (F2) द्वारा यह प्रदर्शित होता है कि लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं क्योंकि जब शुद्ध लम्बे एवं शुद्ध बौने मटर के पौधों का संकरण कराया गया तो प्रथम संतति पीढ़ी (F1) में सभी पौधे लम्बे थे लेकिन द्वितीय संतति पीढ़ी (F2) में पुनः लम्बे व बौने पौधे 3:1 में उत्पन्न हुए। अतः बौनेपन के ट्रेट (t) का लंबेपन के ट्रेट (T) से कोई संबंध नहीं था कह सकते हैं कि बौनेपन व लंबेपन के ट्रेट (लक्षण) T व t एक-दूसरे से स्वतंत्र थे। इसीलिए द्वितीय संतति पीढ़ी (F2) में शुद्ध बौनेपन का संयोजन (tt) प्राप्त हुआ।
प्रश्न 3. (a) मेण्डल ने अपने प्रयोग में लम्बे मटर के पौधों का बौने मटर के पौधों के साथ संकरण कराया। F1 तथा F2 पीढ़ियों के उनके प्रेक्षणों का कारण लिखिए।
(b) पौधों की लंबाई के अतिरिक्त किन्हीं अन्य दो विपर्यासी (विकल्पी) लक्षणों का उल्लेख कीजिए जिनका उपयोग मेण्डल ने अपने मटर के पौधों के साथ प्रयोग करने में किया था।
उत्तर– (a) (i) लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों में किसी भी लक्षण की दो प्रतिकृतियों की (स्वरूप) वंशानुगति होती हैं। ये दोनों एकसमान हो सकते हैं अथवा भिन्न जो उनके जनक पर निर्भर करता है।
(ii) दो अलग-अलग लक्षणों की स्वतंत्र वंशानुगति होती है; जैसे-लंबे/बौने लक्षण गोल/झुर्रीदार लक्षण।
(b) मेण्डल ने मटर के पौधे में अनेक विपर्यासी (विकल्पी) लक्षणों का अध्ययन किया जो स्थूल रूप से दिखाई देते हैं। उदाहरणतः गोल/ झुर्रीदार बीज, सफेद/बैंगनी फूल इत्यादि।
प्रश्न 4. उपार्जित लक्षणों तथा आनुवंशिक लक्षणों में विभेदन करने वाली दो विशेषताओं को तालिकाबद्ध कीजिए। प्रत्येक लक्षण का एक उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर–
आनुवंशिक लक्षण |
उपार्जित लक्षण |
1. वे लक्षण जो किसी जीव को उसके माता-पिता तथा पूर्वजों से प्राप्त होते हैं, उन्हें आनु- वंशिक लक्षण कहते हैं; जैसे- बीजों का रंग, नेत्रों का रंग। | 1. एक व्यष्टि के जीवनकाल में बनने वाले लक्षण उपार्जित लक्षण होते हैं, जो अगली पीढ़ी से संचारित नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए मोटापा, दुर्घटनावश ऊँगली का कटना इत्यादि। |
2. इसमें जनन कोशिका के DNA में परिवर्तन होता है। | 2. इसमें जनन कोशिका के DNA में कोई परिवर्तन नहीं होता। |
प्रश्न 5. यदि हम पहले शुद्ध प्रजाति के लम्बे (प्रभावी) मटर के पौधों का शुद्ध प्रजाति के बौने (अप्रभावी) मटर के पौधों से संकरण कराएँ तो हमें F1 पीढ़ी के मटर के पौधे प्राप्त होंगे। अब यदि हम F1 पीढ़ी के मटर के पौधों का स्व– संकरण कराएँ, तो हमें F2 पीढ़ी के मटर के पौधे प्राप्त होंगे–
(a) F1 पीढ़ी के पौधे कैसे दिखाई देंगे?
(b) F2 पीढ़ी में लम्बे पौधों तथा बौने पौधों का अनुपात क्या होगा?
(c) उस प्रकार के पौधों का उल्लेख कीजिए, जो F1 पीढ़ी में नहीं दिखाई दिए थे, परन्तु F2 पीढ़ी में दृष्टिगोचर हो गए। प्रत्येक के लिए कारंण दीजिए।
उत्तर– (a) सभी लम्बे ।
(b) F2पीढ़ी में लम्बे तथा बौने पौधे का अनुपात 3:1 होगा।
(c) F2 पीढ़ी में एक पौधा बौना था, जो F, पीढ़ी में दिखाई नहीं दिए थे। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पीढ़ी में भी लम्बे तथा बौनेपन दोनों विशेषकों (लक्षणों) की वंशानुगति हुई थी, परन्तु दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक जनकीय लक्षण ही दिखाई देता है जो बाद में F2 पीढ़ी में दृष्टिगोचर हो गए।
प्रश्न 6. “लैंगिक जनन करने वाले जीवों के जनकों एवं उनकी संततियों में गुणसूत्रों की संख्या समान होती है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर– लैंगिक जनन क्रिया में गुणसूत्र (क्रोमोसोम) अर्धसूत्री विभाजन द्वारा दो भागों में बैट जाते हैं और जब निषेचन क्रिया होती है तो युग्मनज में आधे गुणसूत्र (अर्थात् 23 पिता से) तथा आधे गुणसूत्र (23 माता से) आकर आपस में संयोजित हो जाते हैं। इस तरह उनकी संतति में भी. 23 + 23 = 46 गुणसूत्र ही होते हैं।
प्रश्न 7. मेण्डल के प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों से आप क्या समझते हैं? F, पीढ़ी में उपस्थित प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों को उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए।
अथवा मेण्डल द्वारा प्रतिपादित प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों को समझाइए।
उत्तर– मेण्डल के प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण–
- प्रभावी लक्षण– जब विपरीत लक्षणों वाले पौधों के बीच संकरण कराया जाता है तो पहली पीढ़ी में प्रदर्शित होने वाले लक्षण को ‘प्रभावी लक्षण’ कहते हैं।
- अप्रभावी लक्षण– उपर्युक्त पौधों के संकरण में जो लक्षण प्रकट नहीं होते हैं अर्थात् छिप जाते हैं, उन्हें ‘अप्रभावी लक्षण’ कहते हैं।
उदाहरण– जब मटर के लाल पुष्प वाले पौधे का संकरण सफेद पुष्प वाले पौधे से कराया जाता है तो F पीढ़ी में लाल पुष्प वाले पौधे उत्पन्न होते हैं। इससे प्रकट होता है कि लाल रंग प्रभावी लक्षण है तथा सफेद रंग जो कि छिपा हुआ है, अप्रभावी लक्षण है।
प्रश्न 8. जीन क्या है? इसका सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया ? इसकी उपयोगिता का उल्लेख कीजिए।
अथवा जीन किसे कहते हैं? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर– जीन (Gene)- जीन गुणसूत्रों पर स्थित आनुवंशिक पदार्थ है। DNA के सूक्ष्म खण्डों को जीन (Gene) कहते हैं। जीन को कार्य की इकाई (unit of function) सिस्ट्रॉन (cisteron); उत्परिवर्तन की इकाई (unit of mutation) म्यूटॉन (muton) तथा पुनर्संयोजन की इकाई (unit of recombination) रिकॉन (recon) भी कहते हैं।
जीन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम जोहनसन (Johanssen, 1909) ने किया था।
कार्य– आधुनिक रूप से यह स्पष्ट है कि जीन्स (मेण्डल के कारक) इकाई की तरह व्यवहार करते हैं। सामान्यतयाः एक लक्षण का निर्धारण करते हैं। कुछ लक्षणों का निर्धारण अनेक जीन्स द्वारा होता है। कुछ जीन अनेक लक्षणों को भी प्रभावित करती हैं।
प्रश्न 9. यदि मटर के एक शुद्ध लम्बे तथा शुद्ध बौने पौधों में संकरण कराया जाय तो द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) में किस प्रकार के कितने पौधे प्राप्त होंगे? रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर– स्पष्टीकरण– एक शुद्ध लम्बे (TT) तथा दूसरा शुद्ध बौने (tt) पौधे के क्रास कराने से प्रथम पीढ़ी F में लम्बे संकर (Tt) पौधे प्राप्त होते हैं। इन पौधों में स्वपरागण द्वारा निषेचन कराने पर तीन प्रकार के जीन वाले पौधे प्राप्त होते हैं।
TT
शुद्ध लम्बे |
Tt
संकर लम्बे |
tt शुद्ध बौने |
प्रश्न 10. मेण्डल के आनुवंशिकता सम्बन्धी नियमों का उल्लेख कीजिए तथा रेखाचित्र बनाकर एक संकर संकरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा मेण्डल के आनुवंशिकता नियमों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
अथवा मेण्डल के नियम क्या हैं? उनको उचित चित्रों द्वारा समझाइए।
उत्तर– मेण्डल के नियम (Mendel’s Laws)
- प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)- जब परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराया जाता है तो उनकी संतानों में एक लक्षण परिलक्षित होता है तथा दूसरा दिखाई नहीं देता। इसमें पहले को प्रभावी लक्षण (Dominant character) तथा दूसरे को अप्रभावी लक्षण (Recessive character) कहते हैं
2.पृथक्करण अथवा युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation or aw of Law Purity of Gametes)- किसी संकर में उपस्थित प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक स्वरूपों का अगली पीढ़ी में एक निश्चित अनुपात (1:3) में पृथक्करण हो जाता है।
3.स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)-जब दो जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले जनकों का संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से होता है-अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती।
प्रश्न 11. DNA एक आनुवंशिक पदार्थ है। संक्षेप में समझाइए।
उत्तर– DNA आनुवंशिक पदार्थ (genetic material) है। यह आनुवंशिक सूचनाओं को पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानान्तरित करता रहता है। ब्रिफिथ (Griffith, 1920) ने डिप्लोकोकस न्यूमीनी (Diplococcus pneumoniae) के दो भिन्न स्ट्रेनों (strains) का पता लगाया।
(i) उम्र स्ट्रेन (Virulent Strain)- यह चूहों में न्यूमोनिया रोग उत्पन्न करता है। चूहे रोग के कारण मर जाते हैं।
(ii) अनुग्र स्ट्रेन (Non-virulent Strain)-यह चूहों में न्यूमोनिया रोग उत्पन्न नहीं करता है। उम्र स्ट्रेन को उच्च ताप पर उपचारित करके चूहों में अन्तःक्षिप्त (innoculate) करने पर चूहे संक्रमित नहीं होते, क्योंकि जीवाणु मर जाते हैं। लेकिन मृत उग्र स्ट्रेन के जीवाणुओं को जीवित अनुग्र स्ट्रेन (non-virulent strain) के जीवाणुओं के साथ मिलाकर चूहों में अन्तःक्षिप्त करने पर चूहे मर जाते हैं, क्योंकि उनमें अनुग्र स्ट्रेन के जीवाणु उम्र स्ट्रेन जीवाणु में रूपान्तरित हो जाते हैं। इसे ग्रिफिथ प्रभाव (Griffith’s effect) कहा जाता है। इससे स्पष्ट है कि उम्र स्ट्रेन जीवाणु कोशिकाओं का DNA अनुग्र प्रकार की कोशिकाओं को उम्र कोशिकाओं में बदल देता है, अर्थात् DNA एक आनुवंशिक पदार्थ है।
प्रश्न 12. संकर पूर्वज संकरण [बैंक क्रॉस (back cross)] पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा बैंक क्रॉस क्या होता है तथा किसी द्विसंकर क्रॉस में इसका क्या अनुपात होता है?
उत्तर– यह वह संकरण है जो विषमयुग्मजी संकर सन्तानों तथा उनके समयुग्मजी (प्रभावी या अप्रभावी) जनकों के मध्य कराया जाता है। F2 पीढ़ी के विषमयुग्मजी लाल पुष्प वाले पौधे का संकरण प्रभावी समयुग्मजी लाल पुष्प वाले जनक पौधे से कराने पर सभी पौधे लाल पुष्प वाले उत्पन्न होते हैं। परन्तु F1 पीढ़ी के विषमयुग्मजी लाल पुष्प वाले पौधे का संकरण अप्रभावी समयुग्मजी सफेद पुष्प वाले पौधे से कराने पर लाल तथा सफेद पुष्प वाले पौधे 50:50 में उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 13. लिंग–प्रभावित तथा लिंग–सीमित लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर– लिंग-प्रभावित लक्षण-मनुष्य में कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिनके जीन्स दैहिक या ऑटोसोम्स गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं लेकिन ये लिंग से प्रभावित होते हैं, ये लिंग-प्रभावित लक्षण कहलाते हैं। मनुष्य में गंजापन तीन कारणों से होता है-विकिरण के कारण, थाइरॉइड ग्रन्थि की अनियमितता के कारण और आनुवंशिकता के कारण। आनुवंशिक गंजापन एक ऑटोसोमल जीन जोड़ी (Bb) पर निर्भर करता है। शुद्ध नस्ली प्रबल जीन रूप (BB) हो तो गंजापन पुरुषों एवं स्त्रियों, दोनों में विकसित होता है लेकिन संकर नस्ली जीन रूप (Bb) होने पर यह केवल पुरुषों में विकसित होता है. क्योंकि इस अवस्था में नर हॉर्मोन की आवश्यकता होती है। शुद्ध नस्ली सुप्त जीन रूप (bb) में गंजापन नहीं होता है।
लिंग–सीमित लक्षण– ऐसे आनुवंशिक लक्षणों के जीन दैहिक या ऑटोसोम्स गुणसूत्र पर होते हैं। इनकी वंशागति सामान्य मेण्डल के नियमानुसार होती है लेकिन इनका विकास पीड़ी-दर-पीढ़ी केवल एक ही लिंग के सदस्यों में होता है। जैसे गाय, भैंस आदि में दुग्ध स्रावण, भेड़ों की कुछ जातियों में केवल नर में सींगों का विकास, मादा मोर में सुन्दर पंखों का विकास, मुर्गे में कलंगी का विकास, पुरुष में दाढ़ी का पाया जानां आदि लिंग सीमित लक्षण के उदाहरण हैं।
प्रश्न 14. मनुष्य में लिंग निर्धारण को रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
अथवा लिंग गुणसूत्र किसे कहते हैं? मानव में लिंग निर्धारण की प्रक्रिया समझाइए।
अथवा लिंग गुणसूत्र से आप क्या समझते हैं? नर तथा मादा लिंग गुणसूत्र का विन्यास लिखिए।
अथवा मानव में लिंग निर्धारण प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर– मनुष्य में लिंग निर्धारण– मैक्कलंग (McClung, 1902) के अनुसार लिंग का निर्धारण गुणसूत्रों पर निर्भर करता है। मैक्कलंग ने लिंग निर्धारण का गुणसूत्र सिद्धान्त प्रस्तुत किया था।
स्त्री में दो समान लिंग गुणसूत्र XX तथा पुरुष में X एवं Y लिंग गुणसूत्र होते हैं। संरचना तथा व्यवहार में X तथा Y गुणसूत्र ऑटोसोम्स से अलग होते हैं। इन्हें एलोसोम्स या लिंग गुणसूत्र कहते हैं।
मनुष्य में 46 गुणसूत्र पाये जाते हैं। इसमें से 22 जोड़ी गुणसूत्र समजात होते हैं। समजात गुणसूत्र स्त्री और पुरुष में समान होते हैं। पुरुष में 23वीं जोड़ी के असमान गुणसूत्रों को हैटरोसोम्स या लिंग गुणसूत्र कहते हैं। इन्हें XY से प्रदर्शित करते हैं। स्वियों में 23वीं जोड़ी के गुणसूत्र भी समजात होते हैं, इन्हें XX से प्रदर्शित करते हैं। नर लक्षणों का विकास Y गुणसूत्र के कारण होता है।
पुरुष विषमयुग्मकी होते हैं अतः शुक्रजनन द्वारा दो प्रकार के शुक्राणु या नर युग्मक बनते हैं, इन 50% शुक्राणु X लिंग गुणसूत्र वाले तथा 50% शुक्राणु ४ लिंग गुणसूत्र वाले होते हैं। जबकि स्त्रियाँ समयुग्मकी होती हैं, इनमें अण्डजनन द्वारा समाने प्रकार के अण्ड बनते हैं। इनमें ‘X’ लिग गुणसूत्र होता है। निषेचन के फलस्वरूप ‘X’ गुणसूत्र वाले शुक्राणु मादा सन्तति और ‘Y’ गुणसूत्र वाले शुक्राणु नर सन्तति का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 15. हीमोफीलिया रोग में रक्त का थक्का क्यों नहीं बनता है? अथवा उस रोग का नाम बताइए जिसमें चोट लगने पर रुधिर का थक्का नहीं बनता है और रुधिर बहता रहता है। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर– हीमोफीलिया रोग में पीड़ित व्यक्ति में रक्त जमने के लिए आवश्यक कारक का अभाव होता है और चोट लगने पर रक्त निरन्तर बहता रहता है, जिससे चिकित्सा सहायता के अभाव में मृत्यु भी हो सकती है। यह एक X-लिंग-सहलग्न अप्रभावी लक्षण है। इसकी वंशागति मेण्डल के नियमानुसार होती है। इसमें स्त्रियाँ सामान्यतया वाहक (carrier) होती हैं। यह रोग पुरुषों में सामान्यतया प्रदर्शित होता है।
प्रश्न 16. डी.एन.ए. तथा आर.एन.ए. में अन्तर लिखिए। अथवा DNA, RNA से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर– DNA तथा RNA में अन्तर
डी.एन.ए. (DNA) |
आर.एन.ए. (RNA) |
1. यह दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड्स श्रृंखलाओं से बना सीढ़ीनुमा अणु होता है। | 1. यह एक पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला से बना होता है। |
2. इसमें डीऑक्सीराइबोज शर्करा पायी जाती है। | 2. इसमें राइबोस शर्करा पायी जाती है। |
3. इसमें नाइट्रोजन क्षारक एडीनीन, ग्वानीन, थायमीन तथा साइटोसीन होते हैं। | 3. इसमें नाइट्रोजन क्षारक एडीनीन, ग्वानीन, यूरोसिल तथा साइटोसीन होते हैं। |
4. इसमें स्वद्विगुणन की क्षमता होती है। | 4. इसमें. स्वद्विगुणन की क्षमता नहीं होती है। |
5. DNA आनुवंशिक पदार्थ है। | 5. यह आनुवंशिक सूचनावाहक का कार्य करता है। |
UP Board and NCERT Solution of Class 10 Science Chapter- 8 Heredity ( आनुवंशिकता ) MCQ