Ravindra Nath Tagor Ka Jeevan Parichay : Raveendranath Tagore ka Jivan Parichay- रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय कृतियाँ
Raveendranath Tagore ka Jivan Parichay- रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय कृतियाँ- tagore ka jivan Parichay (Biography of Dharmvir Bharti ) – हिंदी चैप्टर रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय एवं कृतियाँ| Jivan parichay Rabeendra nath tagor– Jivan parichay rabeend nath
नाम | रवींद्रनाथ टैगोर | जन्म | 1861 ई. |
पिता | देवेन्द्रनाथ टैगोर | जन्मस्थान | कलकत्ता (कोलकाता) |
युग | आधुनिक युग | मृत्यु | 1941 ई. |
लेखक का संक्षिप्त जीवन परिचय (फ्लो चार्ट) |
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रवींद्र नाथ टैगोर का जीवन परिचय एवं कृतियाँ
Jivan parichay, Ravindra Nath taigor
जीवन-परिचय- रवीन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 ई० को कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ था । इनके बाबा द्वारका नाथ टैगोर अपने वैभव के लिए चर्चित थे। ये राजा राममोहन राय के गहरे दोस्त थे और भारत के पुनर्जागरण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करते थे । रवीन्द्र नाथ के पिता द्वारका नाथ के सबसे बड़े पुत्र थे जो सुप्रसिद्ध विचारक एवं दार्शनिक थे। इसीलिए उन्हें महर्षि कहा जाता था। वे ब्रह्म समाज के स्तम्भ थे। इनकी माता का नाम सरला देवी था जो एक गृहस्थ महिला थीं। इनका निधन 7 अगस्त, 1941 ई. को हुआ रवीन्द्र नाथ टैगोर हमारे देश के एक प्रसिद्ध कवि, देशभक्त तथा दार्शनिक थे।
कहानी, उपन्यास, नाटक तथा कविताओं की रचना की। उन्होंने अपनी स्वयं की कविताओं के लिए अत्यन्त कर्णप्रिय संगीत का सृजन किया। वे हमारे देश के एक महान चित्रकार तथा शिक्षाविद् थे। 1901 ई० में उन्होंने शान्ति निकेतन में एक ललित कला स्कूल की स्थापना की, जिसने कालान्तर में विश्व भारती का रूप ग्रहण किया, एक ऐसा विश्वविद्यालय जिसमें सारे विश्व की रुचियों तथा महान् आदर्शों को स्थान मिला जिसमें भिन्न-भिन्न सभ्यताओं तथा परम्पराओं के व्यक्तियों को साथ जीवन-यापन की शिक्षा प्राप्त हो सके।
Rabveendra Nath Tagore
सर्वप्रथम टैगोर ने अपनी मातृभाषा बंगला में अपनी कृतियों की रचना की। जब उन्होंने अपनी रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी में किया तो उन्हें सारे संसार में बहुत ख्याति प्राप्त हुई। 1913 ई० में उन्हें नोबल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया जो उन्हें उनकी अमर कृति ‘गीतांजलि’ के लिए दिया गया । ‘गीतांजलि’ का अर्थ होता है गीतों की अंजलि अथवा गीतों की भेंट। यह रचना उनकी कविताओं का मुक्त काव्य में अनुवाद है जो स्वयं टैगोर ने मौलिक बंगला से किया तथा जो प्रसिद्ध आयरिश कवि डब्ल्यू. बी. येट्स के प्राक्कथन के साथ प्रकाशित हुई। यह रचना भक्ति गीतों की है, उन प्रार्थनाओं का संकलन है जो टैगोर ने परम पिता परमेश्वर के प्रति अर्पित की थीं।
ब्रिटिश सरकार द्वारा टैगोर को ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया परन्तु उन्होंने 1919 ई० में जलियाँवाला नरसंहार के प्रतिकार स्वरूप इस सम्मान का परित्याग कर दिया।
टैगोर एक गहरे धार्मिक व्यक्ति थे लेकिन अपने धर्म को ‘मानव का धर्म’ के नाम से वर्णित करना पसन्द करते थे । वे पूर्ण स्वतंत्रता के प्रेमी थे। उन्होंने अपने शिष्यों के मस्तिष्क में सच्चाई का भाव भरा । प्रकृति, संगीत तथा कविता के निकट सम्पर्क के माध्यम से उन्होंने स्वयं अपनी तथा अपने शिष्यों की कल्पना शक्ति को सौन्दर्य, अच्छाई तथा विस्तृत सहानुभूति के प्रति जागृत किया ।
टैगोर की प्रमुख ‘रचनायें
काव्य – दूज का चाँद, गीतांजलि, भारत का राष्ट्रगान ( जन-गण-मन), बागवान |
कहानी – हंगरी स्टोन्स, काबुलीवाला, माई लॉर्ड, दी बेबी, नयनजोड़ के बाबू, जिन्दा अथवा मुर्दा, घर वापिसी ।
उपन्यास – गोरा, नाव दुर्घटना, दि होम एण्ड दी वर्ल्ड |
नाटक—पोस्ट ऑफिस, बलिदान, प्रकृति का प्रतिशोध, मुक्तधारा, नातिर-पूजा, चाण्डालिका, फाल्गुनी, वाल्मीकि प्रतिभा, रानी और रानी ।
आत्म-जीवन चरित – मेरे बचपन के दिन।
निबन्ध व भाषण- –मानवता की आवाज ।