UP Board and NCERT Solution of Class 10 Science
[विज्ञान] ईकाई 2 जैव जगत – Chapter- 7 How do organisms reproduce? ( जीव जनन कैसे करते हैं? ) NCERT Question Answer
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 10वीं विज्ञान ईकाई 2 जैव जगत (Organic world) के अंतर्गत चैप्टर 7 How do organisms reproduce? ( जीव जनन कैसे करते हैं? ) पाठ के NCERT के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर सहित प्रदान किया जा रहे हैं । UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें
जनन की आवश्यकता, पौधों में लैंगिक जनन, जननात्मक स्वास्थ्य, जनन के मूल तत्त्व, जन्तुओं में लैंगिक जनन, मानव जनसंख्या एवं परिवार नियोजन, जनन के प्रकार, मानव में लैंगिक जनन, यौन संचारित रोग और उनकी रोकथाम
Class | 10th | Subject | Science (Vigyan) |
Pattern | NCERT | Chapter- | How do organisms reproduce? |
NCERT पाठ्यपुस्तक के प्रश्न–उत्तर
प्रश्न 1. डी एन ए प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?
उत्तर– प्रजनन की मूल घटना है DNA की दो प्रतिकृति तैयार करना। इसके लिए कोशिकाएँ रासायनिक अभिक्रियाएँ करती हैं, जिससे DNA की दो प्रतिकृति बन जाती हैं। इन प्रतिकृतियों को अलग होने के लिए एक अलग कोशिकीय संरचना की आवश्यकता होती है। DNA की दोनों प्रतिकृतियाँ अलग होकर, दो कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। इस प्रकार प्रजनन में दो कोशिकाओं को बनाने के लिए DNA प्रतिकृति आवश्यक है।
प्रश्न 2. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
उत्तर– जीवों में विभिन्नताओं की किसी जीव के अस्तित्व के लिए आवश्यक नहीं है, क्योंकि उसके जीवित रहने पर कुछ विभिन्नताओं का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है वह समानता के आधार पर अधिक अनुकूल होता है। लेकिन DNA की दोनों प्रतिकृति बिल्कुल समान नहीं होतीं उनमें कुछ-न-कुछ विभिन्नताएँ अवश्य होती हैं जो धीरे-धीरे गहरी होती जाती हैं। जनन में होने वाली ये विभिन्नताएँ अन्ततः नई स्पीशीज के विकास में योगदान देती हैं तथा जैव विकास का आधार बनती हैं। अतः विभिन्नताएँ स्पीशीज के उद्भव के लिए आवश्यक हैं लेकिन जीव के जीवित रहने के लिए इनकी कोई आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न 3. द्विखण्डन बहुखण्डन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर– द्विखण्डन– इस विधि द्वारा कोई जीव एक कोशिका से दो कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है। जैसे – अमीबा।
बहुखण्डन– इस विधि में एक कोशिकीय जीव अनेक भागों में विभक्त होता है तथा प्रत्येक भाग नए जीव में विकसित होता है। जैसे मलेरिया परजीवी (प्लाज्मोडियम) ।
प्रश्न 4. बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर– बहुत-से सरल बहुकोशिकीय जीवों के वृन्त पर एक कैप्सूल जैसी संरचना होती है जिसे बीजाणुधानी कहते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है, नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगता है। ये हल्के तथा गोल होते हैं, जिसके कारण आसानी से वातावरण में फैल जाते हैं।
प्रश्न 5. क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते ?
उत्तर– जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते क्योंकि –
(ⅰ) ऐसे जीवों की संरचना अत्यन्त जटिल होती है।
(ii) ऐसे जीवों में एक विशिष्ट कार्य के लिए विशिष्ट अंग/अंगों की आवश्यकता होती है।
(iii) ऐसे जीवों में श्रम विभाजन होता है।
(iv) पुनरुद्भवन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा होता है। ऐसी कोशिकाएँ जटिल जीवों में नहीं होतीं हैं।
प्रश्न 6. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का. उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर– कायिक प्रवर्धन केवल ऐसे पौधों में ही संभव है जिनके जड़, तना या पत्तियों में नए पौधों को उगाने की क्षमता होती है।
कुछ पौधों में बीज नहीं होते, ऐसे पौधों को केवल कायिक जनन द्वारा ही उगाया जा सकता है।
कायिक प्रवर्धन बीजरहित पौधों को उगाना संभव बनाता है। केला, नारंगी, गुलाब, जासमीन व गन्ने में बीज बनने की क्षमता कम है या बिल्कुल नहीं है। ऐसे पौधे कायिक प्रवर्धन द्वारा ही उगाए जा सकते हैं।
प्रश्न 7. डीएनए की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर– डीएनए की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है। यह जनन के लिए एक मूल घटना है। जनक कोशिका की दो कोशिकाएँ बनती हैं। ये दोनों प्रतिकृतियाँ अलग होना आवश्यक हैं तभी जनन हो सकता है। इसके लिए एक अलग से कोशिकीय संरचना आवश्यक है। एक प्रतिकृति नई संरचना में तथा एक मूल कोशिका में रह जाती है। इस प्रकार दो प्रतिकृतियाँ दो नई कोशिकाएँ बनाने में सहायता करती हैं और जनन होता है।
प्रश्न 8. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- परागण क्रिया- परागकणों का पुंकेसर से वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया परागण कहलाती है। यह अधिकतर कीट, हवा, जल, पक्षी आदि के माध्यम से होती है और यह क्रिया निषेचन से पहले होती है।
निषेचन क्रिया– नर और मादा युग्मकों को मिलकर जायगोट बनाने की प्रक्रिया को निषेचन कहते हैं। इस प्रक्रिया में नर युग्मकों को मादा युग्मक तक ले जाने का कार्य परागनलिका करती है। यह क्रिया परागण के बाद होती है।
प्रश्न 9. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
उत्तर– नर जनन तंत्र में कुछ ग्रंथियाँ जैसे शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथियाँ होती हैं। इन ग्रंथियों के स्त्राव शुक्राणुओं के साथ मिलते हैं। इस प्रकार शुक्राणु एक द्रव में आ जाते हैं। यह द्रव शुक्राणुओं के स्थानांतरण को आसान बनाता है। यह द्रव शुक्राणुओं को पोषण भी प्रदान करता है।
प्रश्न 10. यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन–से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर– (i) स्तनों के आकार में वृद्धि होने लगती है।
(ii) स्तनाग्र की त्वचा का रंग भी गहरा होने लगता है।
(iii) रजोधर्म प्रारम्भ होने लगता है।
प्रश्न 11. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है।
उत्तर– निषेचन के बाद युग्मनज बनता है जो धीरे-धीरे भ्रूण में विकसित होने लगता है। भ्रूण गर्भाशय की भित्ति से चिपक जाता है। इस प्रक्रिया को इम्प्लेंटेशन कहते हैं। भ्रूण माता के शरीर से अपना भोजन प्राप्त करता है। इसके लिए एक विशिष्ट ऊतक जिसे प्लेसेंटा कहते हैं के द्वारा होता है। यह एक तश्तरीनुमा संरचना है जो गर्भाशय की भित्ति में घुसा होता है। माता के गर्भाशय की भित्ति विलाई से बनी होती है जो गर्भाशय का क्षेत्रफल बढ़ाता है। इससे भ्रूण को अधिक ग्लूकोस व ऑक्सीजन मिलती है। इस प्रकार भ्रूण माता के शरीर से अपना पोषण प्राप्त करता है।
प्रश्न 12. यदि कोई महिला कॉपर-T का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन–संचरित रोगों से रक्षा करेगा?
उत्तर– नहीं, कॉपर-T उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा नहीं करेगी। यह केवल गर्भधारण होने से रोकती है।
अध्याय के कुछ महत्वपूर्ण अभ्यास प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है–
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) प्लैज्मोडियम
(d) लेस्मानिया
उत्तर– (b) यीस्ट।
प्रश्न 2. निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है?
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका
(d) डिंबवाहिनी
उत्तर – (c) शुक्रवाहिका ।
प्रश्न 3. परागकोश में होते हैं–
(a) बाह्यदल
(b) अंडाशय
(c) अंडप
(d) परागकण
उत्तर– (d) परागकण।
प्रश्न 4. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?
उत्तर– कोशिका विभाजन में डी.एन.ए. दो प्रतिकृति उत्पन्न करता है और इन प्रतिकृतियों में मूल कोशिका की डी.एन.ए. प्रतिकृति से कुछ विभिन्नताएँ होती हैं। अलैंगिक जनन में केवल डी.एन.ए. की प्रतिकृति के सृजन में आई विविधताएँ ही होंगी जो परिवर्तन एवं विकास के बहुत कम अवसर प्रदान करेगी। लैंगिक जनन में दो जनन कोशिकाएँ समाहित होती हैं। अतः डी.एन.ए. प्रतिकृतियों के संयोजन से विभिन्नताओं के नए संयोजन उत्पन्न होंगे और क्योंकि ये विभिन्नताएँ जीवित व्यष्टि के जनन में भाग लेने से आई हैं अतः हानिकारक नहीं हो सकतीं। (ध्यान रहे हानिकारक विभिन्नता उत्पन्न होने पर जीव की उत्तरजीविता असंभव हो जाती है)। अतः इस नए संयोजन से विकास व परिवर्तन के अवसर कई गुना अधिक होते हैं जबकि अलैंगिक जनन में, संतति अपनी पितृ पीढ़ी से हू-बहू मिलती है। इस प्रकार अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के लाभ जीव या स्पीशीज के लक्षणों में परिवर्तन, विकास एवं उत्तरजीविता में वृद्धि करना है।
प्रश्न 5. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
उत्तर–मानव में वृषण के कार्य –
(i) ये शुक्राणु उत्पन्न करते हैं।
(ii) ये हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन उत्पन्न करते हैं जो शुक्राणु के उत्पादन को नियंत्रित करता है और युवकों में यौवनारंभ या द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का नियंत्रण करता है।
प्रश्न 6. ऋतुस्त्राव क्यों होता है?
उत्तर– यदि अंडाणु का निषेचन नहीं होता है तो वह एक दिन बाद नष्ट हो जाता है। गर्भाशय भी निषेचित अंडाणु को प्राप्त करने की तैयारी करता है। गर्भाशय की दीवार मोटी तथा स्पंजी हो जाती है। लेकिन निषेचन न होने पर ये धीरे-धीरे टूटती है और रुधिर व म्यूकस के रूप में योनि मार्ग से बाहर निकलती है। इस प्रक्रिया को रजोधर्म या ऋतुस्नाव कहते हैं। अतः ऋतुस्राव निषेचन न होने की अवस्था में होता है।
प्रश्न 7. पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर–पुष्प की अनुदैर्ध्य काट–
प्रश्न 8. गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन–सी हैं?
उत्तर– गर्भधारण रोकने की निम्नलिखित विधियाँ –
(i) यांत्रिक अवरोध– गर्भधारण को रोकने के लिए यांत्रिक अवरोध का प्रयोग किया जाता है जिससे शुक्राणु अंडकोशिका तक न पहुँच सकें। शिश्न को ढकने वाले कंडोम अथवा योनि में रखने वाली अनेक युक्तियाँ; जैसे-लूप अथवा कॉपर-टी (Copper-T) को गर्भाशय में स्थापित करना।
(ii) हार्मोन संतुलन का परिवर्तन – इस प्रकार दवाएँ मादा • सामान्यतः गोली के रूप में लेती हैं, जिससे हॉर्मोन संतुलन में परिवर्तन हो जाता है तथा अंडे का विमोचन ही नहीं होता है। अतः निषेचन नहीं हो पाता है।
(iii) शल्य क्रिया तकनीक– यदि पुरुष की शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध कर दिया जाए तो शुक्राणुओं का स्थानांतरण रुक जाएगा। यदि मादा की अंडवाहिनी अथवा फेलोपियन नलिका को अवरुद्ध कर दिया जाए, तो अंड (डिंब) गर्भाशय तक नहीं पहुँच सकेगा। दोनों ही अवस्थाओं में निषेचन नहीं हो पाएगा।
प्रश्न 9. एककोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
उत्तर– एककोशिक जीवों में केवल एक ही कोशिका होती है। उनमें जनन के लिए अलग से कोई ऊतक या अंग नहीं होता है। अतः इनमें जनन केवल द्विविखंडन या बहुविखंडन द्वारा ही हो सकता है। कुछ जीवों जैसे-यीस्ट आदि में मुकुलन द्वारा भी जनन होता है।
बहुकोशिक जीवों का शरीर बहुत-सी कोशिकाओं से बना होता है। इनमें जनन के लिए अलग से ऊतक या जनन तंत्र होते हैं। अतः इनमें जनन लैंगिक व अलैंगिक दोनों प्रकार से होता है।
प्रश्न 10. जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर– अपनी जनन क्षमता का उपयोग कर जीवों की समष्टि पारितंत्र में स्थान अथवा निकेत ग्रहण करते हैं। जनन के दौरान DNA प्रतिकृति का बनना जीव की शारीरिक संरचना एवं डिजाइन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है जो उसे विशिष्ट निकेत के योग्य बनाती है। अतः किसी प्रजाति (स्पीशीज) की समष्टि के स्थायित्व का सम्बन्ध जनन से हैं।
प्रश्न 11. गर्भ निरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर– जनन एक ऐसा प्रक्रम है जिसके द्वारा जीव अपनी समष्टि की वृद्धि करते हैं। एक समष्टि में जन्मदर एवं मृत्युदर उसके आकार का निर्धारण करते हैं। जनसंख्या का विशाल आकार बहुत लोगों के लिए चिंता का विषय है। इसका मुख्य कारण यह है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार लाना आसान कार्य नहीं है। अतः जनसंख्या की बढ़ती हुई संख्या पर नियंत्रण रखना जरूरी है। इसीलिए गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनानी चाहिए।