UP Board Solution of Class 10 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Geography [भूगोल] Chapter- 5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (Khanij Ttha Urja Sansaadhan) लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Notes
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 10वीं की सामाजिक विज्ञान इकाई-2 : भूगोल समकालीन भारत-2 खण्ड-2 के अंतर्गत चैप्टर-5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Subject | Social Science [Class- 10th] |
Chapter Name | खनिज तथा ऊर्जा संसाधन |
Part 3 | Geography [भूगोल] |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | खनिज तथा ऊर्जा संसाधन |
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (Khanij Ttha Urja Sansaadhan)
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. “प्राकृतिक गैस वर्तमान शताब्दी का ईंधन है।” इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर – प्राकृतिक गैस एक महत्त्वपूर्ण स्वच्छ ऊर्जा संसाधन है जो पेट्रोलियम के साथ अथवा अलग भी पाई जाती है। इसे ऊर्जा के एक साधन के रूप में तथा पेट्रो रसायन उद्योग के एक औद्योगिक कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड के कम उत्सर्जन के कारण प्राकृतिक गैस को पर्यावरण अनुकूलन माना जाता है। इसलिए यह वर्तमान शताब्दी का ईंधन है। कृष्णा, गोदावरी नदी बेसिन में प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार खोजे गए हैं। पश्चिमी तट के साथ मुंबई हाई और खंभात की खाड़ी में पाए जाने वाले तेल क्षेत्र संपूरित करते हैं। अंडमान निकोबार द्वीप समूह भी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जहाँ प्राकृतिक गैस के विशाल भण्डार पाए जाते हैं।
प्रश्न 2. भारत में पाए जाने वाले लौह अयस्क पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर – भारत में लौह अयस्क के विशाल भंडार पाए जाते हैं। इसे तीन भागों में बाँटा जाता है-
- मैग्नेटाइट – यह सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है। इसमें 70 प्रतिशत लोहांश पाया जाता है। इसमें सर्वश्रेष्ठ चुम्बकीय गुण होते हैं जो विद्युत उद्योगों में विशेष रूप से उपयोगी हैं।
- हेमेटाइट – यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक लौह अयस्क है। इसका अत्यधिक उपयोग होता है। इसमें लोहांश की मात्रा 50 से 60 प्रतिशत होती है।
- लिग्नेटाइट – यह अति निम्न कोटि का लौह अयस्क है। इसमें लोहांश की मात्रा 30 से 40 प्रतिशत होती है।
प्रश्न 3. ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की क्या आवश्यकता है?
उत्तर – आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा एक आधारभूत आवश्यकता है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र- कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य व घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा के निवेश की आवश्यकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् क्रियान्वित आर्थिक विकास की योजनाओं को चालू रखने के लिए ऊर्जा की बड़ी मात्रा की आवश्यकता थी। फलस्वरूप पूरे देश में ऊर्जा के सभी प्रकारों का उपभोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इस कारण ऊर्जा के विकास के सतत् पोषणीय मार्ग के विकास करने की तुरंत आवश्यकता है। इसके लिए ऊर्जा के नवीकरण साधन खोजने होंगे तथा ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण करना होगा।
प्रश्न 4. अभ्रक का प्रयोग किसलिए किया जाता है? भारत में इसका वितरण बताएँ।
अथवा अभ्रक की उपयोगिता बताइए। भारत में इसके दो उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर – अभ्रक एक ऐसा खनिज है जो प्लेटों अथना पत्रण क्रम में पाया जाता है। ये परतें इतनी महीन हो सकती हैं कि इसकी एक हजार परतें कुछ सेंटीमीटर ऊँचाई में समाहित हो सकती हैं। अभ्रक पारदर्शी, काले, हरे, लाल, पीले अथवा भूरे रंग का हो सकता है। अभ्रक विद्युत व इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में प्रयुक्त होने वाले अपरिहार्य खनिजों में से एक है। अभ्रक के निक्षेप छोटानागपुर पठार के उत्तरी पठारी किनारों पर पाए जाते हैं। बिहार-झारखंड की कोडरमा- गया-हजारीबाग पेटी अग्रणी उत्पादक हैं। राजस्थान के मुख्य अभ्रक उत्पादक क्षेत्र अजमेर के आस-पास हैं। आंध्र प्रदेश की नेल्लोर अभ्रक पेटी भी देश की महत्त्वपूर्ण उत्पादक पेटी है।
प्रश्न 5. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस उत्पन्न करने के महत्त्व के किन्हीं पाँच बिंदुओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस उत्पन्न करने के निम्नलिखित महत्त्व हैं- (i) ग्रामीण इलाकों में झाड़ियों, कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव जनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपभोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है। (ii) जैविक पदार्थों के अपघटन से गैस उत्पन्न होती है, जिसकी तापीय सक्षमता मिट्टी के तेल, उपलों व चारकोल की अपेक्षा अधिक होती है। (iii) बायोगैस संयंत्र नगरपालिका, सहकारिता तथा निजी स्तर पर लगाये जाते हैं। (iv) पशुओं के गोबर से उत्पन्न बायो गैस से किसानों को दो तरह से लाभ मिलता है। एक ऊर्जा के रूप में और दूसरा उन्नत प्रकार के उर्वरक के रूप में। (v) बायोगैस अब तक पशुओं के गोबर का प्रयोग करने में सबसे दक्ष है। यह उर्वरक की गुणवत्ता को बढ़ाता है और उपलों तथा लकड़ी को जलाने से होने वाले वृक्षों के नुकसान को रोकता है।
प्रश्न 6. भारत में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन-सा है? मैंगनीज के किन्हीं चार उपयोगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-भारत में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य ओडिशा है।
मैंगनीज का उपयोग – (i) मैंगनीज मुख्य रूप से इस्पात के विनिर्माण में किया जाता है। (ii) ब्लीचिंग पाउडर। (iii) कीटनाशक दवाएँ। (iv) रंग रोगन और पेंट बनाने में इसका उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 7. भारत में पेट्रोलियम के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर – भारत में अधिकांश पेट्रोलियम की उपस्थिति टरशियरी युगक शैल संरचनाओं के अपनति व भ्रंश टैंप में पाई जाती है। वलन, अपनति और गुंबदों वाले प्रदेशों में यह वहाँ पाया जाता है जहाँ उद्धलन के शीर्ष में तेल ट्रैप हुआ होता है। तेल धारक घरन सरंध्र चूना पत्थर या बालू पत्थर होता है जिसमें से तेल प्रवाहित हो सकता है। पेट्रोलियम सरंध्र और असंरन चट्टानों के बीच अंश ट्रैप में भी पाया जाता है। भारत में कुल पेट्रोलियम उत्पादन का 63 प्रतिशत भाग मुंबई हाई से. 18 प्रतिशत गुजरात से और 16 प्रतिशत असम से प्राप्त होता है। अंकलेश्वर गुजरात का सबसे महत्त्वपूर्ण तेल क्षेत्र है। असम भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक राज्य है। डिगबोई, नहरकटिया और मोरन-हुगरीजन इस राज्य के महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र हैं।
प्रश्न 8. भू-तापीय ऊर्जा किसे कहते हैं? इसका प्रयोग कैसे किया जा सकता है?
उत्तर – पृथ्वी के आंतरिक भागों से नाप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। भू-तापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती है, क्योंकि’ बढ़ती गहराई के साथ पृथ्वी प्रगामी ढंग से तप्त होती जाती है। जहाँ भी भू-तापीय प्रवणता अधिक होती है यहाँ उथली गहराइयों पर भी अधिक तापमान पाया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में भूमिगत जल चट्टानों से ऊष्मा का अवशोषण कर तप्त हो जाता है। यह इतना तप्त हो जाता है कि यह पृथ्वी की सतह की ओर उठता है तो भाप में परिवर्तित हो जाता है। इसी भाप का उपयोग टरबाइन को चलाने और विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। भू-तापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में दो प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं। एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पार्वती घाटी में स्थित है तथा दूसरी लद्दाख में पूगा घाटी में स्थित है।
प्रश्न 9. खनिजों का मानव के लिए क्या महत्त्व है?
उत्तर – मानव सभ्यता के इतिहास को विभिन्न कालों को पाषाण, कांस्य तथा लौह युग के नाम से जाना जाता है। खनिजों के नाम पर कालों का निर्धारण अपने-आप में खनिजों की महत्ता को दर्शाता है। आज तो खनिजों का और भी महत्त्व बढ़ गया है-
- दैनिक जीवन में काम आने वाली प्रत्येक वस्तु का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खनिजों से संबंध जुड़ा है।
- यातायात के सभी साधन, मशीनें, उपकरण, कृषि मशीनें व यंत्र, रक्षा विद्युत यंत्र, पेट्रोलियम से बने सभी पदार्थ, सोना, चांदी व हीरे से बने आभूषण आदि अनगिनत पदार्थ हमें खनिजों से ही प्राप्त होते हैं।
- औद्योगिक विकास का आधार खनिज ही है। लोहा और कोयला दो ऐसे खनिज हैं, जिनके बिना औद्योगिक प्रगति संभव नहीं।।
- खनिजों का शक्ति के साधनों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका विकास किए बिना कोई भी देश अथवा क्षेत्र आर्थिक और औद्योगिक प्रगति नहीं कर सकता है। इससे यह स्पष्ट है कि खनिजों का मानव के लिए बहुत महत्त्व है।
प्रश्न 10. लोहा मनुष्य के जीवन में किस प्रकार क्रांतिकारी परिवर्तन ला सका है? तीन उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – आज का युग लौह-युग है। इसने मानव जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। इसका शांति, सुरक्षा और विकास में भारी योगदान है। यदि मानव जीवन में से लोहे को निकाल दें तो मनुष्य के जीवन का स्वरूप आदिम जीवन से मिलने लगेगा। लोहा एक मजबूत और विशाल मात्रा में पाई जाने वाली धातु है। इसका उपयोग निम्न रूप में किया जाता है-
- वनों को साफ करने में मदद की है। इससे कृषि योग्य भूमि उपलब्ध हुई।
- औद्योगिक आधार – आज दुनिया में अनगिनत वस्तुओं का उत्पादन और उपयोग हो रहा है। इसके उत्पादन और उपयोग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में लौह का योगदान मिलता है।
- परिवहन के क्षेत्र में लोहे ने अद्वितीय भूमिका अदा कर दुनिया को घर-आँगन बना दिया है।
प्रश्न 11. बॉक्साइट का उपयोग बताते हुए उसके वितरण पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर – बॉक्साइट ऐलुमिनियम धातु का खनिज अयस्क है। यह धातु हल्की है। अतः इसकी बहुत ही उपयोगिता है। वायुयान उद्योग ऐलुमिनियम पर ही आधारित है। बिजली से संबंधित उद्योगों तथा दैनिक जीवन में भी इसका उपयोग निरंतर बढ़ता ही जा रहा है।
वितरण – भारत के अनेक क्षेत्रों में बॉक्साइट के निक्षेप पाए जाते हैं। अमरकंटक पठार, मैकाल पहाड़ियाँ, बिलासपुर, कटनी के पठार मुख्य बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्र हैं। ओडिशा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। 2000- 2001 में यहाँ बॉक्साइट का उत्पादन देश का 45% था। कोराफ्ट के पंचपत माली निक्षेप महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 12. भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल क्यों है?
उत्तर – भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल होने के कारण निम्नलिखित हैं
(i) भारत एक उष्ण कटिबन्धीय देश है।
(ii) इसमें सौर ऊर्जा दोहन की भारी संभावनाएं हैं।
(iii) ग्रमीण एवं दूरदराज के इलाकों में सौर ऊर्जा तेजी से प्रचलित हो रही है।
(iv) फोटोबोल्टाइक प्रौद्योगिकी से सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत में बदल दिया जाता है।
(v) सौर ऊर्जा संयंत्रों को भारत के विभिन्न भागों में स्थापित किया जा रहा है जिससे प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलती है। यह पर्यावरण संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
प्रश्न 13. खनिज संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है? खनिजों के संरक्षण के किन्हीं दो उपायों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता (1) देश में खनिज भंडार कम हैं और उनकी माँग दिनोंदिन बढ़ रही है। (2) भारत में अधात्विक खनिज तथा अलौह खनिज बहुत कम मात्रा में मिलते हैं। (3) कृषि तथा जल संसाधनों के विपरीत खनिज साधनों को बार-बार उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। (4) खनिज अनापूर्ति के साधन है। अतः यह अति आवश्यक है कि हम अपनी सीमित खनिज संपदा का बुद्धिमानी से सदुपयोग करें। (5) खनिज संपदा पर देश का आर्थिक व औद्योगिक विकास निर्भर हैं।
खनिजों के संरक्षण की विधियों – (1) खनिजों की खनन प्रक्रिया में होने वाली बर्बादी को रोकना (2) चक्रीय उपयोग की विधियों का विकास कर उन्हें अपनाना। (3) खनिजों के स्थान पर वैकल्पिक साधनों का उपयोग करना। (4) खनिजों के अपव्यय को रोकना। (5) अज्ञात खनिज संपदा का नवीनतम सर्वेक्षण विधियों से पता लगाना। उसके लिए गहन सर्वेक्षण किया जाए।
प्रश्न 14. अलौह खनिज से आप क्या समझते हैं? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर – अलौह खनिज में लोहे का अंश नहीं होता या बहुत कम होता है जैसे-सोना, चाँदी, प्लैटिनम, ताँबा, टिन, जिंक, सीसा, जस्ता आदि।
प्रश्न 15. भारत में लौह अयस्क के उत्पादन पर संक्षेप में लिखिए।
अथवा भारत में लौह अयस्क की किन्हीं तीन पेटियों के नाम लिखिए।
उत्तर – भारत में लौह अयस्क का विशाल भण्डार है। मैग्नेटाइट सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है जिसमें 70 प्रतिशत लोहांश पाया जाता है। हेमेटाइट सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक अयस्क है जिसमें लोहांश 50 से 60 प्रतिशत तक पाया जाता है। भारत विश्व का लगभग 7.1% लौह अयस्क खनन कर प्रमुख लोहा उत्पादक देश है। इसका विश्व में लौह-उत्पादन में पाँचवा स्थान है। भारत में लोहे के सुरक्षित भण्डारों का अनुमान 1760 करोड़ टन लगाया गया है। यहाँ झारखण्ड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश राज्यों में लोहा निकाला जाता है। भारत में लगभग आधा लौह- अयस्क निर्यात कर दिया जाता है। जापान इसका प्रमुख आयातक देश है।
प्रश्न 16. धात्विक खनिज किसे कहते हैं? ऐसे दो खनिजों के नाम लिखिए।
उत्तर – धात्विक खनिज के अंतर्गत आने वाले खनिजों को खदानों से निकालकर साफ करते हैं जिससे उनमें विशेष प्रकार की चमक आ जाती है। इसमें सोना, चाँदी, ताँबा, जस्ता, लोहा और सीसा जैसे खनिज शामिल हैं।
प्रश्न 17. ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोत किसे कहते हैं? भारत में खनिज तेल के दो क्षेत्रों के नाम दीजिए।
अथवा ऊर्जा के परंपरागत स्रोत किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत वे हैं जो लंबे समय से प्रयोग में हैं। ये प्रकृति में तय तथा सीमित मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ये गैर नवीकरणीय होते हैं। ये मुख्य रूप से औद्योगिक तथा व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयुक्त होते हैं। जीवाश्म ईंधन, उष्मीय शक्ति ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा, बायोमास और पवन ऊर्जा परंपरागत ऊर्जा के स्त्रोत हैं। भारत में खनिज तेल के दो क्षेत्र हैं- (i) मुंबई हाई और (ii) कलोल।
प्रश्न 18. खनिज संरक्षण की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – वर्तमान औद्योगिक युग में विभिन्न प्रकार के खनिजों का भारी प्रयोग किया जाने लगा है। खनिज निर्माण की भूगर्भिक प्रक्रियाएँ इतनी मंद हैं कि उनके वर्तमान उपयोग की तुलना में उनके पुनर्भरण की दर अत्यन्त मंद है। इसलिए खनिज संसाधन, सीमित तथा अनवीकरण योग्य हैं। समृद्ध खनिज निक्षेप संपत्ति देश की मूल्यवान संपत्ति हैं किन्तु ये अल्पजीवी हैं। अयस्कों के सतत उत्खनन की गुणवत्ता गहराई बढ़ने के साथ घटती जाती है।
प्रश्न 19. ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्त्रोत किसे कहते हैं? भारत के सौर-ऊर्जा का भविष्य कैसा है?
अथवा भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल क्यों है? कोई तीन कारण दीजिए।
उत्तर – गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत, ऊर्जा के अक्षय-संसाधन हैं। इसका उपयोग परंपरागत ऊर्जा संसाधनों के विकल्प के रूप में नहीं वरन् पर्यावरण सन्तुलन के लिए महत्त्वपूर्ण है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा तथा ज्वारीय ऊर्जा के उत्पादन से गैर-परंपरागत ऊर्जा को प्राप्त किया जा सकता है। भारत में सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा के विकास की सबसे अधिक संभावना है। पर्वतीय क्षेत्रों एवं तटीय क्षेत्रों में पवन ऊर्जा को विकसित किया गया है। सौर ऊर्जा का विकास देश के सभी भागों में किया जा रहा है। वास्तव में वर्तमान समय में ऊर्जा की बढ़ती माँग और पर्यावरण समस्याओं के समाधान के लिए ये ऊर्जा स्त्रोत अत्यन्त उपयोगी हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में लौह अयस्क के वितरण पर प्रकाश डालिए।
या भारत में लौह-अयस्क के उत्पादन पर संक्षेप में लिखिए।
या भारत में लौह अयस्क की किन्हीं तीन पेटियों के नाम लिखिए।
उत्तर – लौह-अयस्क एक महत्त्वपूर्ण खनिज है तथा औद्योगिक विकास को रीढ़ है। भारत में लौह अयस्क के विपुल संसाधन विद्यमान हैं। मैग्नेटाइट सर्वोत्तम प्रकार का लौह-अयस्क है जिसमें 70% लोहांश पाया जाता है। हेमेटाइट सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक लौह अयस्क है जिसका अधिकतम मात्रा में उपभोग हुआ है। भारत में लौह अयस्क की पेटियाँ निम्नवत् हैं-
- उड़ीसा–झारखंड पेटी – उड़ीसा (अब ओडिशा) में उच्चकोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह अयस्क मयूरभंज व केंदूझर जिलों में बादाम पहाड़ी खदानों से निकाला जाता है। झारखंड के सिंहभूम जिले में हेमेटाइट-अयस्क का खनन किया जाता है।
- दुर्ग–बस्तर–चन्द्रपुर पेटी – यह पेटी महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ राज्यों के अंतर्गत पाई जाती है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में बेलाडिला पहाड़ी श्रृंखलाओं में अति उत्तम कोटि का हेमेटाइट पाया जाता है। इन खदानों का लौह अयस्क विशाखापट्टनम् पत्तन से जापान तथा दक्षिण कोरिया को निर्यात किया जाता है।
- बेलारी–चित्रदुर्ग, चिकमंगलूर–तुमकुर पेटी – कर्नाटक की इस पेटी में लौह अयस्क की वृहत् राशि संचित है। कर्नाटक में पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रेमुख की खानें शत-प्रतिशत निर्यात इकाइयाँ हैं।
- महाराष्ट्र–गोआ पेटी – यह पेटी गोवा तथा महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी जिले में स्थित है। यद्यपि यहाँ का लोहा उत्तम प्रकार का नहीं है तथापि इसका दक्षता से दोहन किया जाता है। मर्मागाओ पत्तन से इसका निर्यात किया जाता है।
प्रश्न 2. भारत में अलौह खनिजों के वितरण को समझाइए।
या अलौह खनिजों में किन-किन खनिजों को शामिल किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – अलौह खनिजों में ताँबा, बॉक्साइट, सीसा और सोना आते हैं। भारत में अलौह खनिजों की संचित राशि व उत्पादन अधिक संतोषजनक नहीं है। भारत में ताँबे के भंडार व उत्पादन न्यून हैं। ताप का सुचालक होने के कारण ताँबे का उपयोग मुख्यतः बिजली के तार बनाने, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन उद्योगों में किया जाता है। मध्य प्रदेश की बालाघाट खदानें देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा उत्पन्न करती हैं। झारखंड का सिंहभूम तथा राजस्थान की खेतड़ी खदानें भी ताँबे के लिए प्रसिद्ध थीं। ऐलुमिनियम बॉक्साइट से प्राप्त होता है। यह एक महत्त्वपूर्ण धातु है क्योंकि यह लोहे जैसी शक्ति के साथ-साथ अत्यधिक हल्का एवं सुचालक भी होता है। भारत में वॉक्साइट के निक्षेप मुख्यतः अमरकंटक पठार, मैकाल पहाड़ियों तथा बिलासपुर-कटनी के पठारी प्रदेशों में पाए जाते हैं। ओडिशा भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य है। यहाँ कोरापुट जिले में पंचपतमाली निक्षेप राज्य के सबसे महत्त्वपूर्ण बॉक्साइट निक्षेप हैं।
प्रश्न 3. ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोतों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
या ऊर्जा के गैर-परम्परागत चार स्रोतों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
या ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोत किसे कहते हैं? भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य कैसा है?
या गैर-परम्परागत शक्ति के स्रोत से आप क्या समझते हैं? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर – ऊर्जा के वे साधन जो एक बार प्रयोग करने पर समाप्त नहीं होते और जिनकी पुनः पूर्ति संभव है, गैर-परंपरागत या नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं; जैसे-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा तथा जैविक ऊर्जा आदि।
1.सौर ऊर्जा – भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश है। यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएँ हैं। फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
- पवन ऊर्जा – पवन ऊर्जा का प्रयोग पानी बाहर निकालने, खेतों में सिंचाई करने और बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है। वायु ऊर्जा का प्रयोग गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा और महाराष्ट्र आदि में किया जाता है।
- बायोगैस – ग्रामीण इलाकों में झाड़ियों, कृषि-अपशिष्ट, पशुओं और मानवजनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है। बायोगैस संयंत्र नगरपालिका, सहकारिता तथा निजी स्तर पर लगाए जाते हैं।
- ज्वारीय ऊर्जा – महासागरीय तरंगों का प्रयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। सँकरी खाड़ी के आर-पार बाढ़ द्वार बनाकर बाँध बनाए जाते हैं। उच्च ज्वार में इस सँकरी खाड़ीनुमा प्रवेशद्वार से पानी भीतर भर जाता है और द्वार बंद होने पर बाँध में ही रह जाता है। बाढ़ द्वार के बाहर ज्वार उतरने पर बाँध के पानी को इसी रास्ते पाइप द्वारा समुद्र की ओर बहाया जाता है जो ऊर्जा उत्पादक टरबाइन की ओर ले जाता है। इससे विद्युत बनती है।
- भू–तापीय ऊर्जा – पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। भू-तापीय ऊर्जा के दोहन के लिए लद्दाख तथा हिमाचल प्रदेश में दो प्रायोगिक परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।
- जियो–थर्मल ऊर्जा – हिमाचल प्रदेश में गर्म पानी के चश्मों से ये पैदा की जाती है। इसका प्रयोग ठंडे भंडार केंद्रों में किया जाता है।
भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य – आगामी प्रश्न 5 का उत्तर देखें।
प्रश्न 4. भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर – मानव के विकास में कोयले का विशेष महत्त्व है। कोयले के चार प्रकार हैं-
- पीट – इसमें कम कार्बन, नमी की अधिक मात्रा व निम्न ताप क्षमता होती है।
- लिग्नाइट – यह निम्नकोटि का भूरा कोयला होता है। यह मुलायम होने के साथ अधिक नमीयुक्त होता है।
- बिटुमिनस – गहराई में दबे तथा अधिक तापमान से प्रभावित कोयले को बिटुमिनस कोयला कहा जाता है।
- एंथेसाइट – यह सबसे उत्तम प्रकार का कोयला होता है जिसमें कार्बन की मात्रा 80 प्रतिशत से अधिक होती है। यह ठोस काला व कठोर होता है। कोयले के भारत में विस्तृत भंडार हैं। भारत में कोयला दो प्रमुख भूगर्भिक युगों के शैल क्रम में पाया जाता है। एक गोंडवाना जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से कुछ अधिक हैं और दूसरा टर्शियरी निक्षेप जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराने हैं। गोंडवाना कोयला, जो धातुशोधन कोयला है, के प्रमुख संसाधन दामोदर घाटी (प. बंगाल तथा झारखंड), झरिया, रानीगंज, बोकारो में स्थित हैं जो महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं। गोदावरी, महानदी, सोन व वर्धा नदी घाटियों में भी कोयले के जमाव पाए जाते हैं। टर्शियरी कोयला क्षेत्र उत्तर-पूर्वी राज्यों- मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश व नागालैंड में पाया जाता है।
प्रश्न 5. भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। क्यों?
या भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल क्यों है? कोई तीन कारण बताइए।
या भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर – भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य बहुत उज्ज्वल है जिसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
(i) भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश है। यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएँ हैं। एक अनुमान के अनुसार यह लगभग 20 मेगावाट प्रति वर्ग किलोमीटर प्रतिवर्ष है।
(ii) भारत में फोटोवोल्टाइक तकनीक द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है।
(iii) भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र भुज के निकट माधोपुर में स्थित है, जहाँ सौर ऊर्जा से दूध के बड़े बर्तनों को कीटाणुमुक्त किया जाता है।
(iv) सूर्य का प्रकाश प्रकृति का मुख्य उपहार है। इसलिए निम्न वर्ग के लोग आसानी से सौर ऊर्जा का लाभ उठा सकते हैं।
(v) कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि ऊर्जा के ऐसे स्रोत हैं जो एक बार प्रयोग के बाद दोबारा प्रयोग में नही लाए जा सकते, वही सौर ऊर्जा नवीकरणीय संसाधन है। इसे बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है।
(vi) ऐसी अपेक्षा है कि सौर ऊर्जा के प्रयोग से घरों में उपलों तथा लकड़ी पर निर्भरता को न्यूनतम किया जा सकेगा। फलस्वरूप यह पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा और कृषि में भी खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति होगी।
(vii) सौर ऊर्जा का प्रयोग हम अनेक प्रकार से कर सकते हैं; जैसे- खाना बनाने, पंप द्वारा जल निकालने, पानी को गरम करने, दूध को कीटाणुरहित बनाने तथा सड़कों पर रोशनी करने आदि के लिए।
UP Board Solution of Class 10 Social Science (Geography) Chapter- 4 कृषि (Krishi) Notes