UP board Class- 10th Drawing (चित्रकला) महत्त्वपूर्ण मौखिक प्रश्नोत्तर एवं बहुविकल्पीय प्रश्न

UP board Class- 10th Drawing (चित्रकला) बहुविकल्पीय प्रश्न / वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs) एवं महत्त्वपूर्ण मौखिक प्रश्नोत्तर

प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 10वीं की चित्रकला के अंतर्गत Ipm. mcq बहुविकल्पीय प्रश्न एवं महत्त्वपूर्ण मौखिक प्रश्नोत्तर के बारे मे बताएंगे जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।

Class  10th
Subject Drawing (चित्रकला)
Board Name UP Board (UPMSP)
Topic Name बहुविकल्पीय प्रश्न, महत्त्वपूर्ण मौखिक प्रश्नोत्तर

               प्रोजेक्ट संख्या :1

विषय-भारतीय चित्रकला के विभिन्न कालखण्डों का विभाजन करते हुए प्रत्येक कालखण्ड पर मौलिक लेख लिखें।

प्राचीन भारतीय चित्रकला विश्व की प्राचीनतम कलाओं में से एक है। प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक चित्रकला के छिटपुट उदाहरण तो अवश्य मिलते हैं किन्तु चित्रकला की एक ऐसी अटूट श्रृंखला नहीं मिलती है जिसकी विभित्र कड़ियों को जोड़कर हम प्राचीन चित्रकला के विकास का एक क्रमबद्ध इतिहास प्रस्तुत कर सकें। जहाँ भारतीय मूर्तिकला शताब्दियों के विकास का परिणाम है, चित्रकला के विकास के विभित्र चरण अस्पष्ट और धुँधले हैं।

भारतीय चित्रकला को निम्न कालों में विभाजित किया गया है-

1) आद्य ऐतिहासिक काल, (2) ऐतिहासिक काल, (3) मुगल काल, (4) राजपूत काल तथा (5) आधुनिक काल।

आद्य ऐतिहासिक काल-आद्य ऐतिहासिक काल की चित्रकला के उदाहरण सिन्धु सभ्यता तथा उसके उत्तर काल की समकालीन ताम्रपाषाणिक संस्कृतियों के मृद्भाण्डों पर प्राप्त चित्रकारी के रूप में मिलते हैं। मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगा तथा लोथल आदि से प्राप्त सिन्धु सभ्यता के गुलाबी रंग के मिट्टी के बर्तनों पर काले रंग से अलंकरण अभिप्राय सँजोये हुए मिलते हैं। यदा-कदा हरे तथा सफेद रंगों के भी उपयोग के साक्ष्य मिलते हैं। ज्यामितीय आकृतियों, पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों के चित्रण सिन्धु सभ्यता के मृद्भाण्डों पर मिले हैं।

    ताम्र पाषाणिक काल के अवशेष मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के क्षेत्रों में मुख्य रूप से मिले हैं। मुख्यतः लाल रंग के मृ‌द्माण्ड ताम्रपाषाणिक संस्कृतियों में मिलते हैं जिन पर काले रंग में चित्रण मिलते हैं। अहाड़ की ताम्रपाषाणिक संस्कृति के काले रंग के मृ‌द्माण्डों पर सफेद रंग से चित्रण किये गए हैं। ज्यामितीय आकृतियों का चित्रण-अभिप्रायों में प्राधान्य है। मानव-आकृतियों तथा पेड़-पौधों एवं पशुओं का अंकन अत्यल्प है। ये चित्रण मृद्माण्डों के निर्माताओं की कलात्मक अभिरुचि के परिचायक हैं।

    ऐतिहासिक काल-ऐतिहासिक काल की चित्रकला के उदाहरण अजिण्ठा (अजन्ता) तथा वाघ की शैलकृत गुफाओं में प्राप्त हैं। अजिण्ठा के चैत्यगृह गुफा क्रमांक 9 तथा गुफा क्रमांक 10 में शुंग-सातवाहन काल के कतिपय भित्ति-चित्र उपलब्ध हैं जिनसे इंगित होता है कि वाकाटक गुप्तकाल से काफी पहले से ही सुन्दर भित्ति-चित्र बनने लगे थे किन्तु चित्रकला के विभिन्न चरणों की क्रमबद्ध जानकारी का अभाव खटकता है। वाकाटक गुप्त काल की चित्रकला अत्यन्त विकसित अवस्था में प्राप्त होती है। उस काल के जो चित्र अजिण्ठा और बाघ की गुफाओं में मिले हैं, वे अत्यन्त सुन्दर तथा भव्य हैं। यह चित्रकला जिन विभिन्न अवस्थाओं से गुजरकर कला की इस उत्कृष्ट अवस्था तक पहुँची है, उनके विषय में जानकारी प्रदान करने के लिए उपलब्ध साक्ष्य यथेष्ट नहीं हैं।

अजिण्ठा के चित्रों का समय पाँचवीं छठवीं शताब्दी माना जाता है। सातवीं शताब्दी ईसवी में बादामी, सितण्णवासल तथा एलोरा की गुफाओं में चित्रकला के साक्ष्य मिलते हैं। इसके बाद भारतीय चित्रकला का क्रम टूट जाता है। चित्रकला चित्रों में सिमटकर रह गयी। कालान्तर में मुगल शैली, राजपूत शैली और उन्नीसवीं शताब्दी में आधुनिक शैली का विकास हुआ।

    मुगल काल-मुगल शैली की चित्रकला का विकास ईरानी ‘कलम’ (शैली) के प्रभाव से हुआ था। मुगल शैली के अधिकांश चित्रों का निर्माण कागज पर मिलता है। इस शैली के कलाकार पहले खाका खींचकर अपने आलेख्य को रेखांकित करने के बाद चित्र का निर्माण करते थे। मुगल शैली के चित्रों के रंग बड़े चटख हैं। मुगल शैली का उपयोग किताबों के पृष्ठों के चित्रण के लिए किया गया है। इसके अलावा प्राकृतिक दृश्यों का अंकन इस शैली में मिलता है। पशु-पक्षियों का सुन्दर चित्रांकन भी इस शैली की विशेषता है। मानवीय चित्रण की दृष्टि से मुगल शैली व्यक्तिवादी है। मुगल बादशाहों के चित्र इस कोटि के हैं।

राजपूत काल-राजपूत शैली मूलतः भारतीय परम्परा से विकसित होते हुए भी मुगल शैली से अनुप्राणित है। राजपूत शैली का विकास सत्रहवीं से उन्नीसवीं शताब्दियों के बीच राजस्थान, बुन्देलखण्ड और हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में हुआ। रामायण, महाभारत की कथाओं, कृष्ण लीला, नायक-नायिका भेद, राग-रागिनियों, उद्यानों और महलों का चित्रण राजपूत शैली में हुआ है। राजस्थान, बुन्देलखण्ड और कांगड़ा की चित्रकला में कतिपय स्थानीय भेद मिलते हैं।

   आधुनिक काल-आधुनिक भारतीय चित्रकला शैली का उदय उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दियों में हुआ। आधुनिक भारतीय चित्रकला शैली पर यूरोप की चित्रकला का विशेष प्रभाव पड़ा। इसके अतिरिक्त मुगल एवं राजपूत चित्रकला तथा पुनर्जागरण के फलस्वरूप अजिण्ठा (अजन्ता) की चित्रकला का प्रभाव भी आधुनिक भारतीय चित्रकला पर परिलक्षित होता है। यूरोपीय कला के प्रभाव के फलस्वरूप केरल के त्रावणकोर के राजा रविवर्मा ने हिन्दू देवी-देवताओं के भाव-हीन तथा नीरस चित्रों का निर्माण किया। मदुरा के रामस्वामी नायडू के चित्र भी यूरोपीय चित्रकला शैली से प्रभावित है।

बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक चरण में ई०बी० हेवेल और अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के नेतृत्व में भारतीय चित्र कला में पुनर्जागरण युग का सूत्रपात हुआ। । परिणामस्वरूप अजन्ता की प्राचीन चित्रकला शैली के स्वदेशी-प्रतीकों को पुनः अपनाया गया। अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के प्रभाव के फलस्वरूप अजिण्ठा शैली का प्रचार-प्रसार हुआ और बंगाल की चित्रकला शैली अजिण्ठा शैली की अनुवर्तिनी हो गयी। अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के अनेक शिष्यों ने अजिण्ठा की गुफाओं के चित्रों की नकल किया और उनका यत्र-तत्र प्रसार किया। नन्दलाल बोस का नाम अवनीन्द्र नाथ के सुयोग्य शिष्यों में उल्लेखनीय है। जामिनीराय नामक चित्रकार ने लोक जीवन के यथार्थवादी चित्रों का निर्माण किया। जीवन की हरीतिमा का संचार नवीन बंगाल शैली में मिलता है। यूरोप विशेषकर पेरिस के प्रत्यक्ष प्रभाव के फलस्वरूप प्रगतिशील शैली का प्रचलन हुआ। अमृता शेरगिल, मकबूल फिदा हुसैन आदि के नाम इस शैली के चित्रकारों में उल्लेखनीय हैं।

             महत्त्वपूर्ण मौखिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ओस्टवाल्ड के रंग चक्र में कितने रंग होते हैं?

उत्तर- ओस्टवाल्ड के रंग चक्र में आठ रंग होते हैं।

प्रश्न 2. इन्द्रधनुष में कितने रंग होते हैं?

उत्तर-इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं।

प्रश्न 3. प्राचीन भारतीय पद्धति के अनुसार प्रारम्भिक अथवा मुख्य रंग कितने माने जाते हैं?

उत्तर- प्राचीन भारतीय पद्धति के अनुसार प्रारम्भिक अथवा मुख्य रंग तीन माने जाते हैं।

प्रश्न 4. रंगों की नवीन पद्धति के अनुसार प्रारम्भिक रंग कितने माने जाते हैं?

उत्तर- रंगों की नवीन पद्धति के अनुसार प्रारम्भिक रंग चार माने जाते हैं।

प्रश्न 5. नवीन रंग पद्धति के अनुसंधानकर्ता कौन थे?

उत्तर- नवीन रंग पद्धति के अनुसंधानकर्त्ता ओस्टवाल्ड थे।

प्रश्न 6. शीतल रंग कौन-सा है?

उत्तर- हरा रंग।

प्रश्न 7. उष्ण रंग कितने होते हैं?

उत्तर- उष्ण रंग चार होते हैं।

प्रश्न 8. तटस्थ रंग कितने होते हैं?

उत्तर- तटस्थ रंग दो होते हैं।

प्रश्न 9. द्वितीयक रंग कितने होते हैं?

उत्तर- द्वितीयक रंग चार होते हैं।

प्रश्न 10. खनिज रंग कौन-सा है?

उत्तर – खनिज रंग एक्रिलिक है।

प्रश्न 11. रेखाएँ कितने प्रकार की होती हैं?

उत्तर – रेखाएँ दो प्रकार की होती हैं।

प्रश्न 12. गरम रंग कौन-सा होता है?

उत्तर – गरम रंग लाल होता है।

प्रश्न 13. ठण्डे प्रभाव वाला रंग कौन-सा है?

उत्तर – ठण्डे प्रभाव वाला रंग नीला है।

प्रश्न 14. आसमानी का विरोधी रंग कौन-सा है?

उत्तर- आसमानी का विरोधी रंग नारंगी है।

प्रश्न 15. लाल का विरोधी रंग कौन-सा है?

उत्तर- लाल का विरोधी रंग समुद्री हरा है।

प्रश्न 16. नारंगी का समीपस्थ रंग कौन-सा है?

उत्तर- नारंगी का समीपस्थ रंग पीला है।

प्रश्न 17. आदर्श रंग कितने होते हैं?

उत्तर- आदर्श रंग आठ होते हैं।

प्रश्न 18. हरा रंग आँखों पर कैसा प्रभाव डालता है?

उत्तर- हरा रंग आँखों पर ठंडा प्रभाव डालता है।

प्रश्न 19. कौन-सा आकार आलेखन के लिए उपयुक्त नहीं होता है?

उत्तर- त्रिकोण।

प्रश्न 20. चारकोल क्या है?

उत्तर- ग्रेफाइट।

प्रश्न 21. एक आलेखन में साधारणतया किस प्रकार के रंगों का प्रयोग होना चाहिए?

उत्तर- हल्के आकर्षक रंग।

प्रश्न 22  चित्रकला में कितने माध्यम से रंग प्रयोग होते हैं?

उत्तर- दो।

प्रश्न 23. रंग माध्यमों में सबसे पारदर्शी कौन-सा रंग होता है?

उत्तर- वाटर कलर।

प्रश्न 24. जल-रंग का चित्र बनाने के लिए कौन-सा कागज उपयुक्त है?

उत्तर – ह्वाटमैन।

प्रश्न 25. अंश किसके लिए प्रयोग होता है?

उत्तर – अंश कोण के लिए प्रयोग होता है।

प्रश्न 26. 1 सेन्टीमीटर में कितने मिलीमीटर होते हैं?

उत्तर – 1 सेन्टीमीटर में 10 मिलीमीटर होते हैं।

प्रश्न 27. मापने के भेद कितने होते हैं?

उत्तर- मापने के भेद तीन होते हैं।

 

 

 

 

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