पद- परिचय (Pad Parichay in Hindi) Pad Kise Kahate hai? Paribhasha
पद- परिचय (Pad Parichay in Hindi) Pad Kise Kahate hai? Paribhasha पद की परिभाषा
पद की परिभाषा
शब्द और पद – वाक्य से अलग रहनेवाले शब्दों को ‘शब्द’ कहते हैं, किंतु जब वे किसी वाक्य में पिरो दिए जाते हैं, तब ‘पद’ कहलाते हैं। जब वाक्य के अंतर्गत शब्दों में विभिक्तियाँ लगती हैं, तब वे ‘पद’ बन जाते हैं। ‘पद’ अर्थ संकेतित करता है। ‘शब्द’ सार्थक और निरर्थक दोनों हो सकते हैं।
‘पद परिचय’ किसे कहते हैं?
‘पद-परिचय’ का अर्थ होता है पदों का अन्वय, अर्थात विश्लेषण | हिंदी व्याकरण में इसके विभिन्न नाम दिए जाते हैं; यथा— ‘पदान्वय’, ‘पदनिर्देश’, ‘पदनिर्णय’, ‘पद-विन्यास’, ‘पदच्छेद’ इत्यादि। ये सभी ‘पद-परिचय’ के पर्यायवाची शब्द हैं। ‘पद-परिचय’ में वाक्यों में प्रयुक्त सार्थक शब्दों अथवा पदों को व्याकरणसम्मत विशेषताएँ बताई जाती हैं।
दूसरे शब्दों में, इसे हम यों कह सकते हैं कि वाक्य के प्रत्येक पद को अलग-अलग कर उसका स्वरूप और दूसरे पद से संबंध बताना ‘पद-परिचय’ कहलाता है ।
यहाँ एक तरह से सारे व्याकरण का साररूप रख देना पड़ता है। इससे छात्रों के समस्त व्याकरणिक ज्ञान की परीक्षा हो जाती है। प्रमुख पदों के अन्वय का सामान्य परिचय इस प्रकार है—
संज्ञा का पद- परिचय (Sangya Ka Pad Parichay)
संज्ञापदों का अन्वय करते समय संज्ञा, उसका भेद, लिंग, वचन, कारक और अन्य पदों का परिचय देते हुए अन्य पदों से उसका संबंध भी दिखाना चाहिए ।
उदाहरण – राम कहता है कि मैं मोहन की पुस्तकें पढ़ सकता हूँ।
इसमें ‘राम’, ‘मोहन’ और ‘पुस्तकें’ तीन संज्ञापद हैं। इनका पदान्वय इस प्रकार होगा –
- राम — संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुंलिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘कहना है’ क्रिया का कर्ता ।
- मोहन – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुंलिंग, एकवचन, संबंधकारक इसका संबंध ‘पुस्तकें’ से है।
- पुस्तकें – संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, कर्मकारक, ‘पढ़ सकता हूँ’ क्रिया का कर्म ।