UP Board and NCERT Solution of Class 9 Science [विज्ञान] ईकाई 1 द्रव्य- प्रकृति एवं व्यवहार – Chapter-3 Atoms and Molecules ( परमाणु एवं अणु ) लघु उत्तरीय प्रश्न Laghu Uttareey Prashn
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं विज्ञान ईकाई 1 द्रव्य- प्रकृति एवं व्यवहार के अंतर्गत चैप्टर3 (परमाणु एवं अणु) पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें
Class | 9th | Subject | Science (Vigyan) |
Pattern | NCERT | Chapter- | Atoms and Molecules |
लघु उत्तरीय प्रश्न / Laghu Uttareey Prashn
प्रश्न 1. (a) परमाणुकता की परिभाषा लिखिए। (b) निम्नलिखित अणुओं की परमाणुकता लिखिएः
(i) ऑक्सीजन
(ii) फास्फोरस
(iii) सल्फर
(iv) ऑर्गन ।
उत्तर- (a) परमाणुकता : किसी पदार्थ के सरल अणु में प्रयुक्त होने वाले परमाणुओं की संख्या, अणु की परमाणुकता कहलाती है।
(b)
अणु | परमाणुकता |
(i) ऑक्सीजन | द्विपरमाणुक |
(ii) फॉस्फोरस | चतुष्परमाणुक |
(iii) सल्फर | अष्टपरमाणुक |
(iv) ऑर्गन | एकल परमाणुक |
प्रश्न 2. डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त की उन दी अवधारणाओं को लिखिए जो कि :
(i) द्रव्यमान संरक्षण के नियम, तथा
(ii) स्थिर अनुपात के नियम की व्याख्या करनी हों।
उत्तर- (i) परमाणु अविभाज्य सुक्ष्मतम कण होते हैं जी रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं, न ही उनका विनाश होता है।
(ii) किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एवं प्रकार निश्चित होते हैं।
प्रश्न 3. द्रव्यमान संरक्षण का नियम क्या है? यदि कार्थन के 12 g का ऑक्सीजन में 32g की उपस्थित्ति में दहन किया जाए, तो कितनी कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण होगा?
उत्तर- द्रव्यमान संरक्षण का नियम रासायनिक अभिक्रिया में, उत्पादों का कुल द्रव्यमान, अभिकारकों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है। रासायनिक अभिक्रिया के दौरान द्रव्यमान में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
अभिकारकों का द्रव्यमान (12+32) g = 44 g
उत्पादों (CO₂) का द्रव्यमान = 44 g ।
प्रश्न 4. (a) बहुपरमाणुक आयन क्या हैं ?
(b) (i) Fe3+ तथा SO2-4 (ii) NH4+ तथा CO₃2- के संयोग से बने यौगिकों के नाम तथा सूत्र लिखिए।
उत्तर- (a) जिन आयनों में परमाणुओं का समूह उपस्थित होता है. बहुपरमाणुक आयन कहलाते हैं। उदाहरण: NH+4, NO–3, CO2-3 (b)
(i) Fe2(SO4)3 आयरन सल्फेट,
(ii) (NH4)2CO3 अमोनियम कार्बोनेट।
प्रश्न 5. (a) उस संस्था का नाम बताइए जो तत्त्वों के नामों को स्वीकृति प्रदान करत्ती है।
(b) सोडियम का प्रतीक Na लिखा जाता है और S नहीं। कारण दीजिए।
(c) एक तत्त्व का नाम बताइए जो द्विपरमाणुक अणु तथा एक तत्त्व जो चतुष्परमाणुक अणु बनाता है।
उत्तर- (a) इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड कैमिस्ट्री (IUPAC) तत्त्वों के नामों को स्वीकृति प्रदान करती है।
(b) सोडियम का प्रतीक लैटिन नाम नैट्रियम से व्युत्पन्न किया गया है। इसलिए सोडियम को Na लिखा गया है, S नहीं।
(c) (i) तत्त्व जो द्विपरमाणुक अणु बनाता है- हाइड्रोजन (H2) ।
(ii) तत्त्व जो चतुष्परमाणुक अणु बनाता है- फास्फोरस (P4) ।
प्रश्न 6. परमाणु क्या है? परमाणु आकार में कितने बड़े हैं? उसका महत्त्व बताइए।
उत्तर-परमाणु किसी तत्त्व का सूक्ष्मतम कण है, जिसका अपना अस्तित्व है और यह तत्त्व के सभी गुणधर्म प्रदर्शित करता है। यह द्रव्य की रचनात्मक इकाई है।
परमाणु बहुत सूक्ष्म होता है। हाइड्रोजन के एक परमाणु की त्रिज्या 10-10 m या 0.1 nm है। ‘nm’ को हम नैनोमीटर बोलते हैं।
1 nm = 10 -9m
परमाणु का महत्त्व : निश्चय ही परमाणु अत्यंत सूक्ष्म हैं, फिर भी महत्वहीन नहीं है। वे लय की रचनात्मक इकाई और विभिन्नद्रव्य अलग-अलग तरह के परमाणुओं से निर्मित होते हैं।
प्रश्न 7. डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर-ऑन डाल्टन (John Dalton) ने अनेक यौगिकों के संघटन का अध्ययन किया और 1803 में निम्न सिद्धान्त का प्रतिपादन किया के डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। इस सिद्धान्त है अनुसार,
(i) सभी द्रव्य अतिसूक्ष्म कणों से मिलकर बने हैं, जिन्हें परमाण कहते हैं। परमाणु अविभाज्य है, अर्थात् इसे अन्य छोटे कणों विभाजित नहीं किया जा सकता।
(ii) किसी तत्त्व विशेष के सभी परमाणु, द्रव्यमान व रासायनिक गुणधर्म में समान होते हैं, लेकिन विभिन्न तत्त्वों के परमाणु, द्रव्यमान व रासायनिक गुणधर्म में अलग-अलग होते हैं।
(iii) तत्त्वों के परमाणुओं के विभिन्न प्रकार से संयोग करने से विभिन प्रकार के सरल व जटिल पदार्थ बनते हैं।
(iv) किसी रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप न तो परमाणुओं का सृजन किया जा सकता है न विनाश।
(v) किसी यौगिक में संयोग करने वाले परमाणुओं की संख्या निश्चित रहती है।
प्रश्न 8. कार्बन डाइऑक्साइड का सूत्र प्राप्त कीजिए।
हल-हम कार्बन डाइऑक्साइड के सूत्र को निम्न प्रकार प्राप्त का सकते हैं :
- कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन और ऑक्सीजन से बना एक यौगिक है। इसलिए, पहले हम कार्बन (C) और ऑक्सीजन (O) के प्रतीकों को लिखते हैं।
- कार्बन की संयोजकता 4 है और ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है। इसलिए, प्रतीक C के नीचे हम 4 लिखते हैं और प्रतीक के नीचे हम 2 लिखते हैं-
अथवा CO2 सूत्र
- C और 0 परमाणुओं की संयोजकताओं का विनिमय करते हैं। सूत्र C₂O4 हो जाता है। इस सूत्र में 2 के सामान्य गुणक वाले 2 कार्बन परमाणु गुणक से भाग देने पर, हम सरलतम सूत्र CO₂ पाते हैं। अतः कार्बन डाइऑक्साइड का सूत्र CO₂ है।
प्रश्न 9. हाइड्रोजन क्लोराइड का सूत्र प्राप्त कीजिए।
हल-हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन और क्लोरीन तत्त्वों का बना है। हाइड्रोजन का प्रतीक H है और क्लोरीन का प्रतीक CI है। हाइड्रोजन की संयोजकता 1 है और क्लोरीन की संयोजकता भी 1 है। हाइड्रोजन क्लोराइड के सूत्र को निम्न प्रकार प्राप्त किया जा सकता है-
अथवा HCI सूत्र
अतः हाइड्रोजन क्लोराइड यौगिक का सूत्र HCI है।
प्रश्न 10. कार्बन की संयोजकता 4 है और क्लोरीन की संयोजकता 1 है। कार्बन टेट्राक्लोराइड का सूत्र क्या होगा?
हल- हम कार्बन टेट्राक्लोराइड के सूत्र को निम्न प्रकार कर सकते हैं:
अथवा CC14 सूत्र
अतः कार्बन टेट्राक्लोराइड का सूत्र CCL4 है।
प्रश्न 11. एक उदाहरण देकर ‘अणु’ की परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- किसी पदार्थ (तत्त्व अथवा यौगिक) के ऐसे सूक्ष्मतम कण को, जो स्वतन्त्र अवस्था में रह सकता है तथा जिसका रासायनिक संघटन पदार्थ के रासायनिक संघटन के समान होता है, उस पदार्थ का अणु कहते हैं।
उदाहरणतः जल में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का द्रव्यमान के अनुसार अनुपात 1:8 होता है तथा जल के अणु (H₂O) में भी हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के परमाणुओं के द्रव्यमानों का अनुपात भी 1:8 ही होता है।
प्रश्न 12. “वायु में उच्च ताप तक गर्म करने से लोहे के एक टुकड़े का द्रव्यमान कुछ बढ़ जाता है परन्तु चूना पत्थर (CaCO₂) का द्रव्यमान कुछ घट जाता है।” स्पष्ट कीजिए कि ये तथ्य द्रव्यमान संरक्षण का विरोध नहीं करते।
उत्तर- लोहे को गर्म करने से लोहा, वायु की ऑक्सीजन के साथ संयोग करके लौह-ऑक्साइड बनाता है। इसी कारण गर्म करने पर लोहे के टुकड़े का द्रव्यमान बढ़ जाता है। अभिक्रिया के बाद प्राप्त लौह-ऑक्साइड का द्रव्यमान, लोहे के प्रारम्भिक द्रव्यमान तथा वायु से ली गयी ऑक्सीजन के द्रव्यमान के योग के ठीक बराबर होता है।
CaCO3 को गर्म करने से यह CaO तथा CO2 में अपघटित हो जाता है
तथा CO2 वायुमण्डल में चली जाती है- इसी कारण चूना पत्थर के टुकड़े का द्रव्यमान कम हो जाता है। परन्तु अभिक्रिया से प्राप्त CaO तथा CO2 के द्रव्यमानों का योग, CaCO3 के प्रारम्भिक द्रव्यमान के ठीक बराबर होता है। अतः ये तथ्य रासायनिक अभिक्रियाओं में द्रव्यमान संरक्षण का विरोध नहीं करते।
प्रश्न 13. ‘द्रव्यमान संरक्षण’ से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार की अभिक्रियाओं में द्रव्यमान संरक्षण नहीं होता? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर- द्रव्यमान-संरक्षण-‘द्रव्यमान संरक्षण’ का अर्थ यह है कि किसी परिवर्तन या अभिक्रिया में अभिक्रिया से पूर्व उपस्थित द्रव्य का सम्पूर्ण द्रव्यमान, अभिक्रिया के पश्चात् प्राप्त द्रव्य के सम्पूर्ण द्रव्यमान के बराबर रहता है।
यह नियम रासायनिक परिवर्तनों तथा परमाणुओं एवं अणुओं से बने पदर्थों में सामान्य भौतिक परिवर्तनों पर तो लागू होता है परन्तु परमाणुओं के नाभिकों की अभिक्रियाओं पर लागू नहीं होता।
आइन्सटीन ने विशेष सापेक्षता सिद्धान्त के द्वारा यह सिद्ध किया कि द्रव्य एवं ऊर्जा का पारस्परिक रूपान्तरण हो सकता है अर्थात् किसी अभिक्रिया के द्रव्यमान के क्षय से ऊर्जा अथवा ऊर्जा के क्षय से द्रव्यमान की उत्पत्ति हो सकती है। अतः नाभिकीय अभिक्रियाओं में द्रव्यमान संरक्षण नहीं होता।
उदाहरणतः
(i) नाभिकों का रेडियोएक्टिव विघटन।
(ii) हल्के नाभिकों (जैसे H) के संयोग से भारी नाभिक (He) का बनना अथवा नाभिकीय संलयन।
(iii) भारी नाभिकों (जैसे यूरेनियम) का हल्के नाभिकों में विखण्डन।
(iv) किसी मूल कण एवं उसके प्रतिकण (जैसे इलेक्ट्रॉन एवं पॉजीट्रॉन) के सम्पूर्ण द्रव्यमान का ऊर्जा (गामा विकिरण) में परिवर्तन।
(v) गामा-विकिरणों से इलेक्टॉन-पॉजीट्रॉन युग्म की उत्पति।