महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – Mahadevi Verma ka Jeevan Parichay

महादेवी वर्मा – Mahadevi Verma Jeevan Parichay Sahityik Parichay Kritiyan – Mahdevi Varma ki Rachanye 

Mahadevi Verma jivan parichay : Mahadevi verma Jeevan parichay: महादेवी वर्मा (Mahadevi verma) का जीवन  एवं साहित्यिक परिचय एवं Up Board Exam Sahityik Parichay . 

नाम  महादेवी वर्मा  जन्म  1907 ई. 
पिता  गोविन्द सहाय / माता – श्रीमती हेमरानी देवी । जन्मस्थान  फर्रुखाबाद ( उ0प्र0 )
युग  छायावादी युग मृत्यु  1987 ई.

Mahadevi Verma jivan parichay : Mahadevi verma Jeevan parichay: महादेवी वर्मा (Mahadevi verma) का जीवन  एवं साहित्यिक परिचय एवं Up Board Exam Sahityik Parichay .

लेखक का  संक्षिप्त जीवन परिचय (फ्लो चार्ट)
  • जन्म-स्थान- फर्रुखाबाद ( उ0प्र0 ) |
  • जन्म एवं मृत्यु सन् – 1907 ई0, 1987 ई0 |
  • पिता – गोविन्द सहाय । 
  • माता – श्रीमती हेमरानी देवी ।
  • शुक्लोत्तर – युग की लेखिका ।
  • भाषा – संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली ।
  • शैली – विवेचनात्मक, संस्मरणात्मक, भावात्मक, व्यंग्यात्मक, चित्रात्मक, आलंकारिक ।
  • हिन्दी साहित्य में स्थान – कविता के क्षेत्र में एक नवीन युग का सूत्रपात करने वाली कवयित्री के रूप में चर्चित |

जीवन – परिचय -Jeevan Parichay 

पीड़ा की गायिका ‘ अथवा ‘ आधुनिक युग की मीरा ‘ के नाम से विख्यात श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 ई ० ( संवत् 1964 ) में उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध नगर फर्रुखाबाद में होलिका दहन के पुण्य पर्व के दिन हुआ था ।

उनकी माता हेमरानी साधारण कवयित्री थीं । वे श्रीकृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थीं । उनके नाना भी ब्रजभाषा में कविता करते थे । नाना एवं माता के इन गुणों का महादेवीजी पर भी प्रभाव पड़ा ।

नौ वर्ष की छोटी उम्र में ही उनका विवाह स्वरूपनारायण वर्मा से हो गया था ; किन्तु इन्हीं दिनों उनकी माता का भी स्वर्गवास हो गया ।

माँ का साया सिर से उठ जाने पर भी उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा तथा पढ़ने में और अधिक मन लगाया । परिणामस्वरूप उन्होंने मैट्रिक से लेकर एम ० ए ० तक की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की ।

बहुत समय तक वे ‘ प्रयाग महिला विद्यापीठ ‘ में प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत रहीं । महादेवीजी का स्वर्गवास 80 वर्ष की अवस्था में 11 सितम्बर , सन् 1987 ई ० ( संवत् 2044 ) को हो गया ।

साहित्यिक – परिचय – Sahityiki Parichay

महादेवी वर्मा ने मैट्रिक उत्तीर्ण करने के पश्चात् ही काव्य – रचना प्रारम्भ कर दी थी । करुणा एवं भावुकता उनके व्यक्तित्व के अभिन्न अंग थे । अपनी अन्तर्मुखी मनोवृत्ति एवं नारी सुलभ गहरी भावुकता के कारण उनके द्वारा रचित काव्य में रहस्यवाद , वेदना एवं सूक्ष्म अनुभूतियों के कोमल तथा मर्मस्पर्शी भाव मुखरित हुए हैं ।

इनके काव्य में संगीतात्मकता एवं भाव – तीव्रता का सहज तथा स्वाभाविक समावेश हुआ है । इनकी रचनाएँ सर्वप्रथम ‘ चाँद ‘ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुईं , तत्पश्चात् इन्हें एक प्रसिद्ध कवयित्री के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त हुई । सन् 1933 ई ० में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ के प्राचार्या पद को सुशोभित किया ।

इनकी काव्यात्मक प्रतिभा के लिए इन्हें ‘ सेकसरिया ‘ एवं ‘ मंगलाप्रसाद ‘ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । इसके पश्चात् भारत सरकार ने इन्हें ‘ पद्मभूषण ‘ की उपाधि से सम्मानित किया । सन् 1983 ई ० में इन्हें ‘ ज्ञानपीठ ‘ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया |

इसी वर्ष इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से ‘ भारत – भारती ‘ पुरस्कार प्रदान किया गया और  प्रसिद्ध समालोचकों ने इन्हें ‘ आधुनिक युग की मीरा ‘ नाम से सम्बोधित किया है । 

 

Rachanayen- रचनाएँ- 

सर्वप्रथम ‘ चाँद ‘ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुईं , तत्पश्चात् इन्हें एक प्रसिद्ध कवयित्री के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त हुई । सन् 1933 ई ० में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ के प्राचार्या पद को सुशोभित किया । इनकी काव्यात्मक प्रतिभा के लिए इन्हें ‘ सेकसरिया ‘ एवं ‘ मंगलाप्रसाद ‘ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।

इसके पश्चात् भारत सरकार ने इन्हें ‘ पद्मभूषण ‘ की उपाधि से सम्मानित किया । सन् 1983 ई ० में इन्हें ‘ ज्ञानपीठ ‘ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया और इसी वर्ष इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से ‘ भारत – भारती ‘ पुरस्कार प्रदान किया गया ।

प्रसिद्ध समालोचकों ने इन्हें ‘ आधुनिक युग की मीरा ‘ नाम से सम्बोधित किया है । 

कृतियाँ — Kritiyan

महादेवीजी की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं

( 1 ) नीहार — इस काव्य – संकलन में भावमय गीत संकलित हैं । उनमें वेदना का स्वर मुखरित हुआ है ।

( 2 ) रश्मि – इस संग्रह में आत्मा – परमात्मा के मधुर सम्बन्धों पर आधारित गीत संकलित हैं ।

( 3 ) नीरजा — इसमें प्रकृतिप्रधान गीत संकलित हैं । इन गीतों में सुख – दुःख की अनुभूतियों को वाणी मिली है ।

( 4 ) सान्ध्यगीत – इसके गीतों में परमात्मा से मिलन का आनन्दमय चित्रण है ।

( 5 ) दीपशिखा — इसमें रहस्यभावनाप्रधान गीतों को संकलित किया गया है ।

इनके अतिरिक्त ‘ अतीत के चलचित्र ‘ , ‘ स्मृति की रेखाएँ ‘ , ‘ श्रृंखला की कड़ियाँ ‘ आदि उनकी गद्य – रचनाएँ हैं । ‘ यामा ‘ नाम से उनके विशिष्ट गीतों का संग्रह प्रकाशित हुआ है । ‘ सन्धिनी ‘ और ‘ आधुनिक कवि ‘ भी उनके गीतों के संग्रह हैं ।

 

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