UP Board and NCERT Solution of Class 9 Science [विज्ञान] ईकाई 1 द्रव्य- प्रकृति एवं व्यवहार – Chapter- 1 Matter in Our Surroundings ( हमारे आस- पास के पदार्थ ) लघु उत्तरीय प्रश्न Laghu Uttareey Prashn
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं विज्ञान ईकाई 1 द्रव्य- प्रकृति एवं व्यवहार के अंतर्गत चैप्टर 1 (हमारे आस- पास के पदार्थ) पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें
Class | 9th | Subject | Science (Vigyan) |
Pattern | NCERT | Chapter- | Matter in Our Surroundings |
लघु उत्तरीय प्रश्न / Laghu Uttareey Prashn
प्रश्न 1. अन्तराणुक बलों के आधार पर ठोस, द्रव तथा गैसों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – ठोसों में अन्तराणुक बल अत्यधिक प्रबल होते हैं ताकि इसे बनाने वाले अवयव कण इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि उनके मध्य स्थान नगण्य होता है। इसी कारण ठोसों को संपीडित नहीं किया जा सकता तथा इनका घनत्व अधिक होता है।द्रवों में अन्तराणुक बल इतने प्रबल होते हैं कि वे अवयव कर्णी को एक साथ बाँधे रखते हैं, लेकिन उतने प्रबल नहीं होते कि अवयव कणों की स्थिति निश्चित रख सकें। इसी कारण द्रवों का आकार निश्चित नहीं होता तथा इस बहते हैं। गैसों में अन्तराणुक बल नगण्य (अत्यधिक निर्वल) होते हैं। इसलिए गैसों के अवयव कण स्वतंत्र रूप से गतिशील होते हैं तथा उपलब्ध स्थान को घेर लेते हैं।
प्रश्न 2. भौतिक अवस्था के आधार पर पदार्थ की विभिन्न अवस्थाएँ क्या हैं ? उनमें अन्तर कीजिए।
उत्तर- भौतिक अवस्था के आधार पर पदार्थ की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ हैं- (i) ठोस अवस्था (ii) द्रव अवस्था (iii) गैसीय अवस्था।
ठोस, द्रव तथा गैसीय अवस्था में अन्तर
क्र०सं० | ठोस |
द्रव |
गैस |
1. | ठोस कठोर होते हैं तथा उन्हें दबाया नहीं जा सकता। | द्रव कठोर नहीं होते तथा बहुत कम दबाये जा सकते हैं। | गैस कठोर नहीं होतीं तथा उन्हें आसानी से दवाया जा सकता है। |
2. | इनका निश्चित आयतन व आकार होता है। | इनका भी निश्चित आयतन होता है। | इनका आयतन व आकार दोनों ही निश्चित नहीं होते। |
3. | ये बहते नहीं हैं। | ये उच्च तल से निम्न तल की ओर बहते हैं। | ये सभी तरफ बहती हैं। |
4. | उदाहरण-लोहा, गन्धक। | उदाहरण-जल, पेट्रोल। | उदाहरण- वायु, हाइड्रोजन। |
प्रश्न 3. वायुमण्डलीय गैसों का विसरण जलीय जीवों के लिए किस प्रकार उपयोगी है?
उत्तर- वायुमण्डलीय गैसें, विशेषकर, ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड, विसरण द्वारा जल में घुल जाती हैं। घुली हुई ऑक्सीजन का उपयोग जलीय जन्तु श्वसन के लिए करते हैं। जलीय पादप जल में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग प्रकाश संश्लेषण द्वारा खाद्य निर्माण में करते हैं।
एन 4. ठोस, द्रव तथा गैस का अन्तर (i) अन्तराण्विक स्थान, (ii) अन्तराण्विक बल के आधार पर समझाइए।
उत्तर- (i) अन्तरा-अणुक स्थान (Intermolecular Space)- ठोस अवस्था में पदार्थ के अणुओं के बीच अन्तराण्विक स्थान बहुत कम होता है। क्रिस्टलीय ठोसों में अणुओं के बीच की दूरी सुनिश्चित होती है। द्रव में अणुओं के बीच रिक्त स्थान कुछ अधिक होता है जिससे उसी द्रव के अथवा अन्य पदाथों (विलेय) के अणु रिक्त स्थान में समा सकते हैं।
गैस में अन्तराण्विक स्थान, अणुओं के अपने आयतन की तुलना में बहुत अधिक होता है।
(ii) अन्तराण्विक बल (Intermolecular Force)- ठोस अवस्था में अन्तराण्विक बल इतना अधिक होता है कि अणु अपने स्थान पर दृढ़ता से बंधे रहते हैं तथा स्वतंत्र गति नहीं कर सकते। द्रवों में अन्तराण्विक बल ठोसों की अपेक्षा इतना कम होता है कि अणु द्रव की सीमा के भीतर स्वतंत्र गति कर सकते हैं, परन्तु द्रव के बाहरी पृष्ठ से सामान्यतः बाहर नहीं जा पाते। गैसों में अन्तराण्विक बल लगभग शून्य (आदर्श गैस में शून्य) होता है जिससे अणु पूर्णतः स्वतंत्र गति कर सकते हैं।
प्रश्न 5. कारण देते हुए बताइए कि पत्थर, जल तथा वायु की अवस्थाएँ क्या हैं-गैस, ठोस अथवा द्रव ?
उत्तर- पत्थर-पत्थर के किसी खण्ड का आयतन (आकार) तथा आकृति निश्चित होती है, अर्थात् भिन्न-भिन्न बर्तनों में रखे जाने पर बदलते नहीं-अतः इसकी अवस्था ठोस है। जल-जल की किसी निश्चित मात्रा का आयतन तो निश्चित होता है परन्तु आकृति निश्चित नहीं होती, अर्थात् जल बर्तन की आकृति को ग्रहण कर लेता है अतः यह द्रव है। वायु-वायु की किसी निश्चित मात्रा का न आयतन निश्चित होता है न आकृति अर्थात् इस मात्रा को जिस बर्तन में रखा जाये, यह उसी के आयतन तथा आकृति को प्राप्त कर लेती है अतः यह गैस है।
प्रश्न 6. पदार्थ को गर्म करने तथा ठण्डा करने से उसकी अवस्थाओं के परिवर्तन का क्रम बताइए तथा एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
प्रश्न 7. क्या होता है जब एक ठोस पदार्थ को गर्म किया जाता है?
उत्तर – जब एक ठोस पदार्थ को गर्म किया जाता है, तब उसका तापमान बढ़ता जाता है या उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है जिसके कारण पदार्थ के कण अधिक तेजी से कंपन करने लगते हैं और कणों के मध्य की दूरी बढ़ती जाती है और एक स्थिति ऐसी आती है जब ऊष्मा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा कणों के आकर्षण बल के बराबर हो जाती है और ठोस पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है। यह तापमान पदार्थ का गलनांक कहलाता है।