Dharmvir Bharti Ka Jeevan Parichay Kritiyan- धर्मवीर भारती का जीवन परिचय एवं कृतियाँ
Dharmvir Bharti ka jivan Parichay (Biography of Dharmvir Bharti ) : धर्मवीर भारती का जीवन परिचय एवं कृतियाँ| Jivan parichay Dharmvir Bharti — Jivan parichay Dharmvir Bharti .
नाम | धर्मवीर भारती | जन्म | 1926 ई. |
पिता | चिरंजीव लाल | जन्मस्थान | इलाहाबाद ( उ०प्र०) | |
युग | आधुनिक युग | मृत्यु | 1997 ई. |
लेखक का संक्षिप्त जीवन परिचय (फ्लो चार्ट) |
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धर्मवीर भारती का जीवन परिचय एवं कृतियाँ
जीवन-परिचय – आधुनिक हिन्दी के सशक्त कथाकार एवं ललित निबन्धकार डॉ० धर्मवीर भारती का जन्म इलाहाबाद में 25 दिसम्बर, सन् 1926 ई० को हुआ था। इन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम० ए० करने के पश्चात् पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त की। कुछ समय तक प्रयाग से निकलने वाले साप्ताहिक हिन्दी पत्र ‘संगम’ का सम्पादन किया तथा कुछ वर्षों तक प्रयाग विश्वविद्यालय में हिन्दी के अध्यापक भी रहे।
सन् 1958 ई० में वे मुम्बई से प्रकाशित होनेवाले प्रसिद्ध साप्ताहिक पत्र ‘धर्मयुग’ के सम्पादक हो गये। पत्रकारिता के प्रयोजन से आपने देश-विदेश का भ्रमण भी किया है। भारत सरकार ने सन् 1972 ई० में उनकी हिन्दी-सेवाओं एवं हिन्दी पत्रकारिता के लिए ‘पद्मश्री’ से अलंकृत कर सम्मानित किया। उन्होंने ‘धर्मयुग’ पत्रिका का सफलतापूर्वक सम्पादन किया । हिन्दी के यशस्वी साहित्यकार एवं ‘अंधायुग’ एवं ‘गुनाहों का देवता’ जैसी लोकप्रिय पुस्तकों के प्रणेता डॉ० धर्मवीर भारती का निधन 4 सितम्बर, सन् 1997 ई० को हो गया
रचनाएँ – Dharmveer Bharti
काव्य – ‘ठण्डा लोहा’, ‘कनुप्रिया’, ‘सात गीत वर्ष’ और ‘अंधायुग’।
- निबन्ध संग्रह — ‘कहानी – अनकहनी’, ‘ठेले पर हिमालय’ और ‘पश्यन्ती’ आदि ।
- उपन्यास – ‘गुनाहों का देवता’ और ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ ।
- नाटक और एकांकी संग्रह – ‘नदी प्यासी थी’, ‘नीली झील’।
- कहानी – संग्रह — ‘चाँद और टूटे हुए लोग’ ।
- आलोचना – ‘ मानव मूल्य और साहित्य’ ।
- सम्पादन – ‘संगम’ और ‘धर्मयुग’ ।
- अनुवाद – ‘ देशान्तर’ ।
भाषा – भारती जी की भाषा शुद्ध तथा परिमार्जित खड़ीबोली है। इनकी भाषा में संस्कृत (मूर्ति, स्तब्ध, सहयोगी आदि), अंग्रेजी (कैमरा, अकादमी, थर्मस, शेड आदि), उर्दू (खासा, दिलचस्प, यकीन, गुंजाइश आदि) के प्रचलित शब्दों तथा देशज शब्दों और मुहावरों (शैतान की आँख, चाँद-तारों से बात करना) आदि का खुलकर प्रयोग हुआ है।
साहित्यिक विशेषताएँ —
डॉ० धर्मवीर भारती एक प्रतिभाशाली कवि, कथाकार, नाटककार एवं ललित निबन्धकार थे। इनकी कविताओं में रागतत्त्व, कहानियों और उपन्यासों में सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं को लेकर बड़े जीवन्त चरित्र प्रस्तुत किये गये हैं।
डॉ० भारती में किसी भी दृश्य को शब्दों की सीमा में बाँधकर उसमें चित्रमयता प्रदान करने की अद्भुत क्षमता थी । समय-समय पर आपने जो संस्मरण, रेखाचित्र तथा ललित निबन्ध लिखे थे उनके माध्यम से हिन्दी में एक प्रयोग के संकेत मिलते हैं । इन्होंने अन्य भाषाओं की कुछ प्रसिद्ध रचनाओं के भी अनुवाद प्रस्तुत किये हैं
भाषा और शैली –
डॉ० भारती की भाषा अत्यन्त ही सरल, स्वाभाविक एवं प्रवाहपूर्ण है । उसमें विचारों की अभिव्यक्ति की अद्भुत क्षमता होने के साथ-साथ मधुर काव्यमयता है । भाषा ओज और प्रसाद गुणों से सम्पन्न है ।