UP Board and NCERT Solution of Class 10 Science [विज्ञान] ईकाई 4 विद्युत का प्रभाव – Chapter- 12 Magnetic Effects of Electric Current ( विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 10वीं विज्ञान ईकाई 4 विद्युत का प्रभाव (Effect of Electricity) के अंतर्गत चैप्टर12 ( विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव) पाठ के अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं हमारी मेहनत की क़द्र करते हुए इसे अपने मित्रों में शेयर जरुर करेंगे।
चुम्बकीय क्षेत्र, विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव, घरेलू वायरिंग तथा इसमें प्रयुक्त सामान्य युक्तियाँ
Class | 10th | Subject | Science (Vigyan) |
Pattern | NCERT | Chapter- | Magnetic Effects of Electric Current |
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न / लघु उत्तरीय प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. किसी परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी?
उत्तर– परिनालिका की अक्ष के अनुदिश।
प्रश्न 2. विद्युन्मय तार, उदासीन तार तथा भूसंपर्क तार के लिए कौन–कौन से रंग चुन गए हैं?
उत्तर– विद्युन्मय तार के लिए लाल, उदासीन तार के लिए काला तथा भूसंपर्क तार के लिए हरा।
प्रश्न 3. किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल अधिकतम कब होता है?
उत्तर– जब चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और विद्युत धारा की दिशा परस्पर लंबवत् हो।
प्रश्न 4. उत्तम कोटि का फ्यूज तार बनाने के लिए किस धातु का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर– टिन या टिन एवं लेड की मिश्रधातु का प्रयोग फ्यूज तार बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 5. चुम्बकीय क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर– किसी चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का संसूचन किया जाता है, उस चुंबक का चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।
प्रश्न 6. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर– जब विद्युन्मय तार तथा उदासीन तार दोनों सीधे संपर्क में आते हैं तो अतिभारण हो सकता है। (यह तब होता है जब तारों का विद्युत- रोधन क्षतिग्रस्त हो जाता है अथवा साधित्र में कोई दोष होता है।) ऐसी परिस्थितियों में किसी परिपथ में विद्युत धारा अकस्मात बहुत अधिक हो जाती है। इसे लघुपथन कहते हैं।
प्रश्न 7. किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर– किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल तब अधिकतम होता है जब धारा के प्रवाहित होने की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में लम्बवत् हो।
प्रश्न 8. चुम्बकीय क्षेत्र में उसके लम्बवत् रखे धारावाही चालक पर लगने वाले बल के परिमाण का सूत्र लिखिए।
अथवा L लम्बाई के एक सीधे चालक तार को B चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता वाले चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखकर उसमें । धारा प्रवाहित की जाती है। चालक तार पर कितना बल लगेगा?
उत्तर– बल F = iBl न्यूटन।
प्रश्न 9. फ्यूज तार किस पदार्थ के बनाये जाते हैं?
उत्तर– फ्यूज तार ताँबा, टिन और सीसे के मिश्रण से बना हुआ तार होता है।
प्रश्न 10. घरेलू वायरिंग में फ्यूज का क्या उपयोग है?
उत्तर– घरों तथा कारखानों में लगे विद्युत उपकरणों को जलने तथा परिपथ • तारों में आग लगने से बचाने के लिए विद्युत फ्यूज का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 11. विद्युत परिपथ के सामान्य तार तथा फ्यूज के तार में क्या अन्तर होता है?
उत्तर– (i) फ्यूज तार का गलनांक बहुत कम होता है जबकि सामान्य तार का गलनांक अधिक होता है।
(ii) फ्यूज तार का प्रतिरोध नगण्य होता है जबकि सामान्य तार का प्रतिरोध अधिक होता है।
प्रश्न 12. चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक ‘बल‘ तथा ‘धारा‘ के पदों में लिखिए।
उत्तर– न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर (N/A-m)
प्रश्न 13. चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कणों पर लॉरेन्ज बल का सूत्र लिखिए।
उत्तर– लॉरेन्ज बल (F) = quB sin 0.
प्रश्न 14. अनन्त लम्बाई के सीधे धारावाही चालक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र लिखिए।
उत्तर– B = Ki/r, जहाँ B चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता, i धारा, r तार से दूरी तथा K नियतांक है जिसका मान 2×10-7 होता है।
प्रश्न 15. चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर– चुम्बकीय क्षेत्र में किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता उस बल से व्यक्त होती है जो उस बिन्दु पर, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् स्थित इकाई लम्बाई के तार में इकाई प्रबलता की धारा प्रवाहित करने पर तार पर कार्य करता है।
प्रश्न 16. चुम्बकीय बल रेखाओं के दो गुण लिखिए।
उत्तर–(i) बल रेखाएँ बंद वक्र होती हैं।
(ii) ये एक-दूसरे को कभी नहीं काटतीं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. किसी धारावाही वृत्ताकार पाश (लूप) द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का पैटर्न खींचिए।
उत्तर–
चित्र – विद्युत धारावाही पाश के कारण उत्पन्न चुंबकीय रेखाएँ
प्रश्न 2. किसी वृत्ताकार पाश (कुंडली) में प्रवाहित धारा से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र कैसे परिवर्तित होगा यदि–
(a) विद्युत धारा के परिमाण में वृद्धि की जाए।
(b) वृत्ताकार पाश (कुंडली) से दूरी बढ़ाई जाए।
(c) पाश (कुंडली) के फेरों की संख्या बढ़ाई जाए।
उत्तर– (a) विद्युत धारा के परिमाण में वृद्धि करने पर चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता में भी वृद्धि होगी, क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र धारा के परिमाण के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात् B£I
(b) वृत्ताकार पाश से दूरी बढ़ाने पर चुम्बकीय क्षेत्र में कमी होगी।
(c) पाश (कुंडली) के फेरों की संख्या में वृद्धि करने पर चुम्बकीय क्षेत्र के मान में वृद्धि होती है अर्थात् n फेरों वाली वृत्तीय कुंडली ली जाए तो उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान एक पाश (लूप) की अपेक्षा n गुना होगा।
प्रश्न 3. किसी विद्युतीय साधित्र के साथ श्रेणी क्रम में लगे फ्यूज का क्या कार्य है?
उत्तर– विद्युतीय परिपथ में लगा फ्यूज परिपथ तथा साधित्र को अतिभारण तथा लघुपथन से होने वाली क्षति से बचाता है। अधिक उच्च ताप के कारण फ्यूज का तार पिघलकर टूट जाता है और परिपथ भंग हो जाता है। श्रेणी क्रम में लगे होने के कारण धारा का प्रवाह बंद हो जाता है।
प्रश्न 4. चित्र में फ्लेमिंग का बाएँ हाथ का नियम के लिए हाथ का आरेख दर्शाया गया है। चित्र में (1), (2) और (3) द्वारा किन भौतिक राशियों का निरूपण होता है?
उत्तर– (1) धारा
(2) चुम्बकीय क्षेत्र
(3) चालक पर लगने वाला बल।
प्रश्न 5. विद्युत आपूर्ति में लघुपथन और अतिभारण से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– लघुपथन (Short Circuiting)-कभी-कभी विद्युतमय और उदासीन तारें खराब अथवा क्षतिग्रस्त तारों के कारण परस्पर सम्पर्क में आ जाती हैं, ऐसा होने पर परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो जाता है (क्योंकि दोनों तारें समांतर क्रम में जुड़ी हुई होती हैं) और इसमें से अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है। इसे ही लघुपथन कहते हैं। तब तार अत्यधिक गर्म हो जाती है और उपकरणों को भी हानि पहुँच सकती है। इससे बचाव के लिए विद्युत फ्यूज लगाए जाते हैं।
अतिभारण (Over Loading)- परिपथ में प्रवाहित धारा इससे जुड़े उपकरणों की शक्ति दर पर निर्भर करती है। तारों का चुनाव इनमें से गुजरने वाली अधिकतम धारा पर निर्भर करता है। यदि सभी उपकरणों की शक्ति निश्चित सीमा से अधिक हो जाए तो उपकरण आवश्यकता से अधिक धारा खींचने लगते हैं। इसे अतिभारण कहते हैं।
प्रश्न 6. विद्युत परिपथ में फ्यूज तार का उपयोग क्यों किया जाता है? एक बैटरी से किसी बल्ब में धारा प्रवाहित की जानी है, इस परिपथ में बल्ब की सुरक्षा के लिए फ्यूज तार के संयोजन को परिपथ आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए।
अथवा घरों की वायरिंग के परिपथ में मेन फ्यूज का क्या कार्य होता है? आवश्यक परिपथ आरेख देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– यदि विद्युत परिपथ में किसी कारणवश धारा का मान अधिक हो जाये तो परिपथ में लगे उपकरणों, जैसे बल्ब, ट्यूब, रेडियो आदि के जल जाने या खराब होने का भय रहता है। इन उपकरणों की सुरक्षा के लिए परिपथ में फ्यूज तार का उपयोग किया जाता है। यह ताँबा, टिन और सीसे के मिश्रण से बना एक तार होता है। इसका गलनांक कम होता है। जिस परिपथ की सुरक्षा करनी होती है उसके श्रेणी क्रम में फ्यूज तार लगा देते हैं। परिपथ में अधिक धारा का प्रवाह होने पर यह गर्म होकर पिघल कर टूट जाता है और परिपथ में धारा का प्रवाह बन्द हो जाता है।
प्रश्न 7. चुम्बकीय फ्लक्स किसे कहते हैं? इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर–
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् रखे किसी तल से गुजरने वाली कुल चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या को चुम्बकीय फ्लक्स कहते हैं तथा इसे अक्षर के द्वारा प्रदर्शित करते हैं। यदि तल का क्षेत्रफल A तथा चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B हो तो चुम्बकीय फ्लक्स $ = BxA.
यदि तल पर अभिलम्ब, चुम्बकीय क्षेत्र B के साथ कोण बनाये तो
$ = BA cos 0.
इसका मात्रक वेबर (Wb) या N-m/A होता है।
प्रश्न 8. चुम्बकीय बल रेखाओं से क्या तात्पर्य है? इनके प्रमुख गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर– चुम्बकीय बल रेखाएँ-चुम्बकीय क्षेत्र में वे काल्पनिक रेखाएँ जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती हैं, चुम्बकीय बल रेखाएँ कहलाती हैं।
चुम्बकीय बल रेखाओं के प्रमुख गुण–
- चुम्बकीय बल रेखाएँ सदैव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं तथा वक्र बनाती हुई दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं।
- दो बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती हैं।
- चुम्बक के ध्रुव के निकट जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल होता है, वहाँ बल रेखाएँ पास-पास होती हैं।
- एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र की बल रेखाएँ परस्पर समान्तर होती हैं।
प्रश्न 9. मैक्सवेल के दक्षिणावर्त पेंच का नियम क्या है? किरण आरेख सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा दक्षिणावर्त पेंच के नियम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर– यदि पेंच कसते समय पेंचकस को दायें हाथ से पकड़कर इस प्रकार घुमायें कि पेंच की नोंक धारा के प्रवाहित होने की दिशा में चले तो जिस दिशा में पेच को घुमाने के लिए अंगूठा घूमता है, वही चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा व्यक्त करती है।
प्रश्न 10. फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियम लिखिए।
उत्तर– यदि हम अपने दायें हाथ का अंगूठा, उसके पास वाली अंगुली (fore-finger) तथा बीच वाली अंगुली (middle finger) को इस प्रकार फैलायें कि तीनों परस्पर लम्बवत् रहें और यदि अँगूठे के पास वाली अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा प्रदर्शित करे तो बीच वाली अंगुली प्रेरित धारा की दिशा बतायेगी।
प्रश्न 11. धारावाही चालक पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव के कारण लगने वाले बल की दिशा किस नियम से दी जाती है? इस नियम का उल्लेख कीजिए।
अथवा फ्लेमिंग का बायें हाथ का नियम लिखिए।
उत्तर– यदि हम अपने बायें हाथ के अँगूठे तथा अँगूठे के पास वाली दोनों अंगुलियों (तर्जनी तथा मध्यमा) को इस प्रकार फैलायें कि तीनों परस्पर लम्बवत् रहें, तब यदि पहली अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र (B) की दिशा और बीच वाली अंगुली (मध्यमा) धारा की दिशा प्रदर्शित करती है तो अंगूठा चालक पर लगने वाले बल F’ की दिशा को प्रदर्शित करेगा।