UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] History [इतिहास] Chapter- 4 वन्य समाज और उपनिवेशवाद (Vanya Samaj aur Upniveshvad) लघु उत्तरीय प्रश्न Laghu Uttariy Prashn
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान इकाई-1: इतिहास भारत और समकालीन विश्व-1 खण्ड-2 जीविका, अर्थव्यवस्था एवं समाज के अंतर्गत चैप्टर-4 वन्य समाज और उपनिवेशवाद (Vanya Samaj aur Upniveshvad) पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Subject | Social Science [Class- 9th] |
Chapter Name | वन्य समाज और उपनिवेशवाद (Vanya Samaj aur Upniveshvad) |
Part 3 | History [इतिहास] |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | भारत और समकालीन विश्व-1 |
वन्य समाज और उपनिवेशवाद (Vanya Samaj aur Upniveshvad)
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ग्रामीणों एवं वन लगाने वालों में एक अच्छे जंगल पर कौन-से वैचारिक मतभेद थे?
उत्तर- सन् 1865 में वन अधिनियम के लागू होने के पश्चात् वन विभाग ऐसे पेड़ चाहता था जो भवन, समुद्री जहाज या रेलवे स्लीपर निर्माण के लिए कारगर हों। उन्हें ऐसे पेड़ चाहिए थे जो कठोर लकड़ी दे सकें और लंबे व सीधे हों। इसलिए टीक व साल के वृक्षों को प्रोत्साहन दिया गया और अन्य पेड़ों को काट दिया गया। दूसरी ओर ग्रामीण अपनी विभिन्न आवश्यकताओं जैसे कि ईंधन, भूसा व पत्तों की पूर्ति करने वाले मिश्रित प्रजाति के वन चाहते थे।
प्रश्न 2. ‘अपराधी कबीले’ कौन थे?
उत्तर- नोमड एवं चरवाहा समुदाय के लोगों को अपराधी कबीले कहा जाता था जिन्हें लकड़ी चुराते हुए पकड़ा जाता था। वन प्रबंधन द्वारा लाए गए बदलावों के कारण नोमड एवं चरवाहा समुदाय लकड़ी काटने, अपने पशुओं को चराने, कंद-मूल एकत्र करने, शिकार एवं मछली पकड़ने से वंचित हो गए। ये सभी गैरकानूनी घोषित कर दिए गए। इसके परिणामस्वरूप अब ये लोग बनों से लकड़ी चुराने पर बाध्य हो गए। उन्हें शिकार करने, लकड़ी एकत्र करने और अपने पशु चराने देने के लिए वन-रक्षकों को घूस देनी पड़ती थी।
प्रश्न 3. औपनिवेशिक सरकार ने घुमंतू खेती पर प्रतिबंध क्यों लगाया?
उत्तर -औपनिवेशिक सरकार ने घुमंतू खेती पर निम्नलिखित कारणों से प्रतिबंध लगाया-
- उन्हें डर था कि जलाने की प्रक्रिया हानिकारक सिद्ध हो सकती थी क्योंकि यह उनकी बहुमूल्य लकड़ी को भी जला सकती थी।
- औपनिवेशिक सरकार घुमंतू खेती को वनों के लिए हानिकारक मानती थी।
- घुमंतू खेती में सरकार के लिए कर की गणना कर पाना कठिन था। इसलिए सरकार ने घुमंतू खेती को प्रतिबंधित कर दिया।
- वे भूमि को रेलवे के लिए लकड़ी प्राप्त करने के लिए तैयार करना चाहते थे न कि खेती के लिए।
प्रश्न 4. एक अच्छे वन के संबंध में वन अधिकारियों तथा ग्रामीणों के विचारों में क्या भिन्नता थी और क्यों?
उत्तर- चनों के संबंध में वन अधिकारियों तथा ग्रामीणों के हित परस्पर टकराते थे। ग्रामीणों को जलाऊ लकड़ी, चारा तथा पत्तियों आदि की जरूरत थी। अतः वे ऐसे वन चाहते थे जिनमें विभिन्न प्रजातियों की मिश्रित वनस्पति हों।
इसके विपरीत वन अधिकारी ऐसे वनों के पक्ष में थे जो उनकी जलयान निर्माण तथा रेलवे के प्रसार की जरूरतों को पूरा करें। इसलिए वे कठोर लकड़ी के वृक्ष लगाना चाहते थे जो सीधे और ऊँचे हों। अतः मिश्रित वनों का सफाया करके टीक और साल के वृक्ष लगाए गए।
प्रश्न 5. भूमकल विद्रोह क्यों असफल रहा? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर- भूमकल विद्रोह की असफलता का प्रमुख कारण यह था कि इस विद्रोह को न तो व्यवस्थित ढंग से प्रारम्भ किया गया और न ही योजनाबद्ध ढंग से चलाया गया। यह विद्रोह बहुत ही कम क्षेत्र तक सीमित रहा, जिससे ब्रिटिश सरकार को अपनी कूटनीति व सैन्य ताकत से इसे कुचलने में आसानी रही। इसके प्रमुख नेता गंगाधर, रानी सुबरन कुँवर, लाल कालेन्द्र सिंह इत्यादि उपनिवेशवादी सरकार का सामना करने में असफल रहे।
प्रश्न 6. वैज्ञानिक वानिकी पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- इसके तहत विविध प्रजाति वाले प्राकृतिक वनों को काट डाला गया तथा इनके स्थान पर सीधी पंक्ति में एक ही प्रजाति के वृक्ष लगा दिए गए। इसे बागान कहा गया। वन विभाग के अधिकारियों ने वनों का सर्वेक्षण कर विभिन्न प्रकार के पेड़ों वाले क्षेत्रों का आकलन किया तथा वन प्रबन्धन की योजनाएँ बनायीं। उन्होंने यह भी निर्धारित किया कि बागान का कितना क्षेत्र प्रतिवर्ष काटा जाए तथा कटाई के बाद रिक्त हुई भूमि पर पुनः वृक्ष लगाए जाएँ जिससे कुछ वर्ष बाद उन्हें दोबारा काटा जा सके।
प्रश्न 7. भारतीय वन अधिनियम, 1865 पर संक्षेप में लिखिए।
उत्तर- इस अधिनियम के लागू होने के बाद इसमें दो बार पहले सन् 1878 और फिर सन् 1927 में संशोधन किए गए। सन् 1878 वाले अधिनियम में वनों को तीन श्रेणियों-आरक्षित, सुरक्षित व ग्रामीण में बाँटा गया। सबसे अच्छे वनों को ‘आरक्षित वन’ कहा गया। गाँव वाले इन वनों से अपने उपयोग के लिए कुछ भी नहीं ले सकते थे। वे घर बनाने या ईंधन के लिए सुरक्षित या ग्रामीण वनों से ही लकड़ी ले सकते थे।
प्रश्न 8. वनों में रहने वाले लोगों के लिए वन्य उत्पाद किस तरह लाभदायक हैं?
उत्तर- वनों में रहने वाले लोग वन्य उत्पादों जैसे कि कंद-मूल, पत्ते, फल व जड़ी-बूटियों का प्रयोग कई चीजों के लिए करते हैं; जैसे-
- सूखे हुए कुम्हड़े के खोल का प्रयोग आसानी से ले जा सकने वाली पानी की बोतल के रूप में किया जा सकता है।
- फल और कंद अत्यंत पोषक खाद्य हैं, विशेषकर मानसून के समय जब फसल कटकर घर नहीं पहुँची हो।
- महुए के पेड़ से खाना पकाने और रोशनी के लिए तेल निकाला जा सकता है।
- जड़ी-बूटियों का प्रयोग दवा के रूप में किया जाता है।
- सेमूर की काँटेदार छाल पर सब्जियाँ छीली जा सकती हैं।
- लकड़ी का प्रयोग हल और जुए जैसे खेती के औजार बनाने में किया जाता है।
- सियादी की लताओं से रस्सी बनायी जा सकती है।
- बाँस से गुणवत्ता वाली बाड़ें बनायी जा सकती हैं और इसका उपयोग छतरी तथा टोकरी बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
- जंगलों में तकरीबन सब कुछ उपलब्ध हैं- पत्तों को जोड़-जोड़ कर ‘खाओ-फेंको’ किस्म के पत्तल और दोने बनाए जा सकते हैं।