UP Board and NCERT Solution of Class 9 Science [विज्ञान] ईकाई 3 गति, बल तथा कार्य – Chapter-11 Sound (ध्वनि) लघु उत्तरीय प्रश्न Laghu Uttareey Prashn
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं विज्ञान ईकाई3 गति, बल तथा कार्य के अंतर्गत चैप्टर11 (ध्वनि) पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें
Class | 9th | Subject | Science (Vigyan) |
Pattern | NCERT | Chapter- | Sound |
लघु उत्तरीय प्रश्न / Laghu Uttareey Prashn
प्रश्न 1. ‘अनुप्रस्थ तरंग’ तथा ‘अनुदैर्ध्य तरंग’ का अर्थ उदाहरण देकर बताइए। इनकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse Waves) – अनुप्रस्थ तरंगों में माध्यम के कण, तरंग गति की दिशा के लम्ब दिशा में कंपन करते हैं। शान्त जल में पत्थर डालने परं जल की सतह पर उत्पन्न तरंगें अनुप्रस्थ होती हैं। यदि इन तरंगों के रास्ते में एक कागज का छोटा टुकड़ा रख दें तो वह अपने ही स्थान पर ऊपर-नीचे कंपन करता है, आगे नहीं बढ़ता अर्थात् तरंग गति की दिशा के लम्बवत् कंपन करता है। तनी डोरी जैसे, सितार के तार अथवा एक सिरे पर दीवार से बँधी डोरी को दूसरे सिरे से ऊपर-नीचे झटका देने पर अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न होती हैं।
अनुप्रस्थ तरंगों की विशेषताएँ (Characteristics of Trans- verse Waves)-
(i) इनके माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् कम्पन करते हैं।
(ii) उनके संचरण में श्रृंग तथा गर्त होते हैं।
(iii) ये तरंगें ठोसों में तथा द्रवों की सतह पर चल सकती हैं।
अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal Waves)- अनुदैर्ध्य तरंगें वे तरंगें हैं जिनमें माध्यम के कण, तरंग संचरण की दिशा में ही कम्पन करते हैं।
लोहे के टुकड़े को ठोकने पर उसके अन्दर अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं। इसके अतिरिक्त हमारे बोलने पर वायु में उत्पन्न तरंगें या किसी गैस में उत्पन्न तरंगें भी अनुदैर्ध्य होती हैं।
अनुदैर्ध्य तरंगों की विशेषताएँ (Characteristics of Longitu dinal Waves) – अनुदैर्ध्य तरंग की निम्न विशेषताएँ हैं-
(i) इनके माध्यम के कण तरंग संचरण की दिशा में ही कम्पन करते हैं।
(ii) इनके संचरण से संपीडन तथा विरलन होते हैं।
(iii) ये तरंगें ठोस, द्रव व गैस तीनों माध्यमों में चल सकती हैं।
(iv) इन तरंगों के कारण दाब-परिवर्तन होता है।
प्रश्न 2. तरंगदैर्ध्य से आप क्या समझते हैं? तरंगदैर्घ्य, आवर्तकाल एवं तरंग की चाल का सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर-किसी तरंग गति में परस्पर समान कला में दोलन करने वाले दो क्रमागत कणों के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं।
तरंग की चाल = तरंगदैर्ध्य / आवर्तकाल
प्रश्न 3. किसी माध्यम में यांत्रिक तरंगों की आवृत्ति बढ़ाने से तरंगदैर्ध्य पर क्या प्रभाव होगा? आवश्यक सूत्र देकर बताइए।
उत्तर- तरंग की चाल= आवृत्ति * तरंगदैर्ध्य
अथवा तरंगदैर्ध्य = तरंग की चाल / आवृत्ति
चूँकि किसी माध्यम में तरंग की चाल नियत होती है,
तथा तरंगदैर्ध्य ∝ 1/आवृत्ति
इसलिए आवृत्ति बढ़ाने पर तरंगदैर्ध्य घट जायगा।
प्रश्न 4. एक निश्चित आवृत्ति की तरंग वायु में तथा जल में संचरित होती है। कारण देते हुए बताइए कि किस माध्यम में तरंग का तरंगदैर्ध्य अधिक होगा?
उत्तर-तरंग की चाल = आवृत्ति * तरंगदैर्ध्य
तरंगदैर्ध्य = तरंग की चाल * आवृत्ति
यदि आवृत्ति नियत हो तो
तरंगदैर्ध्य ∝ तरंग की चाल
अतः तरंग की चाल अधिक होने से तरंगदैर्ध्य अधिक होगा। चूँकि वायु की अपेक्षा जल में तरंगों की चाल अधिक होती है अतः जल में तरंगदैर्ध्य अधिक होगा।
प्रश्न 5. निम्नलिखित को अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में वर्गीकृत कीजिए- (i) स्प्रिंग उत्पन्न तरंगें, (ii) तने हुए तार में उत्पन्न तरंगें, (iii) जल के तल पर उत्पन्न तरंगें, (iv) वायु में उत्पन्न तरंगें।
उत्तर-(i) अनुदैर्ध्य तरंगें, (ii) अनुप्रस्थ तरंगें, (iii) अनुप्रस्थ तरंगें (iv) अनुदैर्ध्य तरंगें।
प्रश्न 6. किसी तरंग के गुणधर्म क्या हैं?
उत्तर- तरंग के गुणधर्म– तरंग के निम्न गुणधर्म हैं-
(1) तरंग, कम्पन करते स्रोत द्वारा आवर्ती (Periodic) विक्षोभ के कारण होता है।
(2) तरंग के कारण ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है, न कि पदार्थ का।
(3) तरंग में माध्यम के कण संचरित नहीं होते, वे अपनी मूल स्थिति में ही कम्पन करते हैं एवं अपने आस-पास के कणों में ऊर्जा का स्थानान्तरण करते हैं।
(4) तरंग की गति माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करती है, तरंग ग्रहेोत की गति या कम्पन पर नहीं।
(5) यदि तरंग स्रोत के चारों तरफ का माध्यम एकसमान (समांगी) है तो तरंग गति भी सभी दिशाओं में समान रहती है।
प्रश्न 7. वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करते हैं?
उत्तर-वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग-पराध्वनि प्रायः उन भागों को साफ करने में उपयोग में लाई जाती है जिन तक पहुँचना बहुत कठिन होता है। जिन वस्तुओं की सफाई करनी होती है उन्हें साफ करने वाले विलयन में रखकर उसमें पराध्वनि प्रेषित की जाती है। उच्च आवृत्ति के विक्षोभ के कारण चिकनाई, धूल कण एवं गन्दगी के कण अलग होकर विलयन में आ जाते हैं और इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती हैं।
इस विधि का उपयोग प्रायः विषम आकार के पुर्ने, इलेक्ट्रॉनिक अवयव आदि को साफ करने में किया जाता है।
प्रश्न 8. चमगादड़ किस प्रकार अन्धकार में अपना शिकार ढूँढ़ने हैं?
उत्तर-चमगादड़ द्वारा अन्धकार में अपना शिकार ढूँढ़ने की युक्ति-चमगादड़ अन्धकार में अपना शिकार ढूँढ़ने के लिए सोनार युक्ति का उपयोग करते हैं। वे उड़ते समय पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करते हैं जो उच्च आवृत्ति के कारण अवरोधों एवं कीटों से परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचती हैं जिनका चमगादड़ संसूचन करते हैं। उन परावर्तित स्पन्दों की प्रकृति से चमगादड़ को पता चल जाता है कि उसका शिकार कहाँ है तथा किस प्रकार का है।
प्रश्न 9. ध्वनि के परावर्तन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ध्वनि का परावर्तन-प्रकाश की भाँति ध्वनि भी अपनी दिशा बदल सकती है तथा वापस हो सकती है। ध्वनि का दीवारों से टकराकर वापस लौटना ही ध्वनि का परावर्तन कहलाता है, जैसे कुएं, धातु की चादर, प्लाईवुड इत्यादि से ध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं। ध्वनि, प्रकाश की ही भाँति परावर्तित होती है तथा प्रकाश के परावर्तन के नियम ध्वनि के लिए भी लागू होने हैं, परन्तु ध्वनि के परावर्तन के लिए चिकनी तथा चमकीली सतह की आवश्यकता नहीं होती है। ध्वनि तरंगों के परावर्तन के लिए बड़े आकार के अवरोधों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 10. ध्वनि के परावर्तन के व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर-ध्वनि के परावर्तन के व्यावहारिक उपयोग-ध्वनि के परावर्तन के प्रमुख व्यावहारिक उपयोग निम्नलिखित हैं-
(1) मेगाफोन, लाउडस्पीकर, हॉर्न, तूर्य तथा शहनाई जैसे वाद्ययन्त्री द्वारा ध्वनि विस्तार में।
(2) स्टेथोस्कोप द्वारा हृदय की धड़कनों को डॉक्टर के कानों तक पहुँचाने में।
(3) बड़े हॉलों एवं सभाकक्षों में वक्राकार छतों द्वारा ध्वनि को परावर्तित करके कक्षों के प्रत्येक हिस्से में ध्वनि को प्रेषित करने में।
(4) कर्ण तूर्या जैसी श्रवण सहाय युक्तियों के कार्य करने में।
प्रश्न 11. अनुरणन क्या है? इसे किस प्रकार कम किया जा सकता है? ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर-अनुरणन-किसी बड़े हॉल (कंसर्ट हॉल आदि) में ध्वनि का बारम्बार परावर्तन के कारण लम्बे समय तक बने रहना ‘अनुरणन’ कहलाता है। अनुरणन को कम करने के लिए कंसर्ट हॉल की छतों तथा दीवारों में ध्वनि अवशोषक पदार्थों, जैसे-संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर तथा मोटे पर्दों का प्रयोग किया जाता है।
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के अनुप्रयोग- (i) मेगाफोन, (ii) स्टेथोस्कोप।
प्रश्न 12. ध्वनि की तीव्रता, प्रबलता तथा तारत्व से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-ध्वनि की तीव्रता (Intensity)-किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा, ध्वनि की तीव्रता कहलाती है। ध्वनि की प्रबलता (Loudness) – ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप ध्वनि की प्रबलता कहलाती है। यह ध्वनि का वह लक्षण है जिसके कारण ध्वनि कान में धीमी (मृदु) अथवा जोरों की (प्रबल) सुनाई देती है।
तारत्व (Pitch)-किसी ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क द्वारा अनुभव करने की क्षमता ध्वनि का तारत्व कहलाती है। यह आवृत्ति के समानुपाती होती है अर्थात् अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि का तारत्त्व अधिक और कम आवृत्ति वाली ध्वनि का तारत्व कम होता है।
प्रश्न 13. निम्नलिखित की व्याख्या कीजिए-
- अवश्रव्य तरंगें, (ख) श्रव्य तरंगें एवं (ग) पराश्रव्य तरंगें।
उत्तर- (क) अवश्रव्य तरंगें-जिन तरंगों की आवृत्ति 20 Hz से कम होती है, उन्हें अवश्रव्य तरंगें कहते हैं।
(ख) श्रव्य तरंगें-जिन तरंगों से उत्पन्न ध्वनि को मनुष्य द्वारा सुना जा सकता है, श्रव्य तरंगें कहलाती हैं। इनकी आवृत्ति 20 Hz से 20,000 Hz तक होती है।
(ग) पराश्रव्य तरंगें-जिन तरंगों की आवृत्ति 20,000 Hz से अधिक होती है। मनुष्य द्वारा पराश्रव्य तरंगें नहीं सुनी जा सकतीं। कुत्ता एवं चमगादड़ पराश्रव्य तरंगें पैदा कर सकते हैं और सुन सकते हैं।
प्रश्न 14. प्रत्यास्थ तरंगों के संचरण के लिए माध्यम में क्या गुण होने चाहिए?
उत्तर-प्रत्यास्थ तरंगें तभी संचरित होती हैं, जब माध्यम में निम्नलिखित गुण होते हैं-
(i) माध्यम प्रत्यास्थ होना चाहिए अर्थात् माध्यम के कणों में विक्षोभ के बाद प्रारंभिक स्थिति में लौटकर आने की प्रवृत्ति होनी चाहिए।
(ii) माध्यम में जड़त्व होना चाहिए। जड़त्व होने से कणों में ऊर्जा एकत्रित करने की क्षमता होती है।
(iii) माध्यम का घर्षण प्रतिरोध नगण्य होना चाहिए। घर्षण प्रतिरोध नगण्य होने पर तरंगें माध्यम में स्वतंत्रतापूर्वक आगे बढ़ती हैं।