Bihar Board (बिहार बोर्ड) Solution of Class-10 Hindi Padya Chapter-7 Hiroshima (हिरोशिमा) अज्ञेय
Dear Students! यहां पर हम आपको बिहार बोर्ड कक्षा 10वी के लिए हिन्दी गोधूलि भाग-2 का पाठ-7 हिरोशिमा अज्ञेय Bihar Board (बिहार बोर्ड) Solution of Class-10 Hindi (हिन्दी) Padya Chapter-7 Hiroshima संपूर्ण पाठ हल के साथ प्रदान कर रहे हैं। आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तों में शेयर जरुर करेंगे।
Chapter Name | |
Chapter Number | Chapter- 7 |
Board Name | Bihar Board (B.S.E.B.) |
Topic Name | संपूर्ण पाठ |
Part |
भाग-2 Padya Khand (पद्य खंड ) |
सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन ‘अज्ञेय’
अज्ञेय का जन्म 7 मार्च 1911 ई० में कसेया, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में हुआ, किंतु उनका मूल निवास कर्तारपुर (पंजाब) था। अज्ञेय की माता व्यंती देवी थीं और पिता डॉ० हीरानंद शास्त्री एक प्रख्यात पुरातत्त्वेत्ता थे। अज्ञेय की प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में घर पर हुई । उन्होंने मैट्रिक 1925 ई० में पंजाब विश्वविद्यालय से, इंटर 1927 ई० में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से, बी० एससी० 1929 ई० में फोरमन कॉलेज, लाहौर से और एम० ए० (अंग्रेजी) लाहौर से किया ।
अज्ञेय बहुभाषाविद् थे। उन्हें संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी, फारसी, तमिल आदि अनेक भाषाओं का ज्ञान था। वे आधुनिक हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि, कथाकार, विचारक एवं पत्रकार थे। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं काव्य ‘भग्नदूत’, ‘चिंता’, ‘इत्यलम’, ‘हरी घास पर क्षण भर’, ‘बावरा अहेरी’, ‘आँगन के पार द्वार’, ‘कितनी नावों में कितनी बार’, ‘सदानीरा’ आदि; कहानी संग्रह ‘विपथगा’, ‘जयदोल’, ‘ये तेरे प्रतिरूप’, ‘छोड़ा हुआ रास्ता’, ‘लौटती पगडंडियाँ’ आदि उपन्यास ‘शेखर एक जीवनी’, ‘नदी के द्वीप’, ‘अपने-अपने अजनबी’, यात्रा-साहित्य : अरे यायावर रहेगा याद’, ‘एक बूँद सहसा उछली’; निबंध ‘त्रिशंकु’, ‘आत्मनेपद’, ‘अद्यतन’, ‘भवंती’, ‘अंतरा’, ‘शाश्वती’ आदि; नाटक ‘उत्तरं प्रियदर्शी’; संपादित ग्रंथ ‘तार सप्तक’, ‘दूसरा सप्तक’, ‘तीसरा सप्तक’, ‘चौथा सप्तक’, ‘पुष्करिणी’, ‘रूपांबरा’ आदि। अज्ञेय ने अंग्रेज़ी में भी मौलिक रचनाएँ कीं और अनेक ग्रंथों के अनुवाद भी किए। वे देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। उन्हें साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ, सुगा (युगोस्लाविया) का अंतरराष्ट्रीय स्वर्णमाल आंदि अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। 4 अप्रैल 1987 ई० में उनका देहांत हो गया ।
अज्ञेय हिंदी के आधुनिक साहित्य में एक प्रमुख प्रतिभा थे। उन्होंने हिंदी कविता में प्रयोगवाद का सूत्रपात किंया। सात कवियों का चयन कर उन्होंने ‘तार सप्तक’ को पेश किया और बताया कि कैसे प्रयोगधर्मिता के द्वारा बासीपन से मुक्त हुआ जा सकता है। उनमें वस्तु, भाव, भाषा, शिल्प आदि के धरातल पर प्रयोगों और नवाचरों की बहुलता है ।
आधुनिक सभ्यता की दुर्दात मानवीय विभीषिका का चित्रण करनेवाली यह कविता एक अनिवार्य प्रासंगिक चेतावनी भी है। कविता अतीत की भीषणतम मानवीय दुर्घटना का ही साक्ष्य नहीं है, बल्कि आणविक आयुधों की होड़ में फँसी आज की वैश्विक राजनीति से उपजते संकट की आशंकाओं से भी जुड़ी हुई है। आधुनिक कनि अज्ञेय की प्रस्तुत कविता उनकी समग्र कविताओं के संग्रह ‘सदानीरा’ से यहाँ संकलित है।
हिरोशिमा
एक दिन सहसा सूरज निकला अरे क्षितिज पर नहीं,
नगर के चौकः धूप बरसी पर अन्तरिक्ष से नहीं,
फटी मिट्टी से ।
छायाएँ मानव-जन की दिशाहीन सब ओर पड़ीं वह सूरज नहीं उगा था पूरब में,
वह बरसा सहसा
बीचों-बीच नगर के : काल-सूर्य के रथ के पहियों के ज्यों अरे टूट कर बिखर गये हों दसों दिशा में ।
कुछ क्षण का वह उदय-अस्त !
केवल एक प्रज्वलित क्षण की दृश्य सोख लेने वाली दोपहरी । फिर?
छायाएँ मानव जन की नहीं मिटीं लम्बी हो-हो कर : मानव ही सब भाप हो गये । छायाएँ तो अभी लिखी हैं
झुलसे हुए पत्थरों पर उजड़ी सड़कों की गंच पर ।
मानव का रचा हुआ सूरज मानव को भाप बना कर सोख गया ।
पत्थर पर लिखी हुई यह जली हुई छाया मानव की साखी है।
बोध और अभ्यास
कविता के साथ
- कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज क्या है? वह कैसे निकलता है?
उत्तर- कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज आण्विक बम का प्रचण्ड गोला है। ऐसा प्रतीत होता है कि वह क्षितिज से न निकलकर धरती फाड़कर निकलता है। अर्थात् हिरोशिमा की धरती पर बम गिरने से आग का गोला चारों ओर फैल जाता है, चारों ओर आग की लपटें फैल जाती हैं। धरती पर भयावह दृश्य उपस्थित हो जाता है। आण्विक बम नरसंहार करते हुए उपस्थित होता है।
- छायाएँ दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती हैं? स्पष्ट करें।
उत्तर- सूर्य के उगने से जो भी बिम्ब-प्रतिबिम्ब या छाया का निर्माण होता है वे सभी निश्चित दिशा में लेकिन बम विस्फोट से निकले हुए प्रकाश से जो छायाएँ बनती हैं वे दिशाहीन होती हैं। क्योंकि आण्विक शक्ति से निकले हुए प्रकाश सम्पूर्ण दिशाओं में पड़ता है। उसका कोई निश्चित दिशा नहीं है। बम के प्रहार से मरने वालों की क्षत-विक्षत लाशें विभिन्न दिशाओं में जहाँ-तहाँ पड़ी हुई हैं। ये लाशें छाया-स्वरूप हैं परन्तु चतुर्दिक फैली होने के कारण दिशाहीन छाया कही गयी है। बम के रूप में सूरज की छायाएँ दिशाहीन सब ओर पड़ती हैं।
- प्रज्वलित. क्षण की दोपहरी से कवि का आशय क्या है?
उत्तर- हिरोशिमा में जब बम का प्रहार हुआ तो प्रचण्ड गोलों से तेज प्रकाश निकला और वह चतुर्दिक फैल गया। इस अप्रत्याशित प्रहार से हिरोशिमा के लोग हतप्रभ रहे गये। उन्हें सोचने का अवसर नहीं मिला। उन्हें ऐसा लगा कि धीरे-धीरे आनेवाला दोपहर आज एक क्षण में ही उपस्थित हो गया। बम से प्रज्वलित अग्नि एक क्षण के लिए दोपहर का दृश्य प्रस्तुत कर दिया। कवि उस क्षण में उपस्थित भयावह दृश्य का आभास करते हैं जो तात्कालिक था। वह दोपहर उसी क्षण वातावरण से गायब भी हो गया।
- मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यों पड़ी हुई हैं?
उत्तर- मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा की धरती पर सब ओर दिशाहीन होकर पड़ी हुई हैं। जहाँ-तहाँ घर की दीवारों पर मनुष्य छायाएँ मिलती हैं। टूटी-फूटी सड़कों से लेकर पत्थरों पर छायाएँ प्राप्त होती हैं। आण्विक आयुध का विस्फोट इतनी तीव्र गति में हुई कि कुछ देर के लिए समय का चक्र भी ठहर गया और उन विस्फोट में जो जहाँ थे वहीं उनकी लाश गिरकर सट गयी। वही सटी हुई लाश अमिट छाया के रूप में प्रदर्शित हुई।
- हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है?
उत्तर- मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा की धरती पर सब ओर दिशाहीन होकर पड़ी हुई हैं। जहाँ-तहाँ घर की दीवारों पर मनुष्य छायाएँ मिलती हैं। टूटी-फूटी सड़कों से लेकर पत्थरों पर छायाएँ प्राप्त होती हैं। आण्विक आयुध का विस्फोट इतनी तीव्र गति में हुई कि कुछ देर के लिए समय का चक्र भी ठहर गया और उन विस्फोट में जो जहाँ थे वहीं उनकी लाश गिरकर सट गयी। वही सटी हुई लाश अमिट छाया के रूप में प्रदर्शित हुई।
भाषा की बात
- कविता में प्रयुक्त निम्नांकित शब्दों का कारक स्पष्ट कीजिए क्षितिज, अंतरिक्ष, चौक, मिट्टी, बीचो-बीच, नगर, रथ, गच, छाया
उत्तर- क्षितिज – अधिकरण कारक
अंतरिक्ष – अपादान कारक
चौक – संबंधकारक
मिट्टी – अपादान कारक
बीचो-बीच संबंध कारक
नगर – संबंध कारक
रथ – संबंध कारक
गच – अधिकरण
छाया – कृर्ता कारक
- कविता में प्रयुक्त क्रियारूपों का चयन करते हुए उनकी काल रचना स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- निकला – वर्तमान काल
पड़ी – भूतकाल
उगा था – भूतकाल
गये हां – भूतकाल
लिखी हैं– भूतकाल
लिखी हुई – भूतकाल
है – वर्तमान काल
- कविता से तद्भव शब्द चुनिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
उत्तर- सूरज – सूरज निकल आया।
धूप – धूप निकल गया।
मिट्टी – मिट्टी गीली है।
पहिया – पहिया टूट गया।
पत्थर – पत्थर बड़ा है।
सड़क – सड़क चौड़ी है।
- कविता से संज्ञा पद चुनें और उनका प्रकार भी बताएँ ।
उत्तर- सूरज – व्यक्तिवाचक
नगर – जातिवाचक
चौक – जातिवाचक
मानव – जातिवाचक
रथ – जातिवाचक
पहिया – जातिवाचक
अरे – जातिवाचक
पत्थर – जातिवाचक
सड़क – जातिवाचक
- निम्नांकित के वचन परिवर्तित कीजिए
छायाएँ, पड़ीं, उगा, हैं, पहियों, अरे, पत्थरों, साखी
उत्तर- छायाएँ – छाया
पड़ीं – पड़ी
उगा – उगे
हैं- है
पहियों – पहिया
अरे – अरें
पत्थरों – पत्थर
साखी – साखियाँ
शब्द निधि
अरे: पहिये की धुरी और परिधि यो नेमि को जोड़ने वाले दंड
गच: पत्थर या सीमेंट से बना पक्का धरातल
साखी (साक्षी): गवाही, सबूत