Surdas ji ka jivan parichy, jivani, and Rachnaaye bhasha shaili महान कवि सूरदास का जीवन परिचय, जीवनी,भाषा-शैली एवम् रचनाएँ (Biography

Surdas ji ka jivan parichy, jivani, and Rachnaaye महान कवि सूरदास का जीवन परिचय, जीवनी,भाषा-शैली एवम् रचनाएँ (Biography of Surdas).

हेलो दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में आप लोगों को हिंदी साहित्य के महान कवि सूरदास जी के जीवन परिचय और साहित्यिक परिचय के बारे में बतायेंगे और उनकी रचनाओं और भाषा शैली का ज्ञान प्राप्त करवायेंगे।Biography of Surdaas.surdas ji ka Jeevan Parichay (Biography) Sahityik Parichay of Surdas.

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Surdas ji ka jivan parichy, jivani, and Rachnaaye bhasha shaili महान कवि सूरदास का जीवन परिचय, जीवनी,भाषा-शैली एवम् रचनाएँ (Biography

लेखक का  संक्षिप्त जीवन परिचय (फ्लो चार्ट)
  • जन्म – सन् 1478 ई०।
  • जन्म स्थान –रुनकता।
  • साहित्य में पहचान कवि।
  • मृत्यु – सन् 1583 ई०।
  • काल भक्तिकाल।
पूरा नाम सूरदास
जन्म सन् 1478 ई०
जन्म स्थान रुनकता ।
प्रमुख रचनाएँ सूरसागर।
प्रधान रस श्रंगार,वात्सल्य।
मृत्यु 1583 ई०।

जीवन परिचय 

वात्सल्य रस के सम्राट हिंदी साहित्य के महान कवि सूरदास का जन्म सन् 1478 ई० में आगरा से मथुरा जाने वाली सड़क के पास स्थित रूनकता नामक ग्राम में हुआ था कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान सीही नामक स्थान को मानते हैं उनके पिता का नाम पंडित रामदास था जो सरस वह ब्राह्मण थे। सूरदास जी जन्मान्ध थे या नहीं। इस सम्बन्ध में विद्वानों के अनेक मतभेद हैं किंतु इन्होंने मानव स्वभाव एवं श्री कृष्ण की बाल्य लीलाओं का सच में जितना सुन्दर वर्णन किया है। वैसा कोई जन्मांध व्यक्ति कर ही नहीं सकता इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि यह जन्मांध नहीं थे पहले से वीरता के पद गाया करते थे वल्लभाचार्य के संपर्क में आने के बाद यह श्री कृष्ण की भक्ति के पद गाने लगे‌। तथा सन् 1583 ई0 में गोवर्धन निकट पारसौली नामक स्थान पर इनकी मृत्यु हो गई।

साहित्यिक परिचय

सूरदास ने भगवान के लोक रंजन रूप को लेकर ही उनकी लीलाओं का वर्णन किया है तुलसी की समान उनका उद्देश्य संसार को उपदेश देना नहीं अपितु उसे कृष्ण की मनोहारी की लीलाओं के रस में डूबना था वह वल्लभाचार्य जी के शिष्य बनने से पहले शुरू विनय के पद गाया करते थे जिसमें हास्य भाव की प्रधानता थी किंतु पुष्टिमार्ग से दिक्षिप्त होने के उपरांत सूर ने विनय के पद गाने के स्थान पर कृष्ण की बाल लीलाओं का हृदय स्पर्शी का वर्णन किया।

प्रमुख रचनाएं

  • सूरसागर।
  • सूर सारावली।
  • साहित्य लहरी।
भाषा-शैली

इनकी भाषा ब्रजभाषा है काव्य में इनकी शैली मुक्तक शैली है तथा प्रसंग में वर्णनात्मक शैली है।

यह भी देखे-

Jeevan Parichay || Jivan Parichaya || Biography || Jeevani || Jivani || Vyaktitva and Krititva

जीवन परिचय || जीवनी || रचनाएँ || व्यक्तित्व और कृतित्व 

Post Overview

Post Name

Surdas ji ka Jivan Parichay, jivani

Class All
Subject Hindi
Topic Jivan Parichay/ Biography/ Jeevani 
Board All Board and All Students 
State Uttar Pradesh
Session All 
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