Hindi Kavyashastra – Bhartiy Kavyshastra – MCQ- Objective Questions With Answer PDF Notes हिंदी काव्यशास्त्र, हिंदी (वस्तुनिष्ठ प्रश्न) भारतीय काव्यशास्त्र बहुविकल्पीय प्रश्न.
Hindi Kavyashastra – Bhartiy Kavyshastra – MCQ- Objective Questions With Answer PDF Notes भारतीय काव्यशास्त्र बहुविकल्पीय प्रश्न- UP TGT/PGT,GIC,NET/ JRF, Assistent Professor UPPSC JPPSC- यूपी टीजीटी पीजीटी हिंदी सिलेबस | UP TGT PGT Hindi Syllabus · हिन्दी साहित्य.[हिन्दी] भारतीय काव्यशास्त्र MCQ [Free Hindi PDF].भारतीय काव्यशास्त्र MCQ Quiz in हिन्दी EMRS TGT EMRS PGT SSC MTS & Havaldar Bihar Secondary Teacher Bihar TGT PGT.
भारतीय काव्यशास्त्र बहुविकल्पीय प्रश्न (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
काव्य शास्त्र (बहुविकल्पीय प्रश्न)
1. अधोलिखित का मिलान कीजिए
रचना रचयिता
1. साहित्य दर्पण विश्वनाथ
2. रस गंगाधर पं. राज जगन्नाथ
3. भामहविवरण टीका उद्भट
4. दशकुमारचरित दण्डी
(क) दण्डी – उद्भट- पं. राज जगन्नाथ – विश्वनाथ
(ख) उद्भट – विश्नाथ -दण्डी -पं. राज जगन्नाथ
(ग) विश्वानथ – पं. राज जगन्नाथ – उद्भट – दण्डी ✓
(घ) उद्भट – विश्वनाथ -दण्डी -पं. राज जगन्नाथ
2.अधोलिखित का मिलान कीजिए –
सूची-1 सूची-II
A. लक्ष्यार्थ 1. कोशगत अर्थ
B. व्यंग्यार्थ 2. अभिधा
C. वाच्यार्थ 3. लक्षणा
D. अभिधेयार्थ 4. व्यंजना
कूट :
A B C D
(क) 4 3 2 1
(ख) 3 4 1 2✓
(ग) 2 1 3 4
(घ) 1 2 4 3
3. अधोलिखित में असंगत क्रम है
(क) कुवलयानन्द – 1. भामह✓
(ख) गीतगोविन्द – 2. जयदेव
(ग) श्रृंगार तिलक – 3. रुद्रभट्ट
(घ) उज्ज्वल नीलमणि- 4. रूप गोस्वामी
4.अधोलिखित को सुमेलित कीजिए –
1. लोल्लट 1. उत्पत्तिवाद
2. भट्टनायक 2. अनुमितिवाद
3. शंकुक 3. भुक्तिवाद
4. अभिनवगुप्त 4. अभिव्यक्तिवाद
(क) 1, 2, 3, 4. (ख) 1,3, 2, 4✓
(ग) 1, 4, 3, 2. (घ) 4, 3, 2, 1
5.”आनन्द का अर्थ हृदय का व्यक्तिबद्ध दशा से मुक्ति और हल्का होकर अपनी क्रिया में तत्पर होना ही समझता हूँ” यह वक्तव्य किसने दिया है?
(क) श्यामसुन्दर दास
(ख) रामचन्द्र शुक्ल✓
(ग) नगेन्द्र
(घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
6. अधोलिखित में असंगत युग्म है –
(क) काव्यालंकार – भामह
(ख) काव्यालंकार सूत्रवृत्ति – विश्वनाथ✓
(ग) रस सिद्धान्त – नगेन्द्र
(घ) भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका – नगेन्द्र
7.अधोलिखित को सुमेलित कीजिए
सूची-1 सूची-II
A: गर्व 1. वात्सल्य रस
B. अश्रु 2. संचारी भाव
C. रति 3. अनुभाव
D. वत्सल 4. स्थायी भाव
कूट :
A B C D
(क) 4 1 2 3
(ख) 3 2 4 1
(ग) 2 3 4 1✓
(घ) 1 2 3 4
8. असंगत युग्म बताइए –
(क) चन्द्रालोक – जयदेव
(ख) वक्रोक्ति जीवितम्. – कुन्तक
(ग) दशरूपक – धनंजय
(घ) महाभाष्य – भरतमुनि✓
9. असंगत जोड़ा है
(क) नाट्यशास्त्र – भरतमुनि
(ख) लोचन – अभिनवगुप्त
(ग) महाभाष्य – पतंजलि
(घ) रसगंगाधर – भामह✓
10. असंगत युग्म है –
(क) रसतरंगिणी – भानु मिश्र
(ख) सरस्वती कण्ठाभरण – रूप गोस्वामी✓
(ग) ध्वनि सिद्धान्त – आनन्द वर्धन
(घ) रस सिद्धान्त – भरतमुनि
11. संगत युग्म है –
(क) वाक्यम् रसात्मकम् काव्यम् – भरत
(ख) शब्दार्थों सहितौ काव्यम् – भामह✓
(ग) रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् – विश्वनाथ
(घ) शब्दार्थशरीरंतावत्काव्यम् – वामन
12. अधोलिखित (12-16) को सुमेलित कीजिए –
रचना रचयिता
1. आनन्दवर्धन 1. नाट्यशास्त्र
2. ध्वन्यालोक 2. भरत
3. काव्यादर्श 3. मम्मट
4. काव्यप्रकाश. 4. दण्डी
(क) 1, 2, 3, 4 (ख) 3, 2, 4, 1
(ग) 2, 1, 4, 3✓ (घ) 4, 3, 2, 1
13. रचना रचयिता
1. काव्य मीमांसा रुद्रट
2. काव्यालंकार. राजशेखर
3. अलंकार सर्वस्व रूपगोस्वामी
4. उज्ज्वल नीलमणि रुय्यक
(क) राजशेखर – रुद्रट – रुय्यक – रूपगोस्वामी✓
(ख) रूपगोस्वामी – रुय्यक – रुद्रट- राजशेखर
(ग) रुय्यक – राजशेखर – रूपगोस्वामी – रुद्रट
(घ) रुद्रट – रूपगोस्वामी राजशेखर – रुय्यक
14. रचना रचयिता
1. ध्वन्यालोक 1. आनन्द वर्धन
2. काव्यालंकार 2. वामन
3. काव्यालंकार सूत्रवृत्ति 3. भामह
4. चन्द्रालोक 4. जयदेव
(क) 1, 3, 4, 2. (ख) 1,3, 2, 4✓
(ग) 1, 2, 3, 4. (घ) 1, 4, 3, 2
15. रचना रचयिता
1. रसगंगाधर 1. जगन्नाथ
2. औचित्य विचार चर्चा 2. विश्वनाथ
3. काव्यालंकार 3. क्षेमेन्द्र
4. साहित्य दर्पण 4. रुद्रट
(क) 1, 3, 4, 2✓ (ख) 1, 4, 3, 2
(ग) 1, 3, 2, 4. (घ) 1, 4, 2, 3
16. रचना रचयिता
1. काव्यालंकारसारसंग्रह उद्भट
2. औचित्य विचार चर्चा क्षेमेन्द्र
3. वक्रोक्ति जीवितम् कुन्तक
4. दशरूपक धनंजय
(क) धनंजय – कुन्तक – क्षेमेन्द्र – उद्भट
(ख) कुन्तक – उद्भट – धनंजय – क्षेमेन्द्र
(ग) उद्भट – क्षेमेन्द्र – कुन्तक – धनंजय✓
(घ) क्षेमेन्द्र – उद्भट – धनंजय – कुन्तक
17. निम्नलिखित ग्रन्थों का रचनाकारों से मिलान कीजिए-
ग्रन्थ रचनाकार
1. वक्रोक्ति जीवितम् 1. रूप गोस्वामी
2. दशरूपक 2. रुय्यक
3. उज्ज्वल नीलमणि 3. कुन्तक
4. अलंकार सर्वस्व 4. धनंजय
(क) 1, 2, 3, 4. (ख) 1, 3, 4, 2
(ग) 3, 4, 1, 2.✓ (घ) 3, 1, 2, 4
18. निम्नलिखित रसों का स्थायीभाव से मिलान कीजिए-
रस स्थायीभाव
1. श्रृंगार रति
2. हास्य उत्साह
3. वीर क्रोध
4. रौद्र हास
(क) गति – उत्साह – क्रोध – हास
(ख) रति – हास – उत्साह – क्रोध✓
(ग) क्रोध – रति – हास – उत्साह
(घ) उत्साह – क्रोध – हास – रति
19. अधोलिखित में संगत युग्म है
(क) रस सिद्धान्त – भामह
(ख) औचित्य – वामन
(ग) रीति सिद्धान्त – क्षेमेन्द्र
(घ) वक्रोक्ति – कुन्तक✓
20. अधोलिखित को सुमेलित कीजिए –
स्थायीभाव रस
1. भय अद्भुत
2. विस्मय भयानक
3. शोक वीभत्स
4. जुगुप्सा करुण
(क) अद्भुत – भयानक – वीभत्स – करुण
(ख) करुण – वीभत्स – भयानक – अद्भुत
(ग) भयानक – अद्भुत – करुण – वीभत्स✓
(घ) वीभत्स – करुण – अदभुत – भयानक
21. आचार्य से सिद्धान्त का उचित मिलान कीजिए-
1. भट्टलोल्लट अनुमितिवाद
2. शंकुक उत्पत्तिवाद
3. भट्टनायक अभिव्यक्तिवाद
4. अभिनवगुप्त भुक्तिवाद
(क) अनुमितिवाद – उत्पत्तिवाद – अभिव्यक्तिवाद – भुक्तिवाद
(ख) भुक्तिवाद – अभिव्यक्तिवाद – उत्पत्तिवाद – अनुमितिवाद
(ग) उत्पत्तिवाद – अनुमितिवाद – भुक्तिवाद – अभिव्यक्तिवाद✓
(घ) अभिव्यक्तिवाद – भुक्तिवाद – अनुमितिवाद – उत्पत्तिवाट
22. संगत युग्म है –
(क) साहित्य दर्पण – भामह
(ख) रस गंगाधर – पं. जगन्नाथ✓
(ग) भामह विवरण – विश्वनाथ
(घ) दशकुमार चरित – अभिनवगुप्त
23. असंगत युग्म है –
(क) रस सिद्धान्त – भरत
(ख) अलंकार सिद्धान्त – वामन✓
(ग) ध्वनि सिद्धान्त – आनन्दवर्धन
(घ) वक्रोक्ति सिद्धान्त – कुन्तक
24. अधोलिखित को सुमेलित कीजिए –
रचना रचयिता
1. महाभाष्य भोजराज
2. रसतरंगिणी पतंजलि
3. सरस्वती कण्ठाभरण भानुमिश्र
4. शृंगार प्रकाश भोजराज
(क) भोजराज – भोजराज – भानुमिश्र – पतंजलि
(ख) पतंजलि – भानुमिश्र – भोजराज – भोजराज✓
(ग) भानुमिश्र – भोजराज – भोजराज – पतंजलि
(घ) पतंजलि – भोजराज – भानुमिश्र – भोजराज
25. असंगत युग्म है –
रचना रचयिता
(क) नाट्यशास्त्र भरत
(ख) लोचन अभिनवगुप्त✓
(ग) ध्वन्यालोक आनन्दवर्धन
(घ) काव्यालंकार वामन
26. अधोलिखित को सुमेलित कीजिए –
रचयिता रचना
1. वामन काव्यादर्श
2. दण्डी काव्यालंकार सूत्रवृत्ति
3. मम्मट चन्द्रालोक
4. जयदेव काव्यप्रकाश
(क) काव्यालंकार सूत्रवृत्ति – काव्यादर्श – काव्यप्रकाश – चन्द्रालोक✓
(ख) चन्द्रालोक – काव्यप्रकाश – काव्यादर्श – काव्यालंकार – सूत्रवृत्ति
(ग) काव्यप्रकाश – चन्द्रालोक – काव्यालंकार सूत्रवृत्ति – काव्यादर्श
(घ)काव्यादर्श – काव्यालंकार – सूत्रवृत्ति – चन्द्रालोक – काव्यप्रकाश
27. असंगत युग्म है –
(क) काव्यमीमांसा – राजशेखर
(ख) काव्यालंकार – रूपगोस्वामी✓
(ग) अलंकार सर्वस्व – रुय्यक
(घ) उज्ज्वल नीलमणि – रूप गोस्वामी
28. अधोलिखित को सुमेलित कीजिए –
रचना रचयिता
1. व्यक्तिविवेक आनन्दवर्धन
2. ध्वन्यालोक अभिनवगुप्त
3. लोचन महिम भट्ट
4. काव्यालंकार भामह
(क) भामह – अभिनवगुप्त – आनन्दवर्धन महिमभट्ट
(ख) महिमभट्ट – आनन्दवर्धन – अभिनवगुप्त – भामह✓
(ग) अभिनवगुप्त – महिमभट्ट – भामह आनन्दवर्धन
(घ) आनन्दवर्धन – भामह महिमभट्ट अभिनवगुप्त
29. असंगत युग्म है –
(क) काव्यालंकारसार संग्रह – उद्भट
(ख) औचित्य विचार चर्चा – कुन्तक✓
(ग) उज्ज्वल नीलमणि – रूप गोस्वामी
(घ) अलंकार सर्वस्व – रुय्यक
30. अधोलिखित को सुमेलित कीजिए.
सिद्धान्त प्रवर्तक
1. रस सिद्धान्त भामह
2. अलंकार सिद्धान्त भरत
3. रीति सिद्धान्त आनन्दवर्धन
4. ध्वनि सिद्धान्त वामन
(क) भरत – भामह – वामन – आनन्दवर्धन✓
(ख) आनन्दवर्धन – वामन – भामह – भरत
(ग) वामन – आनन्दवर्धन – भरत – भामह
(घ) भामह – भरत – आनन्दवर्धन – वामन
31. असंगत युग्म है
(क) रसगंगाधर – पं. राज जगन्नाथ
(ख) साहित्य दर्पण – विश्वनाथ
(ग) लोचन – आनन्दस्वरूप
(घ) काव्यादर्श – दण्डी
32. संगत युग्म है –
(क) महाभाष्य – धनंजय
(ख) रसतरंगिणी – भानुमिश्र
(ग) सरस्वती कण्ठाभरण – राजशेखर✓
(घ) शृंगार प्रकाश – भामह
33. संगत युग्म है –
(क) नाट्यशास्त्र – वामन
(ख) ध्वन्यालोक – मम्मट
(ग) काव्यालंकार – भामह
(घ) काव्यादर्श – आनन्दवर्धन
34. अधोलिखित को सुमेलित कीजिए –
1. रसतरंगिणी 1. कक्कोक
2. श्रृंगार प्रकाश 2. राजशेखर
3. काव्यमीमांसा 3. भोजराज
4. रतिरहस्य 4. भानुमिश्र
(क) 4, 3, 2, 1.✓ (ख) 1, 2, 3, 4
(ग) 4, 2, 3, 1. (घ) 4, 1, 3, 2
35. असंगत युग्म है –
(क) उत्पत्तिवाद – भट्टलोल्लट
(ख) अनुमितिवाद – शंकुक
(ग) भुक्तिवाद – भट्टनायक
(घ) अभिव्यक्तिवाद – विश्वनाथ✓
36. असंगत युग्म है
(क) विस्मय – अद्भुत
(ख) शोक- करुण
(ग) जुगुप्सा – वीभत्स
(घ) निर्वेद वात्सल्य✓
37. असंगत युग्म है
(क) नाट्यशास्त्र – भरत
(ख) ध्वन्यालोक – अभिनवगुप्त✓
(ग) काव्यालंकार – भामह
(घ) काव्य प्रकाश – मम्मट
38. संगत युग्म है –
(क) रस सिद्धान्त – जगन्नाथ
(ख) अलंकार सिद्धान्त – वामन
(ग) रीति सिद्धान्त. – कुन्तक
(घ) औचित्य सिद्धान्त – क्षेमेन्द्र✓
39. असंगत युग्म है –
प्रवर्तक. सिद्धान्त
(क) भरत रस सिद्धान्त
(ख) भामह अलंकार सिद्धान्त
(ग) वामन रीति सिद्धान्त
(घ) कुन्तक ध्वनि सिद्धान्त✓
40. संगत युग्म है –
(क) ध्वन्यालोक अभिनवगुप्त
(ख) काव्यालंकार सूत्रवृत्ति. वामन✓
(ग) काव्यप्रकाश दण्डी
(घ) काव्यालंकारसार संग्रह मम्मट
41. संगत युग्म है –
(क) औचित्यविचारचर्चा भरत
(ख) चन्द्रालोक जयदेव✓
(ग) वक्रोक्ति जीवितम् मम्मट
(घ) दशरूपक भामह
42. काव्यगत-दस गुण प्राण माने जाते हैं.
(क) गौड़ मार्ग के
(ख) वैदर्भ मार्ग के✓
(ग) रीति मार्ग के
(घ) वक्रोक्ति मार्ग के
43. ‘अवन्तिका एवं मागधी रीति’ के उद्भावक आचार्य हैं –
(क) भोजराज✓
(ख) मम्मट
(ग) विश्वनाथ
(घ) जगन्नाथ
44. “भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूपनिहारी।।” उदाहरण है
(क) उपनागरिका वृत्ति
(ख) कोमला वृत्ति✓
(ग) परुषा वृत्ति
(घ) वैदर्भी वृत्ति का
45. ‘विशिष्टपदरचना रीतिः’ का उल्लेख है –
(क) काव्यालंकारसूत्रवृत्ति में✓
(ख) शृंगार तिलक में
(ग) रस गंगाधर में
(घ) कुवलयानन्द में
46. ‘लाटीया रीति’ के उद्भावक आचार्य हैं –
(क) रुद्रट✓
(ख) कुन्तक
(ग) राजशेखर
(घ) भोजराज
47. ‘माधुर्य सौकुमार्योपपन्ना’ लक्षण है –
(क) वैदर्भी रीति का
(ख) गौड़ी रीति का
(ग) लाटीया रीति का
(घ) पांचाली रीति का✓
48. ‘रीति’ को रस का उत्कर्षक तत्त्व मानने वाले आचार्य हैं-
(क) महिमभट्ट
(ख) कुन्तक
(ग) राजशेखर
(घ) आनन्दवर्धन✓
49. “पदसंघटना रीतिअंगसंस्थान विशेषवत् उपकर्मी रसादीनाम्’ कथन है –
(क) विश्वनाथ का✓
(ख) भामह का
(ग) वामन का
(घ) रुद्रट का
50. ‘रीति को पदसंघटना’ नाम देने वाले आचार्य हैं –
(क) आनन्दवर्धन
(ख) विश्वनाथ✓
(ग) जगन्नाथ
(घ) रूपगोस्वामी
51. “वृत्तिनियतवर्णगतो रस विषयो व्यापारः” कथन का उल्लेख है –
(क) काव्यालंकार में
(ख) काव्यादर्श में
(ग) काव्यप्रकाश में✓
(घ) काव्यमीमांसा में
52. रीति को कवि प्रस्थान हेतु नाम देने वाले आचार्य हैं (क) कुन्तक✓
(ख) महिमभट्ट
(ग) देवेश्वर
(घ) रुय्यक
अधोलिखित पंक्तियों में काव्य गुण बताइए.
53. “सिखा दो ना मधुप कुमारी, मुझे भी अपना मीठा गान”-
(क) माधुर्य गुण✓
(ख) प्रसाद गुण
(ग) ओज गुण
(घ) इनमें से कोई नहीं
54. “सबके हृदय मदन अभिलाषा। लता निहारि नवहिं तरुवर साखा।”.
(क) माधुर्य गुण✓
(ख) प्रसाद गुण
(ग) ओजगुण
(घ) सुकुमारता
55. “मुण्ड कटत कहुँ रूण्ड नटत कहुँ सुण्ड पटत घन”-
(क) ओज गुण✓
(ख) प्रसाद गुण
(ग) श्लेष गुण
(घ) उपमा गुण
56. “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरति देखी तिन तैसी”-
(क) अर्थगुण
(ख) प्रसाद गुण✓
(ग) मार्धय गुण
(घ) ओज गुण
57. “जय चमुण्ड जय चण्डमुण्ड भण्डासुर खण्डित” – –
(क) ओज गुण✓
(ख) प्रसाद गुण
(ग) समाधि गुण
(घ) श्लेष गुण
58. ‘माधुर्य गुण’ के उत्तरोत्तर अतिशय का सही क्रम है (क) संयोग श्रृंगार – करुण रस – शान्त रस – विप्रलम्भ श्रृंगार
(ख) शान्त रस-विप्रलम्भ शृंगार-करुण रस – संयोग श्रृंगार
(ग) विप्रलम्भ शृंगार – करुण रस-रौद्र रस-शान्त रस
(घ) संयोग श्रृंगार-करुण रस- विप्रलम्भ श्रृंगार – शान्त रस✓
59. वामन ने काव्य गुणों की संख्या मानी है –
(क) बीस काव्यगुण✓
(ख) दस काव्यगुण
(ग) चौबीस काव्यगुण
(घ) बारह काव्यगुण
60. मम्मट ने काव्य गुणों की संख्या मानी है –
(क) दस काव्यगुण
(ख) पाँच काव्यगुण
(ग) सात काव्यगुण
(घ) तीन काव्यगुण✓
61. ‘ये रसस्यांगिनो धर्माः शौर्यादिवात्मनः’ कथन है –
(क) विश्वनाथ
(ख) मम्मट ✓
(ग) जयदेव
(घ) जगन्नाथ
प्रश्न संख्या 62-73 के लिए निर्देश – अधोलिखित पंक्तियों में रस बताइए –
62. दूध दुहत अति ही रति बाढ़ी एक धार दोहनी पहुँचावति एक धार जहँ प्यारी ठाढ़ी-
(क) वियोग वात्सल्य
(ख) वियोग श्रृंगार
(ग) संयोग श्रृंगार✓
(घ) भयानक
63. संदेशो देवकी सों कहियौ। हौं तो धाय तिहारे सुत की, कृपा करत ही रहियौ-
(क) संयोग श्रृंगार
(ख) विप्रलम्भ शृंगार
(ग) वियोग वात्सल्य✓
(घ) संयोग वात्सल्य
64. खेलन सिखए अलि भलैं, चतुर अहेरी मार। कानन-चारी नैन मृग, नागर नरनु सिकार ।।
(क) भक्ति रस
(ख) वात्सल्य रस
(ग) श्रृंगार रस✓
(घ) वीर रस
65. जब दहक उठा सीमांत, पुकारा मां ने शीश चढ़ाने को; नौजवां लहू तब तड़प उठा, हँसते-हँसते बलि जाने को-
(क) वीर रस✓
(ख) करुण रस
(ग) अद्भुत रस
(घ) वीभत्स रस
66. अखिल भुवन चर-अचर जग हरिमुख में लखि मातु।
चकित भई गद्गद वचन, विकसित दृग पुलकातु ।।-
(क) श्रृंगार रस
(ख) भयानक रस
(ग) अद्भुत रस✓
(घ) वीभत्स रस
67. मादक थी मोहमयी थी, मन बहलाने की क्रीड़ा।
अब हृदय हिला देती है, वह मधुर प्रेम की पीड़ा।।
(क) संयोग श्रृंगार
(ख) विप्रलम्भ श्रृंगार✓
(ग) अद्भुत रस
(घ) करुण रस
68. “अब लौं नसानी अब ना नसैहौं।
रामकृपा भवनिसा सिरानी,
जागे फिर न डसैहौं।”
(क) अद्भुत रस
(ख) शान्त रस✓
(ग) श्रृंगार रस
(घ) दाम्पत्य रति.
69. “इहाँ उहाँ दुई बालक आनि विशेखा” –
देखा, मति भ्रम मोरि कि
(क) भक्ति रस
(ख) अद्भुत रस✓
(ग) वीभत्स रस
(घ) शान्त रस
70. “भये भुवन घोर कठोर रव रवि बाजित जिमि” –
(क) रौद्र रस✓
(ख) वीभत्स
(ग) भयानक
(घ) शान्त रस
71. “मैं सत्य कहता हूँ सखे ! सुकुमार मत जानो मुझे । यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा जानो मुझे॥”
(क) रौद्र रस
(ख) वीर रस✓
(ग) श्रृंगार रस
(घ) शान्त रस
72. “निर्भय स्वागत करो मृत्यु का, मृत्यु एक विश्राम स्थल है”-
(क) शान्त रस✓
(ख) विप्रलम्भ शृंगार
(ग) अद्भुत रस
(घ) वात्सल्य रस
73. “अति मलीन वृषभानुकुमारी” –
(क) विप्रलम्भ शृंगार✓
(ख) करुण रस
(ग) शान्त रस
(घ) अद्भुत रस
प्रश्न संख्या 74-78 के लिए निर्देश : अधोलिखित पंक्तियों में रस के अवयव बताइए “अतिमलीन वृषभानु कुमारी, अध-मुख रहति-उरध नहिं चितवति । ज्यों हाथ हारे थकित जुआरी, छूटे चिकुर वदन कुम्हिलानो । ज्यों नलिनी हिमकर की मारी”
74. उपर्युक्त छन्द का स्थायी भाव है –
(क) उत्साह
(ख) शोक
(ग) आश्चर्य
(घ) रति✓
75. उपर्युक्त छन्द में आश्रय विभाव है
(क) राधा✓
(ख) कृष्ण
(ग) राम
(घ) सीता
76. उपर्युक्त छन्द का आलम्बन विभाव है
(क) सीता
(ख) राधा
(ग) राम
(घ) कृष्ण✓
77. उपर्युक्त छन्द का अनुभाव है –
(क) अधोमुख रहना
(ख) मुख का कुम्हला जाना
(ग) बालों का बिखरना
(घ) तीनों अनुभाव सही हैं✓
78. उपर्युक्त छन्द में संचारी भाव कौन नहीं है?
(क) ग्लानि
(ख) कम्प
(ग) चिन्ता✓
(घ) दैन्य
79. “सहित सनेह संकोच सुख, स्वेद कम्प मुसकानि ।
प्रान पानि करि आपनै, पान धरे मो पानि॥”
उपर्युक्त छन्द में स्थायी भाव ‘रति’ है –
(क) आलम्बन रति
(ख) आश्रय रति
(ग) उभयनिष्ठ रति✓
(घ) भगवत् रति
80. ‘सात्विक भाव’ है –
(क) उन्माद
(ख) कम्प✓
(ग) विवर्त
(घ) मुस्कान
81. एक दूसरे के प्रेम में अनुरक्त नायक एवं नायिका के मिलन्न में अभाव को क्या कहा जाता है?
(क) संयोग श्रृंगार
(ख) विप्रलम्भ श्रृंगार✓
(ग) करूण
(घ) वीर
82. किसी अलौकिन, व्यक्ति या जीव को देखकर हृदय में कौन-सा स्थायी भाव रस रूप में परिणत होता है?
(क) श्रृंगार
(ख) हास्य
(ग) विस्मय✓
(घ) शोक
83. ‘करुण’ रस का स्थायी भाव है
(क) शोक✓
(ख) रति
(ग) क्रोध
(घ) निर्वेद
84. ‘शान्त रस’ का स्थायी भाव है –
(क) निर्वेद या शम✓
(ख) भक्ति
(ग) उत्साह
(घ) शोक
85. ‘वीर रस’ का स्थायी भाव है –
(क) उत्साह✓
(ख) शान्त
(ग) वात्सल्य
(घ) भक्ति
86. ‘वीभत्स रस’ का स्थायी भाव है
(क) जुगुप्सा✓
(ख) शोक
(ग) उत्साह
(घ) प्रेम
87. ‘रौद्र रस’ का स्थायी भाव है –
(क) शान्त
(ख) वीभत्स
(ग) अद्भुत
(घ) क्रोध✓
88. ‘अद्भुत रस’ का स्थायी भाव है –
(क) क्रोध
(ख) उत्साह
(ग) आश्चर्य या विस्मय✓
(घ) रति
89. ‘भयानक रस’ का स्थायी भाव है
(क) शान्त
(ख) वात्सल्य
(ग) भक्ति
(घ) भय✓
90. अस्थिर मनोविकारों का नाम है –
(क) सात्विक अनुभाव
(ख) वाचिक अनुभाव
(ग) संचारी भाव✓
(घ) कायिक अनुभाव
91. श्रृंगार रस’ को ‘रसराज’ क्यों माना जाता है?
(क) इसमें आठ सात्विक भावों का समावेश है।
(ख) इसमें तैंतीस संचारी भावों का समावेश है। ✓
(ग) इसकी उत्पत्ति श्रृंग धातु से हुई है।
(घ) इसमें कामोद्रेक की अधिकता पायी जाती है।
92. ‘वात्सल्य रस’ का स्थायी भाव है –
(क) वत्सलता
(ख) पुत्र या पुत्री विषयक रति
(ग) 1, 2 दोनों सही हैं✓
(घ) 1, 2 दोनों गलत हैं
93. “पीत वसन परिकर करि माथा, चारू चाप सर सोहत हाथा” उदाहरण है –
(क) कायिक अनुभाव
(ख) सात्विक अनुभाव
(ग) आहार्य अनुभाव✓
(घ) वाचिक अनुभाव
94. ‘हास्य’ रस का स्थायी भाव है –
(क) शोक
(ख) हास✓
(ग) रौद्र
(घ) हास
95. भावों की संख्या उन्चास में कौन शामिल नहीं है?
(क) आठ स्थायी भाव
(ख) नौ स्थायी भाव✓
(ग) आठ सात्विक भाव
(घ) तैंतीस संचारी भाव
96. ‘भक्ति रस’ का स्थायी भाव है –
(क) मधुरा रति
(ख) परारति✓
(ग) दाम्पत्य रति
(घ) वत्सलता
97. ‘सात्विक भावों’ में गणना नहीं होती है –
(क) स्वेद
(ख) रोमांच
(ग) ब्रीड़ा✓
(घ) अश्रु
98. ‘पाठक’ या ‘श्रोता’ को रस की अनुभूति होती है –
(क) आलम्बन के द्वारा
(ख) आश्रय के द्वारा✓
(ग) अनुभावों के द्वारा
(घ) संचारियों के द्वारा
99. ‘विप्रलम्भ श्रृंगार’ के कितने रूप माने जाते हैं?
(क) चार रूप✓
(ख) सात रूप
(ग) पाँच रूप
(घ) नौ रूप
100. ‘दुखात्मक रस’ नहीं माना जाता है
(क) अद्भुत✓
(ख) रौद्र
(ग) वीभत्स
(घ) भयानक
प्रश्न संख्या 1 से 100 तक | प्रश्न संख्या 101 से 200 तक |
प्रश्न संख्या 201 से 300 तक | प्रश्न संख्या 301 से 400+ तक |