UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Geography[भूगोल ] Chapter-6 जनसंख्या (Jansankhya) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Long Answer
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान इकाई-2: भूगोल समकालीन भारत-1 खण्ड-3 के अंतर्गत चैप्टर-6 जनसंख्या (Jansankhya) पाठ के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Subject | Social Science [Class- 9th] |
Chapter Name | जनसंख्या (Jansankhya) |
Part 3 | Geography [भूगोल] |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | समकालीन भारत-1 |
जनसंख्या (Jansankhya)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. व्यावसायिक संरचना का अर्थ स्पष्ट कीजिए। विभिन्न व्यवसायों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर- जनसंख्या के वितरण को विभिन्न व्यवसायों के आधार पर वर्गीकृत करना व्यावसायिक ढाँचा कहलाता है। भारत में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक विविधता विद्यमान है। व्यवसायों को प्रायः प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक श्रेणियों में बाँटा गया है जिसका विवरण इस प्रकार है-
- प्राथमिक क्रियाकलापों में कृषि, पशुपालन, वृक्षारोपण एवं मछली पालन तथा खनन आदि क्रियाएँ सम्मिलित हैं।
- द्वितीयक क्रियाकलापों में उत्पादन करने वाले उद्योग, भवन एवं निर्माण कार्य आते हैं।
- तृतीयक क्रियाकलापों में परिवहन, संचार, वाणिज्य, प्रशासन तथा सेवाएँ शामिल हैं।
भारत में कुल जनसंख्या का 54.6 प्रतिशत भाग कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में कार्यरत हैं। द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की संख्या का अनुपात क्रमशः 13 तथा 20 प्रतिशत है। वर्तमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में वृद्धि होने के कारण द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में व्यावसायिक परिवर्तन हुआ है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दें-
(i) जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटकों की व्याख्या करें।
(ii) 1981 से भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर क्यों घट रही है?
(iii) आयु संरचना, जन्म दर एवं मृत्यु दर को परिभाषित करें।
(iv) प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक।
उत्तर- (i) जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटक इस प्रकार हैं- (क) उच्च
जन्म दर, (ख) निम्न मृत्यु दर, (ग) प्रवसन ।
(ii) 1981 के बाद भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में कमी के कारण निम्नलिखित हैं-
(क) परिवार कल्याण विधियों का अपनाया जाना,
(ख) स्वास्थ्य के प्रति महिलाओं की अधिक जागरूकता,
(ग) महिलाओं में शिक्षा का तेज गति से प्रसार,
(घ) सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम।
(iii) आयु संरचना-आयु संरचना से आशय है, यह किसी जनसंख्या की ‘मध्य बिन्दु’ प्रदान करते है जहाँ औसत आयु से अधिक आयु के लोगों की संख्या उतनी ही होती है, जितनी उससे कम आयु के लोगों की होती है।
जन्म दर-किसी क्षेत्र अथवा देश में प्रतिवर्ष हजार लोगों के पीछे जीवित जन्में बच्चों की संख्या को जन्मदर कहते हैं।
मृत्यु दर- प्रति 1000 जनसंख्या पर एक वर्ष में मरने वाले लोगों की संख्या को मृत्युदर कहते हैं।
(iv) प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक है-
लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह आगमन तथा प्रस्थान दोनों ही स्थानों के जनसांख्यिकीय आँकड़ों को प्रभावित करता है। प्रवास आन्तरिक (देश के भीतर) या अन्तर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है। आन्तरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में परिवर्तन नहीं करता लेकिन देश में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है।
(क) प्रवास जनसंख्या के गठन एवं वितरण में बदलाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(ख) भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण क्षेत्रों से ‘आकर्षण’ कारक प्रभावी होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोजगारी की प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘कर्षण’ प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है। सन् 1951 में शहरी जनसंख्या 17.29 प्रतिशत थी जो 2011 में बढ़कर 31.2 प्रतिशत हो गई।
(ग) 2001-2011 के बीच एक ही दशक के दौरान “दस लाख से अधिक” की जनसंख्या वाले महानगर 35 से बढ़कर 53 हो गए हैं।
प्रश्न 3. जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच निम्नलिखित अन्तर हैं-
जनसंख्या वृद्धि |
जनसंख्या परिवर्तन |
|
1. | इसमें पिछली जनसंख्या को बाद की जनसंख्या से घटाकर ज्ञात किया जाता है। | जनसंख्या परिवर्तन तीन प्रक्रियाओं के आपसी संयोजन के कारण आता है-जन्म दर, मृत्यु दर और प्रवास। |
2. | वृद्धि को संख्या के रूप में प्रकट किया जाता है। | जनसंख्या परिवर्तन सापेक्ष वृद्धि और प्रतिवर्ष होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के द्वारा देखा जाता है। |
3. | जनसंख्या वृद्धि से तात्पर्य किसी क्षेत्र में निश्चित अवधि के दौरान रहने वाले लोगों की संख्या में परिवर्तन है। | जनसंख्या परिवर्तन से आशय किसी क्षेत्र में निश्चित अवधि के दौरान जनसंख्या वितरण, संरचना या आकार में परिवर्तन से है। |
प्रश्न 4. व्यावसायिक संरचना एवं विकास के बीच क्या सम्बन्ध है?
उत्तर- किसी भी देश का विकास उसकी जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना से सम्बन्धित है। विकासशील देशों में प्राथमिक क्रियाकलापों (कृषि, पशुपालन, वानिकी तथा मछलीपालन) में कार्यरत लोगों का अनुपात अधिक होता है जबकि विकसित देशों में द्वितीयक एवं तृतीयक क्रियाकलापों (उद्योग, भवन एवं निर्माण कार्य तथा परिवहन संचार, वाणिज्य, प्रशासन तथा सेवाएँ) में कार्य करने वाले लोगों की संख्या का अनुपात अधिक होता है।
प्रश्न 5. स्वस्थ जनसंख्य कैसे लाभकारी है?
उत्तर – स्वस्थ जनसंख्या अधिक उत्पादक होती है और अधिक अर्जित करने में सक्षम होती है। स्वस्थ जनसंख्या अपनी क्षमता की अनुभूति करने में सक्षम होता है। वे सामाजिक और राष्ट्रीय विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहाँ आर्थिक विकास होता है।
प्रश्न 6. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर- राष्ट्रीय जनसंख्या नीति वर्ष 2006 में घोषित की गयी। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- किशोर-किशोरियों को असुरक्षित यौन संबंधों के कुप्रभावों/ कुपरिणामों के बारे में जागरूक करना।
- गर्भनिरोधक सेवाओं को पहुँच और खरीद के दायरे के भीतर रखना।
- खाद्य संपूरक को पोषणिक सेवाएँ उपलब्ध कराना।
- बाल विवाह को रोकने के कानून को और अधिक कारगर बनाना।
- शिक्षा और स्वास्थ्य की शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार करना।
- किशोर-किशोरियों की पहचान जनसंख्या के उस भाग के रूप में करें जिस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
- इनकी पोषणिक आवश्यकताओं की ओर ध्यान देना।
- अवांछित गर्भधारण तथा यौन संबंधों से होने वाली बीमारियों से किशोर-किशोरियों की सुरक्षा करना।
- किशोर-किशोरियों की अन्य आवश्यकताओं के प्रति विशेष ध्यान देना।
- देर से विवाह और देर से संतानोत्पत्ति को प्रोत्साहित करना।
प्रश्न 7. केरल में जनसंख्या की स्थिति देश के अन्य राज्यों से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-जनसंख्या के विभिन्न पक्षों – घनत्व, स्त्री-पुरुष अनुपात, क्रियाशीलता, साक्षरता, जीवन-प्रत्याशा आदि पर विचार करने पर यह स्पष्ट है कि केरल की जनसंख्या की प्रवृत्ति देश के अन्य राज्यों से निम्न कारणों से भिन्न है –
- साक्षरता – मानवीय संसाधनों के विकास में शिक्षा का भारी महत्त्व है। सन् 2011 में साक्षरता का प्रतिशत 73 रहा है। मनुष्य का दीर्घ आयु होना साक्षरता का सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। साक्षरता से क्रियाशील जनसंख्या का अनुपात बढ़ता है। केरल राज्य साक्षरता में सबसे आगे है। यहाँ 2011 की जनगणना के अनुसार 94% साक्षरता पायी गई है।
- जीवन-प्रत्याशा – सार्वजनिक चिकित्सा सुविधाओं एवं शिक्षा में विस्तार के कारण जीवन-प्रत्याशा में वृद्धि हुई है। भारत में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियो की जीवन-प्रत्याशा कम रही है। परन्तु अब इस प्रवृत्ति में परिवर्तन आ गया है। अतः स्वियों की जीवन-प्रत्याशा पुरुषों की अपेक्षा कुछ अधिक है। जन्म के समय स्त्रियों की औसत जीवन प्रत्याशा 70.7 वर्ष तथा पुरुषों की औसन जीवन-प्रत्याशा 68.2 वर्ष थी। केरल में जीवन-प्रत्याशा ज्यादा है। यहाँ स्वियों की जीवन-प्रत्यांशा 77.9 वर्ष तथा पुरुषों की 72.5 (2014-18) वर्ष है।
- स्त्री-पुरुष अनुपात- स्त्री -पुरुष गृहस्थ जीवन की गाड़ी के दो पहिए हैं। एक पहिए के कमजोर या उसके न होने पर गाड़ी का सही चलना सम्भव नहीं। संसार के प्रत्येक सभ्य समाज में स्वी और पुरुषों की संख्या में समानता है। हमारे देश के अनेक क्षेत्रों में स्वी-पुरुष अनुपात में बहुत अन्तर मिलता है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार पुरुषों पर 943 स्त्रियाँ थीं। केरल ही एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या अधिक है। यहाँ स्त्री-पुरुष अनुपात 1084 1000 है।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर स्पष्ट है कि केरल एक सघन आबाद क्षेत्र होते हुए भी मानवीय सम्पदा का अधिक विस्तार कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। यहाँ के लोग परिश्रमी एवं संघर्षशील हैं, ये लोग अपनी कर्त्तव्यनिष्ठा के आधार पर उपलब्ध प्राकृतिक सम्पदा का भरपूर उपयोग करते
प्रश्न 8. भारत के महानगरों में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या चिन्ता का विषय क्यों बन गई है? इससे उत्पन्न परिणामों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-वर्ष 2011 में भारत की नगरीय जनसंख्या बढ़कर 37.7 करोड़ हो गई है, यह कुल जनसंख्या का 31.2 प्रतिशत है। भारत की नगरीय जनसंख्या का 65% प्रथम श्रेणी के नगरों में निवास करता है। भारत की एक-तिहाई से भी अधिक जनसंख्या केवल 53 महानगरों में निवास करती है। यह एक चिन्ता का विषय है। नगरीकरण विकास का प्रतीक है। परन्तु महानगरों में तीव्रता से बढ़ती जनसंख्या न केवल महानगरों में समस्या खड़ी कर रही है, अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। नगरों में जनसंख्या के तेजी के बढ़ने के कारण, इनके वर्तमान संसाधनों तथा उपलब्ध जन सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ रहा है। कभी-कभी तो यहाँ लोगों को आवश्यक सुविधाएँ भी नहीं मिल पातीं। महानगरों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या के प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं-
- आवास की समस्या- महानगरों की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ने के कारण आवास की बड़ी गम्भीर समस्या उत्पन्न हो गई है। अधिकतर लोग तंग, अंधेरे तथा दूषित वातावरण में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आवास की समस्या मजदूर वर्ग में तो और भी गम्भीर है। झुग्गी झोंपड़ियों में और खुले आकाश के नीचे लोग अपनी रातें बिता रहे हैं।
- रोजगार की समस्या- रोजगार पाने के लिए गाँवों से लोग नगरों में आ रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में रोजगार के साधन नहीं बढ़ रहे हैं। अतः नगरों में रोजगार की समस्या बढ़ रही है। भिखारियों की संख्या बढ़ रही है। चोर-गिरहकटों की संख्या बढ़ रही है। लूट-पाट के मामले बढ़ रहे हैं।
- लिंग अनुपात का असन्तुलित होना- रोजगार की तलाश में पहले पुरुष वर्ग नगरों की ओर जाता है। फलतः नगरों में लिंग अनुपात में बहुत अन्तर पाया जाता है। इस विषम अनुपात से अनेक सामाजिक कुरीतियाँ एवं बुरी आदतें पड़ जाती हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ जाती है।
उपर्युक्त समस्याओं के अतिरिक्त अति नगरीकरण के कारण नगरों में पेयजल की समस्या, सफाई एवं स्वास्थ्य की समस्या, वायु प्रदूषण की समस्या, ध्वनि प्रदूषण की समस्या, शिक्षा की समस्या, आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धि की समस्या तथा परिवहन की समस्या नगरों से जुड़ गई है।
प्रश्न 9. भारत में जनसंख्या घनत्व के वितरण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-भारत में जनसंख्या का वितरण असमान है। साथ ही भारत विश्व की घनी आबादी वाले देशों में से एक है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। जहाँ बिहार का जनसंख्या घनत्व 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, वहीं अरुणाचल प्रदेश का जनसंख्या घनत्व 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
पर्वतीय क्षेत्र तथा प्रतिकूल जलवायवी अवस्थाएँ इन क्षेत्रों की विरल जनसंख्या के लिए उत्तरदायी हैं। असम एवं अधिकतर प्रायद्वीपीय राज्यों का जनसंख्या घनत्व मध्यम है। पहाड़ी, कटे-छँटे एवं पथरीले भूभाग, मध्यम से कम वर्षा, छिछली एवं कम उपजाऊ मिट्टी इन राज्यों के जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती है।
उत्तरी मैदानी भाग एवं दक्षिण में केरल का जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यहाँ समतल मैदान एवं उपजाऊ मिट्टी पायी जाती है तथा पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है।