UP Board and NCERT Solution of Class 10 Science [विज्ञान] ईकाई 1 रासायनिक पदार्थ- प्रकृति एवं व्यवहार – Chapter- 2 Acids, Bases and Salts ( अम्ल, क्षारक, एवं लवण ) NCERT Question Answer
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 10वीं विज्ञान ईकाई 1 रासायनिक पदार्थ- प्रकृति एवं व्यवहार (Chemical substances- Nature and Behavior ) के अंतर्गत चैप्टर 2 Acids, Bases and Salts ( अम्ल, क्षारक, एवं लवण ) पाठ के NCERT के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर सहित प्रदान किया जा रहे हैं । UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें
अम्ल, क्षारक, अम्ल तथा क्षारक के मध्य अभिक्रिया, सूचक, Ph मान , उदासीनीकरण, लवण
क्रिस्टलन जल: जलयोजित लवण अभिक्रिया
Class | 10th | Subject | Science (Vigyan) |
Pattern | NCERT | Chapter- | Acids, Bases and Salts |
NCERT पाठ्यपुस्तक के प्रश्न–उत्तर
प्रश्न 1. आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारीय विलयन है। यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थों की पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर– सबसे पहले प्रत्येक परखनली में हम लाल लिटमस पत्र की पट्टी डालते हैं। किसी एक परखनली में लिटमस पत्र का रंग नीला हो जाएगा। इससे यह सिद्ध होता है कि उस परखनली में क्षारकीय विलयन है। शेष दोनों बची हुई परखनलियों में एक में आसवित जल है तथा एक में अम्लीय विलयन है। इन दोनों ही परखनलियों के लिटमस पत्र का रंग लाल ही रहता है।
अब हम पहचानी गई परखनली से क्षारीय विलयन को बाहर निकालते हैं ताकि इसमें विलयन की थोड़ी-सी मात्रा ही बची रह जाए। अब इस परखनली में शेष बची हुई परखनलियों में से किसी एक के विलयन को डालते हैं। दो स्थितियाँ हो सकती हैं-
(i) लिटमस पुनः लाल हो जाता है– इससे यह मालूम होता है कि इस परखनली में अम्लीय विलयन था तथा अन्तिम परखनली में आसवित जल है।
(ii) लिटमस नीला ही रह सकता है– इससे यह मालूम होता है कि डाला गया विलयन आसवित जल था तथा अन्तिम परखनली में अम्लीय विलयन है।
प्रश्न 2. पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए?
उत्तर–पीतल तथा ताँबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ इसलिए नहीं रखे जाते हैं, क्योंकि इसमें अम्ल मौजूद होते हैं, जो इससे अभिक्रिया करके हानिकारक यौगिक बनाते हैं जिसके कारणवश ये खाने योग्य नहीं रह जाते। अम्ल की अभिक्रिया से धातु के बर्तन भी संक्षारित हो जाते हैं।
प्रश्न 3. धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन–सी गैस निकलती है? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए। इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे?
उत्तर-धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः हाइड्रोजन गैस निकलती है।
उदाहरण-जब जिंक की क्रिया तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ होती है तो जिंक सल्फेट और हाइड्रोजन गैस बनते हैं।
हाइड्रोजन गैस रंगहीन होती है और जलती हुई मोमबत्ती इसके सम्पर्क में लाने पर फट-फट की आवाज के साथ जलती है।
प्रश्न 4. कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है। इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है। यदि उत्पन्न यौगिकों में एक से कैल्सियम क्लोराइड हैं, तो इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
प्रश्न 5. HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोस जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं?
उत्तर–HCl, HNO3 आदि में उत्सर्जन योग्य H⁺ होते हैं। जब इन्हें जल में घुलाया जाता है तो H⁺ आयन अलग हो जाते हैं तथा अम्लीय अभिलक्षण प्रदर्शित करते हैं। ऐल्कोहॉल तथा ग्लूकोस में ऐसा कोई उत्सर्जन योग्य H⁺ आयन नहीं होता।
प्रश्न 6. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है?
उत्तर– जल में घुलने पर अम्ल वियोजित होकर आयनों का निर्माण करते हैं, उदाहरण के लिए,
HCl + H2O → CI– + H3O2
ये आयन विद्युत के चालन के लिए उत्तरदायी होते हैं।
प्रश्न 7. शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है?
उत्तर– हम जानते हैं शुष्क दशाओं में अम्ल आयनित नहीं होते इसलिए H* आयन भी नहीं देते। परिणामस्वरूप वे अम्लीय गुण भी प्रदर्शित नहीं करते। यही कारण है कि शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती है।
प्रश्न 8. अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में ?
उत्तर– जल में अम्ल या क्षारक के घुलने की प्रक्रिया अत्यंत ऊष्माक्षेपी होती है। सांद्र अम्ल में जल मिलाने पर उत्पन्न हुई ऊष्मा के कारण मिश्रण उछलकर बाहर आ सकता है तथा हम जल सकते हैं। अतः अम्ल को तनुकृत करते समय अम्ल में जल को मिलाना चाहिए वह भी धीरे-धीरे तथा जल को लगातार हिलाते हुए।
प्रश्न 9. अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H3O+) की सांद्रता कैसे प्रभावित हो जाती है?
उत्तर– अम्ल को तनुकृत करने पर उसमें उपस्थित अनआयनित जल की मात्रा तो बढ़ती है परन्तु H3O+ की मात्रा वही रहती है। परिणामस्वरूप H3O+ की सांद्रता लगातार घटती जाती है।
प्रश्न 10. जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH–) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर–हाइड्रॉक्साइड आयन (OH–) की सांद्रता बढ़ जाती है।
प्रश्न 11. आपके पास दो विलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं। विलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं विलयन ‘B’ के pH का मान 8 है। किस विलयन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय ?
उत्तर– विलयन ‘A’ में ‘H’ आयन का अधिक सांद्रण है। अतः विलयन ‘A’ अम्लीय है तथा विलयन ‘B’ क्षारकीय है।
प्रश्न 12. H+(aq) आयन की सांद्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर– जैसे-जैसे H+ आयन का सांद्रण बढ़ता जाता है, विलयन और अधिक अम्लीय होता जाता है।
प्रश्न 13. क्या क्षारकीय विलयन में H+ (aq) आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होते हैं?
उत्तर– ये H+ आयन जल से आते हैं।
प्रश्न 14. कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?
उत्तर– जब खेत की मृदा अम्लीय होती है तभी किसान इसमें कैल्सियम ऑक्साइड (CaO), कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड [Ca(OH)2] तथा कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3) मिलाते हैं ताकि मिट्टी उदासीन हो जाए या इसका pH परास खेती के लिए उपयुक्त हो जाए।
प्रश्न 15. CaOCl₂ यौगिक का प्रचलित नाम क्या है?
उत्तर– विरंजक चूर्ण।
प्रश्न 16. उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
उत्तर– शुष्क बुझा हुआ चूना [Ca(OH)2]
प्रश्न 17. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है?
उत्तर– धावन सोडा अर्थात् सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3)।
प्रश्न 18. सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर– सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट को गर्म करने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
प्रश्न 19. प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
अध्याय के कुछ महत्वपूर्ण अभ्यास प्रश्न एवं उनके उत्तर
- कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH संभवतः क्या होगा ?
(a) 1
(b) 4
(c) 5
(d) 10
उत्तर– (d) 10
- कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है। इस विलयन में क्या होगा ?
(a) NaCl
(b) HCI
(c) LiCl
(d) KCI
उत्तर– (b) HCl
- NaOH का 10 mL विलयन HCI के 8 mL विलयन से पूर्णतः उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH के उसी विलयन का 20 mL लें तो इसे उदासीन करने के लिए HCI के उसी विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी ?
(a) 4 mL
(b) 8 mL
(c) 12 mL
(d) 16 mL
उत्तर– (d) 16 mL
- अपच का उपचार करने के लिए निम्न में से किस ओषधि का उपयोग होता है?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
(b) ऐनालजेसिक (पीड़ाहारी)
(c) ऐन्टैसिड
(d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)
उत्तर–(c) ऐन्टैसिड
- निम्न अभिक्रिया के लिए पहले शब्द–समीकरण लिखिए तथा उसके बाद संतुलित समीकरण लिखिए –
(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
(c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
(d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लौह के रेतन के साथ अभिक्रिया करता है।
उत्तर– (a) दानेदार जिंक + तनु सल्फ्यूरिक अम्ल- → जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
Zn(s) + H2SO4(aq) → ZnSO4(aq) + H2(g)
(b) मैग्नीशियम पट्टी + तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
Mg(s) + 2HCl(aq) → MgCl2(aq) + H2(g)
(c) ऐलुमिनियम चूर्ण + तनु सल्फ्यूरिक अम्ल → ऐलुमिनियम सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
2Al(s)+3H2SO4(aq) → Al2(SO443 (aq) + 3H2(g)
(d) लौह के रेतन + तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → आयरन क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
Fe(s) + 2HCl(aq) → FeCl2(aq) + H2(g)
- ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोस जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं, लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे सिद्ध कीजिए।
उत्तर– ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोस जैसे यौगिक आयनीकृत होकर H+ आयन नहीं देते, यही कारण है कि इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता।ृ
क्रियाकलाप
(i) ग्लूकोस, ऐल्कोहॉल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल आदि का विलयन लेते हैं।
चित्र : जल में अम्लीय एवं क्षारकीय विलयन का चालन
(ii) इनकी विद्युत चालकता का परोक्षण करते हैं इसके लिए चित्र के अनुसार उपकरण व्यवस्थित करते हैं।
(iii) अम्ल की उपस्थिति में बल्ब जलने लगता है परन्तु ग्लूकोस और ऐल्कोहॉल की उपस्थिति में बल्ब नहीं जलता है। विलयन में विद्युत प्रवाह आयनों द्वारा होता है।
(iv) चूँकि अम्ल में उपस्थित धनायन H⁺ है, इससे ज्ञात होता है कि अम्ल विलयन में हाइड्रोजन आयन H+(aq) उत्पन्न करता है तथा इसी कारण उनका गुणधर्म अम्लीय होता है।
प्रश्न 7. आसवित जल विद्युत का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है?
उत्तर– आसवित जल आयनों में विघटित नहीं होता है। अतः यह विद्युत का चालन नहीं करता है। वर्षा जल में कार्बन-डाइऑक्साइड घुली हुई होती है जो कार्बोनिक अम्ल बनाती है।
CO2 + H2O → H2CO3
यह कार्बोनिक अम्ल आयनों में विघटित हो जाता है।
H2CO3 + 2H2O→ (H3O+)2 + CO32-
ये आयन वर्षा जल द्वारा विद्युत का चालन कर पाने के लिए उत्तरदायी हैं।
प्रश्न 8. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?
उत्तर– जल की अनुपस्थिति में अम्ल विघटित नहीं होता है। अतः यह अम्लीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करता है।
प्रश्न 9. पाँच विलयनों A, B, C, D व E की जब सार्वत्रिक सूचक से जाँच की जाती है तो pH के मान क्रमशः 4, 1, 11, 7 एवं 9 प्राप्त होते हैं। कौन–सा विलयन –
(a) उदासीन है?
(b) प्रबल क्षारीय है?
(c) प्रबल अम्लीय है?
(d) दुर्बल अम्लीय है?
(e) दुर्बल क्षारीय है?
pH के मानों को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर– (a) pH 7 वाला विलयन D उदासीन है।
(b) pH 11 वाला विलयन C प्रबल क्षारीय है।
(c) pH 1 वाला विलयन B प्रबल अम्लीय है।
(d) pH 4 वाला विलयन A दुर्बल अम्लीय है।
(e) pH 9 वाला विलयन E दुर्बल क्षारीय है।
हाइड्रोजन आयन सांद्रता का बढ़ता क्रम-
11>9>7>4> 1.
प्रश्न 10. परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए। परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) तथा परखनली ‘B’ में ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH) डालिए। दोनों अम्लों की मात्रा तथा सांद्रता समान हैं। किस परखनली में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों?
उत्तर– परखनली A में बुदबुदाहट अधिक तेजी से होती है, क्योंकि HCI एक प्रबल अम्ल है, जो पूर्णतः वियोजित होकर H⁺ और CI आयन अधिक मात्रा में बनाता है जबकि CH3COOH एक दुर्बल अम्ल है, । जो कम मात्रा में H⁺ आयन बनाता है क्योंकि यह कम विघटित हो पाता है।
प्रश्न 11. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा? अपना उत्तर समझाइए।
उत्तर– दूध से दही बनने की प्रक्रिया में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है, जिसके कारण इसका pH 6 से कम हो जायेगा।
प्रश्न 12. एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।
(a) ताजा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है?
उत्तर– (a) दूध का pH 6 बदलकर क्षारीय बना देने से दूध से दही बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है अतः दूध अधिक समय तक ठीक रह सकता है।
(b) क्षारीय दूध से दही बनने में अधिक समय इसलिए लगता है क्योंकि यह बढ़ी हुई क्षारीयता दूध में लैक्टिक अम्ल बनने के प्रभाव का प्रतिरोध करती है?
प्रश्न 13. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र–रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर– प्लास्टर ऑफ पेरिस आसानी से जल को अवशोषित कर लेता है तथा कठोर जिप्सम का निर्माण करता है, अतः यदि प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में नहीं रखा जाता है तो इसकी पूरी मात्रा जिप्सम में बदल जाएगी।
प्रश्न 14. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर– किसी अम्ल तथा क्षार की अभिक्रिया, जिसमें लवण तथा जल प्राप्त होते हैं, उसे उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
NaOH(aq) + HCl(aq) → NaCl(aq) + H2O(1)
Ca(OH)2(aq) + H2SO4(aq) → CaSO4(aq) + 2H2O(l)
प्रश्न 15. धावन का सोडा एवं बेकिंग सोडा के दो–दो प्रमुख पयोग बताइए।
उत्तर–धावन सोडे के उपयोग–
(i) सोडियम कार्बोनेट (धोने का सोडा) का उपयोग काँच, साबुन तथा कागज उद्योग में किया जाता है।
(ii) इसका उपयोग सोडियम यौगिकों, जैसे बोरेक्स, के निर्माण में किया जाता है।
बेकिंग सोडे के उपयोग –
(i) सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट का उपयोग ऐन्टैसिड के संघटक के रूप में किया जाता है। क्षारीय होने के कारण यह उदर में अम्ल की आधिक्य मात्रा को उदासीन बनाकर राहत पहुँचाता है।
(ii) इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में भी किया जाता है।