Sant kabir ji ka jivan parichy, jivani, and Rachnaaye महान कवि सन्त कबीर का जीवन परिचय, जीवनी,भाषा-शैली एवम् रचनाएँ (Biography

Sant kabir ji ka jivan parichy, jivani, and Rachnaaye महान कवि सन्त कबीर का जीवन परिचय, जीवनी,भाषा-शैली एवम् रचनाएँ (Biography of Sant kabir).

हेलो दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में आप लोगों को हिंदी साहित्य के महान कवि सन्त कबीर के जीवन परिचय और साहित्यिक परिचय के बारे में बतायेंगे और उनकी रचनाओं और भाषा शैली का ज्ञान प्राप्त करवायेंगे।Biography of  Sant kabir. Sant kabeer das ji ka Jeevan Parichay (Biography) Sahityik Parichay of kabir das.

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Sant kabir ji ka jivan parichy, jivani, and Rachnaaye महान कवि सन्त कबीर का जीवन परिचय, जीवनी,भाषा-शैली एवम् रचनाएँ (Biography

लेखक का  संक्षिप्त जीवन परिचय (फ्लो चार्ट)
  • जन्म – सन् 1398 ई०।
  • जन्म स्थान –काशी(वाराणसी)।
  • साहित्य में पहचान कवि।
  • मृत्यु – सन् 1518ई०।
  • काल भक्तिकाल।
जन्म सन् 1398 ई०।
जन्म-स्थान काशी(वाराणसी)।
गुरु रामानन्द।
पत्नी लोई।
पुत्र कमाल।
पुत्री कमाली।
भाषा सधुक्कड़ी,पंचमेल खिचड़ी।
मृत्यु सन् 1518 ई०।

जीवन परिचय 

ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रवर्तक एवं महान समाज सुधारक संत कबीर दास जी का जन्म सन् 1398 ई० में काशी हिंदू परिवार में हुआ था। एक जनश्रुति के अनुसार प्रसिद्ध स्वामी रामानंद ने हिंदू विधवा गृहणी को पुत्रवती होने का वरदान दे दिया था। जिससे कबीर का जन्म हुआ। लज्जा भाव के कारण इनकी मां ने इन्हें काशी के नहर तारा नामक स्थान पर तालाब के किनारे छोड़ दिया। तभी वहां से एक नीरू और नीमा नामक जुलाहा दंम्पति इन्हें उठा ले गए और इनका पालन पोषण किया।

कबीर के गुरु का नाम रामानंद था। जिनसे इन्होंने शिक्षा दीक्षा ग्रहण की थी।

कबीर की पत्नी का नाम लोई था जिससे दो संताने उत्पन्न हुई। जिनमें से एक पुत्री और एक पुत्र था पुत्र का नाम कमाल तथा पुत्री का नाम कमाली था। कबीर दास जी बड़े निर्भीक स्वभाव के व्यक्ति थे। व्यापक देशाटल एवं अनेक साधु संतों की संगत में रहने के कारण इन्होंने विभिन्न धर्मो संप्रदायों का ज्ञान प्राप्त कर लिया। कबीर जी पढ़े लिखे नहीं थे उनकी वाणियों को उनके शिष्यों ने लिपिबद्ध किया है उस समय समाज में एक अंधविश्वास प्रचलित था की काशी में मरने से मनुष्य को स्वर्ग प्राप्त होता है और मगरहर में मृत्यु होने से नरक प्राप्त होता है इस अंधविश्वास को दूर करने के लिए यह अंतिम समय में मगरहर चले गए और वहीं पर सन् 1518 ई० में अपने शरीर को त्याग दिया।

साहित्यिक परिचय

कबीर दास जी पढ़े लिखे नहीं थे जो बहुश्रुत होने के साथ-साथ उच्च कोटि की प्रतिभा से संपन्न थे। दार्शनिक चिंतन करते हुए उन्होंने व्यवहारिक ज्ञानार्जन किया यह अपने युग के महान समाज सुधारक प्रतिभा संपन्न एवं प्रभावशाली व्यक्ति थे

नाथ संप्रदाय के योग मार्ग और हिंदुओं के वेदन का इन पर गहरा प्रभाव था सत्य अहिंसा दया से युक्त धर्म स्वरूप में ही यह विश्वास करते थे इसी कारण इन्होंने अपनी रचनाओं में हिंदू और मुसलमान दोनों के रूढ़िवाद विश्वासो एवं धार्मिक कुरीतियों का विरोध किया।

प्रमुख रचनाएं

उनके शिष्यों ने उनकी वाणियों का संग्रह बीजक नाम से रखा है।

जिसके तीन मुख्य भाग हैं

  1. साखी
  2. सबद
  3. रमैनी
भाषा-शैली

उनके संग्रह में पंजाबी अवधि राजस्थानी अनेक प्रकार की भाषाओं का उल्लेख है

उनकी शैली उपदेशात्मक भावात्मक एवं चित्रात्मक है।

यह भी देखे-

Jeevan Parichay || Jivan Parichaya || Biography || Jeevani || Jivani || Vyaktitva and Krititva

जीवन परिचय || जीवनी || रचनाएँ || व्यक्तित्व और कृतित्व 

Post Overview

Post Name

Sant kabir das ji ka Jivan Parichay, jivani

Class All
Subject Hindi
Topic Jivan Parichay/ Biography/ Jeevani 
Board All Board and All Students 
State Uttar Pradesh
Session All 
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