UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter 1 Vandana (Anivarya Sanskrit Khand) – हिंदी कक्षा 9 पाठ -1 वन्दना (अनिवार्य संस्कृत-खण्ड)
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UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter 1 Vandana. (Anivarya Sanskrit Khand) – हिंदी कक्षा 9 पाठ-1 वन्दना (अनिवार्य संस्कृत-खण्ड) – up board class 9th anivary sanskrit lesson 1 bandana vandan based on new syllabus of uttar pradesh madhymik shiksha parishad prayagraj.
Chapter Name | Vandana – वन्दना |
Class | 9th |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | गद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर,गद्यांशो का हल(Gadyansh Adharit Prashn Uttar Summary ) |
UP Board Solution of Anivarya
Sanskrati
class 9th chapter – 1
प्रथमः पाठः वन्दना
तेजोऽसि तेजो मयि धेहि।
वीर्यमसि वीर्यं मयि धेहि।
बलमसि बलं मयि धेहि।
ओजोऽसि ओजो मयि धेहि ।।१।।
शब्दार्थ – तेजोऽसि (तेज: + असि) = कान्ति-स्वरूप हो ! मयि = मुझमें । धेहि = धारण कराओ। ओजः = प्राणबल,सामर्थ्य | वीर्यं = पराक्रम ।
सन्दर्भ – प्रस्तुत श्लोक ‘वन्दना‘ पाठ्य-पुस्तक के अन्तर्गत ‘संस्कृत खण्ड’ के वन्दना नामक पाठ से अवतरित है। इसमें ईश्वर की वन्दना की गयी है।
हिन्दी अनुवाद – ( हे ईश्वर !) तुम कान्ति (प्रकाश, तेज) स्वरूप हो, मुझमें भी कान्ति धारण कराओ। तुम पराक्रम-स्वरूप हो, मुझमें (भी) पराक्रम धारण कराओ। तुम बलशाली हो, मुझमें भी बल धारण कराओ। तुम सामर्थ्यवान् (ओजस्वी, समर्थ) हो, मुझमें भी सामर्थ्य (ओज, प्राणबल) धारण कराओ ।
असतो मा सद् गमय,
तमसो मा ज्योतिर्गमय,
मृत्योर् मामृतं गमय।। २ ।।
शब्दार्थ – असतो = बुराई, अस्थिरता से । मा ( माम् ) = मुझे। सद् = भलाई, स्थिरता! गमय = ले जाओ । तमसः अन्धकार से ज्योतिः = प्रकाश की ओर । मृत्योः = मृत्यु से ! अमृतम् = अमरत्व की ओर ।
हिन्दी अनुवाद — हे ईश्वर ! तुम मुझे बुराई से भलाई की ओर ले जाओ। तुम मुझे अन्धकार (अज्ञान) से प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाओ। तुम मुझे मृत्यु से अमरत्व की ओर ले जाओ।
यतो यतः समीहसे,
ततो नोऽ भयं कुरु,
शत्रः कुरु प्रजाभ्यो–
ऽ भयं नः पशुभ्यः ।।३।।
शब्दार्थ—यतो यतः = जिस-जिस से। समीहसे = तुम चाहते हो । ततोनोऽभयम् = उससे हमें निर्भय । कुरु = कर दो। शम् = कल्याण। प्रजोभ्योऽभयम् = प्रजाओं का । नः = हमें, हमारी, हमारे
हिन्दी अनुवाद – हे देव! तुम जिस-जिस से चाहते हो, उस-उस से हमें निर्भय (निडर) कर दो, हमारी प्रजा का कल्याण करो और हमारे पशुओं को निर्भय कर दो।
नमो ब्रह्मणे त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि ।
त्वामेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वदिष्यामि।
ऋतं वदिष्यामि सत्यं वदिष्यामि।
तन्मामवतु तद् वक्तारमवतु ।
अवतु माम्, अवतु वक्तारम् ।।४।।
शब्दार्थ – नमो ब्रह्मणे = ब्रह्म के लिए। त्वमेव = तुम ही । ब्रह्मासि = ब्रह्म हो । त्वामेव = तुमको ही । ऋतं = यथास्थिति, वास्तविक सच्चाई। तन्मामवतु = वह मेरी रक्षा करे । वक्तारमवतु = वक्ता की।
हिन्दी अनुवाद – ब्रह्म के लिए नमस्कार है। तुम ही प्रत्यक्ष ब्रह्म हो। तुमको ही प्रत्यक्ष ब्रह्म कहूँगा। यथास्थिति (अथर्थात् वास्तविक सच्चाई) कहूँगा। सत्य कहूँगा। वह मेरी रक्षा करे। वह वक्ता की रक्षा करे। मेरी रक्षा करे, वक्ता की रक्षा करे।
सत्यव्रतं सत्यपरं त्रिसत्यं,
सत्यस्य योनिं निहितं च सत्ये।
सत्यस्य सत्यम् ऋतसत्यनेत्रं,
सत्यात्मकं त्वां शरणं प्रपन्नाः ।।५।।
शब्दार्थ – सत्यव्रतं = सत्य का व्रत लेनेवाला । त्रिसत्यं = तीनों कालों में सत्य पंचभूत । सत्यस्य सत्यं = पंचभूतों के नाश होने पर भी सत्य । योनिं = जन्मदाता । ऋतसत्य = यथार्थ सत्य । नेत्रं = प्रवर्तक । सत्यात्मकं = सत्यरूपी आत्मावाले ! प्रपन्नाः = प्राप्त होते हैं
हिन्दी अनुवाद – (आप) सत्य का व्रत धारण करनेवाले, सत्य में तत्पर रहनेवाले (सत्यनिष्ठ), त्रिकाल सत्य, सत्य को उत्पन्न करनेवाले और सत्य में ही स्थित रहनेवाले, सत्य के भी सत्य और सत्य के प्रवर्तक हैं । हे ईश्वर ! हम आपकी शरण को प्राप्त हुए हैं।
निर्देश: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए
प्रश्न 1. भक्तस्य कः स्वरूप अस्ति?
उत्तर : भक्तस्य सत्य स्वरूपः अस्ति ।
प्रश्न 2. भक्तः कां प्रतिज्ञां करोति?
उत्तर : अहम् ऋतं वदिष्यामि, सत्यं वदिष्यामि इति भक्तः प्रतिज्ञां करोति ।
प्रश्न 3. भक्तः ईश्वरं किम् याचते?
उत्तर : भक्त : ईश्वरं तेजः वीर्य बलं, ओजः च याचते । ,
प्रश्न 4. भक्तः कुत्र गन्तुम् इच्छति ?
उत्तर : भक्तः असतः सत् प्रति तमसः ज्योतिः प्रति मृत्योः अमरत्वं प्रतिगन्तुम इच्छति ।
प्रश्न 5. ईश्वरस्य के नेत्रे स्तः ?
उत्तर : ईश्वरस्य ‘ऋतसत्यरूपं’ इमे द्वे नेत्रे स्तः ।
- भक्तस्य कः स्वरूपः अस्ति ?
(अ) सत्यः (ब) असत्यः
(स) कर्मः (द) धर्मः
- भक्तः ईश्वरं किम् याचते ?
(अ) तेज (स) ओजः
(ब) बलं (द) सर्वे
- भक्तः कुत्र गन्तुम् इच्छति ?
(अ) असतः सत् प्रति
(ब) तमसः ज्योतिः प्रति
(स) मृत्योः अमरत्वं प्रति
(द) सर्वे
- भक्त ईश्वर से याचना कर रहा है
(अ) बल (ब) पराक्रम
(स) सामर्थ्य (द) उक्त सभी
- भक्त सत्य का प्रवर्त्तक किसे माना है ?
(अ) ईश्वर (स) पुजारी
(ब) व्यक्ति (द) इनमें सभी