UP Board and NCERT Solution of Class 9 Science Chapter-8 Force and Laws Of Motion (बल और गति के नियम) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Dirgh Uttareey Prashn

UP Board and NCERT Solution of Class 9 Science [विज्ञान] ईकाई 3 गति, बल तथा कार्य – Chapter-8 Force and Laws Of Motion (बल और गति के नियम) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Dirgh Uttareey Prashn

प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं विज्ञान ईकाई3 गति, बल तथा कार्य  के अंतर्गत चैप्टर8(बल और गति के नियम) पाठ के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं कि पोस्ट आपको पसंद आयेगी अगर पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ में जरुर शेयर करें                        

Class  9th  Subject  Science (Vigyan)
Pattern  NCERT  Chapter-  Force and Laws Of Motion

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Dirgh Uttareey Prashn

प्रश्न 1. (i) द्रव्यमान तथा जड़त्व में क्या सम्बन्ध है?

(ii) द्रव्यमान तथा जड़त्व का SI मात्रक क्या है?

(iii) न्यूटन के पहले नियम को ‘जड़त्व का नियम’ भी क्यों कहते हैं?

उत्तर- (i) किसी भी वस्तु का जड़त्व उसका वह प्राकृतिक गुण है जो उसकी विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है। इस प्रकार किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है।

(ii) द्रव्यमान तथा जड़त्व का SI मात्रक किलोग्राम (kg) है।

(iii) सभी वस्तुएँ अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती हैं। गुणात्मक रूपं में किसी वस्तु के विरामावस्था में रहने या एकसमान वेग में गतिशील रहने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं। यही कारण है कि गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।

प्रश्न 2. कारण बताइए, क्यों?

(a) पेड़ की शाखा को हिलाने से फल नीचे गिर जाते हैं।

(b) केले के छिलके पर पैर पड़ने से हम अपना संतुलन खो देते हैं।

(c) टायरों को लहरदार तथा खुरदरा बनाया जाता है।

उत्तर- (a) पेड़ की शाखा को हिलाने से फलों का नीचे गिर जाना इस तथ्य पर आधारित है कि शाखा को हिलाने पर शाखा गति में आ जाती है जबकि फल विराम के जड़त्व के कारण विराम में रहने का प्रयत्न करते हैं और नीचे गिर जाते हैं।

(b) केले का छिलका पैर एवं पृथ्वी के बीच का घर्षण बल कम कर देता है जिसके फलस्वरूप चलने के लिए आवश्यक घर्षण बल उपयुक्त मात्रा में उत्पन्न नहीं होता है तथा हमारा संतुलन बिगड़ जाता है।

(c) सड़क्र की सतह तथा टायर के मध्य घर्षण बल बढ़ाने के लिए वाहनों के टायरों की ऊपरी सतह को लहरदार तथा खुरदरा बनाया जाता है जिससे कि तीव्र गति पर वाहन अनियंत्रित होकर अथवा ब्रेक लगाने पर फिसले नहीं।

प्रश्न 3. कारण दीजिए :

(a) बन्दूक की गोली शरीर में क्यों घुस जाती है?

(b) यदि कोई व्यक्ति नाव से किनारे पर कूदे तो नाव विपरीत दिशा में चली जाती है, क्यों?

(c) जूते के तले क्यों घिस जाते हैं?

उत्तर- (a) इसका कारण यह है कि बन्दूक से निकली गोली का वेग बहुत अधिक होता है तथा शरीर से टकराने पर यह बहुत कम समय में शून्य हो जाता है। अतः गोली में वेग परिवर्तन की दर (अर्थात् मंदन) व एवं बल (F = ma) बहुत अधिक होता है। परिणामस्वरूप गोली शरीर में घुस जाती है।

(b) जब कोई व्यक्ति नाव से कूदता है तो वह अपने पैरों से बल लगाकर नाव को पीछे की ओर धकेलता है। इस क्रिया बल के कारण नाव पीछे की ओर हट जाती है। नाव द्वारा बराबर व विपरीत बल (प्रतिक्रिया बल) मनुष्य पर आगे की ओर लगता है जिससे वह किनारे पर कूद जाता है।

(c) जब हम सड़क पर चलते हैं तो जूतों के तलों तथा सड़क के बीच घर्षण बल कार्य करता है जिससे जूतों के तले घिस जाते हैं।

प्रश्न 4. न्यूटन के गति के द्वितीय नियम को लिखिए। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के लिए गणितीय सम्बन्ध स्थापित कीजिए।

उत्तर-न्यूटन का गति का द्वितीय नियम-यदि किसी वस्तु पर कोई असंतुलित बल कार्य करे तो वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर बल के समानुपाती एवं लगाए गए बल की दिशा में होती है।

माना कि m द्रव्यमान की कोई वस्तु एक सीधी रेखा में ‘u’ प्रारंभिक वेग तथा समान त्वरण ‘ α ‘ के साथ गति करते हुए t समय में अंतिम वेग प्राप्त करती है।

प्रारंभिक संवेग = mu

अंतिम संवेग = mv

संवेग में परिवर्तन = mv- mu

गति के नियम से, बल α संवेग में परिवर्तन की दर

प्रश्न 5. बताइये क्यों एक क्रिकेट खिलाड़ी तेजी से आती हुई गेंद को पकड़ते समय अपने हाथ पीछे की ओर खींचता है।

उत्तर-मान लीजिए कि तेजी से आती हुई गेंद को रोकने के लिए खिलाड़ी हाथ सीधे रखकर यकायक रोकता है, इस प्रकार बहुत कम समय में उसे गेंद के तेज वेग को स्थिर (शून्य) करना पड़ेगा और जैसा कि हम जानते हैं कि F α m (v-u/t)

अतः t कम होने पर, संवेग परिवर्तन की दर अधिक होगी और खिलाड़ी को अधिक चोट लगेगी। अतः खिलाड़ी गेंद के साथ-साथ अपने हाथों को पीछे की ओर ले जाकर समय (t) को बढ़ाता है ताकि संवेग परिवर्तन की दर कम हो और तेज गति से आ रही गेंद का प्रभाव हाथ पर कम पड़े।

प्रश्न 6. न्यूटन के गति के तृतीय नियम का वर्णन कीजिए। उचित उदाहरण भी दीजिए।

उत्तर- न्यूटन का गति का तीसरा नियम हमें अन्योन्य क्रिया के समय उत्पन्न बलों के विषय में बताता है। एक वस्तु द्वारा लगाये गये बल को क्रिया और दूसरी वस्तु द्वारा लगाये गये बल को प्रतिक्रिया कहा जाता है।

न्यूटन के अनुसार, जब दो वस्तुएँ आपस में अन्योन्य क्रिया करती हैं तो प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इसको इस प्रकार समझा जा सकता है-वस्तु A जब वस्तु B पर बल लगाती है तो वस्तु B भी वस्तु A पर परिमाण में बराबर किन्तु विपरीत दिशा में बल लगाती है। इसे निम्न उदाहरणों से और अधिक स्पष्ट किया जा सकता है-

(i) यह सामान्य अनुभव की बात है कि जब बन्दूक से गोली छोड़ी जाती है तो गोली आगे की तरफ जाती है और बन्दूक पीछे की तरफ। क्यों? क्योंकि गोली को आगे की तरफ ले जाने में बल लगता है जिसकी प्रतिक्रिया के फलस्वरूप बन्दूक पर पीछे की ओर बल लगता है।

(ii) तैरते समय मनुष्य पानी को पीछे की ओर धकेलता है (क्रिया)। परिणामस्वरूप जल मनुष्य को आगे की तरफ धकेलता है

(ii) यदि हम मेज पर भैंसा मारते हैं (क्रिया), तो मेज भी उतना ही बल विपरीत दिशा में लगाती है (प्रतिक्रिया)।

प्रश्न 7. ‘बल’ का क्या अर्थ है? किसी वस्तु पर बल लगाने से वस्तु पर क्या प्रभाव हो सकते हैं?

उत्तर- बल (Force)-किसी वस्तु को ‘खींचने अथवा धकेलने की क्रिया को बल लगाना कहते हैं। खींचने की प्रकिया को आकर्षण बल तया धकेलने की प्रक्रिया को प्रतिकर्षण कहते हैं।

वस्तुओं को खींचने अथवा धकेलने से उन पर पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर बल की वैज्ञानिक परिभाषा निम्नवत दी जाती है-

“बल वह बाह्य कारण है जो किसी वस्तु की विराम अवस्था अथवा एक-समान गति की अवस्था में परिवर्तन करता है अथवा परिवर्तित करने का प्रयत्न करता है।”

जल के प्रभाव (Effects of Forde)

(i) एक समतल मेज पर कोई वस्तु यथा गेंद रख दें और उसे न छेड़ें तो वह वहीं पड़ी रहती है। यदि उसे थोड़ा धक्का देते हैं तो वह गतिशील हो जाती है। उसकी विरामावस्था, गत्यावस्था में बदल जाती है। फुटबाल का खिलाड़ी, खेल के मैदान में फुटबाल पर पैर से धक्का मारता है तो फुटबाल गतिशील हो जाती है। समतल करने वाले रोलर को धक्का (push) देकर उसे गतिशील करते हैं।

इस प्रकार किसी स्थिर वस्तु पर बल लगाने से वस्तु गतिमान हो जाती है।

(ii) ऊँचाई से नीचे गिरती हुई वस्तु एकसमान चाल। से नहीं गिरती, उसकी चाल निरंतर बढ़ती जाती है। इसका कारण गतिमान अस्तु पर पृथ्वी द्वारा लगाया हुआ बल होता है। वस्तु की गति नीचे की ओर तथा पृथ्वी के बल की दिशा भी नीचे की ओर होती है। अतः किसी गतिमान वस्तु पर उसकी गति की दिशा में ही बल लगाने पर वस्तु की चाल बढ़ती जाती है।

(iii) जब किसी गेंद को पृथ्वी से ऊपर की ओफेंका जाता है तो उसकी चाल घटती जाती है तथा वह कुछ ऊँचाई पर पहुँचकर (एक क्षण के लिए) रुक जाती है। गेंद की गति ऊपर की ओर तथा गेंद पर पृथ्वी के बल की दिशा नीचे की ओर (गति की दिशा के विपरीत) होने के कारण। गेंद की चाल घटती जाती है तथा वह रुक जाती है। अतः किसी गतिमान वस्तु पर, गति की दिशा के विपरीत दिशा में बल लगाने से वस्तु, र्क। चाल घटती जाती है तथा पर्याप्त समय तक बल लगाने से गतिम।न वस्तु स्थिर हो जाती है।

(iv) यदि किसी चाल से गतिमान वस्तु पर गति की दिशा के अभिलंबवत् दिशा में बल लगाया जाय तो वस्तु की गति की दिशा बदल जाती है परन्तु चाल में परिवर्तन नहीं होता।

इस प्रकार किसी वस्तु पर बल लगाने, से

  • वस्तु की विरामावस्था, गति की अवस्था में बदल जाती है।
  • वस्तु की चाल में वृद्धि अथवा कमी होती है।
  • वस्तु की गति की दिशा रिवर्तित हो सकती है।

प्रश्न 8. संतुलित बल तथा असंतुलित बल से क्या तात्पर्य है? किसी वस्तु पर दो संतुलित बल लगाने के क्या प्रभाव हो सकते हैं?

उत्तर-संतुलित बल जब किसी वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का परिणामी बल शून्य है। तो इन्हें संतुलित बल (balanced force) कहते हैं। अतः यदि किसी वस्तु पर सन्तुलित बल कार्य कर रहे हों तो वस्तु की गति की अवस्था परिवर्तित नहीं होती यदि वस्तु स्थिर है तो वह स्थिर बनी रहती है तथा यदि गतिमान है तो वह एकसमान गति से गति करती रहेगी।

असंतुलित। बल् । यदि वस्तु पर लगे बलों का परिणामी शून्य न हो तो उन्हें असंतुलि अत बल (unbalanced force) कहते हैं। केवल एक बल सदा असंतुलित होता है। असंतुलित बल लगने से वस्तु की विराम अथवा एकसमान गति की अवस्था में परिवर्तन होता है।

उदाहरण-रस्साकशी में यदि एक टीम दूसरी से अधिक शक्तिशाली हो तो वह रस्से तथा कमजोर टीम को अपनी ओर खींच लेती है। इस दशा में रस्से पर लगने वाला बल असन्तुलित बल होता है।

दो संतुलित बल लगाने के प्रभाव (Effects of Two Balanced Force)

(1) किसी वस्तु पर लगे दो अथवा अधिक संतुलित बल वस्तु की विराम अथवा गति की अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं कर सकते।

(2) किसी वस्तु पर लगने वाले दो परस्पर संतुलित बल निम्नलिखित प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं- यदि दो संतुलित (परिमाण में बराबर तथा दिशा में विपरीत) बल किसी वस्तु पर आरोपित हों तो

(i) वस्तु की आकृति (shape) में परिवर्तन हो सकता है,

(ii) वस्तु के आकार-लम्बाई, क्षेत्रफल तथा आयतन में परिवर्तन हो सकता है, तथा

(iii) किसी बिन्दु के परितः वस्तु का घूर्णन हो सकता है।

प्रश्न 9. न्यूटन के गति का प्रथम नियम लिखिए तथा जड़त्व का  अर्थ उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- न्यूटन का गति का प्रथम नियम (Newton’s First Laws of Motion)-“यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह विरामावस्था में ही रहेगी तथा यदि गति की अवस्था में है तो एकसमान गति की अवस्था में ही रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाय।”

अर्थात् किसी वस्तु की विराम अथवा एकसमान गति की अवस्था में परिवर्तन करने के लिए वस्तु पर कोई बाह्य बल लगाना आवश्यक है।

जड़त्व (Inertia)-कोई भी वस्तु, बाह्य बल की अनुपस्थिति में, स्वयं अपनी विराम अथवा एकसमान गति की अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं कर सकती।

वस्तुओं में स्वयं अपनी विराम अथवा एकसमान गति की अवस्था को उसी प्रकार बनाये रखने की प्रवृत्ति को (अथवा विराम या एकसमान गति की अवस्था को स्वयं परिवर्तित करने की क्षमता के अभाव को) जड़त्व (Inertia) कहते हैं।”

किसी वस्तु के जड़त्व की माप वस्तु के द्रव्यमान से की जाती है। जिस वस्तु का द्रव्यमान जितना अधिक होता है, उस वस्तु को गतिमान करने में, चाल को बढ़ाने-घटाने में अथवा रोकने में उतना ही अधिक बल लगाना पड़ता है अतः वस्तु का जड़त्व उतना ही अधिक होता है।

प्रश्न 10. किसी वस्तु पर बल लगाने से उत्पन्न त्वरण, किन कारकों पर किस प्रकार निर्भर करता है? इसके आधार पर गति के द्वितीय नियम का समीकरण प्राप्त कीजिए तथा एकांक बल की परिभाषा दीजिए।

उत्तर-किसी वस्तु पर बल लगाने से उत्पन्न त्वरण निम्न कारकों पर, निर्भर करता है-

(a) जब एक ही पिण्ड पर विभिन्न परिमाण के बल लगाकर पिण्ड में उत्पन्न त्वरण को मापा जाता है तो प्रत्येक दशा में त्वरण लगाये गये बल F के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्

                                             a α F                                                         …(i)

(b) जब विभिन्न द्रव्यमानों के पिण्डों पर समान परिमाण का बल लगाकर पिण्डों में उत्पन्न त्वरण को मापा जाता है तो प्रत्येक दशा में त्वरण α पिण्ड के द्रव्यमान m के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात्

                        a α 1/m                                ….(ii)

उपरोक्त दोनों समीकरणों (i) तथा (ii) को एक साथ लिखने पर-

              a α F / m अथवा F α ma            …(iii)

अतः F = kma

जहाँ k एक समानुपातिक नियतांक है।

उपरोक्त समीकरण (iii) से स्पष्ट है कि किसी वस्तु पर आरोपित बल F वस्तु के द्रव्यमान m तथा उसमें उत्पन्न त्वरण व के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है। यही न्यूटन के गति का द्वितीय नियम है।

एकांक बल– एकांक बल वह बल है जो एकांक द्रव्यमान की वस्तु में एकांक त्वरण उत्पन्न कर देता है। उपर्युक्त समीकरण (iii) में,

F = 1, m = 1, तथा a = 1 रखने पर,

k = 1

अतः समीकरण (iii) में k = 1 रखने पर-

F=m*a

अर्थात् बल = द्रव्यमान × त्वरण …(iv)

समीकरण (iv) न्यूटन के गति विषयक द्वितीय नियम का गणितीय रूप है।

प्रश्न 11. “संवेग’ से क्या तात्पर्य है ? किसी वस्तु पर लगे बल एवं संवेग का सम्बन्ध प्राप्त कीजिए।

उत्तर- संवेग (Momentum)-किसी गतिशील वस्तु को रोकने के लिए आवश्यक बल दो कारकों (i) वस्तु का द्रव्यमान तथा (ii) वस्तु के वेग पर निर्भर करता है तथा इनके गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है- अर्थात् गतिमान वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग का गुणनफल जितना अधिक होता है, वस्तु को रोकने के लिए आवश्यक बल उतना ही अधिक होता है। इस आधार पर गतिमान वस्तु के एक विशेष लक्षण को परिभाषित किया जाता है जिसे संवेग (Momentum) कहते हैं।

किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा वेग के गुणनफल को संवेग कहते हैं। इसे प्रतीक p से व्यक्त किया जाता है। अतः

संवेग = द्रव्यमान × वेग

अथवा p=m.v

बल तथा संवेग में सम्बन्ध माना कि द्रव्यमान m की वस्तु पर समय- अन्तराल Δt में कोई बल F लगाने पर उसका वेग u से बढ़कर v हो जाता है। बल के द्वितीय नियम के अनुसार, बल = द्रव्यमान × त्वरण

अथवा F = m.a

परन्तु गति के प्रथम समीकरण से,

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