कविवर बिहारी जी का जीवन परिचय, जीवनी, भाषा शैली, एवं उनकी रचनाएँ ,Kavivar Bihaari(Bihaari Lal ji) ka Jivan Parichay, jivani, Bhasha Shaili, avam Unki rachnaaye (Biography of Kavivar Bihaari)
मेरे प्यारे विद्यार्थियो हम यहाँ पर आपको हिंदी पद्य साहित्य के महान कवि कविवर बिहारी जी का जीवन परिचय प्रदान कर रहे है और उनकी रचनाये एवम् जीवन का सार नीचे दिया गया है। Biography of kavivar Bihaari, kavivar Bihaari Lal Ji ka Jeevan Parichay Sahityik Parichay of kavivar Bihaari.
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लेखक का संक्षिप्त जीवन परिचय (फ्लो चार्ट) |
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जन्म सन् | 1595 ई०। |
जन्म स्थान | बसुआ गोविन्दपुर (ग्वालियर), म० प्र०। |
पिता | केशवराय। |
काव्य-गुरु | केशवदास। |
मृत्यु | सन् 1663 ई०। |
एकमात्र रचना | बिहारी सतसई। |
प्रमुख भाषा | ब्रज। |
काल | रीतिकाल |
जीवन परिचय (Jivan Parichay)
बिहारी जी हिन्दी रीतिकाल के मुक्त कवि हैं। इनका जन्म सन् 1595 ई0 बसुआ-गोविन्दपुर ग्राम में हुआ था। जो ग्वालियर के पास स्थित है। इनके पिता का नाम केशवराय था। इनके एक भाई और एक बहन थी। बिहारी का विवाह मथुरा के किसी माथुर ब्राह्मण की कन्या से हुआ था। इनके कोई सन्तान न होने के कारण अपने भतीजे निरंजन को गोद ले लिया था। कहा जाता है कि इनके पिता केशवराय इनके जन्म के सात-आठ वर्ष बाद ग्वालियर छोड़कर ओरछा चले गये। वहीं बिहारी ने हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि आचार्य केशवदास से काव्य-शिक्षा ग्रहण की। ओरछा में रहकर इन्होंने काव्य-ग्रन्थों के साथ ही संस्कृत और प्राकृत आदि का अध्ययन किया। आगरा जाकर इन्होंने उर्दू-फारसी का अध्ययन किया और अब्दुर्रहीम खानखाना के सम्पर्क में आये। इन्होंने अपनी काव्य-प्रतिभा से जयपुराधीश जयसिंह तथा उनकी पटरानी अनन्तकुमारी को विशेष प्रभावित किया, जिनसे इन्हें पर्याप्त पुरस्कार मिला तथा तभी से उनके दरबार के राजकवि भी हो गये थे। बिहारी ने सात सौ से कुछ अधिक दोहों की रचना की जिनका संग्रह ‘बिहारी सतसई’ के नाम से हुआ है। महाराज इन्हें प्रत्येक दोहे पर एक स्वर्ण मुद्रा भेंट करते थे। 719 दोहों की सतसई सं० 1719 में समाप्त हुई। जयपुर के राजकुमार रामसिंह का विद्यारम्भ संस्कार भी इन्होंने ही कराया था। अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद बिहारी राजदरबार छोड़कर वृन्दावन चले गये और वहीं सन् 1663 ई० में इनका निधन हो गया था।
रचनाएं
- बिहारी सतसई
इनकी केवल एकमात्र रचना है जिसमें लगभग 700 से अधिक दोहे हैं बिहारी के समान इतनी कम रचना करके इतना अधिक सम्मान प्राप्त करने वाला हिन्दी का कोई दूसरा कवि नहीं है।
भाषा
बिहारी जी की प्रमुख भाषा ब्रज भाषा मानी जाती है।
शैली
- प्रासादगुण शैली।
- माधुर्यपूर्ण शैली।
- चमत्कारपूर्ण शैली।
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Jeevan Parichay || Jivan Parichaya || Biography || Jeevani || Jivani || Vyaktitva and Krititva
जीवन परिचय || जीवनी || रचनाएँ || व्यक्तित्व और कृतित्व
Post Overview
Post Name |
Kavivar Bihaari ji ka Jivan Parichay, jivani |
Class | All |
Subject | Hindi |
Topic | Jivan Parichay/ Biography/ Jeevani |
Board | All Board and All Students |
State | Uttar Pradesh |
Session | All |
Downloadable File | PDF File Download |
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