UP Board Solution of Class 9 Social Science नागरिक शास्त्र (Civics) Chapter- 3 चुनावी राजनीति (chunavi rajniti) Laghu Uttariy Prashn

UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Civics [नागरिक शास्त्र] Chapter-3 चुनावी राजनीति (chunavi rajniti) लघु  उत्तरीय प्रश्न Laghu Uttariy Prashn

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प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान  इकाई-3: नागरिक शास्त्र लोकतांत्रिक राजनीति-1 खण्ड-2 के अंतर्गत चैप्टर-3 चुनावी राजनीति (Samvidhan Nirman )पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।

Subject Social Science [Class- 9th]
Chapter Name चुनावी राजनीति (Samvidhan Nirman )
Part 3  Civics [नागरिक शास्त्र ]
Board Name UP Board (UPMSP)
Topic Name लोकतांत्रिक राजनीति-1

चुनावी राजनीति (Samvidhan Nirman )

लघु  उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में राजनीतिक दलों को चुनाव में चुनाव चिह्न दिए जाने का कारण है?

उत्तर चुनाव आयोग द्वारा भारत में विभिन्न राजनीतिक दलों को विभिन्न चुनाव चिह्न आबंटित किए गए। उदाहरण के लिए कांग्रेस (आई) का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा’ तथा भाजपा का चुनाव चिह्न ‘कमल का फूल’ है। ‘

राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न प्रदान करने का प्रमुख कारण यह है-

  1. चिह्न के द्वारा एक साधारण तथा अशिक्षित व्यक्ति भी चिह्न से सम्बन्धित राजनीतिक दल के उम्मीदवार की पहचान कर सकता है।
  2. चुनाव चिह्न की सहायता से सभी चुनाव क्षेत्रों में राजनीतिक दल बड़ी आसानी से अपना चुनाव प्रचार कर सकते हैं। चुनाव चिह्नों से उन्हें जलूस तथा जलसे आदि संगठित करने में आसानी होती है।
  3. यदि एक ही नाम के दो अथवा अधिक उम्मीदवार हों; तो चुनाव चिह्नों की सहायता से उनकी पहचान करना आसान हो जाता है।

प्रश्न 2. चुनाव घोषणापत्र किसे कहते हैं?

उत्तरराजनीतिक दलों द्वारा चुनाव के समय अपने कार्यक्रम, नीतियों तथा उद्देश्यों को बताने के लिए जो प्रपत्र जारी किया जाता है, उसी प्रपत्र को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं। चुनाव के कुछ दिन पहले प्रत्येक राजनीतिक दल अपना घोषणा-पत्र जारी करते हैं। इस प्रपत्र के माध्यम से राजनीतिक दल लोगों को यह बताते हैं कि देश की आन्तरिक तथा विदेश नीति के बारे में उनके क्या विचार हैं और उसे यदि सरकार बनाने का अवसर मिला, तो वह कौन-कौन से कार्य करेंगे। चुनाव घोषणा-पत्र के निम्नलिखित उपयोग (लाभ) हैं-

  1. चुनाव जीतने वाले दल के लिए घोषणा-पत्र पथ-प्रदर्शन का कार्य करता है, क्योंकि उन्हें अपना कार्य उसी के अनुसार करना होता है।
  2.  इससे विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनाव घोषणा-पत्रों को देखने के पश्चात् मतदाताओं के लिए मत का निर्णय लेना आसान होता है।
  3. चुनाव के पश्चात् घोषणा-पत्र के अनुसार कार्य करने के लिए जनता सरकार पर दबाव डाल सकती है। यदि सरकार उन वायदों को पूरा नहीं करती जो घोषणा-पत्र में दिए गए थे, तो जनता सरकार की आलोचना कर सकती है।
  4. विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनाव घोषणा-पत्रों को देखने के पश्चात् मतदाताओं के लिए मत का निर्णय लेना आसान होता है।

प्रश्न 3. लोकतन्त्र में चुनाव क्यों आवश्यक है?

उत्तरभारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में चुनाव के समय लोग आपस में विचार-विमर्श करके मतदान का निर्णय करते हैं। किन्तु लोगों के लिए व्यावहारिक रूप से यह सम्भव नहीं है कि सभी मुद्दों पर सभी नागरिक बैठकर आपस में निर्णय लें क्योंकि इसके लिए सभी व्यक्तियों के पास आवश्यक समय तथा ज्ञान नहीं होता है। इसलिए अधिकतर लोकतान्त्रिक देशों में लोग अपने प्रतिनिधियों द्वारा शासन करते हैं। लोकतन्त्र चुनाव के माध्यम से लोगों को एक ऐसा तरीका उपलब्ध कराता है जिसके द्वारा लोग नियमित अन्तरालों पर अपने प्रतिनिधियों को चुन सकते हैं तथा यदि वे चाहें तो उन्हें बदल भी सकते हैं। अतः किसी भी लोकतन्त्र के लिए चुनाव आवश्यक है।

प्रश्न 4. भारत में चुनावी प्रतिद्वन्द्विता के दोषों का उल्लेख कीजिए।

उत्तरभारत में चुनावी प्रतिद्वन्द्विता के कुछ दोष इस प्रकार हैं-

  1. यह प्रत्येक समुदाय में ‘अलगाव’ तथा ‘भिन्नता’ की भावना पैदा करता है।
  2. चुनाव जीतने का दबाव सही किस्म की दीर्घकालिक राजनीति को पनपने नहीं देता।
  3. दल तथा उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकण्डे अपनाते हैं।
  4. समाज तथा देश की सेवा करने की इच्छा रखने वाले अच्छे लोग भी इन्हीं कारणों से चुनावी मुकाबले में नहीं उतरते।

प्रश्न 5. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तरलोकतन्त्र के प्रसार से पहले मताधिकार सम्पत्ति, शिक्षा, नस्ल, लिंग आदि पर आधारित होता था, परन्तु आधुनिक समय में इस समय पूर्ववर्ती मान्यताओं को अस्वीकार कर दिया गया है। अब वयस्कता को ही मतदान का एकमात्र आधार माना जाने लगा है। इसमें प्रत्येक नागरिक को, जो वयस्क हो गया है, मतदान का अधिकार दे दिया जाता है। केवल अल्पवयस्क, पागल, दिवालिया, अपराधी तथा विदेशी लोगों को ही मताधिकार से वंचित किया जाता है। किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म, जाति, वंश, लिंग तथा जन्म-स्थान के आधार पर मताधिकार से वंचित नहीं किया जाता। वयस्क होने की आयु भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न रखी गई है। स्विट्जरलैण्ड में यह आयु 20 वर्ष है। भारत में व्यक्ति के वयस्क होने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और जापान में 25 वर्ष निश्चित की गई है। वर्तमान युग में विश्व के लगभग सभी देशों में वयस्क मताधिकार को लागू किया गया है।

प्रश्न 6. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर– 1. अज्ञानी व्यक्तियों को मताधिकार देना अनुचित हैप्रत्येक देश में अधिकतर अशिक्षित तथा अज्ञानी होते हैं। वे उम्मीदवार के गुणों को न देखकर जाति, धर्म तथा मित्रता आदि के आधार पर अपने मत का प्रयोग करते हैं। ऐसे व्यक्ति राजनीतिक नेताओं के जोशीले भाषणों से भी शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं। अतः अशिक्षित व्यक्तियों को मताधिकार देना उचित नहीं है।

  1. प्रशासन तथा देश की समस्याएँ जटिल आधुनिक युग में शासन सम्बन्धी प्रश्न तथा समस्याएँ दिन-प्रतिदिन जटिल होती जा रही हैं, जिन्हें समझ पाना साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं है। प्रायः साधारण मतदाता अयोग्य व्यक्ति को चुन लेते हैं क्योंकि उनके पास देश की समस्याओं पर विचार करने तथा उन्हें समझने के लिए समय ही नहीं होता। इस कारण से भी मतदान का अधिकार केवल शिक्षित व्यक्तियों को ही देना चाहिए।
  2. भ्रष्टाचार को बढ़ावावयस्क मताधिकार प्रणाली में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। धनी उम्मीदवारों द्वारा निर्धन व्यक्तियों के मतों को खरीद लिया जाता है। निर्धन व्यक्ति थोड़े-से लालच में पड़कर अपना मत स्वार्थी तथा भ्रष्टाचारी उम्मीदवारों के हाथों में बेच देते हैं।
  3. साधारण जनता रूढ़िवादी होती है साधारण जनता द्वारा आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में प्रगतिशील नीतियों का विरोध किया जाता है। अतः मताधिकार ऐसे व्यक्तियों को दिया जाना चाहिए जो इसका उचित प्रयोग करने की योग्यता रखता हो।

प्रश्न 7. चुनाव अभियान को संक्षेप में लिखिए।

उत्तरभारत में चुनाव अभियान प्रत्याशियों की अन्तिम सूची की घोषणा से मतदान की तिथि (लगभग 2 सप्ताह की अवधि) तक चलता है। इस अवधि के दौरान प्रत्याशी अपने मतदाताओं से सम्पर्क करता है, राजनीतिक नेता चुनावी सभाओं को सम्बोधित करते हैं तथा राजनीतिक दल अपने समर्थकों को सक्रिय करते हैं जिसके लिए सामान्यतः लुभावने नारे तैयार किए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके।

 

UP Board Solution of Class 9 Social Science नागरिक शास्त्र (Civics) Chapter- 2 संविधान निर्माण (Samvidhan Nirman ) Laghu Uttariy Prashn

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