UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] History [इतिहास] Chapter- 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति (Europe Me Samajwad aur Rusi Kranti)
लघु उत्तरीय प्रश्न Laghu Uttariy Prashn
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान इकाई-1: इतिहास भारत और समकालीन विश्व-1 खण्ड-1 घटनायें और प्रक्रियायें के अंतर्गत चैप्टर-2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति (Europe Me Samajwad aur Rusi Kranti)पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Subject | Social Science [Class- 9th] |
Chapter Name | यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति (Europe Me Samajwad aur Rusi Kranti) |
Part 3 | History [इतिहास] |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | भारत और समकालीन विश्व-1 |
यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रान्ति (Europe Me Samajwad aur Rusi Kranti)
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. समाजवाद की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- समाजवाद का नारा पूँजीवाद के विरुद्ध मजदूरों ने लगाया था। समाजवाद का उद्देश्य यह है कि समाज में धन का बँटवारा न्यायपूर्ण हो तथा निर्धनों और पूँजीपतियों में कोई भेदभाव न हो। कोई भी भूखा न रहे तथा प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताएँ पूरी हो सकें। समाजवाद का जन्म भी औद्योगिक क्रान्ति के कारण ही हुआ था। औद्योगिक क्रान्ति से धनवान और धनवान हो गए तथा निर्धन लोग और निर्धन हो गए। इस अन्तर को कम करने के लिए कई चिन्तकों ने आवाज़ उठाई जिनमें सबसे पहला व्यक्ति राबर्ट ओवन था जिसने ‘समाजवाद’ शब्द का प्रयोग किया।
प्रश्न 2. बोल्शेविक और मेन्शेविक दल के मध्य क्या बुनियादी अन्तर था?
उत्तर- बोल्शेविक और मेन्शेविक के बीच निम्नलिखित अन्तर इस प्रकार हैं
बोल्शेविक |
मेन्शेविक |
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1. | बोल्शेविक रूस में मजदूरों का बहुमत वाला समूह था जिसका नेता लेनिन था। वे समाज तथा देश में बदलाव के लिए क्रान्तिकारी तरीकों में विश्वास करते थे। | मेन्शेविक रूस में मजदूरों का एक दूसरा समूह था जो कि देश तथा समाज को चलाने के लिए संसदीय तरीकों एवं चुनावों में भाग लेने में विश्वास रखता था। |
2. | इन लोगों का मत था कि संसदीय तौर-तरीके रूस जैसे देश में बदलाव नहीं ला सकेंगे जहाँ लोकतंत्रात्मक अधिकारों का कोई अस्तित्व नहीं था और कोई संसद नहीं थीं। | ये लोग फ्रांस तथा जर्मनी में मौजूद दलों के पक्षधर थे जो कि अपने देशों में विधायिका के चुनावों में भाग लेते थे। |
3.
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बोल्शेविक रूस में सन् 1917 में एक सफल क्रांति ला सके और उन्होंने देश तथा समाज का ढाँचा पूरी तरह बदल दिया। | किन्तु यह मेन्शेविक कोई उपलब्धि प्राप्त नहीं कर सका क्योंकि रूसी जार संसदीय तरीकों में विश्वास नहीं करता था। |
प्रश्न 3. रूस में उदारवादियों के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर- उदारवादियों के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार थे-
- उन्होंने वंशवादी शासकों की निरंकुश सत्ता का विरोध किया।
- ये लोग सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (सभी नागरिकों को वोट का अधिकार देने) के पक्ष में नहीं थे। उनका मानना था कि वोट का अधिकार केवल संपत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए। वे नहीं चाहते थे कि महिलाओं को भी मतदान का अधिकार मिले।
- उन्होंने शासकों एवं अधिकारियों से मुक्त एक प्रतिनिधित्व करने वाली, निर्वाचित संसदीय सरकार की माँग की।
- वे एक स्वतन्त्र न्यायपालिका चाहते थे।
- वे सरकार के समक्ष व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा करना चाहते थे।
- उदारवादी एक ऐसा देश चाहते थे जो सभी धर्मों का सम्मान करें।
प्रश्न 4. 1905 की रूसी क्रान्ति के बाद जार ने रूस में क्या परिवर्तन किए?
उत्तर- 1905 की क्रान्ति के बाद जार द्वारा रूस के राजनीतिक परिवेश में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए –
- 1905 की क्रान्ति के उपरान्त सभी समितियाँ एवं संगठन गैरकानूनी घोषित कर दिए गए।
- राजनीतिक दलों पर कड़े प्रतिबन्ध लगा दिए गए।
- जार ने प्रथम ड्यूमा को 75 दिन के अन्दर और पुनः निर्वाचित दूसरे ड्यूमा को तीन माह के अन्दर बर्खास्त कर दिया। वह अपनी सत्ता पर किसी प्रकार की जवाबदेही अथवा अपनी शक्तियों में किसी तरह की कमी नहीं चाहता था। उसने मतदान के नियम बदल डाले और उसने तीसरी ड्यूमा में रूढ़िवादी राजनेताओं को भर डाला। उदारवादियों तथा क्रान्तिकारियों को बाहर रखा गया।
प्रश्न 5. समाजवाद की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- समाजवाद की तीन प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- उत्पादन तथा वितरण के साधनों पर पूरे समाज का अधिकार होता है क्योंकि इसका उद्देश्य लाभार्जन नहीं, बल्कि समाज का कल्याण होता है।
- समाजवाद में समाज वर्गविहीन होता है। इसमें अमीर-गरीब के बीच कम-से-कम अन्तर होता है। इसी कारण समाजवाद निजी सम्पत्ति का विरोधी है।
- इसमें मजदूरों का शोषण नहीं होता है। समाजवाद के अनुसार सभी को काम पाने का अधिकार है।
प्रश्न 6. रूस द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध से हटने का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर- 1917 में रूस प्रथम विश्व युद्ध से हट गया। रूसी क्रान्ति के अगले ही दिन बोल्शेविक सरकार ने शान्ति सम्बन्धी अज्ञाप्ति (Decree on Peace) जारी की। मार्च, 1918 में रूस ने जर्मनी के साथ शान्ति सन्धि पर हस्ताक्षर किए। जर्मनी की सरकार को लगा कि रूसी सरकार युद्ध को जारी रखने की स्थिति में नहीं है। इसलिए जर्मनी ने रूस पर कठोर शर्तें लाद दीं। परन्तु रूस ने उन्हें स्वीकार कर लिया। त्रिदेशीय सन्धि में शामिल शक्तियाँ रूसी क्रान्ति और रूस के युद्ध से अलग होने के निर्णय के विरुद्ध थीं। वे रूसी क्रान्ति के विरोधी तत्त्वों को पुनः उभारने का प्रयत्न करने लगीं। फलस्वरूप रूस में गृह-युद्ध छिड़ गया जो तीन वर्षों तक चलता रहा। परन्तु अन्त में विदेशी शक्तियों तथा क्रान्तिकारी सरकार के विरुद्ध हथियार उठाने वाले रूसियों की पराजय हुई और गृह-युद्ध समाप्त हो गया।
प्रश्न 7. खूनी रविवार और इसके बाद के घटनाक्रम को बताइए।
उत्तर- जनवरी, 1905 में रूसी शासक जार से याचना करने के लिए एक रविवार को मजदूरों ने पादरी गैपॉन के नेतृत्व में एक शांतिपूर्ण जुलूस निकाला। लेकिन ज्यों ही जुलूस विंटर पैलेस पहुँचा, पुलिस एवं कोसैक्स ने उन पर हमला कर दिया। 100 से ज्यादा मजदूर मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। यह घटना रविवार के दिन हुई थी, इसलिए इसे खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है। खूनी रविवार ने घटनाओं की एक श्रृंखला को आरंभ कर दिया। जिसे सन् 1905 की क्रान्ति के नाम से जाना जाता है। पूरे देश में हड़तालों का आयोजन किया गया। जब नागरिक स्वतंत्रता के अभाव की शिकायत करते हुए छात्रों ने बहिष्कार किया तो विश्वविद्यालय बन्द हो गए। वकीलों, इंजीनियरों, डॉक्टरों एवं अन्य मध्यम श्रेणी के मजदरों ने यूनियन ऑफ यूनियन्स बनाया तथा एक संविधान सभा की माँग की।