UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter 3 Purushottam Ram (Anivarya Sanskrit Khand) – हिंदी कक्षा 9 पाठ -3 पुरुषोत्तमः रामः (अनिवार्य संस्कृत-खण्ड)
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UP Board Solution of Class 9 Hindi Chapter 3 Purushottam Ram . (Anivarya Sanskrit Khand) – हिंदी कक्षा 9 पाठ-3 पुरुषोत्तमः रामः (अनिवार्य संस्कृत-खण्ड) – up board class 9th anivary sanskrit lesson 3 Purushottam Ram based on new syllabus of uttar pradesh madhymik shiksha parishad prayagraj.
Chapter Name | Purushottam Ram – पुरुषोत्तमः रामः |
Class | 9th |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | गद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर,गद्यांशो का हल(Gadyansh Adharit Prashn Uttar Summary ) |
UP Board Solution of Anivarya
Sanskrati
class 9th chapter – 3
तृतीयः पाठः पुरुषोत्तमः रामः
इक्ष्वाकुवंशप्रभवो रामो नाम जनैः श्रुतः।
नियतात्मा महावीर्यो द्युतिमान् धृतिमान् वशी ।।१।।
शब्दार्थ – इक्ष्वाकुवंशप्रभवः = इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न । नियतात्मा = आत्मसंयमी । द्युतिमान = कान्तिमान । महावीर्यः = महान् वीर । धृतिमान = धैर्यवान् । वशी = जितेन्द्रिय ।
सन्दर्भ – प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य पुस्तक के अन्तर्गत संस्कृत खण्ड के ‘पुरुषोत्तमः रामः नामक पाठ से लिया गया है। इसमें भगवान् राम के गुणों का वर्णन किया गया है।
हिन्दी अनुवाद – लोगों द्वारा ‘राम’ नाम से सुने हुए, इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न, (राम) आत्मा को वश में रखनेवाले,महाबलशाली, कान्तिमान्, धैर्यवान् एवं जितेन्द्रिय हैं।
बुद्धिमान् नीतिमान् वाग्मी श्रीमाञ्छत्रुनिवर्हणः ।
विपुलांसो महाबाहुः कम्बुग्रीवो महाहनुः ।। २ ।।
शब्दार्थ – वाग्मी = बोलने में चतुर श्रीमाञ्छत्रुनिर्वहण: (श्रीमान् + शत्रु – निर्वहण 🙂 = श्री (शोभा) सम्पन्न और शत्रु को नष्ट करनेवाले। विपुलांसः = पुष्ट कन्धों वाले। महाबाहुः = विशाल भुजाओं वाले । कम्बुग्रीवः = शंख जैसी गर्दन वाले।
हिन्दी अनुवाद – (राम) बुद्धिमान्, नीतिमान, बोलने में कुशल, शोभावाले, शत्रु विनाशक, ऊँचे कंधे वाले, विशाल भुजाओं वाले, शंख के समान गर्दन वाले, बड़ी ठोड़ी वाले (हैं)।
महोरस्को महेष्वासो गूढजत्रुररिन्दमः ।
आजानुबाहुः सुशिराः सुललाटः सुविक्रमः ।। ३ ।।
शब्दार्थ – गूढजत्रुः = जिनकी गले की हँसुली नहीं दिखायी देती। महोरस्को = बड़े वक्षस्थल वाले। महेष्वासः = बड़े धनुष वाले।
हिन्दी अनुवाद – (राम) विशाल वक्षस्थल वाले, विशाल धनुष वाले (मांस में) दबी ग्रीवास्थि – हँसुली वाले, शत्रुओं का दमन करने वाले, घुटनों तक लम्बी भुजाओं वाले, सुन्दर सिर वाले, सुन्दर मस्तक वाले तथा महापराक्रमी ( हैं )
समः समविभक्ताङ्गः स्निग्धवर्णः प्रतापवान्।
पीनवक्षा विशालाक्षो लक्ष्मीवाञ्छुभलक्षणः ।।४।।
शब्दार्थ – समविभक्ताङ्ग = समान रूप से विभक्त अंगों वाले, सुडौल! पीनवक्षा = पुष्ट वक्षस्थल वाले। विशालाक्षः = विशाल नेत्रोंवाले। लक्ष्मीवाञ्छुभलक्षण: (लक्ष्मीवान् + शुभलक्षणः) – शोभा सम्पन्न (सम्पत्तिशाली) और शुभ लक्षणों वाले।
हिन्दी अनुवाद – वे (राम) समान रूप से विभक्त अंगों वाले (सुडौल), सुन्दर वर्ण, प्रतापी, पुष्ट वक्षस्थल वाले, विशाल नेत्रों वाले, शोभा-सम्पन्न और शुभ लक्षण से युक्त शरीरवाले हैं।
धर्मज्ञः सत्यसन्धश्च प्रजानां च हिते रतः।
यशस्वी ज्ञानसम्पन्नः शुचिर्वश्यः समाधिमान्। । ५ ।।
शब्दार्थ — सत्यसन्धः = सत्य प्रतिज्ञा वाले । शुचिः = पवित्र । वश्यः = इन्द्रियों को वश में रखने वाले। धर्मज्ञः = धर्म के ज्ञाता ।
हिन्दी अनुवाद—वे (राम) धर्म के ज्ञाता, सत्य प्रतिज्ञा वाले तथा प्रजा के हित में लगे रहने वाले हैं। वे यशस्वी, ज्ञानी, पवित्र, जितेन्द्रिय और एकाग्रचित्त हैं।
प्रजापति समः श्रीमान् धाता रिपुनिषूदनः ।
रक्षिता जीवलोकस्य धर्मस्य परिरक्षिता ।। ६ ।।
शब्दार्थ—धाता = पालन करनेवाले। रिपुनिषूदनः = शत्रुओं का विनाश करने वाले। परिरक्षिता = रक्षा करनेवाले ।
हिन्दी अनुवाद — श्रीराम प्रजापति (राजा) के समान सभी के पालक अर्थात् रक्षक हैं। वह शत्रुओं का नाश करनेवाले हैं। वे सम्पूर्ण जीवलोक के रक्षक तथा धर्म की रक्षा करनेवाले हैं।
रक्षिता स्वस्य धर्मस्य स्वजनस्य च रक्षिता।
वेदवेदाङ्गतत्त्वज्ञो धनुर्वेदे च निष्ठितः ।।७।।
शब्दार्थ – स्वस्य = अपने । वेदवेदाङ्गत्तत्वज्ञः = वेद और वेदांगों के तत्त्व को जानने वाले । धनुर्वेदे = धनुर्विद्या में। निष्ठितः – निपुण ।
हिन्दी अनुवाद – (राम) अपने धर्म के रक्षक, अपने परिजनों की रक्षा करनेवाले, वेद और वेदांग के तत्त्व को जाननेवाले और धनुर्विद्या में निपुण हैं।
सर्वशास्त्रार्थतत्त्वज्ञः स्मृतिमान् प्रतिभावान् ।
सर्वलोकप्रियः साधुरदीनात्मा विचक्षणः ।।८।।
शब्दार्थ–प्रतिभावान् = प्रतिभाशाली । साधुरदीनात्मा साधुः + अदीनात्मा; साधुः अदीनात्मा = सज्जन, उदाराशय अर्थात् स्वतन्त्र विचार वाले ।
हिन्दी अनुवाद – (राम) सम्पूर्ण शास्त्रों के अर्थ के तत्त्व को जानने वाले, अच्छी स्मरण शक्ति वाले,प्रतिभाशाली, संसार के प्रिय, सज्जन, स्वतन्त्र विचार वाले तथा चतुर हैं।
स च नित्यं प्रशान्तात्मा मृदुपूर्वं च भाषते ।
उच्चमानोऽपि परुषं नोत्तरं प्रतिपद्यते । । ९ ।।
शब्दार्थ – प्रशान्तात्मा = प्रशान्त मन वाले! मृदु = मधुर भाषी! भाषते = बोलते हैं। प्रतिपद्यते = कहते हैं।
हिन्दी अनुवाद – और वह राम नित्य शान्त मन वाले, मृदुभाषी और स्वाभिमानी होने पर भी कठोर वचन नहीं कहते ।
कदाचिदुपकारेण कृतेनैकेन तुष्यति ।
न स्मरत्यपकाराणां शतमप्यात्मशक्तया ।। १० ।।
शब्दार्थ — कदाचिदुपकारेण = (कदाचित + उपकारेण) कभी उपकार के द्वारा। कृतेनैकेन = (कृतेन + एकेन) एक के किये जाने पर ! तुष्यते = सन्तुष्ट हो जाते हैं। स्मरत्यपकाराणां = ( स्मरति अपकाराणाम्) अपकारों को याद नहीं करते हैं। शतमप्यात्म शक्तया = (शतम् + अपि आत्म शक्तया) = अपनी आत्मशक्ति से सौ को भी ।
हिन्दी अनुवाद – यदि कभी कोई एक ही उपकार कर देता है तो उसी से सन्तुष्ट हो जाते हैं। अपनी आत्मशक्ति के कारण किसी के द्वारा किये गये सौ अपकारों को भी याद नहीं करते हैं
सर्वविद्याव्रतस्नातो यथावत् साङ्गवेदवित्।
अमोघक्रोधहर्षश्च त्यागसंयमकालवित् । । ११ ।।
शब्दार्थ – विद्याव्रतस्नातो = सभी विद्याओं में पारंगत । यथावत् = भली प्रकार से, उसी प्रकार । साङ्गवेदवित् = वेदों के छह अङ्गों के जानकार। अमोघ = अत्यधिक, निष्फल न होनेवाला । कालवित् = समय के जानकार ।
हिन्दी अनुवाद— श्रीराम सभी विद्याओं में पारंगत हैं । उसी प्रकार वेदों के छह अङ्गों के जानकार हैं। उनका क्रोध और हर्ष निष्फल न होनेवाला है वे त्याग और संयम के समय को जानने वाले हैं अर्थात् किस समय त्याग करना चाहिए और किस समय वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए इसको (भली प्रकार ) जानते हैं।
पाठ पर आधारित प्रश्नोत्तर :-
प्रश्न 1. रामः कस्मिन वंशे उत्पन्नः आसीत्?
उत्तर : रामः इक्ष्वाकु वंशे उत्पन्नः आसीत्।
प्रश्न 2. जीवलोकस्य रक्षकः कः आसीत्?
उत्तर : रामः जीवलोकस्य रक्षकः आसीत्।
प्रश्न 3. रामः गाम्भीर्ये केनसमः आसीत्?
उत्तर : रामः गाम्भीर्ये समुद्र इव आसीत्।
प्रश्न 4. कः प्रजापतिः समः श्रीमान् आसीत्?
उत्तर : रामः प्रजापतिः समः श्रीमान् आसीत् ।
प्रश्न 5. रामः वीर्ये केन सदृशः आसीत्?
उत्तर : रामः वीर्ये विष्णुना सदृशः आसीत्।
प्रश्न 6. कः साङ्गवेदविद् आसीत्?
उत्तर : रामः साङ्गवेद्विद् आसीत् ।
प्रश्न 7. रामस्य के विशिष्टाः गुणाः आसन ?
उत्तर : रामस्य वीरता, धृतिः, बुद्धिः, वाग्मिता, धर्मज्ञता, सत्यवादिता इत्यादयः विशिष्टाः गुणाः आसन्।
2.बहुविकल्पीय प्रश्न
- ‘पुरुषोत्तमः रामः ‘ पाठ कहाँ से संकलित किया गया है ?
(अ) वाल्मीकि रामायण से (ब) महाभारत से
(स) पुराणों से (द) स्मृतियों से
- रामः कस्मिन् वंशे उत्पन्नः आसीत् ?
(अ) चन्द्र वंशे (ब) इक्ष्वाकु वंशे
(स) यदु वंशे (द) एतेषु न कश्चिदामपि
- राम वीरता में किसके समान थे ?
(अ) विष्णु के (ब) कृष्ण के
(स) शिव के (द) गणेश के
- रामः कीदृशं भाषते ?
(अ) कटुः (ब) मृदुः
(स) असत्यः (द) एतेषु न कश्चिदामपि
- जीवलोकस्यः रक्षकः कः आसीत् ?
(अ) रामः (ब) ब्रह्मा
(स) प्राणिनः (द) राजा
- रामः वीर्ये केन सदृशः आसीत् ?
(अ) समुद्र इव (ब) आकाश इव
(स) पृथ्वी इव (द) एतेषु न कश्चिदामपि