UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Civics [नागरिक शास्त्र] Chapter-3 चुनावी राजनीति (chunavi rajniti) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Long Answer
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान इकाई-3: नागरिक शास्त्र लोकतांत्रिक राजनीति-1 खण्ड-2 के अंतर्गत चैप्टर-3 चुनावी राजनीति (Samvidhan Nirman )पाठ के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Subject | Social Science [Class- 9th] |
Chapter Name | चुनावी राजनीति (Samvidhan Nirman ) |
Part 3 | Civics [नागरिक शास्त्र ] |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | लोकतांत्रिक राजनीति-1 |
चुनावी राजनीति (Samvidhan Nirman)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए भारत में क्या प्रयास किए गए हैं?
उत्तर – भारत में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए किए गए प्रयासों का विवरण इस प्रकार है-
- मतदाताओं के लिए पहचान-पत्र – फर्जी मतदान को रोकने के लिए मतदाताओं को फोटो सहित पहचान-पत्र जारी किए जाते हैं।
- चुनाव आयोग की स्थापना – भारत में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए संविधान द्वारा एक चुनाव आयोग की स्थापना की गई है। इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा दो अन्य आयुक्त होते हैं।
- चुनावों में धन का प्रयोग- चुनावों में धन की भूमिका को कम-से- कम करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा किए गए खर्च की जाँच की जाए। यदि किसी उम्मीदवार ने निश्चित की गई सीमा से अधिक धन खर्च किया है तो उसके चुनाव को अवैध घोषित किया जा सकता है।
- चुनाव से पहले मतदाता सूचियों को ठीक करना- चुनावों के कुछ समय पहले राज्य विधानसभा तथा संसद के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूचियों को दोहराया जाता है और इस बात की तसल्ली की जाती है कि कोई मतदाता ऐसा न रह जाए जिसका नाम उस सूची में शामिल न हो।
- चुनाव याचिका का शीघ्र निपटारा – यदि चुनावों के पश्चात् कोई उम्मीदवार चुनाव याचिका पेश करता है तो उसे जल्द से जल्द निपटा देना चाहिए।
- सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग पर नियन्त्रण- चुनाव आयोग द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि सत्तारूढ़ दल सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न करे।
प्रश्न 2. निर्वाचन आयोग को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- लोकतन्त्र में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनावों के महत्त्व को देखते हुए इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संविधान निर्माताओं द्वारा संविधान में एक निर्वाचन आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया है। चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा कुछ अन्य सदस्य होते हैं। वर्तमान समय में चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के अतिरिक्त दो अन्य सदस्य नियुक्त किए गए हैं। उनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष निश्चित किया गया है।
चुनाव आयोग के मुख्य कार्य अग्रलिखित हैं-
- विभिन्न चुनाव करवाने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर तथा सहायक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करना।
- देश में सभी चुनाव सम्बन्धी मामलों का निरीक्षण तथा नियन्त्रण रखना।
- विभिन्न राजनीतिक दलों को रेडियो तथा टेलीविजन आदि पर चुनाव प्रचार करने की सुविधाएँ दिलाना।
- राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं व विधानपरिषदों के चुनाव करवाना तथा परिणाम घोषित करना।
- मतदाताओं की सूचियाँ तैयार करवाना।
- राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता तैयार करना।
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा उन्हें चुनाव चिह्न देना।
- चुनाव के लिए नामांकन पत्रों को जमा कराने, नाम वापस लेने तथा मतदान की तिथियाँ निश्चित करना।
प्रश्न 3. भारतीय चुनाव प्रणाली की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-भारत में लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली अस्तित्व में है। अतः एक निश्चित समयान्तराल पर चुनाव होते रहते हैं। भारत में अपनाई गई निर्वाचन
प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- वयस्क मताधिकार – भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होते हैं। इनका अर्थ यह है कि प्रत्येक उस नागरिक को जिसकी आयु 18 वर्ष अथवा इससे अधिक है, बिना जाति, धर्म, लिंग तथा रंग आदि के भेदभाव के मतदान का अधिकार दिया गया है।
- प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष चुनाव- भारत में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के चुनाव कराए जाते हैं। लोकसभा, विधानसभाओं, नगरपालिकाओं तथा पंचायतों आदि के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से चुने जाते हैं। इसके विपरीत राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
- गुप्त मतदान – चुनाव गुप्त मतदान रीति से होता है। स्वयं मतदाता के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति को इस बात का पता नहीं चल सकता कि मतदाता ने किस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है।
- चुनाव याचिका-यदि कोई उम्मीदवार या मतदाता किसी चुनाव से सन्तुष्ट नहीं है, तो वह उच्च न्यायालय में उस चुनाव के विरुद्ध अपनी याचिका भेज सकता है।
- एक सदस्य निर्वाचन क्षेत्र- इसका अर्थ यह है कि चुनाव के समय देश को या उस राज्य को जिसमें चुनाव होना है लगभग बराबर जनसंख्या वाले चुनाव क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है और प्रत्येक चुनाव क्षेत्र में एक ही सदस्य निर्वाचित किया जाता है।
- अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान सुरक्षित रखना- भारतीय संविधान के अनुसार संसद, राज्यों के विधानमण्डलों तथा स्थानीय स्वशासन की इकाइयों में पिछड़ी जातियों तथा हरिजनों के लिए स्थान सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई है।
- संयुक्त निर्वाचन – ब्रिटिश सरकार ने भारत में रहने वाली विभिन्न जातियों के सदस्यों में फूट डालने के लिए साम्प्रदायिक चुनाव प्रणाली को लागू किया था, परन्तु स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् इसे समाप्त कर दिया गया है। अब देश में रहने वाले सभी मतदाता, चाहे वह किसी भी जाति अथवा धर्म से सम्बन्ध रखते हों, अपना एक ही प्रतिनिधि चुनते हैं।
प्रश्न 4. भारत में चुनाव के विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर– भारत में चुनाव के प्रमुख सोपान इस प्रकार हैं-
- चुनाव अभियान – चुनाव अभियान की पूरी प्रक्रिया प्रत्याशियों की अन्तिम सूची की घोषणा से मतदान की तिथि (लगभग 2 सप्ताह की अवधि) तक क्रियाशील रहता है। चुनाव अभियान के दौरान प्रत्याशी अपने मतदाताओं से सम्पर्क करता है, चुनावी सभाओं को सम्बोधित करता है। इस प्रकार राजनीतिक दल अपने समर्थकों को जागरूक करते हैं। समाचार-पत्रों, दूरदर्शन, चैनलों, चुनाव सभाओं, पोस्टरों, होर्डिंग इत्यादि के द्वारा प्रचार किया जाता है। चुनाव अभियान के दौरान राजनीतिक दल बड़े मुद्दों की ओर जनसाधारण का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करते हैं जिसके लिए सामान्यतः लुभावने नारे तैयार किए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके।
- मतदान व मतगणना – मतदान के दिन मतदाता अपना वोट देते हैं। जिन लोगों को मतदान का अधिकार है वे निकटतम ‘मतदान केन्द्र’ पर जाकर मतदान करते हैं। मतदान करने वाले व्यक्ति की अंगुली पर एक पहचान चिह्न लगाया जाता है जिससे कोई भी मतदाता एक बार से अधिक मतदान न कर सके। मतदान की अवधि समाप्त हो जाने के बाद ई.वी.एम. मशीनों को सील कर दिया जाता है तथा सर्वाधिक मत पाने वाले प्रत्याशी को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।
- प्रत्याशी द्वारा नामांकन – कोई भी व्यक्ति जो मतदान कर सकता है वह चुनाव में प्रत्याशी भी बन सकता है। किन्तु मतदान हेतु न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष जबकि प्रत्याशी बनने हेतु न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है। राजनीतिक दल. अपने प्रत्याशी नामित करते हैं जिन्हें उस दल का चुनाव निशान तथा नामांकन उपलब्ध होता है। दल द्वारा नामांकन को दल का ‘टिकट’ भी कहा जाता है। चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को एक ‘नामांकन पत्र’ भरना होता है तथा उसे जमानत के रूप में कुछ पैसा जमा करना होता है।
प्रश्न 5. यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोर्ट दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों के सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे?
(क) नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जान-बूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे विजयी घोषित कर दिया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को इस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था।
(ख) फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमें धमकी दी गई थी कि अगर पूर्व प्रधानमन्त्री महेन्द्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी।
(ग) अमेरिका के हर प्रान्त में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। सन् 2000 के चुनाव में फ्लोरिडा प्रान्त के अधिकारियों ने जॉर्ज बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका।
उत्तर- (क) यदि चुनाव अधिकारी द्वारा की गई गड़बड़ी न्यायालय में प्रमाणित हो जाती है तो उस चुनाव को अवैध घोषित कर दिया जाना चाहिए और उस चुनाव को दोबारा कराया जाना चाहिए। भारत में मतगणना के दौरान धाँधली सम्भव नहीं है क्योंकि मतगणना के दौरान उम्मीदवार अथवा उनके प्रतिनिधि मतगणना केन्द्र पर उपस्थित रहते हैं और मतगणना उनके सामने होती है।
(ख) चुनाव से पूर्व किसी प्रत्याशी के विरोध हेतु धमकी भरा परचा निकालना और एक समुदाय को भयभीत करना निश्चित रूप से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। इस परचे को जारी करने वाले व्यक्ति अथवा राजनीतिक दल का पता लगा करके उसे दण्डित किया जाना चाहिए। क्योंकि चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए धमकी देना लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों के विरुद्ध है।
(ग) चूँकि, संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रत्येक राज्य को अपने चुनाव सम्बन्धी कानून बनाने का अधिकार है, फ्लोरिडा राज्य द्वारा लिया गया निर्णय उस राज्य के कानूनों के अनुकूल होगा। यदि ऐसा है तो किसी को भी ऐसे निर्णय को चुनौती देने का अधिकार नहीं होता।
भारत में चूँकि राज्यों को अपने अलग चुनाव सम्बन्धी कानून बनाने का अधिकार नहीं है, यहाँ पर ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो सकती।
प्रश्न 6. क्या हम इस अध्याय में दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं? इनमें सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए-
(क) भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं हैं।
(ख) हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती है।
(ग) सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।
(घ) अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतन्त्र बनाने के लिए कई कदम उठाने जरूरी हैं।
उत्तर- (क) ऐसा नहीं है। यथार्थ में निर्वाचन आयोग को देश में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है। यह चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू करता है तथा इसका उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों को दण्डित करता है। चुनाव ड्यूटी के दौरान नियुक्त कर्मचारी चुनाव आयोग के अधीन कार्य करते हैं न कि सरकार के।
(ख) यह सत्य है। चुनावों में लोगों की भागीदारी प्रायः मतदान करने वाले लोगों के आँकड़ों से मानी जाती है। मतदान प्रतिशत योग्य मतदाताओं में से वास्तव में मतदान करने वाले लोगों के प्रतिशत को प्रदर्शित करता है। मतदाता चुनावों द्वारा राजनीतिक दलों पर अपने अनुकूल नीति एवं कार्यक्रमों के लिए दबाव डाल सकते हैं। मतदाताओं को ऐसा लगता है कि देश के शासन-संचालन के तरीके में उनके मत का विशेष महत्त्व है।
(ग) यह सत्य नहीं है। सत्ताधारी भी चुनाव में पराजित हुए हैं। कई बार ऐसे प्रत्याशी जो चुनावों में अधिक धन खर्च करते हैं; चुनाव हार जाते हैं।
(घ) यह सत्य है। चुनाव सुधार के द्वारा धन बल और आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को राजनीति से दूर करने की आवश्यकता है। क्योंकि कई बार धन-बल और आपराधिक छवि वाले लोग राजनीतिक दलों से टिकट पाने और चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं। ऐसे लोग जनकल्याण नहीं कर सकते बल्कि ये अपनी स्वार्थ सिद्ध में ही लगे रहते हैं।