UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter 2 Sadachar (Anivarya Sanskrit Khand) – हिंदी कक्षा 9 पाठ-2 सदाचारः (अनिवार्य संस्कृत-खण्ड)
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UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter 2 Sadachar. (Anivarya Sanskrit Khand) – हिंदी कक्षा 9 पाठ-2 सदाचारः (अनिवार्य संस्कृत-खण्ड) – up board class 9th anivary sanskrit lesson 2 Sadachar based on new syllabus of uttar pradesh madhymik shiksha parishad prayagraj.
Chapter Name | Sadachar- सदाचारः |
Class | 9th |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | गद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर,गद्यांशो का हल(Gadyansh Adharit Prashn Uttar Summary ) |
UP Board Solution of Anivarya
Sanskrati
class 9th chapter – 2
द्वितीयः पाठः सदाचारः (उत्तम आचरण)
- सतां सज्जनानाम् आचारः सदाचारः। ये जनाः सद् एव विचारयन्ति, सद् एव आचरन्ति च, ते एव सज्जनाः भवन्ति । सज्जनाः यथा आचरन्ति तथैवाचरणं सदाचारः भवति। सदाचारेणैव सज्जनाः स्वकीयानि इन्द्रियाणि वशे कृत्वा सर्वैः सह शिष्टं व्यवहारं कुर्वन्ति।
शब्दार्थ = आचारः = आचरणं। सद = सत्य, सही । विचारयन्ति = सोचते हैं। वदन्ति = बोलते हैं। आचरयन्ति = आचरण करते हैं ! भवन्ति = होते हैं। स्वकीयानि = अपनी। शिष्टं = सभ्यतापूर्ण, अनुशासित सन्दर्भ—प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के अन्तर्गत संस्कृत खण्ड के ‘सदाचारः’ नामक पाठ से लिया गया है। इसमें सदाचार के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
हिन्दी अनुवाद – सत् अर्थात् सज्जनों का आचरण ही सदाचार है। जो लोग सत्य ही विचारते हैं, सत्य ही बोलते हैं और सत्य का ही आचरण करते हैं; वे ही सज्जन होते हैं। सज्जन लोग जैसा आचरण करते हैं वैसा ही आचरण सदाचार होता है। सदाचार से ही सज्जन लोग अपनी इन्द्रियों को वश में करके सबके साथ शिष्टता का व्यवहार करते हैं।
- विनयः हि मनुष्याणां भूषणम्। विनयशीलः जनः सर्वेषां जनानां प्रियः भवति। विनयः सदाचारात् उद्भवति। सदाचारात् न केवलं विनयः अपितु विविधाः अन्येऽपि सद्गुणाः विकसन्ति; यथा-धैर्यम्, दाक्षिण्यम्, संयमः, आत्मविश्वासः, निर्भीकता। अस्माकं भारतभूमेः प्रतिष्ठा जगति सदाचारादेव आसीत्। पृथिव्यां सर्वमानवाः स्वं स्वं चरित्रं भारतस्य सदाचार-परायणात् जनात् शिक्षेरन्। भारतभूमिः अनेकेषां सदाचारिणां पुरुषाणां जननी। एतेषां महापुरुषाणाम् आचारः अनुकरणीयः।
शब्दार्थ = विनयः = विनम्रता । भूषणम् = गहना । उद्भवति = उत्पन्न होती है। अपितु = बल्कि । विविधा अनेक प्रकार के । विकसन्ति = विकसित होते हैं। दक्षिण्यम् = उदारता । संयम = इच्छाओं का दमन । निर्भीकता = निडरता। अस्माकं = हमारी । प्रतिष्ठा = सम्मान। सदाचार–परायणात् = सदाचार का पालन करने लगे। शिक्षरेन् = सीखें। जननी = माता। एतेषां = इनका । अनुकरणीयः = अनुकरण करना चाहिए ।
हिन्दी अनुवाद – विनय ही मनुष्य का आभूषण है। विनयशील मनुष्य सब लोगों का प्रिय हो जाता है । विनय सदाचार ही पैदा होता है। सदाचार से केवल विनय ही नहीं, बल्कि अनेक प्रकार के अन्य सद्गुण भी विकसित होते हैं; जैसे धैर्य, उदारता, संयम, आत्मविश्वास और निर्भयता । हमारी भारतभूमि की प्रतिष्ठा संसार में सदाचार के कारण ही थी। पृथ्वी पर सब मनुष्यों को अपना-अपना चरित्र भारत के सदाचार का पालन करनेवाले मनुष्यों से सीखना चाहिए। भारतभूमि अनेक सदाचारी पुरुषों की माता है। इन महापुरुषों के आचरण का अनुकरण करना चाहिए।
- सदाचारः नाम नियमसंयमयोः पालनम्। इन्द्रियसंयमः सदाचारस्य मूले तिष्ठति। इन्द्रियसंयमः युक्ताहारविहारेण युक्तस्वप्रावबोधेन च सम्भवति। किं युक्तं किम् अयुक्तम् इति सदाचारेण निर्णेतुं शक्यते।
शब्दार्थ – युक्ताहार = उचित भोजन । विहारेण = भ्रमण से । युक्तस्वप्नावबोधेन = उचित शयन और जागरण से । सम्भवति = सम्भव होता है। युक्तम् = उचित । अयुक्तम् = अनुचित । निर्णेतुं शक्यते = निर्णय किया जा सकता है।
हिन्दी अनुवाद – नियम और संयम के पालन का नाम सदाचार है। इन्द्रिय-संयम सदाचार के मूल में स्थित है । इन्द्रिय-संयम उचित आहार और व्यवहार तथा उचित शयन और आचरण से सम्भव होता है। क्या उचित है और क्या अनुचित है, इसकासे ही निर्णय किया जा सकता है।
4. ये केऽपि पुरुषाः महान्तः अभवन् ते संयमेन सदाचारेणैव उन्नतिं गताः। यः जनः नियमेन अधीते, यथासमयं शेते, जागर्ति, खादति, पिबति च सः निश्चयेन अभ्युदयं गच्छति। सदाचारस्य महिमा शास्त्रेषु अपि वर्णितः-
शब्दार्थ– कोऽपि = कोई भी । गताः = प्राप्त हुए हैं। अधीते = पढ़ता है। शेते = सोता है। जागर्ति = जागता है। अभ्युदयं गच्छति = उन्नति को प्राप्त होता है।
हिन्दी अनुवाद – जो कोई भी पुरुष महान् हुए हैं, वे संयम और सदाचार से ही उन्नति को प्राप्त हुए हैं। जो मनुष्य नियमपूर्वक पढ़ता है, समय पर सोता है, जागता है, खाता है और पीता है, वह निश्चय ही उन्नति को प्राप्त करता है। सदाचार का महत्त्व शास्त्रों में भी वर्णित है।
5.(श्लोक 1 )
सर्वलक्षणहीनोऽपि यः सदाचारवान् नरः।
श्रद्धालुरनसूयश्च शतं वर्षाणि जीवति । । ।
शब्दार्थ — सर्वलक्षणहीनोऽपि = सभी शुभ गुणों से रहित होने पर भी । शतं वर्षाणि = सौ वर्षों तक ।
हिन्दी अनुवाद – सभी शुभ गुणों (लक्षणों) से रहित होने पर भी जो मनुष्य सदाचारी है, श्रद्धावान् और द्वेष रहित हैं, वह सौ वर्षों तक जीवित रहता है।
( श्लोक 2 )
आचाराल्लभते ह्यायुराचाराल्लभते श्रियम्।
आचाराल्लभते कीर्तिम् आचारः परमं धनम्।।
शब्दार्थ – आचाराल्लभते = सदाचार से प्राप्त करता है। ह्यायुराचाराल्लभते (हि + आयुः + आचारात् + लभते ) श्रियम् = लक्ष्मी, धन-सम्पत्ति । परम् = उत्तम, श्रेष्ठ ।
हिन्दी अनुवाद – मनुष्य (उत्तम) आचरण से दीर्घ आयु प्राप्त करता है। (सद्) आचरण से (मनुष्य) धन-सम्पत्ति (लक्ष्मी) को प्राप्त करता है। (सद्) आचरण से ही (मनुष्य) कीर्ति को प्राप्त करता है। सदाचार परम (श्रेष्ठ) धन
- अतएव सदाचारः सर्वथा रक्षणीयः। महाभारते अपि सत्यम् एव उक्तं यत् अस्माभिः सदा चरित्रस्य रक्षा कार्या, धनं तु आयाति याति च, चरित्रं यदि नष्टं स्यात् तर्हि सर्व विनष्टं भवति।
शब्दार्थ — उक्तम् = कहा है। आयाति = आता है। याति = चला जाता है। तर्हि = तो ।
हिन्दी अनुवाद—इसलिए सदाचार की सब प्रकार से रक्षा करनी चाहिए। महाभारत में सत्य ही कहा गया है कि हमें सदा चरित्र की रक्षा करनी चाहिए। धन तो आता है और चला जाता है। (किन्तु) यदि चरित्र नष्ट हो जाय तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।
- वृत्तं यत्नेन संरक्षेत्, वित्तमायाति याति च।
अक्षीणो वित्ततः क्षीणो, वृत्ततस्तु हतोहतः ।।
शब्दार्थ – वृत्तं = चरित्र । संरक्षेत् = रक्षा करनी चाहिए। वित्तमेति (वित्तम् + एति) = धन आता है। अक्षीणो = कुछ भी नष्ट नहीं हुआ। हतो = नष्ट हुआ। हतः = मरा हुआ ।
हिन्दी अनुवाद – चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। धन आता है और चला जाता है। धन से क्षीण हुआ मनुष्य क्षीण नहीं होता, लेकिन चरित्र से हीन होकर नष्ट हो जाता है।
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पाठ पर आधारित प्रश्नोत्तर–
प्रश्न 1. सदाचारस्य कोऽर्थः ?
उत्तर : सज्जनानाम् आचारः इति सदाचारस्य अर्थ अस्ति
प्रश्न 2. सज्जनाः के भवन्ति ?
उत्तर : ये जनः सद् एव वदन्ति, सद एव विचारयन्ति, सद् एव आचरन्ति ते एव सज्जनाः भवन्ति ।
प्रश्न 3. मनुष्याणां भूषणं किमस्ति ?
उत्तर : विनयः मनुष्याणां भूषणं अस्ति ।
प्रश्न 4. केषाम् आचारः अनुकरणीयः ?
उत्तर : सज्जनानाम् आचारः अनुकरणीयः ।
प्रश्न 5. सर्वेषां जनानां प्रियः कः भवति ?
उत्तर : विनयशीलः जनः सर्वेषां जनानां प्रियः भवति ।
प्रश्न 6. विनयः कस्मात् उद्भवति ?
उत्तर : विनयः सदाचारात् उद्भवति ।
प्रश्न 7. सदाचारात् के गुणाः विकसन्ति?
उत्तर : सदाचारात् धैर्यम, दाक्षिण्यम्, संयम्:, आत्मविश्वासः इत्यादि गुणाः विकसन्ति ।
प्रश्न 8. सदाचारस्य मूले कंः तिष्ठति ?
उत्तर : सदाचारस्य मूले इन्द्रियसंयमः तिष्ठति ।
प्रश्न 9. शतं वर्षाणि कः जीवति ?
उत्तर : श्रद्धालुः अनसूयश्च सदाचारवान नरः शतं वर्षाणि जीवति
प्रश्न 10. जगति अस्माकं भारत भूमेः प्रतिष्ठा कस्मात् आसीत्?
उत्तर : जगति भारत भूमेः प्रतिष्ठा सदाचारात् एव आसीत् ।
प्रश्न 11. कः जनः निश्चयेन अभ्युदयं गच्छति?
उत्तर : यः जनः नियमेन अधीते, यथासमयं शेते, जागर्ति खादति, पिबति च सनिश्चयेन अभ्युदयं गच्छति ।
प्रश्न 12. अस्माभिः कस्य रक्षा कार्या?
उत्तर : अस्माभिः सदाचरित्र रक्षा कार्या ।
प्रश्न 13. महाभारते किम उक्तम् ?
उत्तर : महाभारते उक्तं यत् अस्माभिः सदा चरित्रस्य रक्षा कार्या, धनं तु आयाति याति च चरित्र यदि नष्टस्यात् तर्हिसर्व विनष्टं भवति
2.बहुविकल्पीय प्रश्न
- मनुष्याणां भूषणं किमस्ति ?
(अ) विनयः (ब) विद्या
(स) बलं (द) बुद्धिः
- शतं वर्षाणि कः जीवति ?
(अ) श्रद्धालु (ब) अनसूयश्च
(स) सदाचारवान (द) सर्वे
- सदाचारात् के गुणाः विकसन्ति ?
(अ) धैर्यम् (ब) संयमः
(स) आत्मविश्वासः (द) सर्वे
- सज्जन कौन होते हैं ?
(अ) जो सत्य बोलते हैं
(ब) सत्य सोचते हैं
(स) सदाचरण करते हैं
(द) उक्त सभी
- मनुष्याणां परमं धनं किमस्ति ?
(अ) आचारः (ब) धनं
(स) धर्मं (द) पौरुषं
- आचार से क्या प्राप्त होता है ?
(अ) उन्नतिं (ब) अवनतिं
(स)अपयशं (द) एतेषु न कश्चिदपि
- किसका आचरण अनुकरणीय होता है ?
(अ) दुर्जनों का (ब) महापुरुषों का
(स) राजनेताओं का (द) इनमें से कोई नहीं