Vakya Vishleshan (वाक्य विश्लेषण) – Hindi Grammar, Types of Sentences in Hindi (वाक्य-विश्लेषण), Format, Examples

 वाक्य विश्लेषण –Vakya Vishleshan, Hindi Grammar, Types of Sentences in Hindi (वाक्य-विश्लेषण), Format, Examples

Vakya Visletion (वाक्य विश्लेषण) – Hindi Grammar, Types of Sentences in Hindi (वाक्य-विश्लेषण), Format, Examples

द्विरुक्ति - dvirukti

            

वाक्य विश्लेषण (Vakya Vishleshan)

किसी वाक्य के सभी अंगों को अलग-अलग कर उसके पारस्परिक संबंध दिखाने की क्रिया को वाक्यविश्लेषण कहते हैं।

हिंदी व्याकरण में वाक्यविग्रह को ‘वाक्यविग्रह’, ‘वाक्यविभाजन’ और ‘वाक्यपृथक्करण’ भी कहते हैं। इसमें तीन काम करने पड़ते हैं- १. वाक्य के उपवाक्यों को अलग किया जाता है; २. उपवाक्यों का नामकरण होता है; ३. अंत में पूरे वाक्य का नामकरण होता है। ‘उपवाक्य’ किसी वाक्य का एक अंश होता है। इसमें कर्ता और क्रिया का होना आवश्यक है; जैसे – दीपक कल स्कूल नहीं गया, क्योंकि वह बीमार था ।

इस वाक्य में दो उपवाक्य हैं— ‘दीपक कल स्कूल नहीं गया’ और ‘क्योंकि वह बीमार था। कभी-कभी वाक्य में कर्ता छिपा रहता है और कभी क्रियाछिपी रहती है।

हम कह चुके हैं कि रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं- 

१. सरल वाक्य, २. मिश्र वाक्य और ३. संयुक्त वाक्य।

इस प्रकार के वाक्यों का विग्रह अलग-अलग ढंग से होता है। सरल वाक्य में उद्देश्य और उद्देश्य का विस्तार एवं विधेय और उसका विस्तार बताना चाहिए। यदि मिश्र वाक्य हो, तो प्रधान वाक्य (Principal Clause) और उसके सभी उपवाक्यों को बताकर सरल वाक्य की तरह ही सबका विग्रह करना चाहिए। संयुक्त वाक्य में प्रत्येक वाक्य को अलग-अलग कर उपर्युक्त रीति से ही वाक्यविश्लेषण करना चाहिए।

वाक्यविग्रह के दो प्रकार

सामान्यतः वाक्यविश्लेषण दो तरह से होता है। वाक्य के सभी अंगों को या तो ‘तालिका’ बनाकर, उद्देश्य और विधेय के अधीन रखकर दिखाया जाता हैं या केवल उपवाक्यों को अलग-अलग कर उनके पारस्परिक संबंध बताए जाते हैं। सामान्यतः, सरल वाक्यों का विश्लेषण पहले ढंग से और अन्य प्रकार के वाक्यों का विश्लेषण दूसरे ढंग से होता है।

सरल वाक्य का विश्लेषण

इसमें वाक्य का उद्देश्य, उद्देश्य का विस्तार, विधेय और उसका विस्तार बताए जाते हैं। यदि विधेय सकर्मक है, तो उसका कर्म और उसका विस्तार भी दिखाना पड़ता है। निम्नांकित तालिका में एक साधारण वाक्य का विग्रह दिखाया गया है-

सरल वाक्य – भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी आज राष्ट्रधर्मविषयक भाषण करेंगे।

उद्देश्य

उद्देश्य           उद्देश्य का

(कर्ता)           विस्तार         क्रिया

प्रणव मुखर्जी      भारत के

राष्ट्रपति             करेंगे

विधेय

            विधेय का विस्तार

कर्म     कर्म का विस्तार          क्रिया का पूरक

या अन्य विस्तार

भाषण    राष्ट्रधर्मविषयक        आज

उदाहरण के लिए यहाँ अन्य दो वाक्यों का विग्रह किया जाता है –

सरल वाक्य—१.मोहन का भाई मेरी पुस्तक धीरे-धीरे पढ़ता है।

२. मोहन का बड़ा भाई सोहन महाभारत की कथाएँ पढ़ता है।

उद्देश्य

उद्देश्य      उद्देश्य का      क्रिया

(कर्ता)       विस्तार

१. भाई      मोहन का       पढ़ता है

२. सोहन     मोहन का      पढ़ता है

बड़ा भाई

विधेय

        विधेय का विस्तार

कर्म       कर्म का विस्तार        क्रिया का पूरक

या अन्य विस्तार

पुस्तक कथाएँ    मेरी महाभारत     धीरे-धीरे

यहाँ याद रखना चाहिए कि सरल वाक्य में एक उद्देश्य और विधेय का होना बहुत जरूरी है। ये उद्देश्य और विधेय अपने विस्तार के साथ भी रह सकते हैं।

दिए गए सरल वाक्यों का विश्लेषण निम्नांकित ढंग से भी किया जा सकता है—

भाई – उद्देश्य (कर्ता)  पुस्तक- कर्म  पढ़ता है- – क्रिया

मोहन का – उद्देश्य का विस्तार    मेरी–कर्म का विस्तार धीरे-धीरे—क्रिया का विस्तार

उद्देश्य के विभिन्न रूप

सरल वाक्यों में उद्देश्य और विधेय की पहचान आसानी से करने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए। इन वाक्यों में उद्देश्य (कर्ता) अनेक रूपों में आते हैं। जैसे-

संज्ञा – श्याम हँसता है।

सर्वनाम – मैं खाता हूँ।

विशेषण – गरीब आदमी दुःख पाता है।

क्रियार्थक संज्ञा – नाचना लाभदायक है।

वाक्यांश – आपकी परीक्षा लेना अनुचित होगा।

वाक्य — क्रांति चिरंजीवी हो, यह हमारा नारा है।

उद्देश्य का विस्तार

उद्देश्य का विस्तार भिन्न-भिन्न रूपों के विशेषणों से किया जाता है। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

विशेषण – सुशील बालक बैठा है।

सार्वनामिक विशेषण — वह बालक बैठा है।

संबंधकारक — माँ का लड़का कहाँ गया?

वाक्यांश – प्रकृति की गोद में खेलता बालक बड़ा मोहक है।

विधेय का विस्तार

विधेय का विस्तार निम्नलिखित स्थितियों में होता है— कारक से― तीर से मारा।

क्रियाविशेषण से— जल्दी-जल्दी चलता है।

वाक्यांश – राम पाँच वजे के बाद ही घर पहुँचता है।

पूर्वकालिक क्रिया से – वह हँसकर विदा हुआ।

क्रियाद्योतक से — मोटर पों-पों करती हुई निकल गई।

मिश्र वाक्य का विश्लेषण

जिस वाक्यरचना में एक से अधिक सरल वाक्य हों और उनमें एक प्रधान हो और शेष उसके आश्रित हों, उसे ‘मिश्र वाक्य’ कहते हैं। इस प्रकार के वाक्य में एक ‘प्रधान वाक्य’ रहता है और शेष वाक्यांश, जिन्हें ‘आश्रित उपवाक्य’ कहते हैं, उसपर आश्रित होते हैं। जब वाक्य पूरे वाक्य से अलग अर्थ को खंडित किए बिना लिखा जाए, तब वह ‘प्रधान उपवाक्य’ होता है। जब उपवाक्य पूरे वाक्य से अलग नहीं किया जाए, तब वह आश्रित उपवाक्य’ होता है। ये दूसरे उपवाक्यों पर आश्रित हैं। ऐसे वाक्यों का आरंभ कि, ताकि, जिससे, जो, जितना, ज्योंही, ज्यों-ज्यों, चूँकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, से होता है।

आश्रित उपवाक्य (Subordinate Clause) तीन प्रकार के होते हैं-

१. संज्ञा – उपवाक्य, २. विशेषण – उपवाक्य और ३ क्रियाविशेषण – उपवाक्य ।

नीचे मिश्र वाक्य का एक उदाहरण विग्रहसहित दिया जाता है-

मिश्र वाक्य- – जो व्यक्ति महान हो चुके हैं, उनके जीवन की दिनचर्या और रहन-सहन से पता चलता है कि उनका जीवन सादगी से व्यतीत होता था ।

यहाँ निम्नलिखित उपवाक्य (Clause) हैं-

(क) उनके जीवन की दिनचर्या तथा रहन-सहन से पता चलता है- -मुख्य उपवाक्य (Principal Clause) ।

(ख) जो व्यक्ति महान हो चुके हैं — विशेषण-उपवाक्य। (‘क’ में प्रयुक्त ‘उनके’ सर्वनाम की विशेषता बतलाता है)

(ग) कि उनका जीवन सादगी से व्यतीत होता था – संज्ञा – उपवाक्य ।

(‘क’ में प्रयुक्त ‘पता’ संज्ञा का समानाधिकरण है।)

संयुक्त वाक्य का विग्रह

जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अव्यय द्वारा होता है, उसे ‘संयुक्त वाक्य’ (Compound Sentence) कहते हैं। एक-दो उदाहरण इस प्रकार हैं-

वाक्य १. रात हुई और तारे निकले।

इसमें दो सरल वाक्यों का प्रयोग हुआ है। इन दोनों को संयुक्त करनेवाला संयोजक अव्यय ‘और’ है।

पहला वाक्य – ‘रात हुई’ मुख्य वाक्य है और दूसरा वाक्य उससे संबद्ध है। यदि ‘और’ को हटा दिया जाए, तो दोनों वाक्य अपने में पूर्ण स्वतंत्र हो जाएँगे। दोनों वाक्यों का विग्रह सरल वाक्य के विग्रह के अनुसार करना चाहिए।

वाक्य २. तुमने इस बार अधिक परिश्रम किया है, इसलिए सफलता की अधिक आशा है परंतु मनुष्य के भाग्य का निर्णय ईश्वर के अधीन है।

(क) तुमने इस बार अधिक परिश्रम किया है— मुख्य वाक्य |

(ख) इसलिए सफलता की अधिक आशा है— ‘क’ का समानाधिकरण वाक्य |

(ग) परंतु मनुष्य के भाग्य का निर्णय ईश्वर के अधीन है— ‘क’ का समानाधिकरण वाक्य।

संयोजक – इसलिए, परंतु ।

यहाँ तीन सरल वाक्यों का व्यवहार हुआ है, जिन्हें संयुक्त करनेवाले दो संयोजक अव्यय हैं— ‘इसलिए’ और ‘परंतु’। इनके बिना उक्त वाक्यों का संबंध टूट जाएगा।

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