Maila Aanchal -Upanyas Summary Written By Phanishwar Nath Renu, Pramukh Patra and Ssaransh मैला आँचल -उपन्यास सारांश फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, द्वारा लिखित प्रमुख पात्र और सारांश

Maila Aanchal -Upanyas Summary Written By Phanishwar Nath Renu, Pramukh Patra and Ssaransh मैला आँचल -उपन्यास सारांश फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, द्वारा लिखित प्रमुख पात्र और सारांश

Dear Students! यहाँ पर हम आपको Maila Aanchal मैला आँचल  हिंदी  का सम्पूर्ण हल प्रदान कर रहे हैं। यहाँ पर मैला आँचल के साथ प्रमुख पात्र, सारांश, अज्ञेय के कथन, महत्वपूर्ण बिंदु व कथन भी प्रदान कर रहे हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे। 

मैला आँचल के पात्र

उपन्यास – फणीश्वरनाथ रेणु – मैला आँचल (1954), परती परिकथा (1957), दीर्घतपा (1963), जुलूस (1965), कितने चौराहे (1966), पलटू बाबू रोड (1979), रामरतन राय (1971, अपूर्ण उपन्यास)

वर्ण्न विषय – मैला आँचल – 1954 – पूर्णिया जिले के मेरीगंज अंचल के (1945-48 ई. के मध्य) के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और शैक्षिक जीवन इत्यादि का अंकन। (आंचलिक उपन्यास)

उपन्यास – बाणभट्ट की आत्मकथा (1946) – बाणभट्ट, निपुणिका, भट्टिनी, सुचरिता, महामाया, अघोरभैरव, विरति वज्र ।

शैली –  किस्सागो, दृश्यात्मक,आत्मकथात्मक शैली , परिदृश्यात्मक आंचलिक शैली

महत्वपूर्ण तथ्य –

० मैला आँचल बंगला उपन्यासकार सतीनाथ भादुड़ी के उपन्यास ढोकाय चरित्र मानस की कार्बन कॉपी है। -मधुकर गंगाधर, आलोचना 35, जनवरी 1966, पृ. 35

० यह उपन्यास गोदान की तरह कोई क्लासिक पात्र नहीं दे सका। यह क्लासिक उपन्यास नहीं है। – डॉ. रामदरश मिश्र, हिंदी उपन्यास पहचान और परख (सं. इंद्रनाथ मदान, पृ. 195)

० समूचा उपन्यास अनगिनत रेखाचित्रों का पुंज है अनेक चित्र सबल भी है पर उसके कथा-प्रवाह में सुसूत्रता नहीं है। -नेमिचंद्र जैन, हिंदी उपन्यास : पहचान और परख, सं. इंद्रनाथ मदान, पृ. 195

० यह सौभाग्यशाली उपन्यास है जो लेखक की प्रथम कृति होने पर भी उसे प्रतिष्ठा प्राप्त करा दे कि यह चाहे तो फिर कुछ और भी न लिखे। – नलिन विलोचन शर्मा (हिंदी उपन्यास: महाकाव्य के स्वर – डॉ. शांतिस्वरूप गुप्त, पृ. 83 में कथन)

० व्यापक धरातल और विस्तृत चित्र पटल के कारण ही मैला आँचल ग्रामीण जीवन का महाकाव्य कहा जा सकता है। -डॉ. शांतिस्वरूप गुप्त, हिंदी उपन्यास : महाकाव्य के स्वर, पृ. 84

मैला आँचल में डॉ. गोपाल राय के अनुसार कुल पात्र 296 हैं। इनमें प्रमुख पात्र 7 और गौण 30 पात्र हैं। 

मुख्य पात्र – डॉ. प्रशांत कुमार, तहसीलदार विश्वनाथ प्रसाद, मल्लिक, कालीचरण, बालदेव गोप, कमली, लक्ष्मी दासिन, कमली।

गौण (मुख्य) पात्र – बावनदास, जोतखी, पारबती की माँ, महंत रामदास, स्नेहमयी, आभारानी, मंगलादेवी, खलासी जी, दुलारचंद कापरा, नागा, फुलिया, डॉ. ममता श्रीवास्तव, मार्टिन साहेब, सुमिरत दास, हरगौरी, महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, चलित्तर कर्मकार, छोटन बाबू, रामखेलावन यादव इत्यादि।

डॉ. प्रशांत कुमार बनर्जी – मेरीगंज के मलेरिया सेंटर का डॉक्टर, मलेरिया कालाजार पर रिसर्च, रोगियों के इलाज के साथ-साथ भावनात्मक संबंध, कमली से प्रेम संबंध, गाँव में देवता के रूप में पूज्य । कथाकार के सपनों और आदर्श का प्रतीक ।

विश्वनाथ प्रसाद – शैतान रूप, शोषक, मेरीगंज अंचल के पिछड़ेपन का प्रमुख कारक, दुष्ट, तिकड़मी, चालाक। कमली का पिता, बेटी से बेपनाह मुहब्बत । बालदेव-अशिक्षित, मूर्ख और निर्धन होते हुए आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाला, जेल की यातना सहने वाला, गाँधीवादी-सिद्धांतों में अटूट आस्था और विश्वास रखने वाला, गाँधी का पक्का भक्त, गाँधीवादी चरित्र ।

बावनदास – बौना कुरूप पर देशभक्त, त्याग-तपस्या का धनी, मानवीय मूल्यों में आस्था रखनेवाला अविस्मरणीय पात्र, गांधीजी की हत्या से वह टूट जाता है। उसकी मौत भारतीय राजनीति में नैतिक मूल्यों की मौत का प्रतीक है।

कालीचरन – होरी और बलचनमा की परंपरा की अगली कड़ी ‘कालीचरन’ डॉ. गोपाल राय के शब्दों में मैला आँचल का सर्वाधिक सक्रिय एवं जीवन्त चरित्र है। पिछड़े और उपेक्षित भारतीय अंचल की नयी पीढी के विद्रोह का प्रतीक कालीचरण में अद्भुत संगठन-क्षमता है और उसका युवा दल सक्रिय एवं अनुशासित है। लक्ष्मी इसे देवता कहती है।

कमली – प्रशांत की प्रेमिका, विश्वनाथ प्रसाद तहसीलदार की बेटी, अंधविश्वास (कुलक्षणी, मनहूस, अपशकुनी) की शिकार, डॉ. प्रशांत की पहली मरीज, हिस्टीरिया की बीमारी, अंततः डॉ. प्रशांत से ब्याह । लक्ष्मी दासिन – दासिन और गृहिणी के रूप में एकनिष्ठ, पवित्र और दृढ़ चरित्र ।

रामखेलावन यादव – भूमिपति वर्ग चरित्र, गाँव की राजनीति में महत्त्वपूर्ण हिस्सा, किसानों मजदूरों का शोषक चरित्र, विश्वनाथ प्रसाद से मात खाने वाला चरित्र । यादव टोला के मडर में रामखेलावन मुकदमे में संपत्ति स्वाहा होने के उपरांत भैस का चरवाहा बनता है।

रामकिरपाल सिंह – सामंतवाद का अवशेष एक भूमिपति पात्र, अशिक्षित, तहसीलदार विश्वनाथ प्रसाद से प्रतिस्पर्दा पर मात खाना। राजपूत टोला के प्रतिनिधि चरित्र है-रामकिरपाल सिंह, शिवशंकर सिंह और हरगौरी सिंह।

हरगौरी सिंह – वृद्ध शिवशंकर सिंह का पुत्र हरगौरी सिंह उद्दंड, विवेक शून्य एवं जातीयभिमान के गौरव से परिपूर्ण चरित्र है। तहसीलदार विश्वनाथ प्रसाद के इस्तीफा देने पर मेरीगंज का वह नया तहसीलदार बनता है।

महंत सेवादास – मेरीगंज का बूढ़ा महंत, ज्ञानी-साधु। ‘लक्ष्मी को बेटी की तरह रखने का आश्वासन देकर ‘मठ’ में लाकर दासी बनाना और यौन-सुख लूटने वाला पात्र। इनकी मृत्यु के बाद इसके सेवक रामदास को चादर टीका मिलती है।

मार्टिन – पत्नी ‘मेरी’ के नाम पर ‘मेरीगंज’ नामकरण करने वाला मार्टिन अनन्य प्रेमी के रूप में उभरा है। मलेरिया की शिकार उसकी पत्नी मेरी उसके लाख प्रयासों के बावजूद जिंदा नहीं रह पाती है।

सुमरितदास – तहसीलदार विश्वनाथ का दायां हाथ, तहसीलदार का रोटिया गवाह, लुच्चा, लफाडीबाज, लोगों को लड़ाने और अपना उल्लू सीधा करने में माहिर, गाँव के लोगों की जुबान में ‘बेतार का खबर । विश्वनाथ प्रसाद के इस्तीफा देने के बाद नये तहसीलदार हरगौरी बाबू की खुशामदी चरित्र ।

खलासी – अंध-विश्वासी, मिथ्याचारी, रूढ़िवादी, सामंतवादी एवं देशद्रोही पात्र के रूप में चित्रित ।

फुलिया – मस्त, चुलबुली, मुक्त यौन संबंध में विश्वास रखने वाली। खलासी सहदेव मिसिर इत्यादि के साथ सेक्स-संबंध। पति खलासी को छोड़कर पैटमैन के साथ। जीवन-निर्वाह ।

जोतखी – ब्राह्मण टोला का प्रतिनिधि चरित्र । अनपढ़, ढोंगी, मूर्ख, रूढिवादी, अध-विश्वासी और दुष्ट प्रकृति का इंसान। पारबती की माँ को डाइन करार देने में जोतखी का महत्त्वपूर्ण हाथ। स्वाधीनता आंदोलन का विरोधी । भ्रष्ट ब्राह्मण । 

सहदेव मिसिर – पतित ब्राह्मण। ततमा टोली की फुलिया से अवैध संबंध। ब्राह्मण टोला का एक पात्र ‘पंचानन’ इना बैलगाड़ी हाँकता है जो ‘जोतखी’ का एकमात्र पुत्र नामलरैन (रामनारायण) विदापत-नाच का समाजी बनकर पासवानों के साथ रहता है, जिसके कारण ब्राहाण टोली के लोग उसे बेटी नहीं देते हैं। पारबती की माँ – अंधविश्वास के कारण गाँव में ‘डाइन’ के रूप में चर्चित । डॉ. प्रशांत, कमली, तहसीलदार विश्वनाथ एवं कालीचरण को छोड़कर पूरा गाँव इन्हें डाइन कहता है। पोलिया टोले के हीरू नामक पात्र द्वारा गणेश की नानी/पारवती की माँ की हत्या।

अन्य पात्र – लरसिंघ दास (नरसिंह दास), आचारज गुरु, नागा साधु, काली टोपी वाला संयोजक जी, स्नेहमयी बनर्जी (प्रशांत की धात्री माँ), डॉ. ममता श्रीवास्तव (प्रशांत की सहपाठिनी), मंगला देवी (वेतनभोगी कांग्रेसी कार्यकर्त्ता), प्यारू (प्रशांत का कम्पाउन्डर, रसोइया, अभिभावक)।

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