Raheem Biography – Rahimdas ka Jeevan Parichay रहीम का जीवन परिचय व कृतियाँ

Raheem Biography – Rahimdas ka Jeevan Parichay

रहीम का जीवन परिचय व कृतियाँ भाषा शैली साहित्यिक परिचय व साहित्य में स्थान 

रहीम rahim ka Jivan Parichay evan Rachanaye – raheem Biography – raheemdas ka Jeevan Parichay रहीम का जीवन परिचय 100 शब्दों में. रहीम ka jivan parichay. हिंदी जीवन परिचय.

नाम  रहीमदास जन्म  1556 ई०
पिता  बैरम खाँ जन्मस्थान  लाहौर (वर्तमान में पाकिस्तान)
युग  भक्तिकाल    मृत्यु  1627 ई0

रहीम

 

लेखक का  संक्षिप्त जीवन परिचय (फ्लो चार्ट)
  • जन्म – 1556 ई०
  • जन्म स्थान – लाहौर (वर्तमान में पाकिस्तान)
  • पिता –बैरम खाँ  
  • मृत्यु – 1546 ई०
  • भाषा – ब्रज 

जीवन-परिचय (Biography of Rahimdas)

रहीम (Raheem) का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। इनका जन्म सन् 1556 ई0 में लाहौर (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता बैरम खाँ मुगल सम्राट् अकबर के संरक्षक थे। किन्हीं कारणोंवश अकबर बैरम खाँ से रुष्ट हो गया था और उसने बैरम खाँ पर विद्रोह का आरोप लगाकर हज करने के लिए मक्का भेज दिया। मार्ग में उसके शत्रु मुबारक खाँ ने उसकी हत्या कर दी। बैरम खाँ की हत्या के पश्चात् अकबर ने रहीम और उनकी माता को अपने पास बुला लिया और रहीम की शिक्षा की समुचित व्यवस्था की।

प्रतिभासम्पन्न रहीम ने हिन्दी, संस्कृत, अरबी, फारसी, तुर्की आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। योग्यता को देखकर अकबर ने इन्हें अपने दरबार के नवरत्नों में स्थान दिया। ये अपने नाम के अनुरूप अत्यन्त दयालु प्रकृति के थे। मुसलमान होते हुए भी ये श्रीकृष्ण के भक्त थे । अकबर की मृत्यु के पश्चात् जहाँगीर ने इन्हें चित्रकूट में नजरबन्द कर दिया था। केशवदास और गोस्वामी तुलसीदास से इनकी अच्छी मित्रता थी । इनका अन्तिम समय विपत्तियों से घिरा रहा और सन् 1627 ई0 में मृत्यु हो गयी ।

साहित्यिक योगदान : (rahim ki sahityik seva)

योग्य गुरुओं के सम्पर्क में रह कर इनमें अनेक काव्य-गुणों का विकास हुआ। इन्होंने कई ग्रन्थों का अनुवाद किया तथा ब्रज, अवधी एवं खड़ीबोली में कविताएँ भी लिखीं। इनके ‘नीति के दोहे’ तो सर्वसाधारण की जिह्वा पर रहते हैं। दैनिक जीवन की अनुभूतियों पर आधारित दृष्टान्तों के माध्यम से इनका कथन सीधे हृदय पर चोट करता है। इनकी रचना में नीति के अतिरिक्त भक्ति एवं शृंगार की भी सुन्दर व्यंजना दिखायी देती है । इन्होंने अनेक ग्रन्थों का अनुवाद भी किया।

रचनाएँ – (Rahim ki Rachnaye)

रहीम की रचनाएँ इस प्रकार हैं—रहीम सतसई, श्रृंगार सतसई, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, रहीम रत्नावली एवं बरवै नायिकाभेद वर्णन ।

  • ‘रहीम सतसई’ नीति के दोहों का संकलन ग्रन्थ है। इसमें लगभग – 300 दोहे प्राप्त हुए हैं।
  • ‘मदनाष्टक’ में श्रीकृष्ण और गोपियों की प्रेम सम्बन्धी लीलाओं का सरस चित्रण किया गया है।
  • ‘रास पंचाध्यायी’ श्रीमद्भागवत पुराण के आधार पर लिखा गया ग्रन्थ है जो अप्राप्य है।
  • ‘बरवै नायिका भेद’ में नायिका भेद का वर्णन बरवै छन्द में किया गया है।

भाषा-शैली (Bhasha Shaili)

रहीम जनसाधारण में अपने दोहों के लिए प्रसिद्ध हैं, पर इन्होंने कवित्त, सवैया, सोरठा तथा बरवै छन्दों में भी सफल काव्य-रचना की है। इन्होंने ब्रज भाषा में अपनी काव्य-रचना की। इनके ब्रज का रूप सरल, व्यावहारिक, स्पष्ट एवं प्रवाहपूर्ण है। ये कई भाषाओं के जानकार थे, इसलिए इनकी काव्य- भाषा में विभिन्न भाषाओं के शब्दों के प्रयोग भी देखने को मिलते हैं। अवधी में ब्रजभाषा के शब्द तो मिलते ही हैं, पर अवधी के ग्रामीण शब्दों का भी खुलकर प्रयोग इन्होंने किया है। इन्होंने मुक्तक शैली में काव्य-सृजन किया। इनकी यह शैली अत्यन्त सरस, सरल एवं बोधगम्य है।

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