बलाघात – (स्वराघात) , संगम , अनुतान – Balaghat Swaraghat Sangam Anutaan Surlahar kya hai? Hindi Grammar
Balaghat Swaraghat Sangam Anutaan Surlahar kya hai? Hindi Grammar – बलाघात – (स्वराघात) , संगम , अनुतान – Balaghat Swaraghat Sangam Anutaan Surlahar kya hai? Hindi Grammar
बलाघात (स्वराघात) (Balaghat/Svaraghat)
शब्द बोलते समय अर्थ या उच्चारण की स्पष्टता के लिए जब हम किसी अक्षर पर विशेष बल देते हैं, तब इस क्रिया को स्वराघात या बलाघात कहते हैं । सामान्यतः यह बल संयुक्त अक्षर के पहले अक्षर पर लगता है; जैसे— इंद्र, विष्णु । इनमें संयुक्त अक्षर से पहले के अक्षर ‘इ’ और ‘वि’ पर जोर दिया गया है। ‘बलाघात’ की स्थितियाँ इस प्रकार होती हैं—
- १. संयुक्त व्यंजन के पूर्ववाले वर्ण पर बलाघात होता है। यहाँ बोलने में पहले वर्ण का स्वर थोड़ा तन जाता है; जैसे— पक्ष, इक्का । संयुक्त से पूर्व का ऐसा वर्ण इसी कारण ‘गुरु’ कहलाता है।
- २. जब शब्द के अंत या मध्य के व्यंजन के ‘अ’ का पूर्ण उच्चारण नहीं होता, तब पूर्ववर्ती अक्षर पर जोर दिया जाता है; जैसे— पर, चलना ।
- ३. विसर्गवाले अक्षर पर बलाघात होता है; जैसे-दुःख, निःसंदेह, दुःशासन, अंतः करण ।
- ४. इ, उ, या ऋ वाले व्यंजन के पूर्ववर्ती स्वर पर भी बोलते समय थोड़ा बल देना पड़ता है; जैसे— हरि, मधु, समुदाय, पितृ
संगम (Sangam)
अँगरेजी में ‘संगम’ को ‘Juncture’ कहते हैं और हिंदी में संधि या संगम कहा जाता है। किंतु Juncture के लिए संधि सर्वथा उपयुक्त नहीं है, क्योंकि व्याकरणिक प्रक्रिया में यह ध्वनियों के परस्पर सन्निकर्ष का परिचायक है।
संगम को दूसरे शब्दों में योजक (जोड़नेवाला) कहा जा सकता है। नित्यप्रति के व्यापार में हम शब्दों का प्रयोग करते हैं, किंतु शब्दों के उच्चारण- क्रम में वक्ता एक ध्वनि को समाप्त कर दूसरी ध्वनि का उच्चारण करता है।
एक ध्वनि से दूसरी ध्वनि पर जो संक्रमण होता है, वह भी दो प्रकार का होता है। कभी तो वक्ता निर्बाध रूप से बीच में किसी ध्वनि के व्यवधान के बिना दूसरी ध्वनि – पर संक्रमण करता है और कभी बीच में कुछ व्यवधान होता है।
उदाहरण के लिए, ‘तुम्हारे’ के उच्चारण में ‘म्’ के पश्चात् ‘ह’ पर शीघ्र संक्रमण होता है। किंतु, ‘तुम’ – ‘हारे’ में पूर्ववत् संक्रमण नहीं होता। ‘म’ और ‘ह’ के बीच कुछ विराम (अवसान) होता है। इसी विराम को ‘संगम’ कहते हैं। यह संगम सार्थक है; क्योंकि यदि ऐसा न हो, तो ‘तुम हारे’ का अर्थ ‘तुम्हारे’ हो जाएगा। इसे भाषा में धन संगम (plus juncture ) कहते हैं ।
संगम शब्दों के बीच आता है। अतः, कुछ लोग इसे आंतरिक संगम भी कहते हैं। संगम का एक भेद रूपग्रामीय संगम (Morphenic juncture ) है । जब दो रूपग्रामों के बीच यह आता है तब इसे रूपग्रामीय संगम कहते हैं; जैसे- ‘तुम्हारे’ में (तुम् + हारे) । इसके अतिरिक्त, आक्षरिक संगम भी होता है; जैसे- नल्की – नल् की।
अनुतान / सुरलहर (Anutaan Or Surlahar)
अनुतान को सुरलहर कहते हैं। सुरों के आरोह-अवरोह क्रम को सुरलहर की संज्ञा दी गई है। सुर एक व्यापक शब्द है, जो सभी घोष – ध्वनियों में वर्तमान है। इसी का समानार्थी शब्द ‘तान’ है। इसे हम शब्द का अर्थपरिवर्तक सुर कह सकते हैं। जब हम बोलते हैं, तब वाक्य में सुरलहर रहती है। यही कारण है कि पूरे शब्द या वाक्य में सुरलहर का निर्देश किया जाता है। अनुतान वस्तुतः उस सुर को कहते हैं, जिसके कारण शब्द का अर्थ परिवर्तित हो जाता है।
सुरलहर के मुख्यतः दो भेद हैं – १. शब्द-सुरलहर और २. वाक्य-सुरलहर। तान भाषाओं में शब्द-सुरलहर का विधान है। अतान भाषाओं में शब्द-सुरलहर नहीं है। इसमें वाक्य-सुरलहर का विधान मिलता है। लेकिन, कहीं-कहीं शब्द में भी सुरलहर का प्रयोग देखा जाता है।
जैसे- ‘अच्छा’ का उच्चारण ह्रस्व, दीर्घ तथा प्लुत के अनुसार करने से इसके तीन अर्थ — स्वीकृति, विरोध तथा प्रतिशोध होते हैं। वाक्य-सुरलहर से अर्थ-भेद हो जाता है, इसमें शब्द का क्रम भी बदल जाता है। जैसे—
- क्रिया – कौन करेगा तथा करेगा कौन?
- विशेषण – अच्छे आदमी हैं आदमी अच्छे हैं
‘कौन करेगा’ का अर्थ है कोई करेगा; किंतु ‘करेगा कौन’ का अर्थ है— कोई नहीं करेगा, अर्थात इससे निषेध अर्थ का बोध होता है। ‘अच्छे आदमी हैं’ का अर्थ है सामान्यतः भले हैं और ‘आदमी अच्छे हैं’ का अर्थ है बहुत सुंदर आदमी हैं। इसमें विधेयता लक्षित होती है।