UP Board Solution of Class 9 Social Science नागरिक शास्त्र (Civics) Chapter- 2 संविधान निर्माण (Samvidhan Nirman ) Laghu Uttariy Prashn

UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Civics [नागरिक शास्त्र] Chapter-2 संविधान निर्माण (Samvidhan Nirman ) लघु  उत्तरीय प्रश्न Laghu Uttariy Prashn

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प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान  इकाई-3: नागरिक शास्त्र लोकतांत्रिक राजनीति-1 खण्ड-1 के अंतर्गत चैप्टर-2 संविधान निर्माण (Samvidhan Nirman ) पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।

Subject Social Science [Class- 9th]
Chapter Name संविधान निर्माण (Samvidhan Nirman )
Part 3  Civics [नागरिक शास्त्र]
Board Name UP Board (UPMSP)
Topic Name लोकतांत्रिक राजनीति-1

संविधान निर्माण (Samvidhan Nirman )

लघु  उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ‘संविधानका क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर प्रत्येक देश का अपना संविधान होता है। संविधान उन मौलिक नियमों, सिद्धान्तों तथा परम्पराओं का संग्रह होता है, जिनके अनुसार राज्य की सरकार का गठन, सरकार के कार्य, नागरिकों के अधिकार तथा नागरिकों और सरकार के बीच सम्बन्ध को निश्चित किया जाता है। शासन का स्वरूप लोकतान्त्रिक हो या अधिनायकवादी, कुछ ऐसे नियमों के अस्तित्व से इनकार नहीं किया जा सकता जो राज्य में विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं तथा शासकों की भूमिका को निश्चित करते हैं। इन नियमों के संग्रह को ही संविधान कहा जाता है। संविधान में शासन के विभिन्न अंगों तथा उसके पारस्परिक सम्बन्धों का विवरण होता है। इन सम्बन्धों को निश्चित करने हेतु कुछ नियम बनाए जाते हैं, जिनके आधार पर शासन का संचालन सुचारु रूप से सम्भव हो जाता है तथा शासन के विभिन्न अंगों में टकराव की सम्भावनाएँ कम हो जाती हैं। संविधान के अभाव में शासन के सभी कार्य निरंकुश शासकों की इच्छानुसार ही चलाए जाएँगे जिससे नागरिकों पर अत्याचार होने की सम्भावना बनी रहेगी। ऐसे शासक से छुटकारा पाने के लिए नागरिकों को अवश्य ही विद्रोह का सहारा लेना पड़ेगा जिससे राज्य में अशान्ति तथा अव्यवस्था फैल जाएगी। इस प्रकार एक देश के नागरिकों हेतु एक सभ्य समाज एवं कुशल तथा मर्यादित सरकार का अस्तित्व एक संविधान की व्यवस्थाओं पर ही निर्भर करता है।

प्रश्न 2. ‘भारतीय संविधानके आधारभूत ढाँचे से आप क्या समझते हैं?

उत्तर ‘भारतीय संविधान’ संविधान के आधारभूत ढाँचे को स्पष्ट नहीं करता, परन्तु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केशवानन्द भारती मुकदमे का निर्णय सुनाते हुए यह कहा था कि संविधान की प्रत्येक धारा में संशोधन किया जा सकता है। यद्यपि संविधान के मूल ढाँचे में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। संविधान के मूल ढाँचे में निम्नलिखित बातों को सम्मिलित किया जा सकता है-

  1. संविधान की सर्वोच्चता।
  2. विधानमण्डल, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच शक्तियों का पृथक्करण।
  3. संविधान का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप।
  4. संविधान का संघीय स्वरूप।
  5. सरकार या गणतन्त्रात्मक और लोकतन्त्रीय स्वरूप।

प्रश्न 3. दक्षिण अफ्रीका हेतु नया संविधान बनाने में आने वाली कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।

उत्तरदक्षिण अफ्रीका में संविधान निर्माताओं को नया संविधान बनाने में निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा-

  1. दमन करने वालों एवं जिनका दमन किया गया था, दोनों समानता के आधार पर नए लोकतान्त्रिक दक्षिण अफ्रीका में एक साथ रहने की योजना बना रहे थे।
  2. गोरों एवं अश्वेतों में परस्पर विश्वास नहीं था। उन्हें अपने-अपने डर सता रहे थे। वे अपने हितों की रक्षा करना चाहते थे।
  3. अश्वेत बहुसंख्यक यह सुनिश्चित करने को आतुर थे कि बहुमत के लोकतन्त्रात्मक सिद्धान्त के साथ कोई समझौता न किया जाए। वे मूलभूत सामाजिक एवं आर्थिक अधिकारों को पाना चाहते थे। गोरे अल्पसंख्यक अपने विशेषाधिकारों एवं सम्पत्ति की रक्षा करना चाहते थे।

प्रश्न 4. लचीले अथवा कठोर संविधान में अन्तर स्पष्ट कीजिए। भारत का संविधान लचीला है अथवा कठोर ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर उस संविधान को लचीला संविधान कहते हैं जिसमें संविधान संशोधन उसी प्रक्रिया से किया जा सके जो एक साधारण कानून को पास करने के लिए अपनाई जाती है। जबकि कठोर संविधान उस संविधान को कहते हैं जिसमें संशोधन करने के लिए किसी विशेष प्रक्रिया को अपनाना पड़ता है। उसमें संशोधन साधारण कानून को पास करने की प्रक्रिया से नहीं किया जा सकता।

भारत का संविधान न तो पूरी तरह से लचीला है और न ही कठोर। अतः अंशतः लचीला और अंशतः कठोर है। इसका कारण यह है कि संशोधन के कार्य के लिए भारत के संविधान को तीन भागों में बाँटा गया है-

  1. कुछ धाराओं में संशोधन संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत तथा आधे राज्यों की स्वीकृति से किया जा सकता है।
  2. शेष धाराओं में संशोधन संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से किया जा सकता है।
  3. संविधान की कुछ धाराओं में संसद अपने साधारण बहुमत से संशोधन कर सकती है।

प्रश्न 5. संविधान सभा में प्रस्तुत किए गएउद्देश्य प्रस्तावपर संक्षिप्त नोट लिखिए।

उत्तरपं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा की पहली बैठक में उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। इस उद्देश्य प्रस्ताव में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातें सम्मिलित थीं-

  1. भारत एक प्रभुसत्ता-सम्पन्न लोकतान्त्रिक गणराज्य होगा।
  2. अल्पसंख्यक वर्गों, पिछड़ी जातियों, जनजातियों, दलित तथा अन्य पिछड़े वर्गों के हितों की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की जाएगी।
  3. भारत के सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक न्याय का आश्वासन, कानून के सामने समानता, विचार, विश्वास, धर्म, पूजा, व्यवसाय की स्वतन्त्रताएँ प्राप्त होंगी।
  4. भारतीय गणतन्त्र की भौगोलिक अखण्डता तथा इसके भू-भाग, समुद्र तथा वायुमण्डल क्षेत्र पर इसकी प्रभुसत्ता की रक्षा न्यायोचित तथा सभ्य राष्ट्रों के कानूनों के अनुसार की जाएगी।
  5. स्वतन्त्र एवं प्रभुसत्ता सम्पन्न भारत संघ और उसके अन्तर्गत आने वाले विभिन्न घटकों की शक्ति का स्रोत जनता होगी।
  6. यह राज्य विश्वशान्ति तथा मानवमात्र के कल्याण की उन्नति में अपना सम्पूर्ण तथा स्वैच्छिक योगदान करेगा।
  7. भारत ब्रिटिश भारत कहे जाने वाले क्षेत्र, भारतीय रियासतों के क्षेत्र और भारत के ऐसे अन्य क्षेत्र, जो इस समय ब्रिटिश भारत तथा भारतीय रियासतों के क्षेत्र से बाहर हैं और जो भारत में शामिल होना चाहते हैं, उन सबका एक संघ बनेगा।

प्रश्न 6. संविधान निर्माताओं ने संविधान संशोधन के लिए क्या प्रावधान किए हैं?

उत्तरभारत का संविधान एक विस्तृत दस्तावेज है। इसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए इसमें अनेक बार संशोधन करने पड़ते हैं। भारत के संविधान निर्माताओं ने अनुभव किया कि इसे लोगों की आकांक्षाओं एवं समाज के परिवर्तन के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने इसे एक पवित्र, स्थायी एवं अपरिवर्तनीय कानून की दृष्टि से नहीं देखा। इसलिए उन्होंने समय-समय पर इसमें परिवर्तन समाहित करने के लिए प्रावधान किया। इस बदलाव को संविधान संशोधन कहा जाता है।

प्रश्न 7. भारत में संघीय शासन प्रणाली को स्पष्ट कीजिए।

उत्तरसंघीय शासन व्यवस्था में शासन की शक्तियों का केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों के बीच विभाजन किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुसार देश में संघीय सरकार की स्थापना की गई है, जो इस प्रकार है-

  1. लिखित तथा कठोर संविधान – भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है जिसमें 395 धाराएँ हैं। इसके अतिरिक्त संविधान का एक भाग ऐसा है जिसमें संशोधन करने के लिए कम-से-कम आधे राज्यों की स्वीकृति लेनी आवश्यक है। अतः यह एक कठोर संविधान है।
  2. शक्तियों का विभाजनसंविधान द्वारा शासन की शक्तियों का तीन सूचियों – 1. संघीय सूची, 2. राज्य सूची तथा 3. समवर्ती सूची में, में विभाजन किया गया है।
  3. सर्वोच्च न्यायालय संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करने के लिए एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई है।
  4. द्विसदनीय विधानमण्डलभारतीय संसद के दो सदन हैं- लोकसभा एवं राज्यसभा। लोकसभा में जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि बैठते हैं और राज्यसभा में राज्यों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।

उपर्युक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि भारत में संघीय सरकार की व्यवस्था की गई है।

 

UP Board Solution of Class 9 Social Science नागरिक शास्त्र (Civics) Chapter- 1 लोकतंत्र क्या ? लोकतंत्र क्यूँ ?(Loktantra Kya? Loktantra Kyon?) Laghu Uttariy Prashn

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