जन् (उत्पन्न होना) धातु के रूप- Jan ke Dhatu Roop – Sanskrit Vyakran
इस पोस्ट में आपको जन् (उत्पन्न होना) धातु रूप के बारे में बताया गया है।
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको संस्कृत व्याकरण कक्षा – 10 के जन् (उत्पन्न होना) के धातु रूप संस्कृत में सभी लकारों(लट्, लृट्, लोट्, लङ् तथा विधिलिङ् लकारों में), पुरुष एवं तीनों वचन में नीचे दिये गये हैं। आशा करते हैं की पोस्ट आपको पसंद आएगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Chapter Name | जन् (उत्पन्न होना) धातु रूप |
Part 3 | Sanskrit Vyakaran |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | जन् (उत्पन्न होना) धातु रूप- Jan Dhatu Roop |
जन् (जा = उत्पन्न होना) धातु
लट् लकार (वर्तमानकाल)
पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्र० पु० जायते जायेते जायन्ते
म० पु० जायसे जायेथे जायध्वे
उ० पु० जाये जायावहे जायामहे
लोट् (आज्ञा)
पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्र० पु० जायताम् जायेताम् जायन्ताम्
म० पु० जायस्व जायेथाम् जायध्वम्
उ० पु० जायै जायावहै जायामहै
विधिलिङ् (‘चाहिए’ के अर्थ में)
पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्र० पु० जायेत जायेयाताम् जायेरन्
म० पु० जायेथाः जायेयाथाम् जायेध्वम्
उ० पु० जायेय जायेवहि जायेमहि
लङ् (भूतकाल)
पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्र० पु० अजायत अजायेताम् अजायन्त
म० पु० अजायथाः अजायेथाम् अजायध्वम्
उ० पु० अजाये अजायावहि अजायामहि
लृट् (भविष्यत्काल )
पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्र० पु० जनिष्यते जनिष्येते जनिष्यन्ते
म० पु० जनिष्यसे जनिष्येथे जनिष्यध्वे
उ० पु० जनिष्ये जनिष्यावहे जनिष्यामहे
वृध ( बढ़ना) धातु के रूप- Vrdh Dhatu Roop – Sanskrit Vyakran