UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Geography[भूगोल ] Chapter- 3 अपवाह (Apavaah) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Long Answer
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान इकाई-2: भूगोल समकालीन भारत-1 खण्ड-1 के अंतर्गत चैप्टर-3 अपवाह (Apavaah) पाठ के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Subject | Social Science [Class- 9th] |
Chapter Name | अपवाह (Apavaah) |
Part 3 | Geography [भूगोल] |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | समकालीन भारत-1 |
अपवाह (Apavaah)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. हिमालय से निकलने वाली मुख्य नदियाँ कौन-कौन सी हैं? इनकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए। भारत को इन नदियों से क्या लाभ है?
उत्तर-हिमालय से अनेक बड़ी-बड़ी नदियाँ निकलती हैं। इनमें से तीन प्रमुख नदियाँ हैं- सिन्धु, सतलुज तथा ब्रह्मपुत्र। गंगा नदी भी हिमालय से निकलती है। ये नदियाँ हिमालय के उस पार से निकलती हैं। इन नदियों का उद्गम क्षेत्र कैलाश पर्वत तथा मानसरोवर के निकट है।
विशेषताएँ- हिमालय की नदियों की मुख्य विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है-
- इन नदियों ने अपने साथ बहाकर लाई गई मिट्टी से उत्तरी मैदान को अत्यधिक उपजाऊ बना दिया है।
- ये नदियाँ काफी लम्बी दूरी तक हिमालय के समानान्तर बहती हैं। फिर ये एकाएक दक्षिण की ओर मुड़ जाती हैं तथा हिमालय की पर्वत श्रेणी को काट कर उत्तरी मैदान में पहुँच जाती हैं।
- ये नदियाँ भारी मात्रा में जल तथा गाद का अपवाह करती हैं। बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली दो नदियाँ गंगा तथा ब्रह्मपुत्र आपस में मिलकर संसार का सबसे बड़ा डेल्टा बनाती हैं।
- ऐसा माना जाता है कि ये नदियाँ हिमालय की उत्पत्ति से पहले भी विद्यमान थीं। हिमालय को पार करते समय इन नदियों ने अपनी घाटियों को गहरा करके महाखड्ड अथवा कैनियन बनाईं।
- उत्तरी मैदान में बहते हुए ये नदियाँ बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में जा गिरती हैं।
भारत को लाभ
हिमालय से निकलने वाली नदियों से भारत को निम्नलिखित लाभ हैं-
- पेयजल की आपूर्ति- हिमालय की नदियों के दोनों किनारों पर महत्त्वपूर्ण नगर स्थित हैं। ये नदियाँ इन नगरों में पेयजल की आपूर्ति करती हैं।
- उत्तरी मैदानों को उपजाऊ बनाना – हिमालय की नदियाँ अपने साथ उपजाऊ मिट्टी बहाकर लाती हैं। इसे वे उत्तरी मैदानों में बिछाती हैं। इस प्रकार वे उत्तरी मैदानों को उपजाऊ बनाती हैं।
- मत्स्य पालन- बाँधों के पीछे बनी झीलों में मछलियाँ पाली जाती हैं। ये लोगों को सस्ता प्रोटीनयुक्त भोजन प्रदान करती हैं।
- सिंचाई के लिए जल- हिमालय की नदियाँ पूरे वर्ष बहती हैं। अतः इनसे नहरें निकाल कर पूरा साल खेतों की सिंचाई की जाती है।
- विद्युत उत्पादन- हिमालय की नदियों की कुछ सहायक नदियों पर बाँध बनाए गए हैं। इन बाँधों पर जल-विद्युत उत्पन्न की जाती है।
- नौका वाहन- गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों में काफी दूर तक नौका वाहन किया जा सकता है। इस प्रकार ये नदियाँ परिवहन की सुविधा प्रदान करती हैं।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए-
(i) जल-विभाजक का क्या कार्य है? एक उदाहरण दीजिए।
(ii) भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौन-सी है?
(iii) सिन्धु एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं?
(iv) गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम लिखिए। ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं?
(v) लम्बी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद (सिल्ट) क्यों है?
(vi) कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं? समुद्र में प्रवेश करने के पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं?
(vii) नदियों तथा झीलों के कुछ आर्थिक महत्त्व को बताएँ।
उत्तर- (i) कोई उच्चभूमि जैसे पर्वत जो दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को अलग करता है, उसे जल-विभाजक कहते हैं।
(ii) भारत की सबसे विशाल नदी द्रोणी गंगा नदी की द्रोणी है। गंगा नदी की लम्बाई 2,500 किमी है।
(iii) सिन्धु नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पास से निकलती है। गंगा नदी गंगोत्री नामक हिमानी से निकलती है जो हिमालय के दक्षिणी ढलान पर स्थित है।
(iv) गंगा नदी की दो प्रमुख धाराएँ भागीरथी और अलकनंदा हैं। ये उत्तराखण्ड के देवप्रयाग नामक स्थान पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
(v) तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी का मार्ग बहुत लम्बा है, परन्तु इस मार्ग में इसे वर्षा अथवा अन्य साधनों से कम जल की प्राप्ति होती है। कम जल के कारण इसकी अपरदन शक्ति कम होती है। इसी कारण इसमें गाद (सिल्ट) की मात्रा कम होती है।
(vi) नर्मदा एवं तापी भारत की दो ऐसी नदियाँ हैं जो गर्त से होकर बहती हैं तथा ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं।
(vii) नदियाँ एवं झीलें नदी के बहाव को नियन्त्रित करती हैं। ये अति-वृष्टि के समय बाढ़ को रोकती हैं। अनावृष्टि के समय ये पानी के बहाव को बनाए रखती हैं। इनका उपयोग जल-विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। ये आस-पास की जलवायु को मृदु बनाती हैं तथा जलीय पारितन्त्र का संतुलन बनाए रखती हैं। ये प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि करती हैं तथा पर्यटन का विकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंजन करती हैं।
प्रश्न 3. नीचे भारत की कुछ झीलों के नाम दिए गए हैं। इन्हें प्राकृतिक एवं मानवनिर्मित वर्गों में बाँटिए-
(क) वूलर
(घ) भीमताल (छ) बारापानी (ञ) राणा प्रताप सागर (ड) नागार्जुन सागर
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(ख) डल
(ङ) गोविन्द सागर (ज) चिल्का (ट) निजाम सागर (ढ) हीराकुड
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(ग) नैनीताल
(च) लोकटक (झ) साँभर (ठ) पुलिकट
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उत्तर-
प्राकृतिक झील
वूलर डल नैनीताल भीमताल लोकटक बारापानी चिल्का साँभर पुलिकट |
मानवनिर्मित झील
गोविन्द सागर राणा प्रताप सागर निजाम सागर नागार्जुन सागर हीराकुड
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प्रश्न 4. हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों के मुख्य अन्तरों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ |
प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ |
|
1. | समतल भूभाग से होकर बहने के कारण ये नाव्य नदियाँ हैं। | ये नदियाँ मार्ग में प्रपात बनाती चलती हैं। अतः नाव्य नहीं हैं। तटीय मैदानों में ही ये नाव्य हैं। |
2. | इन नदियों से नहरें निकालना आसान और अधिक उपयोगी है। इनके जल का उपयोग सिंचाई और जल-विद्युत दोनों में खूब किया जाता है। | इन नदियों से नहरें निकालना कठिन है। अतः सीमित क्षेत्रों में ही सिंचाई हो पाती है। |
3 | इन नदियों में जल वर्ष भर पर्याप्त मात्रा में मिलता है। | शुष्क मौसम में यहाँ की अधिकांश नदियाँ सूख जाती हैं, शेष की जलधारा बहुत पतली हो जाती है। अतः ये नदियाँ सदानीरा नहीं हैं। |
4. | इन नदियों ने देश के विस्तृत उपजाऊ मैदान का निर्माण कर, देश को कृषि प्रधान बनाया है। | ये नदियाँ तेज ढाल वाले क्षेत्रों तथा पथरीले भागों में बहती हैं। अतः जल-विद्युत केन्द्रों की स्थापना कर, जल-विद्युत के निर्माण के लिए अधिक उपयोगी हैं। |
5. | हिमालय पर्वत से निकलने वाली अधिकांश नदियाँ हिमानियों से जन्मी हैं। | प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ वर्षा के जल अथवा भूमिगत जल पर निर्भर हैं। यहाँ कोई हिमानी नहीं है। |
6. | देश का कुल सम्भावित जल-विद्युत क्षमता का 60 प्रतिशत भाग हिमालय की नदियों में है। | इन नदियों में देश की सम्भावित जलशक्ति का 40 प्रतिशत भाग पाया जाता है। |
प्रश्न 5. प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना कीजिए।
उत्तर-पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में प्रमुख अन्तर इस प्रकार हैं-
पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ |
पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ |
|
1.
2. |
ये नदियाँ बहुत गहराई में नहीं बहती हैं।
कृष्णा, कावेरी, गोदावरी, महानदी पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ हैं। |
ये नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं।
नर्मदा एवं तापी पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ हैं। |
3. | इन नदियों की लम्बाई अधिक है। | इन नदियों की लम्बाई कम है। |
4. | पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। | ये नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं। |
5. | मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत मन्द हो जाती है। | मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत तेज होती है। |
6. | इन नदियों का अपवाह तन्त्र विकसित तथा आकार में बड़ा है। | इन नदियों का अपवाह तन्त्र विकसित नहीं है। इनकी सहायक नदियाँ आकार में छोटी होती हैं। |
7. | ये नदियाँ पूर्वी तट पर बड़े डेल्टा का निर्माण करती हैं। | ये नदियाँ डेल्टा की बजाय ज्वारनद का निर्माण करती हैं। |
प्रश्न 6. किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर-नदियों का किसी देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट हो जाता है-
- ये प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि करती हैं।
- ये जल के बहाव को नियंत्रित करने में सहायता करती हैं।
- नदियों के तटों ने प्राचीनकाल से ही आदिवासियों को आकर्षित किया है। ये बस्तियाँ कालान्तर में बड़े शहर बन गए।
- ये भारी वर्षा के समय बाढ़ को रोकती हैं।
- ये नई मृदा बिछाकर उसे खेती योग्य बनाती हैं जिससे बिना अधिक मेहनत के इस पर खेती की जा सके।
- ये शुष्क मौसम के दौरान पानी का एकसमान बहाव बनाए रखती हैं।
- नदियों से हमें प्राकृतिक ताजा मीठा पानी मिलता है जो मनुष्य सहित अधिकतर जीव-जन्तुओं के जीवन के लिए आवश्यक है।
- इनकी सहायता से जल-विद्युत पैदा की जाती है।
- ये पर्यटन का विकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंजन करती हैं।
- ये आस-पास के वातावरण को मृदु बना देती हैं।
- नदियाँ अवसादी निक्षेपों का निर्माण करती हैं। इन निक्षेपों में वनस्पति तथा प्राणी अवशेष पाए जाते हैं जो कालान्तर में सड़-गलकर कोयले एवं पेट्रोलियम में रूपान्तरित हो जाते हैं।
- ये जलीय पारितन्त्र को बनाए रखती हैं।
- नदियाँ अपने प्रवाह क्षेत्र में जल निकासी का कार्य करती हैं।
प्रश्न 7. प्रायद्वीपीय पठार के नदी तन्त्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर- प्रायद्वीपीय पठार भारतीय भूभाग का प्राचीनतम हिस्सा है। अतः इस क्षेत्र की ज्यादातर नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इस क्षेत्र में पश्चिमी घाट श्रेणी जल-विभाजक का कार्य करती हैं, जो इस क्षेत्र के जल-प्रवाह को दो भागों में विभक्त करती है-
- बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ
- अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ
पश्चिमी घाट पर्वत श्रेणी से इस क्षेत्र की नदियों का उद्गम होता है। ढाल के अनुरूप मार्ग बनाती हुई, इस क्षेत्र की नदियाँ अरब सागर अथवा बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इस क्षेत्र में अपरदन कम होने के कारण इस क्षेत्र की नदियों की घाटियाँ चौड़ी एवं उथली हैं। इसका कारण यह है कि इस प्रदेश का ढाल बहुत मन्द है जिससे इस क्षेत्र की नदियाँ केवल पार्श्ववर्ती अपरदन ही करने में सक्षम होती हैं। अतः ये अपनी घाटियों को नीचे की ओर गहराई में नहीं काट पाती हैं। इस पठारी प्रदेश में कहीं-कहीं जल-प्रपात मिलते हैं। इनमें शिवसमुद्रम तथा जोग प्रपात मुख्य हैं। शिवसमुद्रम जलप्रपात कावेरी नदी पर स्थित है और लगभग 10 मीटर ऊँचा है। जोगप्रपात की ऊँचाई 255 मीटर है। यह शरावती नदी पर स्थित है। इस प्रपात पर ही महात्मा गांधी प्रोजेक्ट बनाया गया है। इस प्रदेश की नदियाँ अधिकतर डेल्टा बनाती हैं। महानदी, कृष्णा, गोदावरी तथा कावेरी नदियों के डेल्टा प्रसिद्ध हैं। प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग का ढाल उत्तर की ओर होने से इस भाग की नदियाँ उत्तर की ओर बहकर यमुना तथा गंगा नदी तन्त्र में सम्मिलित हो जाती हैं। इस भाग की प्रमुख नदियाँ चम्बल, सोन तथा बेतवा हैं जो विंध्याचल-सतपुड़ा पर्वत श्रेणी से निकलती हैं।
प्रश्न 8. भारत की प्रमुख नदियों पर एक टिप्पणी लिखो।
उत्तर-भारत की नदियों को दो भागों में बाँटा जा सकता है – हिमालय से निकलने वाली नदियाँ तथा प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ। दोनों भागों की प्रमुख ‘नदियों का वर्णन इस प्रकार है-
हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियाँ
- गंगा नदी- यह नदी गंगोत्री हिमनदी के गौ-मुख के स्थान पर निकलती है। आगे चलकर इसमें अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियाँ भी मिल जाती हैं। यह शिवालिक की पहाड़ियों से होती हुई हरिद्वार पहुँचती है। अन्त में यह बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। इसकी सहायक नदियों में यमुना, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक तथा कोसी नदियाँ प्रमुख हैं।
- ब्रह्मपुत्र नदी-यह नदी मानसरोवर झील के पूर्व में ‘चेमायुंगडुंग’ नामक हिमनदी से निकलती है। यह तिब्बत, भारत और बांग्लादेश से होती हुई गंगा नदी में जा मिलती है। यहाँ से ब्रहापुत्र तथा गंगा का इकट्ठा पानी पगा नदी के नाम से आगे बढ़ता है। अन्त में यह बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। यह नदी अपने मुहाने पर सुंदरवन नामक डेल्टा का निर्माण करती है।
- सिन्धु नदी- यह नदी मानसरोवर झील के उत्तर में सैनो-खबाब चश्मे से निकलती है। यह लद्दाख के लेह जिले में दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर बहती है। यह नदी मार्ग में गहरी घाटियाँ बनाती हैं। यह पाकिस्तान के कराची शहर से होती हुई अरब सागर में जा गिरती है। सतलुज, रावी, व्यास, चिनाब तथा झेलम इसकी सहायक नदियाँ हैं।
प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ
- कावेरी नदी- यह नदी पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग से शुरू होकर बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। मार्ग में यह कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से गुजरती है। यह शिवसमुद्रम नामक स्थान पर एक सुन्दर जलप्रपात बनाती है। 2. महानदी- यह नदी मध्य भारत में बस्तर की पहाड़ियों से निकलती है। छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा से होती हुई यह खाड़ी बंगाल में जा गिरती है।
- ताप्ती नदी- यह नदी सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों से अल्ताई के पवित्र कुण्ड से निकलती है। यह नदी भी अन्त में खम्भात की खाड़ी में जा गिरती है।
- गोदावरी नदी- यह नदी पश्चिमी घाट के उत्तरी भाग से निकलती है। यह महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश से होती हुई बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है।
- नर्मदा नदी- यह नदी अमरकंटक के निकट मैकाल की पहाड़ियों से निकलती है। यह नदी भी अन्त में खम्भात की खाड़ी में जा गिरती है।
- कृष्णा नदी- यह नदी महाबलेश्वर के निकट पश्चिमी घाट से निकलती है। यह कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश से होती हुई बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। इसकी सहायक नदियों में भीमा, तुंगभद्रा तथा प. गंगा प्रमुख हैं।
प्रश्न 9. गोदावरी और महानदी का संक्षिप्त विवेचन कीजिए। पूर्व की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय नदियों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
गोदावरी नदी
- यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसका अपवाह तन्त्र प्रायद्वीपीय नदियों में सबसे बड़ा है जो महाराष्ट्र (लगभग 50 प्रतिशत), मध्य प्रदेश, ओडिशा एवं आन्ध्र प्रदेश में स्थित है।
- दक्षिण की गंगा के नाम से प्रसिद्ध गोदावरी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है।
- पूर्णा, वर्धा, प्रांहिता, मंजरा, वेनगंगा एवं पेनगंगा जैसी बहुत-सी सहायक नदियाँ इसमें आकर मिलती हैं।
- यह महाराष्ट्र के नासिक जिले के पश्चिम घाट की ढलानों से निकलती है। इसकी लम्बाई लगभग 1,500 किमी है।
महानदी नदी
- यह नदी छत्तीसगढ़ की उच्चभूमि से निकलकर ओडिशा में बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- 860 किमी लम्बी महानदी का अपवाह तन्त्र महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखण्ड एवं ओडिशा में स्थित है।
महानदी, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियाँ हैं। पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- ये नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
- ये नदियाँ बड़ी मात्रा में तलछट लाती हैं।
- ये नदियाँ पूर्वी तट पर बहुत बड़े डेल्टा बनाती हैं।
- इनकी सहायक नदियों की संख्या अधिक है।
- ये नदियाँ बहुत गहरी नहीं बहतीं।
- सामान्यतः इन नदियों का अपवाह तन्त्र विशाल होता है। 7. इन नदियों का अपवाह तन्त्र विकसित एवं आकार में बड़ा है।