UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Civics [नागरिक शास्त्र] Chapter-5 लोकतान्त्रिक अधिकार (Lokataantrik Adhikaar) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Long Answer
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान इकाई-3: नागरिक शास्त्र लोकतांत्रिक राजनीति-1 खण्ड-2 के अंतर्गत चैप्टर5 लोकतान्त्रिक अधिकार (Lokataantrik Adhikaar) पाठ के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Subject | Social Science [Class- 9th] |
Chapter Name | लोकतान्त्रिक अधिकार (Lokataantrik Adhikaar) |
Part 3 | Civics [नागरिक शास्त्र ] |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | लोकतांत्रिक राजनीति-1 |
लोकतान्त्रिक अधिकार (Lokataantrik Adhikaar)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. न्यायपालिका किस तरह हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भारत के संविधान में की गई व्यवस्था के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो वह न्यायालय की शरण में जा सकता है। यह हमारा मौलिक अधिकार है कि हम सीधे सर्वोच्च न्यायालय अथवा किसी राज्य के उच्च न्यायालय में जाकर अपने अधिकारों की सुरक्षा की माँग कर सकते हैं।
विधायिका, कार्यपालिका या सरकार द्वारा गठित किसी अन्य प्राधिकरण की किसी भी कार्रवाई के विरुद्ध हमें हमारे मौलिक अधिकारों की गारण्टी प्राप्त है। कोई भी कानून अथवा कार्रवाई हमें हमारे मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं कर सकता। यदि विधायिका या कार्यपालिका की कोई कार्रवाई हमसे हमारे मौलिक अधिकार या तो छीनती हैं या उन्हें सीमित करती है तो यह अवैध होगा। हम केन्द्र अथवा राज्य सरकार के ऐसे कानून को चुनौती दे सकते हैं।
न्यायालय भी किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध मौलिक अधिकारों को लागू करती है। किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय विभिन्न प्रकार की रिट जारी कर सकते हैं। जब भी हमारे किसी मौलिक अधिकार का हनन होता है तो हम न्यायालय के द्वारा इसे रोक सकते हैं। हमारी न्यायपालिका अत्यन्त शक्तिशाली है तथा नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए यह कोई भी आवश्यक कदम उठा सकती है।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-मौलिक अधिकारों की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार बहुत ही व्यापक तथा विस्तृत हैं। इनका वर्णन संविधान में 24 अनुच्छेदों (अनुच्छेद 12-35) में किया गया है।
- ये अधिकार सभी नागरिकों को जाति, धर्म, रंग, लिंग, भाषा आदि के भेदभाव के बिना दिए गए हैं।
- इसका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति अथवा सरकार नागरिकों के इन अधिकारों को उल्लंघन करने अथवा इन्हें छीनने का प्रयत्न करता है तो नागरिक न्यायालय में जाकर उसके विरुद्ध न्याय की माँग कर सकता है।
- मौलिक अधिकारों का प्रयोग नागरिकों द्वारा मनमाने ढंग से नहीं किया जा सकता। यदि कोई नागरिक इनका प्रयोग इस ढंग से करता है कि उससे शान्ति तथा व्यवस्था भंग होती हो अथवा दूसरों की स्वतन्त्रता के प्रयोग के मार्ग में बाधा उत्पन्न होती हो तो ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, उसे ऐसा करने से रोका जा सकता है।
- संकटकालीन स्थिति में मौलिक अधिकारों को निलम्बित किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि संकट काल में सरकार द्वारा इन अधिकारों के प्रयोग पर पाबन्दी लगाई जा सकती है।
- 6 .संसद को मौलिक अधिकारों में संशोधन करने का अधिकार प्राप्त है।
- मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए विशेष संवैधानिक व्यवस्था की गई है, इनकी केवल घोषणा ही नहीं की गई है।
प्रश्न 3. भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-भारत के संविधान ने अपने नागरिकों को निम्नलिखित मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं-
समानता का अधिकार- इस अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को निम्न प्रकार की समानता प्रदान की गई है-
- सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी पाने के क्षेत्र में अवसर की समानता का अधिकार।
- कानून के सामने सभी नागरिक समान हैं।
- सेना तथा शिक्षा सम्बन्धी उपाधियों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की उपाधियों का अन्त।
- किसी भी नागरिक को उसकी जाति, धर्म, रंग, लिंग तथा जन्म स्थान आदि के आधार पर सार्वजनिक स्थानों जैसे- होटलों, पार्कों, नहाने के घाटों आदि पर प्रवेश करने से नहीं रोका जाएगा।
- छुआछूत की समाप्ति।
स्वतन्त्रता का अधिकार- स्वतन्त्रता का अधिकार के अन्तर्गत नागरिको को निम्नलिखित स्वतन्त्रताएँ प्रदान की गई हैं-
- भारत में किसी भी स्थान पर (किसी भी भाग में घूमने-फिरने की स्वतन्त्रता।
- भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतन्त्रता।
- अपनी इच्छानुसार कोई भी व्यवसाय अपनाने की स्वतन्त्रता।
- शान्तिपूर्ण तथा बिना हथियारों के एकत्र होने की स्वतन्त्रता।
- भारत के किसी भी भाग में रहने अथवा निवास करने की स्वतन्त्रता।
- संघ बनाने की स्वतन्त्रता।
शोषण के विरुद्ध अधिकार-
- इस अधिकार के अधीन मनुष्यों को खरीदना-बेचना तथा बेगार पर रोक लगा दी गई है।
- 14 वर्ष अथवा उससे कम आंयु वाले बच्चों को किसी कारखाने अथवा खान में नौकरी पर नहीं लगाया जा सकता।
धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार-
- किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी धर्म विशेष के लिए
चन्दा या कर देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। 2. प्रत्येक नागरिकों को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को मानने तथा उसका प्रचार करने का अधिकार है।
- राज्य द्वारा स्थापित किसी भी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।
- प्रत्येक धर्म के अनुयायियों को अपनी धार्मिक संस्थाएँ स्थापित करने तथा उनका प्रबन्ध करने का अधिकार है।
सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार- इस अधिकार के अन्तर्गत भारत के सभी नागरिकों को अपनी भाषा, धर्म व संस्कृति को सुरक्षित रखने तथा उसका विकास करने का अधिकार है।
संवैधानिक उपचारों का अधिकार- इस अधिकार के अनुसार नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन होने की स्थिति में न्यायालय में जाकर न्याय माँगने का अधिकार है।
प्रश्न 4. “भारत का संविधान कहता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति से उसके व्यक्तिगत जीवन की स्वतन्त्रता का अधिकार नहीं छीना जा सकता।” इस कथन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-इसका आशय है कि जब तक न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को मृत्यु दण्ड़ न दिया गया हो, तब तक किसी भी व्यक्ति को मारा नहीं जा सकता। इसका यह भी अर्थ है कि सरकार अथवा पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को तब तक हिरासत में नहीं रख सकते जब तक उनके पास इसके लिए कोई न्यायिक औचित्य न हो। जब भी वे ऐसा करते हैं, उन्हें कुछ विशेष कानूनों का पालन करना पड़ता है।
- गिरफ्तार किए गए अथवा हिरासत में लिए गए व्यक्ति को ऐसी गिरफ्तारी या हिरासत के कारण की सूचना देना आवश्यक है।
- जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है अथवा हिरासत में लिया जाता है तो उसे ऐसी गिरफ्तारी के 24 घण्टे के अन्दर निकटतम न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाना होता है।
- ऐसे व्यक्ति को अपने वकील से विचार-विमर्श करने और अपने बचाव के लिए वकील रखने का अधिकार होता है।