UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Economics [अर्थशास्त्र] Chapter- 4 भारत में खाद्य सुरक्षा (Bharat me khadya Suraksha) लघु उत्तरीय प्रश्न Laghu Uttariy Prashn
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान इकाई-4: अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था खण्ड-2 के अंतर्गत चैप्टर 4 भारत में खाद्य सुरक्षा (Bharat me khadya Suraksha) पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Subject | Social Science [Class- 9th] |
Chapter Name | भारत में खाद्य सुरक्षा (Bharat me khadya Suraksha) |
Part 3 | Economics [अर्थशास्त्र ] |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | भारत में खाद्य सुरक्षा (Bharat me khadya Suraksha) |
भारत में खाद्य सुरक्षा (Bharat me khadya Suraksha)
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. अंत्योदय अन्न योजना एवं अन्नपूर्णा योजना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–अंत्योदय अन्न योजना (AAY) दिसम्बर 2000 में प्रारम्भ हुई। इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की पहचान की गई। गरीब परिवारों की प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने गरीबी रेखा के आधार पर पता लगाया। प्रत्येक पहचान किए गए परिवार को 25 किलोग्राम अनाज अत्यधिक रियायती मूल्य पर प्रदान किया गया। गेहूँ का मूल्य 2 रुपये प्रति किलो और चावल 3 रुपये किलो दर पर प्रदान किए गए। अप्रैल 2002 से खाद्यान्न की मात्रा 25 किलो से बढ़ाकर 35 किलो कर दी गई। इसके बाद इस योजना का प्रसार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 50 लाख अन्य परिवारों में किया गया। यह वृद्धि जून 2003 एवं अप्रैल 2004 में की गई। इस वृद्धि से दो करोड़ परिवारों को सहायता प्रदान की जाती है।
अन्नपूर्णा योजना (APS) – यह वर्ष 2000 में सीनियर नागरिकों को 10 किलोग्राम मुफ्त अनाज प्रदान करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के संग में आरम्भ की गई।
प्रश्न 2. खाद्य सुरक्षा में किसे शामिल किया जा सकता है?
उत्तर– खाद्य सुरक्षा में निम्नलिखित शामिल हैं-
- खाद्य की उपलब्धता– यहाँ पर सभी के लिए भोजन उपलब्ध होना चाहिए।
- खाद्य की अधिकता– सभी व्यक्तियों के पास खाद्य (भोजन) होना चाहिए। यह सभी तक पहुँचना चाहिए।
- खाद्य की प्राप्ति– सभी व्यक्तियों के पास पर्याप्त, सुरक्षित एवं पोषण खाद्य खरीदने के लिए पर्याप्त क्रय शक्ति होनी चाहिए।
प्रश्न 3. भुखमरी से आप क्या समझते हैं? भारत में भुखमरी के कितने प्रकार हैं?
उत्तर– भुखमरी खाद्य की दृष्टि से असुरक्षा को इंगित करने वाला एक दूसरा पहलू है। भुखमरी गरीबी की एक अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, यह गरीबी लाती है। इस तरह खाद्य की दृष्टि से सुरक्षित होने से वर्तमान में भुखमरी समाप्त हो जाती है और भविष्य में भुखमरी का खतरा कम हो जाता है।
भुखमरी के प्रकार
(क) दीर्घकालिक भुखमरी – यह मात्रा या गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। गरीब लोग अपनी अत्यन्त निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण दीर्घकालिक भुखमरी से ग्रस्त होते हैं।
(ख) मौसमी भुखमरी – यह फसल उपजाने और काटने के चक्र से सम्बन्धित है। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। जैसे बरसात के मौसम में अनियत निर्माण श्रमिक को कम काम रहता है।
प्रश्न 4. ‘खाद्यान्न के गोदामों में आवश्यकता से अधिक अनाज का होना फिर भी लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं है।‘ इस विडम्बना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर– अतिरिक्त भण्डार (Buffer Stock) की पर्याप्तता के बावजूद हमारे देश की 26% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे रह रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रतिदिन उनके पास भोजन खरीदने के साधन भी नहीं हैं। हालाँकि यह प्रतिशत सन् 1999-2000 में कम हुआ जो सन् 1993-94 में 36% था; इन गरीबों की सम्पूर्ण संख्या 26 करोड़ है। यह प्रदर्शित करता है कि यहाँ पर कुछ लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है, जबकि सरकार के गोदामों में खाद्यान्न रखने की जगह नहीं है। उपर्युक्त परिस्थितियों में हमारे कृषि वैज्ञानिकों को उत्पादन में वृद्धि के लिए कई अन्य उपाय खोजने पड़ेंगे जिससे हमारी जनसंख्या के कई लाख लोगों को भोजन प्रदान किया जा सके।
प्रश्न 5. अंत्योदय अन्न योजना से आप क्या समझते हैं? टिप्पणी करें।
उत्तर– अंत्योदय अन्न योजना दिसम्बर, 2000 में शुरू की गई थी। इस योजना के अन्तर्गत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आने वाले निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ लोगों की पहचान की गई। सम्बन्धित राज्य के ग्रामीण विकास विभागों ने गरीबी रेखा से नीचे के गरीब परिवारों को सर्वेक्षण के द्वारा चुना। 2 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूँ और 3 रुपये प्रति किलोग्राम चावल की अत्यधिक आर्थिक सहायता प्राप्त दर पर प्रत्येक परिवार को 25 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया गया। अनाज की यह मात्रा अप्रैल 2002 में 25 किलोग्राम से बढ़ाकर 35 किलोग्राम कर दी गई। जून 2003 और अगस्त 2004 में इसमें 50-50 लाख अतिरिक्त बी.पी.एल. (BPL) परिवार दो बार जोड़े गए। इससे इस योजना में आने वाले परिवारों की संख्या 2 करोड़ हो गई।