विशेषण (Adjective in Hindi) Visheshan- Hindi Vyakran Prakar Bhed Paribhasha

विशेषण (Adjective in Hindi) Visheshan- Hindi Vyakran Prakar Bhed Paribhasha

Hindi Visheshan ki Paribhasha aur visheshan Ke Prakar विशेषण (Adjective in Hindi) Visheshan- Hindi Vyakran Prakar Bhed Paribhasha  

Hindi Visheshan ki Paribhasha aur visheshan Ke Prakar विशेषण (Adjective in Hindi) Visheshan- Hindi Vyakran Prakar Bhed Paribhasha

विशेषण (Visheshan)

परिभाषा- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है, उसे ‘विशेषण’ कहते हैं। जिस व्यक्ति या वस्तु की विशेषता बतायी जाती है, वह ‘विशेष्य’ कहलाता है। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि विशेषण वे शब्द हैं, जो किसी व्यक्ति, वस्तु या उनकी क्रिया, गुण, दोष, स्थिति आदि का बोध कराते हैं।

जैसे-

  • १ – जया सुन्दर लड़की है।
  • २- मेरी गाय काली है।
  • ३ – कलम लाल है।
  • ४- महेन्द्र कमज़ोर है।

इन उदाहरणों में सुन्दर, काली, लाल तथा कमज़ोर शब्द संज्ञाओं की विशेषता प्रकट कर रहे हैं अतः ये विशेषण हैं।

विशेषण के भेद – (Visheshan k Bhed)

विशेषण छः प्रकार के होते हैं :-

  • १- गुणवाचक
  • २- संकेतवाचक (सार्वनामिक)
  • ३- संख्यावाचक
  • ४- परिमाणवाचक
  • ५- व्यक्तिवाचक
  • ६ – विभागवाचक |

१- गुणवाचक विशेषण (Gunvachak Visheshan)

जिन विशेषण शब्दों के माध्यम से संज्ञा या सर्वनाम के गुण का बोध हो, उन्हें ‘गुणवाचक विशेषण’ कहते हैं।

जैसे-

  • (१) यह कलम लाल है ।
  • (२) ये सन्तरे ताज़े हैं।
  • (३) वह आदमी मोटा है।
  • (४) भारतीय लोग बहुत काहिल होते हैं।

इन उदाहरणों में लाल, ताज़े और मोटा शब्द अपनी – अपनी संज्ञाओं या सर्वनामों का गुण प्रकट करते हैं। अतः ये गुणवाचक विशेषण हैं।

अन्य उदाहरण : पापी

२- संकेतवाचक विशेषण (Sanketvachak visheshan)

जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की ओर संकेत होता हो, उन्हें ‘संकेतवाचक अथवा सार्वनामिक विशेषण’ कहते हैं।

जैसे –

  • (१) वह घर अब यहाँ नहीं है ।
  • (२) उस घोड़े को निकाल दो।
  • (३) यह लड़की है।

इन उदाहरणों में वह उस तथा यह शब्द संकेतवाचक विशेषण हैं। सुन्दर

३- संख्यावाचक विशेषण  (sankhyavachak viseshan)

जिन विशेषणों द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो, उन्हें ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहते हैं। जैसे- (१) चार बालक जा रहे हैं। (२) वे तीनों घर गये।

इन उदाहरणों में चार और तीनों शब्द संख्यावाचक विशेषण हैं। संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते हैं-

  • (१) निश्चित संख्यावाचक,
  • (२) अनिश्चित संख्यावाचक |

(१) निश्चित संख्यावाचक-

जिससे निश्चित संख्या का ज्ञान हो, उसे ‘निश्चित संख्यावाचक’ कहते हैं।

जैसे- (१) पाँच छात्र कहाँ गये? (२) उन्हें चौथा हिस्सा मिलेगा। (३) मेरे सौ रुपये कहाँ

निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भी दो प्रकार होते हैं:-

  • (क) पूर्णांकबोधक   
  • (ख) अपूर्णांकबोधक |

(क) पूर्णांकबोधक – जिससे पूर्ण संख्या का बोध हो, उसे ‘पूर्णांकबोधक’ कहते हैं; जैसे— दस छात्र, एक कुत्ता, पन्द्रह किताबें, सौ मकान, चार आदमी इत्यादि ।

(ख) अपूर्णांकबोधक- जिससे पूर्ण संख्या के किसी एक भाग का बोध हो, उसे ‘अपूर्णांकबोधक’ कहा जाता है; जैसे— पौने दो, साढ़े दस सौ इत्यादि ।

(२) अनिश्चित संख्यावाचक-

जिसमें निश्चित संख्या का बोध न हो, उसे ‘अनिश्चित संख्यावाचक’ कहते हैं।

जैसे—

  • (१) कुछ किताबें दो ।
  • (२) महाविद्यालय में अनेक विद्यार्थी हैं।
  • (३) कुछ छात्राएँ इधर गयी हैं।

४- परिमाणवाचक विशेषण (Parimanvachak)

जिन विशेषणों से किसी वस्तु का नाप-तोल अथवा मात्रा का ज्ञान हो, उन्हें ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहते हैं।

जैसे—

  • (१) थोड़ा भोजन करो।
  • (२) कुछ आम लाओ।
  • (३) अधिक धन मत रखो।
५- व्यक्तिवाचक विशेषण (Vyaktivachak visesan)

जो विशेषण व्यक्तिवाचक संज्ञा की विशेषता प्रकट करते हैं और उसी संज्ञा से बने होते हैं, उन्हें ‘व्यक्तिवाचक विशेषण’ कहते हैं।

जैसे-

  • (१) बनारसी साड़ियाँ अच्छी होती हैं।
  • (२) नागपुरी केले मीठे होते हैं।

इन उदाहरणों में ‘बनारसी’ और ‘नागपुरी’ शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा से बनकर उन्हीं की विशेषता प्रकट कर रहे हैं अतः ये शब्द व्यक्तिवाचक विशेषण हैं।

६- विभागवाचक विशेषण (Vibhagvachak visheshan)

जिन विशेषणों से पृथकता का बोध हो, उन्हें ‘विभागवाचक विशेषण’ कहते हैं।

जैसे-

  • (१) प्रत्येक छात्र को आम दो।
  • (२) बीसों मोमबत्तियाँ जल गयी हैं।
               विशेषण के नियम (Visheshan K Niyam)
  • (१) कहीं-कहीं ‘अकारान्त’ शब्द का ईकारान्त कर देते हैं।
  • (२) हिन्दी में कारकचिह्न विशेषणों के साथ नहीं लगते।
  • (३) प्रत्यय जोड़कर भी विशेषण बनाये जाते हैं; जैसे- दिन से ‘दैनिक’।
  • (४) रूपी, सम्बन्धी, शाली, कारक, हीन, सा, जनक, प्रद आदि शब्दों को जोड़कर भी। विशेषण बनाये जाते हैं; जैसे- यश से यशरूपी, धन से धनरूपी, कीर्ति से कीर्तिशाली; मान से मानहीन; हानि से हानिकारक; सन्तोष से सन्तोषप्रद; अपमान से अपमानजनक; विषय से विषयसम्बन्धी आदि ।
  • (५) विशेषण के लिंग, वचन तथा कारक उसके विशेष्य के अनुसार ही होते हैं।
error: Copyright Content !!
Scroll to Top