UP Board Solution of Class 10 Sanskrit Vyakran – व्यञ्जन सन्धि एवं उनके भेद Vyanjan Sandhi With Example

UP Board Solution of Class 10 Sanskrit Vyakran – व्यञ्जन सन्धि एवं उनके भेद Vyanjan Sandhi With Example

प्रिय पाठक! यहां पर इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको संस्कृत व्याकरण कक्षा – 10 के व्यञ्जन सन्धि एवं उनके भेद चर्त्व सन्धि, अनुस्वार सन्धि, परसवर्ण सन्धि के बारे में परिभाषा एवं उदाहरण के साथ समझाया गया है आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगीऔर आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे

Chapter Name व्यञ्जन सन्धि
Part 3 Sanskrit Vyakaran
Board Name UP Board (UPMSP)
Topic Name व्यञ्जन सन्धि एवं उनके भेद (Vyanjan Sandhi With ExampleVyanjan Sandhi With Example)    

चर्त्व सन्धि

सूत्र- खरि च

 

नियम- जब वर्ग पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ण के बाद वर्ग का पहला, दूसरा वर्ण या श, ष, स् हो तो पहले वर्ण के स्थान पर उसी वर्ग का पहला वर्ण हो जाता है, तब चर्व सन्धि होती है।

 

उदाहरण – दिग् + पालः = दिक्पालः।

उद् + पन्नः = उत्पन्नः ।

रामम् + भजामि = रामं भजामि

सद् + कारः = सत्कारः ।

लभ् + स्यते = लप्स्यते ।

 

अनुस्वार सन्धि

सूत्र – मोऽनुस्वारः

 

नियम-पदान्त में ‘म्’ के बाद कोई भी व्यञ्जन आता है, तो ‘म्’ के स्थान में अनुस्वार (‘) हो जाता है।

 

उदाहरण-  हरिम्+वन्दे = हरिं वन्दे

त्वम् + करोषि = त्वं करोषि

रामम्+भजामि = रामं भजामि

 

परसवर्ण सन्धि

सूत्र – अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः ।

 

नियम – अनुस्वार (.) से परे यदि यय् प्रत्याहार (श, ष, सु, ह के अतिरिक्त सभी व्यञ्जन यय् प्रत्याहार में आते हैं) का कोई भी व्यञ्जन आये तो अनुस्वार को परसवर्ण हो जाता है। अर्थात् पद के मध्य में अनुस्वार के आगे श, ष,स्, ह को छोड़कर किसी भी वर्ग का कोई भी व्यञ्जन आने पर अनुस्वार के स्थान पर उस वर्ग का पञ्चम वर्ण हो जाता है; यथा- गम्+गा-गंगा या गङ्गा।

 

विशेष – यह नियम प्रायः अनुस्वार सन्धि के पश्चात् लगता है। पदान्त में यह नियम विकल्प से होता है; यथा-कार्यम्+करोति कार्यं करोति या कार्यङ्करोति ।

 

उदाहरण – शाम् + तः = शान्तः

अन् + कितः = अङ्कितः

 

कुन् + ठितः = कुण्ठितः

 

गुम् + फितः  = गुम्फितः

 

अन् + चितः = अञ्चितः

 

पदान्त होने पर –

 

अलम् + चकार = अलं चकार या अलञ्चकार

 

रामम् + नमामि = रामं नमामि या रामन्नमामि

 

त्वम् + करोषि = त्वं करोषि या त्वङ्करोषि

 

 

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