UP Board and NCERT Solution of Class 9 Science Chapter-11 Sound (ध्वनि) NCERT Based Important Question Answer

UP Board and NCERT Solution of Class 9 Science [विज्ञान] ईकाई 3 गति, बल तथा कार्य – Chapter-11 Sound (ध्वनि) NCERT Based Important Question Answer

प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं विज्ञान ईकाई3 गति, बल तथा कार्य  के अंतर्गत चैप्टर11 (ध्वनि) पाठ के NCERT  के कुछ महत्वपूर्ण  प्रश्न  उत्तर सहित प्रदान किया जा रहे हैं । UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें

Class  9th  Subject  Science (Vigyan)
Pattern  NCERT  Chapter-  Sound

NCERT Based Important Question Answer\

प्रश्न 1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?

उत्तर-जब ध्वनि के कारण किसी माध्यम में कोई विक्षोभ उत्पन्न होता है तो यह विक्षोभ माध्यम के कणों में गति उत्पन्न कर देता है। ये कण अपने समीपवर्ती माध्यम के अन्य कणों में उसी प्रकार की गति उत्पन्न कर देते हैं। यह क्रिया इसी प्रकार माध्यम के अन्य कणों से फैलती जाती है और विक्षोभ हमारे कानों तक पहुँच जाता है।তি ফর্ম

प्रश्न 2. आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?

उत्तर-जब घंटी पर हथौड़े से आघात किया जाता है तो घंटी कंपित हो उठती है। घंटी के कंपित होने से ध्वनि उत्पन्न होती है।

प्रश्न 3. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?

उत्तर- ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें इसलिए कहते हैं क्योंकि उसके संचरण के लिए द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4. मान लीजिए कि आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?

उत्तर- नहीं। चंद्रमा पर वायुमण्डल नहीं है जिससे होकर ध्वनि अपनी गति कर सके। हम जानते हैं कि ध्वनि की गति माध्यम के कणों में उत्पन्न कंपन के कारण होती है। अतः इसके अभाव में मित्र से उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन सकते।

प्रश्न 5. तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है- (i) प्रबलता, (ii) तारत्व ?

उत्तर- (i) ध्वनि की प्रबलता कंपन का आयाम निर्धारित करती है। (ii) ध्वनि का तारत्व कंपन की आवृत्ति निर्धारित करता है।

प्रश्न 6. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है? (i) गिटार, (ii) कार का हार्न?

उत्तर – गिटार की ध्वनि का तारत्व अधिक होता है।

प्रश्न 7. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?

उत्तर-तरंगदैर्ध्य – किन्ही दो निकटतम श्रृंगों अथवा गर्तों के बीच की दूरी को या एक दोलन पूरा करने में तरंग द्वारा चली गई दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं।

आवृत्ति-एक सेकण्ड में दोलनों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं।

आवर्तकाल-एक दोलन पूरा करने में लगा समय आवर्तकाल कहलाता है।

आयाम-किसी तरंग के संचरण में माध्यम के कणों का संतुलन (मध्यमान) की स्थिति में अधिकतम विस्थापन आयाम कहलाता है।

प्रश्न 8. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार सम्बन्धित है?

उत्तर-ध्वनि तरंगों की आवृत्ति, तरंगदैर्ध्य तथा वेग निम्न रूप से सम्बन्धित हैं

तरंग का वेग = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति

υ = η *λ

जहाँ v = तरंग का वेग, n = आवृत्ति, λ = तरंगदैर्ध्य ।

प्रश्न 9. किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए।

हल- ध्वनि तरंग की आवृत्ति, n = 220 Hz

ध्वनि की चाल, υ = 440 m/s

ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य λ = ?

हम जानते हैं कि υ = η *λ

λ = υ / n

= 440 / 220

अतः ध्वनि की तरंगदैर्ध्य = 2 m      उत्तर

प्रश्न 10. किसी ध्वनि स्त्रोत से 450 m की दूरी पर बैठा हुआ कोई व्यक्ति 500 Hz की ध्वनि को सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अंतराल होगा ?

हल – ध्वनि तरंग की आवृत्ति n = 500 Hz

व्यक्ति की स्रोत से दूरी = 450 m

दो लगातार संपीडनों के बीच की दूरी को तय करने में लगा समय उसके आवर्तकाल के बराबर होता है।

परन्तु आवर्तकाल = 1/ आवृत्ति या T = 1 / n

अतः T = 1 / 500 = 0.02 s

अतः व्यक्ति तक पहुँचने वाले तो लगातार संपीडनों के बीच लगा समय 0.02 s होगा।    उत्तर

प्रश्न 11. ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।

उत्तर-तीव्रता-किसी एकांक क्षेत्रफल से, एक सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।

प्रबलता-प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदन-शीलता की माप है। उदाहरण के लिए, दो ध्वनियाँ समान तीव्रता की हो सकती हैं। परन्तु हम एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं। क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील हैं।

प्रश्न 12. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?

उत्तर- ध्वनि वायु (346 m/s), जल (1498 m/s) से अधिक तेज लौह (5950 m/s) माध्यम में चलती है।

प्रश्न 13. कोई प्रतिध्वनि 3s के पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?

हल-ध्वनि की चाल, v = 342 m/s

परावर्तक सतह की स्रोत से दूरी = d

ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = 2d

ध्वनि द्वारा 2d दूरी तय करने में लिया गया समय = 3 s

हम जानते हैं कि,

ध्वनि की चाल = तय की गई दूरी / समय

342 = 2d / 3

2d = 342 x 3

d = 342 x 3 / 2 = 513 m   उत्तर

प्रश्न 14. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?

उत्तर-बड़े हॉलों में बनी कंक्रीट की छतों को वक्राकार बनाया जाता है ताकि वक्राकार छतों से ध्वनि का परावर्तन होकर, ध्वनि हाल के प्रत्येक कोने में समान रूप से पहुँच सके।

प्रश्न 15. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?

उत्तर- सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास 20 Hz से 20,000 Hz (या 20 kHz) है।

प्रश्न 16. निम्न से सम्बन्धित आवृत्तियों का परास क्या है?

(i) अवश्रव्य ध्वनि, (ii) पराध्वनि।

उत्तर- (i) 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनि को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं।

(ii) पराध्वनि की आवृत्ति 20 kHz से अधिक होती है।

प्रश्न 17. एक पनडुब्बी सोनार स्पन्द उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।

हल: समय, t = 1.02 s

खारे जल में ध्वनि का वेग = 1531 m/s

सोनार पल्स से चली दूरी = 2d

जहाँ कि चट्टान की दूरी d है।

2d = सोनार स्पंद की चाल × समय

=1531 m/s × 1.02 s

1561.62 m

अथवा    d=780.8 m

इसलिए चट्टान 780.8 m दूर होगी।     उत्तर

प्रश्न 18. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?

उत्तर-ध्वनि-ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारे कानों में सुनने की संवेदना उत्पन्न करती है। उदाहरण के लिए हम बहुत-से स्रोतों जैसे-अलार्म घड़ी की ध्वनि, सड़क पर दौड़ते हुए स्कूटर एवं कारों की ध्वनि, पक्षियों की चहचहाहट, विद्यालय की घंटी की ध्वनि, तबले तथा हारमोनियम की ध्वनि आदि सुनते हैं।

ध्वनि का उत्पन्न होना – ध्वनि किसी वस्तु के कंपन द्वारा उत्पन्न होती है। कंपन का अर्थ है किसी वस्तु का अपनी माध्य स्थिति के दोनों ओर इधर-उधर गति करना है। हम विभिन्न वस्तुओं में उन्हें खींचकर, चोट मारकर, फूँक मारकर, रगड़कर अथवा, उसे हिलाकर कंपन उत्पन्न कर सकते हैं। सितार, वीणा आदि डोरी वाले वाद्य यंत्रों में कर्षण द्वारा तारों में कंपन पैदा किए जाते हैं तो ये ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इसी प्रकार जब चिमटे की दो भुजाओं को एक- दूसरे से टकराते हैं तो उनमें कंपन के साथ ध्वनि उत्पन्न होती है। सभी वाद्य यंत्र, जैसे-ढोल या नगाड़े की चर्म (mem- brane), बाँसुरी के अन्दर की वायु, हारमोनियम की रीड ध्वनि उत्पन्न करते समय कंपन की स्थिति में होते हैं।

प्रश्न 19. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्त्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं?

उत्तर-

ध्वनि सबसे अधिक हवा के माध्यम में गमन करती है। कोई कंपित वस्तु जब आगे बढ़ती है, तो वो अपने सामने वाली हवा पर बल लगाकर उसे संपीडित करती है, जिससे कि उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र संपीडन (C) कहलाता है। यह क्षेत्र कंपित वस्तु से दूर जाने लगता है। तथा कंपित वस्तु पीछे की ओर हटती है, जिससे निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र विरलन (R) कहलाता है। जैसे-जैसे वस्तु कंपित होती है, अर्थात् तीव्रता से आगे-पीछे हिलती है, वैसे-वैसे हवा में संपीडनों और विरलनों की श्रृंखला बनती चली जाती है। इससे हवा में ध्वनि का संचरण होता है।

प्रश्न 20. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।

उत्तर-

जब विद्युत घंटी में स्विच को दबाकर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो हमें विद्युत घंटी की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है। जब निर्वात पम्प की सहायता से धीरे-धीरे बेलजार के अन्दर की वायु बाहर निकालें तो जैसे-जैसे बेलजार की वायु बाहर निकलती जाती है घंटी की आवाज भी धीमी होती जाती है। यद्यपि घंटी में समान विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। जब बेलजार में निर्वात पैदा हो जाता है तो हमें घंटी की आवाज सुनाई नहीं देती क्योंकि बेलजार में ध्वनि के संचरण के लिए कोई द्रव्यात्मक माध्यम नहीं रहा। अतः इस प्रयोग से यह प्रदर्शित हो जाता है कि ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 21. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?

उत्तर-ध्वनि तरंगें द्रव्यात्मक (material) माध्यम में ही संचारित होती हैं। ये तरंगें संपीडनों तथा विरलनों की सहायता से द्रव्यात्मक माध्यम में संचारित होती हैं। इन तरंगों के संचरण में माध्यम के कण ध्वनि संचरण की दिशा में ही अपनी माध्य स्थिति के दोनों ओर कंपन करते हैं। क्योंकि माध्यम के कर्णों की कंपन की दिशा ध्वनि तरंगों के संचरण की दिशा के अनुदिश है या समान्तर है अतः ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।

प्रश्न 22. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?

उत्तर-ध्वनि की गुणता, अंधेरे कमरे में बैठे मित्र की आवाज पहचानने में सहायता करती है।

प्रश्न 23. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?

उत्तर-यह प्रकाश की काफी उच्च चाल के कारण होता है कि तड़ित की चमक हम पहले देखते हैं और तुलनात्मक रूप से ध्वनि की निम्न चाल के कारण यह होता है कि गर्जन कुछ सेकण्ड पश्चात् सुनाई देती है।

प्रश्न 24. किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 m s-1 लीजिए।

हल: (i) आवृत्ति, n = 20 Hz

वायु में ध्वनि का वेग = 344 m s-1

v = n  λ  अथवा 344 = 20 × λ

अथवा  λ  = 344 / 20 = 17.2 m

(ii) आवृत्ति, n = 20 Hz

= 20,000 Hz.

वायु में ध्वनि का वेग = 344 m s-1

V=n * λ

344 = 20,000 × λ

अथवा λ 344  / 20,000 * λ

=  0.0172 m

= 0.017 m     उत्तर

प्रश्न 25. दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।

हल: माना छड़ की लंबाई = X  m

वायु से होकर जाने में ध्वनि द्वारा लिया गया समय

प्रश्न 26. किसी ध्वनि स्त्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?

हल- आवृत्ति = 100 Hz

समय = 1 min = 60 s.

कंपनों की संख्या = आवृत्ति * समय

100 Hz x 60 s = 6000 कंपन उत्तर

प्रश्न 27. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।

उत्तर-हाँ, ध्वनि भी परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका प्रकाश की तरंगें करती हैं। ये नियम निम्न प्रकार हैं-

  • अभिलंब तथा ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा के बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं।
  • इन तीनों की दिशाएँ एक ही तल में होती हैं।

प्रश्न 28. ध्वनि का एक स्त्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्त्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो। तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी- (i) जिस दिन तापमान अधिक हो ? (ii) जिस दिन तापमान कम हो?

उत्तर-गर्म दिन में हमें प्रतिध्वनि जल्दी सुनाई देगी क्योंकि ध्वनि की चाल माध्यम के ताप पर निर्भर करती है। माध्यम का ताप बढ़ने के कारण ध्वनि की चाल भी बढ़ जाती है। अतः जिस दिन ताप अधिक होगा उस दिन हमें प्रतिध्वनि ठंडे दिन की अपेक्षा जल्दी सुनाई देगी।

प्रश्न 29. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।

उत्तर- ध्वनि परावर्तन के उपयोग निम्नलिखित हैं-

(i) मेगाफोन, हॉर्न, तूर्य तथा शहनाई जैसे वाद्य यंत्र सभी इस प्रकार बनाए जाते हैं कि ध्वनि सभी दिशाओं में फैले बिना केवल एक विशेष दिशा में ही जाती है। इन यन्त्रों में एक नली का आगे का खुला भाग शंक्वाकार होता है। यह स्रोत से उत्पन्न ध्वनि तरंगों को बार-बार परावर्तित करके श्रोताओं की ओर आगे की दिशा में भेज देता है तथा ध्वनि सभी दिशाओं में नहीं फैलती।

(ii) कन्सर्ट हॉल, सम्मेलन कक्षों तथा सिनेमा हॉल की छतें भी वक्राकार बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के बाद ध्वनि हॉल के सभी भागों तक पहुँच जाय। कभी-कभी वक्राकार ध्वनि-प‌ट्टों को मंच के पीछे रख दिया जाता है जिससे ध्वनि, ध्वनि-पट्ट से परावर्तित होकर समान रूप से पूरे हॉल में फैल जाय।

प्रश्न 30.500 m ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी ?

(g = 10 m s-2 तथा ध्वनि की चाल 340 m s-¹)

हल-(i) मीनार की ऊँचाई, h = 500 m

पत्थर का आरंभिक वेग, u = 0

पत्थर द्वारा तालाब तक पहुँचने में लिया गया समय = t

s = ut+1/2gt2

500 = 0 x t +1/2 x10 * t2

t2 = 100,

t=10 s    उत्तर

  • ध्वनि की चाल v = 340 m s-1

ध्वनि द्वारा चली गई दूरी = 500 m

ध्वनि द्वारा लिया गया समय= t

ध्वनि की चाल = ध्वनि द्वारा चली गई दूरी / ध्वनि द्वारा लिया गया समय

340 = 500 / t

t= 500 / 340   = 1.47 उत्तर

पत्थर द्वारा पानी की सतह तक पहुँचने में लिया गया समय तथा ध्वनि द्वारा मीनार की चोटी तक पहुँचने में लिया गया समय = 10 + 1.47 = 11.47 s

अतः ध्वनि चोटी पर 11.47 8 के बाद सुनाई देगी।

प्रश्न 31. एक ध्वनि तरंग 339 m s¹ की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्ध्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?

हल- ध्वनि तरंग की चाल v = 339 m s-1

तरंगदैर्ध्य λ = 1.5 cm = 0.015 m

तरंग की आवृत्ति n = ?

U = n * λ

N = v / λ = 339/ 015

= 22,600 Hz     उत्तर

ये ध्वनि श्रव्य नहीं होंगी क्योंकि इनकी आवृत्ति 20,000 Hz से अधिक है। अतः ये पराश्रव्य ध्वनि हैं।

प्रश्न 32. अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?

उत्तर-अनुरणन-किसी बड़े हॉल जैसे-सम्मेलन कक्ष, सिनेमा हौस आदि में स्रोत से उत्पन्न ध्वनि बार-बार परावर्तन के कारण काफी समय तक बनी रहती है जब तक कि यह इतनी कम न हो जाए कि यह सुनाई ही न पड़े। यह बारंबार ध्वनि का परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बन्ध होता है तथा ध्वनि स्पष्ट सुनाई नहीं पड़ती, अनुरणन कहलाता है।

अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन या सिनेमा हॉलों की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थ जैसे-संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर, थर्मोकोल अथवा पर्दे लगा दिए जाते हैं। सीटों के पदार्थों का चुनाव भी ध्वनि अवशोषक पदार्थों के गुणों के आधार पर किया जाता है।

प्रश्न 33. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?

उत्तर-ध्वनि की प्रबलता हमारे कान में उत्पन्न संवेदन जिनके कारण हम तीव्र तथा मंद ध्वनि के बीच विभेदन कर सकते हैं ध्वनि की प्रबलता कहलाती है। ध्वनि की प्रबलता ध्वनि तरंगों के आयाम से पहचानी जाती है। विभिन्न आयाम की ध्वनि तरंगों की प्रबलता भी भिन्न-भिन्न होती है।

ध्वनि का आयाम उस बल पर निर्भर करता है जिस बल से हम वस्तु को कंपित करते हैं। यदि हम किसी मेज पर किसी वस्तु को बहुत अधिक बल लगाकर ठोकते हैं तो हमें उच्च या तीव्र ध्वनि सुनाई पड़ती है क्योंकि इस प्रकार उत्पन्न ध्वनि का आयाम तथा ऊर्जा अधिक होती है। यदि हम मेज पर किसी वस्तु को धीरे से मारते हैं तो हमें मंद ध्वनि सुनाई देती है क्योंकि इस प्रकार उत्पन्न ध्वनि का आयाम तथा ऊर्जा कम होती है।

यदि ध्वनि तरंग स्रोत से दूर जाती है तो इसका आयाम कम होता जाता है जिससे उसकी प्रबलता भी कम हो जाती है और हमें आवाज या ध्वनि धीमी सुनाई पड़ती है।

प्रश्न 34. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।

उत्तर-चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराश्रव्य ध्वनि का उपयोग करते हैं। चमगादड़ वास्तव में दृष्टिहीन होता है। उड़ान के समय चमगादड़ उच्च आवृत्ति की पराश्रव्य तरंगें अल्प समय अंतराल में क्रमबद्ध तरीके से उत्सर्जित करता है। ये तरंगें आस-पास के कीटों से टकराकर परावर्तित होती हैं तथा चमगादड़ के कानों तक वापस पहुँच जाती हैं। परावर्तित तरंगों की प्रकृति के आधार पर चमगादड़ कीटों की उपस्थिति का पता लगा लेता है तथा अपनी इच्छा के अनुसार उसे पकड़ लेता है। अतः चमगादड़ पराश्रव्य ध्वनि का उपयोग करके अपने शिकार या कीटों को पकड़ता है।

प्रश्न 35. वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?

उत्तर-पराध्वनि का उपयोग किसी वस्तु के उन भागों को साफ करते के लिए किया जाता है जहाँ तक पहुँचना कठिन होता है, जैसे-सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे तथा इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे आदि। जिन वस्तुओं को साफ करना होता है उन्हें साफ करने वाले अपमार्जक विलयन में रखते हैं और इस विलयन में पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति के कारण धूल, चिकनाई तथा गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।

प्रश्न 36. एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5 पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।

हल-वस्तु की पनडुब्बी से दूरी d = 5625 m

ध्वनि द्वारा वस्तु तक जाने तथा परावर्तित होकर वापस आने में लगा समय t = 5 s

ध्वनि द्वारा चली गई कुल दूरी = 2 × d

= 2 × 3625 = 7250 m

ध्वनि की चाल, v = ?

हम जानते हैं कि

ध्वनि की चाल = ध्वनि द्वारा चली गई दूरी / समय

= 7250 / 5 υ    = 1450 m/s उत्तर

प्रश्न 37. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है? वर्णन कीजिए।

उत्तर-पराध्वनि का उपयोग धातुओं से बने ब्लॉकों के दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखाई नहीं देते, भवन या पुल की संरचना की मजबूती को कम कर देते हैं। पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि जरा-सा भी दोष आता है तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती हैं।

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