Visheshan aur Visheshya – विशेषण -विशेष्य परिभाषा, भेद और उदाहरण, Visheshan in Hindi Grammar हिंदी व्याकरण
Visheshan aur Visheshya – विशेषण -विशेष्य परिभाषा, भेद और उदाहरण, Visheshan in Hindi Grammar, ki Paribhasha Bhed.
विशेष्य और विशेषण की परिभाषा –
विशेषण का काम है संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाना। जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता यह बताता है उसे व्याकरण में विशेष्य कहते हैं। विशेष्य या तो क्रिया-रूप में होता है या संज्ञा-रूप में।
विशेष्य विशेषण
क्रिया हँसना हँसोड़
क्रिया खेलना खिलाड़ी
संज्ञा दया दयालु
संज्ञा कृपा कृपालु
विशेष्य से विशेषण या विशेषण से विशेष्य बनाने में कृदंत और तद्धित प्रत्ययों का सहारा लेना पड़ता है। यहाँ ध्यान देने की बात है कि विशेषण बनाते समय समस्त पदों का व्यवहार नहीं होना चाहिए। जैसे- ‘कर्तव्य’ से ‘कर्तव्यनिष्ठ’, ‘सूद’ से ‘सूदखोर’ – ये सब – समस्त पद हैं, विशेषण नहीं। प्रत्यय लगाकर ही विशेषण बनाना चाहिए, समास से नहीं ।
यहाँ हम विशेष्य से विशेषण बनाने के कुछ सामान्य नियमों का उल्लेख कर रहे हैं। इन नियमों से विशेषण बनाने में सुविधा होगी। ये इस प्रकार हैं-
विशेषण बनाने के कुछ नियम
१. विशेषण बनानेवाले संस्कृत के प्रत्यय दो प्रकार के हैं—
(क) धातु के आदिस्वर को वृद्धि देनेवाले । अर्थात, शब्द का पहला वर्ण अकारांत है, तो ऐसे प्रत्ययों के लगने पर वह आकारांत हो जाएगा; ‘इ’ या ‘ई’ मात्रावाला है, तो ‘ऐ’ मात्रावाला हो जाएगा; ‘उ’ या ‘ऊ’ मात्रावाला है, तो ‘औ’ मात्रावाला और ‘ऋ’ मात्रावाला है, तो ‘आर्’ मात्रावाला हो जाएगा। धातु के आदिस्वर को ऐसी वृद्धि देनेवाले संस्कृत के प्रत्यय हैं – एय, इक, अ इत्यादि । जैसे—
विशेष्य प्रत्यय विशेषण
अग्नि एय आग्नेय
पुरुष एय पौरुषेय
परिवार इक पारिवारिक
धर्म इक धार्मिक
पृथा अ पार्थ
इंद्र अ ऐंद्र
(ख) जिनके लगने पर कहीं-कहीं धातु के अंत्य स्वर में ही विकार होता है, अर्थात अंत्य स्वर दीर्घ हुआ, तो वह ह्रस्व हो जाता है। जो धातु व्यंजनांत हैं, उनके व्यंजन में संधिनियम के अनुसार कहीं-कहीं विकार भी होता है। शेष में कुछ भी विकार नहीं होता । ऐसे प्रत्यय हैं – अक, आलु, इत, इल, ई, ईय, अनीय, ईन, उक, उ, क, क्त, ठ, म, मान्, य, र, ल, विनि, वान्, श इत्यादि । जैसे—
विशेष्य प्रत्यय विशेषण
उपदेश अक उपदेशक
अभिषेक क्त अभिषिक्त
ईर्ष्या आलु ईर्ष्यालु
कर्म ठ कर्मठ
अंकुर इत अंकुरित
आदि म आदिम
तंद्रा इल तंद्रिल
बुद्धि मान् बुद्धिमान्
अनुभव ई अनुभवी
अंत य अंत्य
आदर अनीय आदरणीय
मधु र मधुर
आसन ईन आसीन
भाव उक भावुक
स्वाद उ स्वादु
कर्ता क कर्तृक
पांसु ल पांसुल
तेजस् विनि तेजस्वी
धन वान् धनवान्
रोम श रोमश
२. ‘वान्’ और ‘मान्’ एक ही प्रत्यय हैं। इकारांत संज्ञाओं के साथ लगने पर ‘वान्’ का ‘मान्’ हो जाता है; जैसे – बुद्धिमान्, शक्तिमान्।
विशेषण बनाने में उर्दू के आना, आवर, ई, ईन, इंदा, दार, नाक, मंद, बाज, वार आदि प्रत्ययों का प्रयोग होता है।
हिंदी के आ, आलू, आई, आऊ, आर, आड़ी, इयल, ई, ईला, ऊ, एरा, एलू, ऐलू, ऐल, ओड़, ओड़ा, था, ल इत्यादि प्रत्यय विशेषण बनाने में प्रयुक्त होते हैं। इस संस्कृत, हिंदी और उर्दू प्रत्ययों के आधार पर विशेष्य (संज्ञा) से बने विशेषणों के उदाहरण निम्नांकित हैं-
विशेष्य (संज्ञा) से विशेषण
विशेष्य विशेषण (अ, आ)
अंत अंतिम, अंत्य
अंकुर अंकुरित
अंग आंगिक
अंकन अंकित
अणु आणविक
अभिषेक अभिषिक्त
अवश्य आवश्यक
अनुभव अनुभवी, आनुभाविक
अनुपात आनुपातिक
अन्याय अन्यायी
अपेक्षा अपेक्षित
अंतर आंतरिक
आंचल आंचलिक
अंश आंशिक
अग्नि आग्नेय
अर्थ आर्थिक
अवयव आवयविक
अनुष्ठान आनुष्ठानिक, अनुष्ठित
अनुक्रम आनुक्रमिक
अनुराग अनुरागी
अक्ल अक्लमंद
अधिकार अधिकारी
अलंकार आलंकारिक, अलंकृत
अनादर अनादृत
अकर्म अकर्मण्य, अकर्म
अजय अजित
अभ्यासी अभ्यास
अध्यात्म आध्यात्मिक
अपकार अपकारी
अज्ञान अज्ञानी, अज्ञान
अतिरंजन अतिरंजित
अध्यापन अध्यापित
अध्ययन अधीत
अनासक्ति अनासक्त
अनुमोदन अनुमोदित
अनुशंसा अनुशंसित
अनुवाद अनुवादित, अनूदित, अनुवाद्य
अनुशासन अनुशासित
अपमान अपमानित
अपराध अपराधी
आदर आदरणीय, आदृत
आत्मा आत्मीय, आत्मिक
आसमान आसमानी
आराधना आराध्य
आसक्ति आसक्त
आकाश आकाशीय
आक्रमण आक्रांत
आभूषण आभूषित
आधार आधारित, आधृत
आचरण आचरित
आश्रय आश्रित
आदि आदिम, आद्य
आकर्षण आकृष्ट
आयु आयुष्मान्
(इ, ई, उ, ऋ, ए, ओ)
विशेष्य विशेषण
इच्छा ऐच्छिक, इष्ट
इतिहास ऐतिहासिक
ईर्ष्या ईर्ष्यालु, ईर्ष्या
उपेक्षा उपेक्षित, उपेक्षणीय
उपनिवेश औपनिवेशिक
ईसा ईस्वी
इहलोक इहलौकिक, ऐहलौकिक
ईश्वर ईश्वरीय
उद्योग औद्योगिक
उच्चारण औच्चारणिक, उच्चरित, उच्चारणीय.
उपार्जन उपार्जित
उत्साह उत्साहित
उत्पीड़न उत्पीड़ित
उन्नति उन्नत
उदय उदित
उत्कर्ष उत्कृष्ट
उपज उपजाऊ
उत्तेजना उत्तेजित
उत्तर उत्तरी
उपनिषद् औपनिषदिक
उपकार उपकारक, उपकृत
उपयोग उपयुक्त, उपयोगी
ऋण ऋणी
ऋषि आर्ष
ओष्ठ ओष्ठ्य
(क)
कृपा कृपालु
क्रोध क्रुद्ध
काम कामी, कामुक
काल कालिक, कालीन
कुल कुलीन
केंद्र केंद्रीय, केंद्रित
क्रम क्रमिक
कल्पना कल्पित, काल्पनिक
कागज कागजी
किताब किताबी
काँटा कँटीला
कर्म कर्मी, कर्मठ
कुटुंब कौटुंबिक
करुणा कारुणिक, करुण
कंठ कंठ्य
कत्था कत्थई
कर्ज कर्जखोर कर्जदार,
कलंक कलंकित
क्रय क्रीत
कंकड़ कॅंकड़ीला
कमाई कमाऊ
कर्म कर्मण्य, कर्मठ
कसरत कसरती
क्लेश क्लिष्ट
(ख)
खपड़ा खपड़ैल
खेल खेलाड़ी
खंड खंडित
खर्च खर्चीला
खजूर खजूरी
खान खनिज
खून खूनी
खाना खाऊ
खानदान खानदानी
ख्याति ख्यात
(ग)
गलती गलत
ग्राम ग्रामीण, ग्राम्य
ग्रहण ग्राह्य, गृहीत
गृहस्थ गार्हस्थ्य
गाँव गँवार, गँवारू, गँवई
गर्मी गर्म
गोत्र गोत्रीय
गर्व गर्वीला
गौरव गौरवित
गुण गुणवान् गुणी
ग्रास ग्रस्त
गुलाब गुलाबी
गेरू गेरुआ
(घ)
घर घरेलू
घनिष्ठता घनिष्ठ
घमंड घमंडी
घृणा घृणित, घृण्य
घाव घायल
घात घातक
(च)
चर्चा चर्चित
चित्र चित्रित, चितेरा
चरित्र चारित्रिक
चिंता चिंतनीय चिंत्य, चिंतित
चिह्न चिह्नित
चक्र चक्रित
चाचा चचेरा
चंद्र चांद्र
चार चौथा
चौमास चौमासा
चेष्टा चेष्टित
(ज)
जल जलीय
जाति जातीय
जटा जटिल
जंगल जंगली
जागरण जाग्रत्, जागरित
जहर जहरीला
जवाब जवाबी
जनपद जनपदीय
(त)
तेज तेजस्वी
ताप तप्त
त्याग त्याज्य, त्यागी
तिरस्कार तिरस्कृत
तर्क तार्किक
तत्त्व तात्त्विक
तालु तालव्य
तंत्र तांत्रिक
(द, ध)
देश देशी, देशीय
देव दैवी, दैविक
दंपति दांपत्य
दया दयालु, दयामय
दूत दौत
दिन दैनिक
दर्शन दर्शनीय, दार्शनिक
दर्द दर्दनाक
दुनिया दुनियावी
दस्त दस्तावर
दंत दंत्य
धन धनी, धनवान्
धर्म धार्मिक
दगा दगाबाज
(न)
नरक नारकीय
निंदा निंद्य, निंदनीय
नगर नागरिक
नीति नैतिक
नाटक नाटकीय
नियम नियमित
निज निजी
नाव नाविक
निर्माण निर्मित
निष्कासन निष्कासित
निश्चय निश्चित
न्याय न्यायी, न्यायिक
नमक नमकीन
निषेध निषिद्ध
(प)
पहाड़ पहाड़ी
पुस्तक पुस्तकीय
पृथु पृथुल
परिवार पारिवारिक
पर्वत पर्वतीय
पुष्टि पौष्टिक
परिभाषा पारिभाषिक
पिता पैतृक
परलोक पारलौकिक
प्रसंग प्रासंगिक
प्रशंसा प्रशंसनीय, प्रशंसित
पशु पाशविक, पाशव
पुराण पौराणिक
पृथ्वी पार्थिव
प्रथम प्राथमिक
प्रमाण प्रामाणिक
प्रकृति प्राकृतिक
परस्पर पारस्परिक
प्रांत प्रांतीय
पूजा पूज्य, पूजनीय
पत्थर पथरीला
पश्चिम पाश्चात्य, पश्चिमीय, पश्चिमी
पाठ पाठ्य
परिचय परिचित
प्रतिष्ठा प्रतिष्ठित
पीड़ा पीड़ित
प्रदेश प्रादेशिक
पथ पाथेय
पक्ष पाक्षिक
पुरुष पौरुषेय
प्रार्थना प्रार्थित, प्रार्थनीय
प्रतीक्षा प्रतीक्षित
पानी पेय
पतन पतित
पराजय पराजित
पुष्प पुष्पित
प्रस्ताव प्रस्तावित, प्रस्तुत
पल्लव पल्लवित
पूर्व पूर्वी
परिवर्तन परिवर्तित
प्यार प्यारा
प्यास प्यासा
प्रतिबिंब प्रतिबिंबित
पुरातत्त्व पुरातात्त्विक
पाठक पाठकीय
प्राची प्राच्य
प्रातः काल प्रातः कालीन
प्रणाम प्रणम्य
(फ, ब, भ)
विशेष्य विशेषण
फेन फेनिल
फल फलित
बाजार बाजारू
बर्फ बर्फीला
बालक बाल्य
बुद्ध बौद्ध
बल बलिष्ठ
बुद्धि बौद्धिक
भूख भूखा
भय भयानक
भ्रम भ्रामक
भोजन भोज्य
भूगोल भौगोलिक
भूमि भौमिक
भगवत् भागवत्
भूत भौतिक
भूषण भूषित
भारत भारतीय
भाव भावुक
भाषा भाषाई, भाषिक
(म)
मल मलिन
माह माहवारी
मास मासिक
मनु मानव
मुख मौखिक, मुखर
मांस मांसल
मूल मौलिक
माता मातृक
मंगल मांगलिक, मंगलमय
मोह मुग्ध
मूर्च्छा मूर्च्छित
माल मालदार
मैल मैला
माया मायिक, मायावी
मामा ममेरा
मिथिला मैथिल
मेधा मेधावी
मर्म मार्मिक
मृत्यु मर्त्य
मान मान्य
मजहब मजहबी
मथुरा माथुर
मध्यम माध्यमिक
माधुर्य मधुर
(य, र, ल)
योग योगी, यौगिक
यज्ञ याज्ञिक
रंग रंगीन, रँगीला
राजनीति राजनीतिक
रोमांच रोमांचित
यदु यादव
यश यशस्वी
रोग रोगी
लखनऊ लखनवी
रसीद रसीदी
रस रसीला, रसिक
राक्षस राक्षसी
रसायन रासायनिक
रोज रोजाना
रुद्र रौद्र
राज राजकीय, राजसी
लघु लाघव
लज्जा लज्जित, लज्जालु
लाज लजालू, लज्जित
लक्षण लाक्षणिक, लक्ष्य
लाभ लभ्य, लब्ध
लाठी लठैत
लेख लिखित
लौकिक लोक
राष्ट्र राष्ट्रीय
राह राही
लोभ लुब्ध, लोभी
लोहा लौह
(व)
वर्ष वार्षिक
वन वन्य
वेद वैदिक
वायु वायवीय, वायव्य
विपत्ति, विपद विपन्न
व्यापार व्यापारिक
विचार वैचारिक, विचारणीय
विस्मय विस्मित
विजय विजयी, विजेता
विकार विकृत, विकारी
विद्या विद्यावान्
विरह विरही
विवाद विवाद्य, विवादी
वियोग वियुक्त, वियोगी
विकास विकसित
विभाजन विभाजित, विभक्त
व्यवहार व्यावहारिक
विलास विलासी
विषाद विषण्ण
विषय विषयी
व्यवसाय व्यावसायिक
वर्णन वर्णनीय
वंदना वंद्य, वंदनीय
विनय विनीत, विनयी
विवेक विवेकी
विस्तार विस्तृत, विस्तीर्ण
विवाह वैवाहिक
विधान वैधानिक, विहित
व्याख्या व्याख्येय
वेतन वैतनिक
विज्ञान वैज्ञानिक
व्यक्ति वैयक्तिक
वास्तव वास्तविक
विष्णु वैष्णव
विमान वैमानिक
विद्वान वैदुष्य
(स)
संसार सांसारिक
संताप संतप्त
संयोग संयुक्त
संख्या संख्येय, सांख्यिक
संपादक संपादकीय
समाज सामाजिक
संदेह संदिग्ध
संकल्प संकल्पित
संकेत सांकेतिक
संक्षेप संक्षिप्त
संबंध संबद्ध, संबंधी
सम्मान सम्मानित, सम्मान्य
स्मृति स्मृत, स्मार्त
समर सामरिक
संपत्ति सांपत्तिक, संपन्न
स्वदेश स्वादेशिक, स्वदेशी
स्मरण स्मरणीय
स्तुति स्तुत्य
स्वर्ण स्वर्णिम
स्वभाव स्वाभाविक
स्वप्न स्वप्निल
सूर्य सौर
सिंधु सैंधव
स्वर्ग स्वर्गीय, स्वर्गिक
स्थान स्थानीय, स्थानिक
सिद्धांत सैद्धांतिक
स्वस्थ स्वास्थ्य
सागर सागरीय
सप्ताह साप्ताहिक
समय सामयिक
समास सामासिक
सीमा सीमित
सुख सुखी
सुगंध सुगंधित
समुद्र समुद्री, सामुद्र, सामुद्रिक
साहस साहसिक
साहित्य साहित्यिक
संप्रदाय सांप्रदायिक
सुर सुरीला
स्त्री स्त्रैण
सभा सभ्य
सोना सुनहला, सुनहरा
स्वाद स्वादु
(श, श्र, क्ष)
शिक्षा शैक्षिक, शिक्षित
शासन शासित, शासक
शास्त्र शास्त्रीय
शिव शैव
शरद् शारदीय
श्रद्धा श्रद्धेय, श्रद्धालु
शौक शौकीन
क्षण क्षणिक
श्रृंगार श्रृंगारिक
क्षोभ क्षुब्ध
शरीर शारीरिक
क्षमा क्षम्य
क्षय क्षीण, क्षयी
श्याम श्यामल
(ह)
हवा हवाई
हँसी हॅंसोड़
हिंसा हिंसक
हृदय हार्दिक
पदवाचक विशेषण
हिंदी और संस्कृत में कुछ ऐसे विशेषण प्रयुक्त हैं, जो विशेष प्रकार के पदों या विशेष्यों के पहले आते हैं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
विशेषण विशेष्य
अगाध सागर
अनुपम छवि
अप्रत्याशित घटना
अनन्य भक्ति, भक्त, प्रेम
अमानुषिक अत्याचार, व्यवहार
आकुल हृदय, प्राण
ओजस्वी भाषण
उद्भट योद्धा, विद्वान्
उर्वर भूमि
करुण क्रंदन
कलुषित कार्य, हृदय
गगनचुंबी अट्टालिका, शिखर
चतुर बालक
चालू बाजार, लड़का
तरुण हृदय
दूषित हवा, वातावरण
दुर्लभ बंधु
दुर्गम वन, पर्वत
दैवी प्रकोप, घटना
नश्वर जगत्, शरीर
निर्मम हृदय
निंदित कार्य
निर्जला एकादशी
नीरस विषय
नील कमल, आकाश
प्रचंड मार्तंड, पुरुष
प्रत्यक्ष प्रमाण
प्रगाढ़ प्रेम, निद्रा
पांचभौतिक शरीर
पुष्ट शरीर
फलित ज्योतिष
भौतिक शरीर, जगत्
मनोरम छवि, दृश्य
मधुर भाषण, भोजन
भीषण युद्ध
मरणासन्न स्थिति
मानसिक कष्ट
यशस्वी नेता
विफल मनोरथ
विशाल हृदय
सजल नेत्र, मेघ
सफल, भग्न मनोरथ
सतत प्रयास
सदय हृदय
स्नेहमयी भगिनी, माता
स्वादिष्ट भोजन
स्निग्ध हृदय, दृष्टि
स्वर्णिम सुयोग, उषा, अक्षर
श्रांत पथिक
शारीरिक श्रम, कष्ट
शस्यश्यामला भूमि
शुभ्र वसन
हार्दिक प्रेम, बधाई
हृदयविदारक समाचार, दृश्य
क्षुब्ध हृदय
क्रिया से संज्ञा (भाववाचक)
क्रिया में कृत्-प्रत्यय लगाकर भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं। कृत्-प्रत्ययों द्वारा धातुओं से बनी संस्कृत की भाववाचक कृदंत संज्ञाएँ हिंदी में ज्यों-की-त्यों प्रयुक्त होती हैं। भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए धातुओं के साथ हिंदी के ये कृत्-प्रत्यय लगते हैं—आहट, आ, आई, ई, आप, आव, आवा, आवट, न, औता, औती, ता, क, त, ना, आन, नी, ती, न्त, न्ती इत्यादि । पिछले पृष्ठों में हमने ‘हिंदी के कृत्-प्रत्यय’ के अंतर्गत क्रियाओं से बनी कुछ भाववाचक संज्ञाओं के उदाहरण दिए हैं। नीचे कुछ और उदाहरण दिए जाते हैं—
क्रिया संज्ञा
उतरना उतार
उड़ना उड़ान
करना करनी
कमाना कमाई
काटना कटाई
खपना खपत
खानापीना खानपान
खिलाना खिलाई
खोजना खोज
खेलना खेल
गिनना गिनती
गाना गान
घटाना घटाव
घबराना घबराहट
घटना घटती, घटाव
घुड़कना घुड़की
घूमना घुमाव, घुमंत
घेरना घेरा
चढ़ना चढ़ाई, चढ़ाव
चलना चलन, चलावा, चलंत, चलती
चमकना चमक
चराना चराई
चिल्लाना चिल्लाहट
चुराना चोरी
चुनना चुनाव
छापना छाप, छपाई
छिड़कना छिड़काव
छींकना छींक
छेड़ना छेड़
जमाना जमाव, जमावट
जगमगाना जगमगाहट
जाॅंचना जाँच, जँचाई
जीतना जीत
जोड़ना जोड़
झगड़ना झगड़ा
झुंझलाना झुंझलाहट
डकरना डकैत
थकना थकावट, थकनी
देखना दिखावट
नाचना नाच
पहनना पहनावा
पड़ना पड़ाव
पीटना पिटाई
जोतना जुताई
टाॅंकना टाँकी, टँकाई
झाड़ना झाड़न, झाड़
तोड़न तोड़
देना देन (अ)
देखना – भालना देख-भाल
दौड़ना दौड़
धोना धुलाई
पकड़ना पकड़
पढ़ना पढ़ाई
पाना पावना
फँसना फाँसी
फेरना फेरा
बचाना बचाव, बचत
बनाना बनाई, बनाव, बनावट
बैठना बैठक
भनभनाना भनभनाहट
भुलाना भुलावा
भूलना भूल
मारना मार
मिलना मिलाप, मेल, मिलावट
मुसकाना मुस्कराहट, मुस्कान
रुकना रुकावट, रोक
रेतना रेती
रोना रुलाई
लड़ना लड़ाई
लजाना लाज
लिखना लिखावट, लिखंत
लूटना लूट
लेना लेन
लेना-देना लेन-देन
सजाना सजावट
समझाना समझौता
सींचना सिंचाई
हारना हार
विशेषण से संज्ञा (भाववाचक)
विशेषण के अंत में संस्कृत और हिंदी के तद्धित प्रत्यय लगाकर भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं। ये प्रत्यय हैं—ता, त्व, अ, य, आ, इ, इमा, अन, ई, आई, आहट, आयत, पन, आस, आपा इत्यादि । नीचे विशेषण शब्दों से इन तद्धित प्रत्ययों के योग से बनी भाववाचक संज्ञाओं के कुछ उदाहरण दिए जाते हैं—
विशेषण भाववाचक संज्ञा
(अ)
अंध अँधेरा
अच्छा अच्छाई
अराजक अराजकता
अंकित अंकन
अपना अपनापन (पन हि०)
अधिक अधिकता, आधिक्य
अभिलषित अभिलाषा
(आ-ई)
आवश्यक आवश्यकता
ईमानदार ईमानदारी
(उ-ए)
उपकृत उपकार
उपस्थित उपस्थिति
उत्कृष्ट उत्कृष्टता
एक एकता, एकत्व
ऊँचा ऊँचाई
ऐतिहासिक ऐतिहासिकता
(क)
कड़वा कड़वाहट
कर्मनिष्ठ कर्मनिष्ठता
कठोर कठोरता
कुरूप कुरूपता
करूण कारूण्य
कुशल कुशलता, कौशल
(ख)
खट्टा खटास, खटाई
खुश खुशी
ख्यात ख्याति
खामोश खामोशी
(ग)
गरम गरमी
गंभीर गांभीर्य, गंभीरता
गरीब गरीबी
गृहस्थ गृहस्थी
गुरु गुरुता, गुरुत्व, गौरव
गहन गहनता
(घ)
घनिष्ठ घनिष्ठता
घना घनत्व
(च)
चतुर चतुराई, चातुर्य, चातुरी
चिकना चिकनाई, चिकनाहट
चालाक चालाकी
चौड़ा चौड़ाई
(ज)
जटिल जटिलता
जातीय जातीयता
जड़ जड़त्व
जितेंद्रय जितेंद्रियता
(ठ, ढ, त)
ठाकुर ठकुराई
ढीठ ढीठाई
तीव्र तीव्रता
तीक्ष्ण तीक्ष्णता
(द)
दिलचस्प दिलचस्पी
दक्ष दक्षता
दगाबाज दगाबाजी
दीन दीनता, दैन्य
दुष्ट दुष्टता
दूकानदार दूकानदारी
(ध)
धार्मिक धार्मिकता
धन्य धन्यता
(न)
नीचा निचाई
नवाब नवाबी
नेक नेकी
नम्र नम्रता
(प)
पराजित पराजय
परिश्रमी परिश्रम
परिवर्तित परिवर्तन
प्रतिकूल प्रतिकूलता
प्रतिपादित प्रतिपादन
प्रामाणिक प्रामाणिकता
प्रांतीय प्रांतीयता
पागल पागलपन
पंडित पांडित्य, पंडिताई
प्रयुक्त प्रयोग, प्रयुक्ति
प्राचीन प्राचीनता
पौराणिक पौराणिकता
(फ)
फकीर फकीरी
फलित फलन
(ब)
बहुत बहुतायत
बड़ा बड़ाई
बुरा बुराई
बेवफा बेवफाई
बूढ़ा बुढ़ापा (आपा)
बेईमान बेईमानी
बद बदी
बेवकूफ बेवकूफी
(भ)
भला भलाई (आई)
भावुक भावुकता
भारतीय भारतीयता
भीषण भीषणता
(म)
मधुर मधुरता, माधुर्य
मलिन मलिनता
मर्द मर्दानगी
महान् महत्ता
मीठा मिठास (आस)
मूर्ख मूर्खता
मौलिक मौलिकता
मुखर मुखरता
मोटा मोटापा
मनोरम मनोरमता
(य)
यथेष्ट यथेष्टता
योग्य योग्यता
(र)
राष्ट्रीय राष्ट्रीयता
रसीला रसीलापन
राजनीतिक राजनीतिकता
रौद्र रौद्रता
(ल)
लघु लघुता, लघुत्व, लाघव
ललित लालित्य, ललिताई
लंबा लंबाई
लाल लालिमा, ललाई, लाली
(व)
विभक्त विभाजन, विभक्ति
विस्मृत विस्मृति, विस्मरण
विधवा वैधव्य
वीर वीरता, वीरत्व
विश्वस्त विश्वसनीयता
(श)
शिष्ट शिष्टता
श्लील श्लीलता
शठ शठता
श्याम श्यामता
(स)
सरल सरलता
सभ्य सभ्यता
सहायक सहायता, साहाय्य
स्थापित स्थापन, स्थापना
स्वीकृत स्वीकृति
स्वस्थ स्वास्थ्य
स्पष्ट स्पष्टता
संगृहीत संग्रह
साहित्यिक साहित्यिकता
सिद्ध सिद्धि
सावधान सावधानी
सुस्त सुस्ती
सुखद सुख
सुंदर सुंदरता, सौंदर्य
(ह)
हक हकदार
हार्दिक हार्दिकता
हीन हीनता
हरा हरापन