UP Board and NCERT Solution of Class 10 Science Chapter- 7 How do organisms reproduce? ( जीव जनन कैसे करते हैं? ) Notes in hindi

UP Board and NCERT Solution of Class 10 Science [विज्ञान] ईकाई 2 जैव जगत – Chapter- 7 How do organisms reproduce? ( जीव जनन कैसे करते हैं? ) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 10वीं विज्ञान ईकाई 2  जैव जगत (Organic world) के अंतर्गत चैप्टर 7 ( जीव जनन कैसे करते हैं? )  पाठ के अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं लघु उत्तरीय प्रश्न  प्रदान कर रहे हैं। UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं हमारी मेहनत की क़द्र करते हुए इसे अपने मित्रों में शेयर जरुर करेंगे।

जनन की आवश्यकता, पौधों में लैंगिक जनन, जननात्मक स्वास्थ्य, जनन के मूल तत्त्व, जन्तुओं में लैंगिक जनन, मानव जनसंख्या एवं परिवार नियोजन, जनन के प्रकार, मानव में लैंगिक जनन, यौन संचारित रोग और उनकी रोकथाम

Class  10th  Subject  Science (Vigyan)
Pattern  NCERT  Chapter-  How do organisms reproduce?

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न / लघु उत्तरीय प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मनुष्य के उस अंग का नाम लिखिए जो शुक्राणु बनाता है तथा एक हॉर्मोन भी उत्पन्न करता है। उस हॉर्मोन का नाम तथा कार्य लिखिए।

अथवा  मानव में वृषण के कार्यों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- वृषण। इससे उत्पन्न होने वाले हॉर्मोन का नाम टेस्टेस्टेरॉन हॉर्मोन है। यह लड़कों में किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों तथा जनन अंगों में होने वाले परिवर्तनों को नियन्त्रित करता है।

प्रश्न 2. स्त्री के जनन तन्त्र के उस अंग का नाम लिखिए जहाँ निषेचन होता है।

उत्तर- अण्डवाहिका।

प्रश्न 3. उस अलैंगिक प्रजनन का नाम लिखिए जिसमें एक जनक से दो नये जीव बनते हैं तथा जनक इसमें अपनी पहचान खो देता है।

उत्तर- यह अलैंगिक प्रजनन द्विखण्डन कहलाता है।

प्रश्न 4. स्त्रियों में निषेचन कहाँ होता है?

उत्तर- अंडवाहिका में।

प्रश्न 5. ऐसे दो जीवधारियों के नाम लिखें जो मुकुलन द्वारा नये जीवधारियों को उत्पन्न करते हैं?

उत्तर- (i) हाइड्रा,    (ii) प्लेनेरिया।

प्रश्न 6. निम्न अवस्थाओं में प्रत्येक के एक जीव का नाम लिखें।

(a) जहाँ द्विखण्डन होता है। (b) जहाँ बहुखण्डन होता है।

उत्तर- (a) अमीबा,                (b) मलेरिया परजीवी।

प्रश्न 7. यीस्ट कोशिका में किस विधि द्वारा अलैंगिक जनन होता ?

उत्तर- मुकुलन द्वारा।

प्रश्न 8. किसी पुष्प के विभिन्न भागों की निम्नलिखित सूची में से नर जननांगों को पहचानिए एवं लिखिए-

वर्तिकाग्र, बाह्यदल, परागकोष, पंखुड़ी, बीजांड, तन्तु

उत्तर- वर्तिकाय तथा बीजांड।

प्रश्न 9. दो पौधों का नाम बताइए, जिनके पुष्प में एक लिंगी जनन होता है।

उत्तर- पपीता और तरबूज।

प्रश्न 10. परिवार नियोजन की परिभाषा दीजिए।

अथवा परिवार नियोजन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- परिवार को सीमित रखना ‘परिवार नियोजन’ कहलाता है।

प्रश्न 11. नियोजित परिवार के लिए दो स्थायी विधियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- (i) नसबन्दी, तथा (ii) नलबन्दी परिवार नियोजन की दो स्थायी विधियाँ हैं।

प्रश्न 12. बीज-रहित पौधों में जनन किया किस विधि द्वारा होती है? उदाहरण भी दीजिए।

उत्तर- बीज-रहित पौधों में अलैंगिक जनन क्रिया क्रमशः विखण्डन, मुकुलन, भंजन, बिजाणु जनन आदि विधियों द्वारा होती है। जैसे शैवाल, कवक, यीस्ट आदि।

प्रश्न 13. निषेचन को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- दो अगुणित (haploid) युग्मकों जैसे शुक्राणु तथा अण्वाणु के संलयन (fusion) के फलस्वरूप द्विगुणित युग्मनज (zygote) का निर्माण निषेचन (Fertilization) कहलाता है। युग्मनज से वृद्धि तथा विभाजन द्वारा भ्रूण का विकास होता है।

प्रश्न 14. युग्मक संलयन क्या है?

उत्तर- प्राणियों में नर युग्मक ‘शुक्राणु’ तथा मादा युग्मक ‘अण्ड’ के परस्पर मिलने को युग्मक संलयन (syngamy) कहते हैं। पीथों में एक नर युग्मक के भ्रूणकोष में अण्ड कोशिका के मिलने को युग्मक संलयन (fertilization) कहते हैं। इससे बना युग्मनज भ्रूण बनाता है। दूसरा नर युग्मक दो ध्रुव कोशिकाओं से मिलकर प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक बनाता है। इससे भ्रूणपोष (endosperm) का विकास होता है।

प्रश्न 15. रजोनिवृत्ति को परिभाषित कीजिए।

उत्तर- स्वियों में लगभग 45-50 वर्ष की आयु में अण्डाशय से अण्डोला (ovulation) बन्द हो जाता है, अर्थात् ऋतुस्राव या रजोधर्म की समाप्ति को रजोनिवृत्ति (menopause) कहते हैं।

प्रश्न 16. एकलिंगी तथा उभयलिंगी की परिभाषा एक-एक उदाहरण देते हुए लिखिए।

उत्तर- एकलिंगी (Unisexual)- जब किसी जीवधारी में नर या माया जनन अंग पाए जाते हैं, अर्थात् नर और मादा पृथक् पृथक् होते हैं तो इन्हें एकलिंगी कहते हैं, जैसे- मनुष्य।

उभयलिंगी (Bisexual)- जब नर तथा मादा जनन अंग एक हहै जीवधारी में पाए जाते हैं तो इसे उभयलिंगी या द्विलिंगी कहते है जैसे-केंचुआ, फीताकृमि आदि। पौधे सामान्यतया उभयलिंगी होते हैं।

प्रश्न 17. IUCD, AIDS, HIV, OC को विस्तारपूर्वक लिखिए।

अथवा AIDS को पूरा नाम लिखिए।

उत्तर- (i) IUCD- अन्तः गर्भाशयी गर्भनिरोधक युक्तियाँ (Intra Uterine Contraceptive Devices)

(ii) AIDS-उपार्जित प्रतिरक्षा न्यूनता सिण्ड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) ।

(iii) HIV-मानवीय प्रतिरक्षा न्यूनता विषाणु (Human Immuno – deficiency Virus) 1

(iv) OC-मुखीय गर्भनिरोधक (Oral Contraceptive ) ।

प्रश्न 18. जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण क्यों आवश्यक है?

उत्तर- अनियन्त्रित जनसंख्या वृद्धि देश के विकास में बाधक होती है तथा आर्थिक विकास योजनाओं की सफलता जनसंख्या विस्फोट के कारण परिलक्षित नहीं होती।

प्रश्न 19. दोहरे निषेचन का क्या अर्थ है? यह किन पौधों में मिलता है?

उत्तर- युग्मक संलयन (syngamy) तथा त्रिसंलयन (triple fusion) को सामूहिक रूप से दोहरा निषेचन कहते हैं। यह पुष्पीय पौधों की विशेषता है।

प्रश्न 20. गर्भनिरोधक गोलियाँ किस प्रकार गर्भ निरोधक का कार्य करती हैं?

उत्तर- गर्भनिरोधक गोलियाँ हॉर्मोन्स से बनी होती हैं। ये शरीर में कृत्रिम गर्भधारण स्थिति उत्पन्न करके अण्डोत्सर्ग को रोकती हैं।

प्रश्न 21. पुनरुद्भवन का क्या तात्पर्य है? पुनरुद्भवन को एक उदाहरण से स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- किसी जीव के कटे कायिक भाग से नये जीव का निर्माण पुनरुद्भवन कहलाता है। प्लैनेरिया में पुनरुद्भवन पाया जाता है। यदि इसके शरीर को टुकड़ों में काट दिया जाय तो प्रत्येक कटा भाग पूर्ण जीव का निर्माण कर लेता है।

प्रश्न 22, कायिक प्रजनन किसे कहते हैं?

उत्तर- पौधों में बीज के अतिरिक्त पौधे के किसी कायिक अंग; जैसे-जड़, तना, पत्ती, कलिकाओं आदि के द्वारा नया पौधा तैयार हो जाता है। जनन की यह विधि कायिक जनन कहलाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. (i) प्लेनेरिया में पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।

(ii) पुनरुद्भवन की प्रक्रिया जनन से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर- (i) प्लेनेरिया जैसे सरल प्राणियों को यदि कई टुकड़ों में काट दिया जाए तो प्रत्येक टुकड़ा विकसित होकर पूर्णजीव का निर्माण कर देता है। यह पुनरुद्भवन कहलाता है। पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा संपादित होता है। इन कोशिकाओं के क्रम प्रसरण से अनेक कोशिकाएँ बन जाती हैं। इस प्रकार कोशिकाओं के सामूहिक रूप में परिवर्तन के दौरान विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ एवं उतक बनते हैं। यह परिवर्तन बहुत व्यवस्थित रूप एवं हम से होता है, जिसे परिवर्धन कहते हैं।

(ii) पुनरु‌द्भवन की प्रक्रिया जनन से भिन्त्र इसलिए है, क्योंकि प्रत्येक जीव के किसी भाग को काटकर सामान्यतः नया जीव उत्पन्न नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2. (i) वायरस तथा (ii) जीवाणु (bacteria) प्रत्येक के द्वारा होने वाले दो-दो लैंगिक संचरित रोगों के नाम लिखिए। व्याख्या कीजिए कि इस प्रकार के रोगों के संचरण की रोकथाम कैसे की जाए?

उत्तर-(i) वायरस द्वारा लैंगिक संचरित दो रोगों के नाम मस्सा (wart) और HIV-AIDS

(ii) जीवाणु जनित दो रोगों के नाम हैं-गोनेरिया तथा सिफलिस।

रोकथाम के उपाय- शिश्न के ऊपर आवरण या कंडोम (निरोध) के प्रयोग से इन रोगों के संचरण का खतरा दूर हो जाता है। गोनेरिया तथा सिफलिस तो उपचार द्वारा खत्म हो जाते हैं, परन्तु HIV-AIDS एक खतरनाक रोग है जिसका कोई ठोस उपचार अभी तक संभव नहीं हो पाया है। अतः इसकी रोकथाम सावधानी रखकर ही की जा सकती है, जैसे संक्रमित सुई का प्रयोग न करें, रक्त चढ़ाने (blood transfusion) के पूर्व HIV रोगाणु की जाँच करवाएँ आदि। वेश्यागमन तथा समलैंगिकता से बचना चाहिए। डिस्पोजेबल सुइयों का उपयोग किया जाना चाहिए।

प्रश्न 3. “किसी समष्टि में स्पीशीज की उत्तरजीविता बनाए रखने के लिए विभिन्नता उपयोगी है।” किसी उचित उदाहरण की सहायता से इस कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- यदि एक समष्टि अपने निकेत के अनुकूल है तथा निकेत में कुछ उम्र परिवर्तन आते हैं, तो इस अवस्था में समष्टि का समूह विनाश हो जाएगा। परन्तु यदि समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होगी, तो उनके जीवित रहने की कुछ संभावना होगी।

उदाहरण के लिए शीतोष्ण जल में पाए जाने वाले जीवाणुओं की कोई समष्टि है तथा वैश्विक ऊष्मीकरण (global warming) के कारण जल का ताप बढ़ जाता है, तो अधिकतर जीवाणु व्यष्टि मर जाते हैं, परन्तु ऊष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले कुछ परिवर्त जीवित रहते हैं और वृद्धि करते हैं।

प्रश्न 4. परागण और निषेचन के बीच पाँच अंतरों को लिखिए।

उत्तर-  परागण और निषेचन के बीच पाँच अंतर निम्न प्रकार हैं

परागण

निषेचन

1. परागकणों का पुंकेसर से वर्तिकाग्र तथा स्थानांतरण परागण कहलाता है।

2. परागण के लिए अनेक प्रकार के साधनों की आवश्यकता होती है, जैसे-वायु, जल, कीट, पतंगें आदि।

3. यह क्रिया निषेचन से पहले होनी आवश्यक है।

4. यह स्वपरागण तथा परपरागण दो प्रकार के होते हैं।

5. यह एक भौतिक प्रक्रिया है, जिसमें कोई नया पदार्थ नहीं बनता।

1. नर युग्मक का बीजांड में स्थित अंडकोशिका से संलयन निषेचन कहलाता है।

2. निषेचन के लिए किसी साधन, जैसे-वायु, जल, कीट, पतंगें की आवश्यकता नहीं होती है।

3. यह क्रिया परागण के बिना नहीं हो सकती।

4. यह आंतरिक तथा बाह्य निषेचन दो प्रकार से होता है।

5. यह एक रासायनिक प्रक्रिया है. जिसमें नया पदार्थ जाथगोट बनता है।

प्रश्न 5. कुछ प्रकार के पौधों के वर्धन में कायिक (vegetative) प्रवर्धन घटित होने के कोई चार कारण लिखिए।

उत्तर- कुछ प्रकार के पौधों के वर्धन में कायिक प्रवर्धन घटित होने के चार कारण निम्न हैं-

(i) बीज द्वारा उगाए पौधों की अपेक्षा पुष्प एवं फल कम समय में लगना, जैसे-आम (कलम द्वारा )।

(ii) यह पद्धति ऐसे पौधों के लिए उपयोगी है, जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके हैं, जैसे-केला, संतरा, गुलाब, चमेली आदि।

(iii) कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधों पर प्रारंभ के वर्षों में बीज द्वारा उगाए गए पौधों की अपेक्षा कम ध्यान देने की जरूरत पड़ती है।

(iv) कायिक प्रवर्धन द्वारा उत्पन्न सभी पौधे आनुवंशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं।

प्रश्न 6. भ्रूण के विकास में प्लैसेंटा की भूमिका का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- भ्रूण के विकास में प्लेसेंटा की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। भ्रूण तथा माँ के बीच ग्लुकोस, ऑक्सीजन, अन्य पोषक तत्त्व तथा अपशिष्ट पदार्थों का स्थानांतरण प्लैसेंटा द्वारा होता है।

प्रश्न 7. अमीबा में अलैंगिक जनन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।

उत्तर– अमीबा सड़ी गली पत्तियों आदि में लवणीय जल में पाया जाता है। अमीबा द्विविभाजन विधि द्वारा अलैंगिक जनन करता है। अलैंगिक जनन में शरीर का भाग सीधे की नई व्यष्टि को जन्म देता है। लैंगिक जनन में आनुवंशिक रूप से नई व्यष्टियाँ जनकों की भाँति एक ही प्रकार की होती हैं।

इस प्रकार एक कोशिका जीव से दो नए जीवों की उत्पत्ति होती है। इस प्रकार की प्रक्रिया को द्विविभाजन विखंडन कहते हैं। द्वि- विखण्डन में सबसे पहले केंद्रक का विभाजन होता है। तत्पश्चात् कोशिका कला में एक संकीर्णन प्रकट होता है जिससे धीरे-धीरे कोशिका द्रव्य दो भागों में बंट जाता है और दो नए जीव बन जाते हैं।

प्रश्न 8. यीस्ट में मुकुलन के विभिन्न चरणों को समझाइए।

उत्तर- यीस्ट में अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है। पहले यीस्ट कोशिका में एक उभार उत्पन्न होता है। इसके पश्चात् इसका केन्द्रक लंबाई में बढ़ता है और दो भागों में बंट जाता है तथा यह उभार एक नई कोशिका में बदल जाता है। इस नई कोशिका में भी  मुकुलन होता है और इस प्रकार मुकुल कोशिकाओं की एक श्रृंखल बन जाती है।

प्रश्न 9. बीज अंकुरण तथा उनके प्रकारों पर उदाहरण सहित टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- बीज-अंकुरण बीज में भ्रूण निष्क्रिय अवस्था में होता है। अनुकूल परिस्थितियाँ मिलने पर भ्रूण निष्क्रिय अवस्था से जागृत होकर सक्रिय अवस्था में आ जाता है और स्वतन्त्र पौधे को जन्म देता है। इस क्रिया को अंकुरण (germination) कहते हैं।

अंकुरण के प्रकार- अंकुरण तीन प्रकार का होता है-

(क) अधोभूमिक अंकुरण– इसमें बीजपत्रोपरिक वृद्धि करके प्रांकुर के साथ बाहर निकलता है लेकिन बीजपत्राधार तथा बीजपत्र पृथ्वी में ही दबे रहते हैं, जैसे चना, मटर, मक्का, चावल इत्यादि में।

(ख) उपरिभूमिक वा भूम्यूपरिक अंकुरण- इसमें बीजपत्राधार (hypocotyl) वृद्धि करके बीजपत्रों व प्रांकुर के साथ पृथ्वी से बाहर निकल आता है; जैसे सरसों, रेंडी, सेम, इमली इत्यादि में।

(ग) पितृस्थ या जरायुज अंकुरण– इसमें बीज का अंकुरण फल में उसी समय हो जाता है जब फल पौधे से लगा होता है। अंकुरित बीज का मूलांकुर वृद्धि करके मूसल जैसी रचना बनाता है। नवोद्भिद् भार के कारण पौधे से पृथक होकर दलदल में धंस जाता है। इस प्रकार का अंकुरण दलदल में उगने वाले लवणो‌द्भिद् पौधों में होता है, जैसे राइजोफोरा

प्रश्न 10. परागकण अंकुरण का सचित्र वर्णन कीजिए।

उत्तर- परागकण का अंकुरण (Germination of Pollen Grains)- परागण (pollination) द्वारा परागकण वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं। वर्तिकाय से स्स्रावित तरल को अवशोषित करके परागकण फूल जाते हैं और अन्तःचोल (intine), जनन छिद्र वाले स्थान से बाह्य चोल को तोड़कर परागनलिका (pollen tube) के रूप में बाहर निकल आता है। पराग नलिका बर्तिका (style) से भोजन अवशोषित करके वृद्धि करने लगती है। पराग नलिका की वृद्धि दर वर्तिका की रचना पर निर्भर करती है। पराग नलिका में जनन कोशिका (generative cell) विभाजित होकर दो नर युग्मक (male gamete) बनाती है।

पराग नलिका भ्रूणकोष (embryo sac) में पहुँचकर नर युग्मकों को मुक्त कर देती है। एक नर युग्मक अण्डकोशिका से तथा दूसरा मर चुग्मक द्वितीयक केन्द्रक से मिलकर क्रमशः युग्मनज (zygote) और प्राथमिक भ्रूणपीष केन्द्रक बनाता है।

प्रश्न 11. पुमंग तथा जायांग में अन्तर लिखिए।

उत्तर- पुमंग पुष्प का नर जननांग है। इसका निर्माण पुंकेसर (stamens) से होता है। पुंकेसर के परागकोष में परागकण बनते हैं।

जयांग (gynoecium) पुष्प को मादा जननांग है। इसका निर्माण स्वीकेसर (carpel) से होता है। स्वीकेसर के अण्डाशय में बीजाण्ड (ovule) बनते हैं।

प्रश्न12. स्वपरागण के लिए आवश्यक अनुकूलन तथा इसके लाभ एवं हानियाँ लिखिए।

उत्तर- स्वपरागण- एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र या उस पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकाय पर या कायिक जनन द्वारा तैयार किसी अन्य पौधे (जिनकी जीन संरचना समान हो) के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचने की प्रक्रिया को स्व-परागण कहते हैं।

स्वपरागण के लिए आवश्यक अनुकूलन-

  1. पुष्प प्रायः द्विलिंगी होते हैं, जब एकलिंगी होते हैं तो नर तथा मादा पुष्प एक ही पौधे पर लगते हैं।
  2. नर तथा मादा जननांग एक ही साथ परिपक्व (समकालपक्वता) होते हैं। 3. पुंकेसर तथा स्वीकेसर की पुष्प में स्थिति इस प्रकार होती है कि परागकण सुगमता से वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं।
  3. पुष्प प्रायः सुगन्ध रहित, अनाकर्षक, मकरन्द रहित तथा छोटे होते हैं।
  4. कुछ पौधों के पुष्प सदैव बन्द रहते हैं, इनको अनुन्मीलय (cleistogamous) पुष्प कहते हैं। इनमें स्वपरागण ही होता है, जैसे खट्टीबूटी (Oxalis), वायोला (Viola) में।

स्वपरागण से लाभ-

  1. स्वपरागण में किसी बाह्य माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है अतः स्वपरागण निश्चित होता है।
  2. इससे जाति की शुद्धता बनी रहती है।
  3. परागकणों के अधिक उत्पादन, मकरन्द, गन्ध, रंग आदि हेतु पौधे को भोज्य पदार्थ व्यय करने की आवश्यकता नहीं होती है।

स्वपरागण से हानि-

  1. स्वपरागण से विभिन्नताएँ उत्पन्न नहीं होती हैं अर्थात् नई प्रजाति के विकास की सम्भावना नहीं रहती है।
  2. स्वपरागण के फलस्वरूप उत्पन्न बीज संख्या में कम, हल्के तथा छोटे होते हैं।

३. स्वपरागित बीजों से बनने वाले पौधे दुर्बल होते हैं।

प्रश्न 13.  मानव शुक्राणु की रचना का चित्र सहित वर्णन कीजिए। शरीर के किस अंग में और किन कोशिकाओं में इनका विकास होता है? (2013, 17)

उत्तर-  शुक्राणु (Sperm)- ये पतले, लम्बे धागेनुमा होते हैं। इसके तीन भाग होते हैं-सिर, मध्य भाग तथा पूँछ।

  1. सिर (Head)- यह लम्बा, केन्द्रकमय होता है। इसके अग्रछोर पर एक्रोसोम (acrosome) होता है।
  2. मध्य भाग (Middle Piece)- इसमें दो सेन्ट्रियोल तथा माइटोकॉण्ड्रिया से बना स्पाइरल आवरण (Spiral Sheath) होता है।
  3. पूँछ (Tail)- मध्य भाग के पीछे एक अक्ष सूत्र (axial fila-ment) होता है। यह चारों ओर से झिल्लीनुमा आवरण से घिरा रहता है। अन्तिम भाग पर झिल्लीनुमा आवरण नहीं होता, इसे अन्तिम भाग कहते हैं। शुक्राणुओं का विकास वृषण की शुक्रजनन नलिकाओं की जनन एपीथीलियम की जननकोशिकाओं से होता है।

प्रश्न 14. छोटे परिवार के महत्त्व को समझाइए।

उत्तर– छोटे (सीमित) परिवार के निम्नलिखित लाभ हैं

  1. प्रत्येक सदस्य को पारिवारिक आय का अधिक भाग प्राप्त होता है।
  2. प्रत्येक सदस्य को सन्तुलित एवं पोषक भोजन उपलब्ध होता है।
  3. प्रत्येक परिवार हेतु साफ, हवादार, प्रकाशयुक्त आवास उपलब्ध हो जाता है।
  4. माता का स्वास्थ्य उत्तम रहता है जिसके कारण वह बच्चों की देखभाल प्रभावी ढंग से कर सकती है।
  5. सभी प्रकार की दैनिक जरूरतें सरलता से पूरी हो जाती हैं।
  6. भविष्य के लिए आवश्यक बचत सम्भव हो जाती है।
  7. जीवन सुखी एवं सम्पन्न रहता है, प्रत्येक क्षेत्र में सफलता एवं उन्नति के लिए अवसर उपलब्ध हो जाते हैं।

प्रश्न 15. परागण किसे कहते हैं? समझाइए।

अथवा  स्वपरागण एवं परपरागण में अन्तर लिखिए।

उत्तर- परागण (Pollination)-पुंकेसर के परागकोष में परागकणों का निर्माण होता है। परागकणों के परागकोष से वर्तिकाय (stigma) पर पहुँचने की क्रिया परागण (pollination) कहलाती है। परागण के पश्चात् निषेचन होता है और बीजाण्ड से बीज का निर्माण होता ।

पौधों में परागण मुख्यतः दो प्रकार से होता है-

(1) स्वपरागण, तथा (ii) परपरागण।

                                                                           स्वपरागण तथा परपरागण में अन्तर

स्वपरागण (Self-pollination)

परपरागण (Cross-pollination)

1. इसमें एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर या उसी पौधे के किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाप्र पर या कायिक जनन द्वारा तैयार किसी अन्य पौधे के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं। 1. इसमें एक पुष्प के परागकण उसी जाति के दूसरे पौधे (लिंगीजनन द्वारा उत्पन्न) के पुष्य के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं।
2. पौधों की जीन संरचना समान होती है। 2. पौधों की जीन संरचना भिन्न होती है।
3. पुष्प द्विलिंगी होते हैं। 3. पुष्प एकलिंगी में द्विलिगी होते हैं। 4
4. पुष्पों में समकाल पक्वता पायी जाती है अर्थात् पुष्प के परागकोष तथा वर्तिकाग्र एक ही समय पर परिपक्व होते हैं। 4 . द्विलिंगी पुष्पों में भिन्नकाल पक्वता पायी जाती है अर्थात् परागकोष एवं वर्तिकात्र एक साथ परिपक्व नहीं होते हैं।

 

UP Board and NCERT Solution of Class 10 Science Chapter- 7 How do organisms reproduce? ( जीव जनन कैसे करते हैं? ) MCQ

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