Bihar Board (बिहार बोर्ड) Solution of Class-10 Hindi (हिन्दी) Padya Chapter-9 Hamari Nind (हमारी नींद) गोधूलि

Bihar Board (बिहार बोर्ड) Solution of Class-10 Hindi Padya Chapter- 9 Hamari Nind (हमारी नींद ) वीरेन डंगवाल

Dear Students! यहां पर हम आपको बिहार बोर्ड  कक्षा 10वी के लिए हिन्दी गोधूलि  भाग-2 का पाठ-9 हमारी नींद वीरेन डंगवाल  Bihar Board (बिहार बोर्ड) Solution of Class-10 Hindi (हिन्दी) Padya Chapter-9 Hamari Nind  संपूर्ण पाठ  हल के साथ  प्रदान कर रहे हैं। आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी और आप इसे अपने दोस्तों में शेयर जरुर करेंगे।

Chapter Name
Chapter Number Chapter- 9
Board Name Bihar Board  (B.S.E.B.)
Topic Name संपूर्ण पाठ 
Part
भाग-2 Padya Khand (पद्य खंड )

वीरेन डंगवाल

प्रमुख समकालीन कवि वीरेन डंगवाल का जन्म 5 अगस्त 1947 ई० में कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल, उत्तरांचल में हुआ। मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल में शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद डंगवाल जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम० ए० किया और यहीं से आधुनिक हिंदी कविता के मिथकों और प्रतीकों पर डी० लि० की उपाधि पायी। वे 1971 ई० से बरेली कॉलेज में अध्यापन करते रहे । डंगवाल जी हिंदी और अंग्रेजी में पत्रकारिता भी करते हैं। उन्होंने इलाहाबाद से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में कुछ वर्षों तक ‘घूमता आईना’ शीर्षक से स्तंभ लेखन भी किया। वे दैनिक ‘अमर उजाला’ के संपादकीय सलाहकार भी हैं।

कविता में यथार्थ को देखने और पहचानने का वीरेन डंगवाल का तरीका बहुत अलंग, अनूठा और बुनियादी किस्म का है। सन् 1991 में प्रकाशित उनका पहला कविता संग्रह ‘इसी दुनिया में’ आज भी उतना ही प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण लगता है। उन्होंने कविता में समाज के साधारण जनों और हाशिये पर स्थित जीवन के जो विलक्षण ब्यौरे और दृश्य रचे हैं, वे कविता में और कविता से बाहर भी बेचैन करने वाले हैं। उन्होंने कविता के मार्फत ऐसी बहुत-सी वस्तुओं और उपस्थितियों के विमर्श का संसार निर्मित किया है जो प्रायः ओझल और अनदेखी थीं। उनकी कविता में जनवादी परिवर्तन की मूल प्रतिज्ञा है और उसकी बुनावट में ठेठ देसी किस्म के, खास और आम, तत्सम और तद्भव, क्लासिक और देशज अनुभवों की संश्लिष्टता है।

वीरेन डंगवाल को ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ काव्य संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। उन्हें ‘इसी दुनिया में’ पर रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार मिला। उन्हें श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार और कविता के लिए शमशेर सम्मान भी प्राप्त हो चुका है। डंगवाल जी ने विपुल परिमाण में अनुवाद कार्य भी किए हैं। तुर्की के महाकवि नाजिम हिकमत की कविताओं के अनुवाद उन्होंने ‘पहल पुस्तिका’ के रूप में किया । उन्होंने विश्वकविता से पाब्लो नेरुदा, वर्तोल्त ब्रेख्त, वास्को पोपा, मीरोस्लाव होलुब, तदेऊष रूजेविच आदि की कविताओं के अलावा कुछ आदिवासी लोक कविताओं के भी अनुवाद किए ।

समसामयिक कवि वीरेन डंगवाल की कविताओं के संकलन ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ से उनकी कविता ‘हमारी नींद’ यहाँ प्रस्तुत है। सुविधाभोगी आराम पसंद जीवन अथवा हमारी बेपरवाहियों के बाहर विपरीत परिस्थितियों से लगातार लड़ते हुए बढ़ते जानेवाले जीवन का चित्रण करती है यह कविता ।

हमारी नींद

मेरी नींद के दौरान

कुछ इंच बढ़ गए पेड़

कुछ सूत पौधे

अंकुर ने अपने नाममात्र कोमल सींगों से

धकेलना शुरू की

बीज की फूली हुई छत, भीतर से ।

एक मक्खी का जीवन-क्रम पूरा हुआ

कई शिशु पैदा हुए, और उनमें से कई तो मारे भी गए दंगे, आगजनी और बमबारी में ।

गरीब बस्तियों में भी धमाके से हुआ देवी जागरण लाउडस्पीकर पर ।

याने साधन तो सभी जुटा लिए हैं अत्याचारियों ने मगर जीवन हठीला फिर भी बढ़ता ही जाता आगे हमारी नींद के बावजूद

और लोग भी हैं, कई लोग हैं अभी भी जो भूले नहीं करना साफ और मजबूत इनकार ।

बोध और अभ्यास

कविता के साथ

  1. कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि एक बिम्ब की रचना करता है। उसे स्पष्ट कीजिए । मक्खी के जीवन-क्रम का कवि द्वारा उल्लेख किए जाने का क्या आशय है?

उत्तर-कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि वीरेन डंगवाल ने मानव जीवन एक बिंब उपस्थित किया है। सुविधाभोगी आरामपसंद जीवन नींद रूपी अकर्मण्यता के चादर से अपने आपको ढंककर जब सो जाता है तब भी प्रकृति के वातावरण के एक छोटा बीज अपनी कर्मठता रूपी सींगों से धरती के सतह रूपी संकटों को तोड़ते हुए आगे बढ़ जाता है। यहाँ नींद, अंकुर, कोमल सींग, फूली हुई बीज, छत ये सभी बिम्ब रूप में उपस्थित है।

  1. मक्खी के जीवन-क्रम का कवि द्वारा उल्लेख किये जाने का क्या आशय है?

उत्तर-मक्खी के जीवन-क्रम का कवि द्वारा उल्लेख किये जाने का आशय है निम्न स्तरीय जीवन की संकीर्णता को दर्शाना। सष्टि में अनेक जीवन-क्रम चलता रहता है। उसका जीवन-क्रम की व्यापकता को लेकर कर्मठता और अकर्मठता का बोध कराता है लेकिन मक्खी के जीवन-क्रम केवल सुविधापयोगी एवं परजीवी-जीवन का बोध कराता है।

  1. वि गरीब बस्तियों का क्यों उल्लेख करता है?

उत्तर-कवि गरीब बस्तियों के उल्लेख के माध्यम से कहना चाहता है कि जहाँ के लोग दो जून रोटी के लिए काफी मसक्कत करने के बाद भी तरसते हैं वहाँ पूजा-पाठ, देवी जागरण जैसे महोत्सव कितना सार्थक हो सकता है ? यहाँ कुछ स्वार्थी लोग अपनी उल्लू सीधा करने के लिए गरीब लोगों का उपयोग करते हैं। लेकिन गरीबी से ग्रसित लोग अपने वास्तविक विकास हेतु सचेत नहीं होते हैं।

  1. कवि किन अत्याचारियों का और क्यों जिक्र करता है?

उत्तर-कवि यहाँ उन अत्याचारियों का जिक्र करता है जो हमारी सुविधाभोगी, आराम पसंद जीवन से लाभ उठाते हैं। समाज का एक वर्ग जो ऐशो-आराम की जिंदगी में अपने आपको ढाल लेता है उसी का लाभ अत्याचारी उठाते हैं। हमारी बेपरवाहियों के बाहर विपरीत परिस्थितियों से लगातार लड़ते हुए बढ़ते जाने वाले जीवन नहीं रह पाते हैं और इस अवस्था में अत्याचारी अत्याचार करने के बाह्य और आंतरिक सभी साधन जुटा लेते हैं।

  1. इनकार करना न भूलने वाले कौन हैं? कवि का भांव स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर-आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे हठधर्मी हैं जो संवैधानिक और वैधानिक स्तर पर ‘कई गलतियाँ कर जाते हैं लेकिन अपनी भूलें या गलतियों को स्वीकार नहीं करते हैं। वे साफ तौर पर अपनी भूल को इनकार कर देते हैं। जैसे लगता है कि उनका दलील काफी साफ और मजबूत है।

  1. कविता के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए ।

उत्तर-किसी भी कविता का शीर्षक कवितारूपी शरीर का मुख होता है। शीर्षक कविता की सारगर्भिता लिए रहता है। शीर्षक रखने के समय कुछ बातें इस प्रकार होती हैं-शीर्षक, सार्थक लघु और समीचीन होना चाहिए। साथ ही शीर्षक घटना प्रधान, जीवन प्रधान या विषय-वस्तु प्रधान होता है। यहाँ शीर्षक विषय-वस्तु प्रधान हैं। शीर्षक छोटा है और आकर्षक भी है। इसका शीर्षक पूर्णर रूप से केन्द्र में चक्कर लगाता है जहाँ शीर्षक सुनकर ही जानने की इच्छा प्रकट हो जाता है। अतः सब मिलाकर शीर्षक सार्थक है।

  1. व्याख्या करें –

(क) गरीब बस्तियों में भी धमाके से हुआ देवी जागरण लाउडस्पीकर पर ।

व्याख्या कवि कहते हैं कि आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे स्वार्थपरक लोग हैं जिनके हृदय में गरीबों के प्रति हमदर्दी नहीं है। केवल उनसे समय-समय पर झूठे वादे करते हैं। नेता, पूँजीपति एवं अत्याचारी ये सभी गरीबों की आंतरिक व्यथा से खिलवाड़ कर उनकी विवशता से लाभ उठाते हैं।

(ख) याने साधन तो सभी जुटा लिए हैं अत्याचारियों ने

व्याख्या आज हमारे समाज में अनेक लोग हैं जो अपनी जिंदगी को आरामतलबी बना लिये हैं। ऐसी जिंदगी समाज और राष्ट्र के लिए खतरनाक परिधि में रहती है और इन्हीं में से कुछ लोग ऐसे हैं जो इनकी विवशता का लाभ उठाने के लिए गलत अंजाम देने में पीछे नहीं हटते हैं। अत्याचारी आंतरिक और बाह्य रूप से अपने स्वार्थपूर्ति के लिए सभी प्रकार के साधन अपनाते हैं।

(ग) हमारी नींद के बावजूद

व्याख्याप्रस्तुत अंश में कवि कहते हैं कि जीवन-क्रम कभी रुकता नहीं है। समय-चक्र के समान बिना किसी की प्रतीक्षा किये हुए अनवरत आगे ही बढ़ता जाता है। यदि हमारे समाज के कोई भी व्यक्ति सुविधोपयोगी आराम पसंद जीवन पसंद करते हैं तो भी कहीं एक पक्ष जरूर ऐसा होता है जिसका सिलसिला हमेशा आगे बढ़ते जाता है जो कर्मवाद का संदेश देता है।

  1. कविता में एक शब्द भी ऐसा नहीं है जिसका अर्थ जानने की कोशिश करनी पड़े। यह कविता की भाषा की शक्ति है या सीमा ? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- यह भाषा की शक्ति है जो अपने साधारण अर्थ से सबकुछ समझाने में सफल हो जाती है। सीमा का रूपान्तर नहीं होता है किन्तु भाषा का रूपान्तर कविता की सौष्ठवता को प्रदर्शित करने में समर्थ हो जाती है।

भाषा की बात
  1. निम्नांकित के दो-दो समानार्थी शब्द लिखें

पेड़, शिशु, दंगा, गरीब, अत्याचारी, हठीला, साफ, इनकार

उत्तर-पेड़ – तरू, वृक्ष

शिशु- बालक, बाल

दंगा – सांप्रदायिकता, सांप्रदायिक युद्ध

गरीब – दीन, निर्धन

अत्याचारी – दुराचारी

हठीला – स्थैर्य, अडिग रहने वाला

साफ – एकदम, बेहिचक

इनकार – मनाही, मना करना।

  1. निम्नांकित वाक्यों में कर्ता कारक बताएँ –

(क) मेरी नींद के दौरान / कुछ इंच बढ़ गए / कुछ सूत पौधे ।

उत्तर-पौधे

(ख) अंकुर ने अपने नाममात्र कोमल सींगों से / धकेलना शुरू की / बीज की फूली हुई । छत भीतर से ।

उत्तर- अंकुर

(ग) गरीब बस्तियों में भी धमाके से हुआ देवी जागरण / लाउडस्पीकर पर ।

उत्तर-देवी जागरण

(घ) मगर जीवन हठीला फिर भी / बढ़ता ही जाता आगे / हमारी नींद के बावजूद ।

उत्तर-जीवन

  1. निम्नलिखित वाढ्यों में कर्म कारक की पहचान कीजिए

(क) अंकुर ने अपने नाममात्र कोमल सींगों से / धकेलना शुरू की / बीज की फूली हुई । छत भीतर से।

उत्तर-(क) छत

(ख) इनकार

 

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