UP Board Solution of Class 9 Hindi Padya Chapter 13 -Prabhu Ji Tum Chandan Hum Pani – प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी (रैदास) Jivan Parichay, Padyansh Adharit Prashn Uttar Summary

UP Board Solution of Class 9 Hindi Padya Chapter 13 -Prabhu Ji Tum Chandan Hum Pani – प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी (रैदास) Jivan Parichay, Padyansh Adharit Prashn Uttar Summary

Dear Students! यहाँ पर हम आपको कक्षा 9 हिंदी पद्य खण्ड के पाठ 12 प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी का सम्पूर्ण हल प्रदान कर रहे हैं। यहाँ पर प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी सम्पूर्ण पाठ के साथ रैदास का जीवन परिचय एवं कृतियाँ,द्यांश आधारित प्रश्नोत्तर अर्थात पद्यांशो का हल, अभ्यास प्रश्न का हल दिया जा रहा है।

Dear students! Here we are providing you complete solution of Class 9 Hindi  Poetry Section Chapter Prabhu Ji Tum Chandan Hum Pani. Here the complete text, biography and works of Ravidas  along with solution of Poetry based quiz i.e. Poetry and practice questions are being given. 

UP Board Solution of Class 9 Hindi Gadya Chapter 1 - Baat - बात (प्रतापनारायण मिश्र) Jivan Parichay, Gadyansh Adharit Prashn Uttar Summary

Chapter Name Prabhu Ji Tum Chandan Hum Pani – प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी (रैदास) Ravidas 
Class 9th
Board Nam UP Board (UPMSP)
Topic Name जीवन परिचय,पद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर,पद्यांशो का हल (Jivan Parichay, Padyansh Adharit Prashn Uttar Summary)

जीवन-परिचय

रैदास

(स्मरणीय तथ्य)

जन्म संवत् 1471
मृत्यु संवत् 1597
माता का नाम भगवती
पिता का नाम मानदास
कृतियाँ रैदास की वाणी

 

जीवन-परिचय

भक्ति कालीन कवियों में सन्त रैदास का महत्त्वपूर्ण स्थान है, किन्तु सटीक साक्ष्यों के अभाव में आज भी इनका जीवन अन्धकारपूर्ण है।

रैदास की अनेक कृतियों में उनके अनेक नाम देखने को मिलते हैं। देश के विभिन्न भागों में उनके ऐसे अनेक नाम प्रचलित हैं जिनमें उच्चारण की दृष्टि से बहुत थोड़ा अन्तर है। रैदास (पंजाब), रविदास (आधुनिक), रयदास, रदास (बीकानेर की प्रतियों में), रविदास आदि नाम इस उच्चारण की भिन्नता को ही प्रकट करते हैं। इसलिए लोक प्रचलन और सुविधा की दृष्टि से उनका मूल नाम रैदास ही स्वीकार किया जाता है। भक्तमाल में कहा गया है कि रैदास रामानन्द के शिष्य थे। स्वतः रैदास की वाणी में भी ऐसे उद्धरण उपलब्ध हैं, जहाँ उन्होंने स्वामी रामानन्द को अपना गुरु स्वीकार किया है-

रामानन्द मोहि गुरु मिल्यो, पायो ब्रह्मविसास।

रस नाम अमीरस पिऔं, रैदास ही भयौ पलास ।।

                रामानन्द का समय 14वीं शताब्दी के मध्य से 15वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक माना जाता है किन्तु इसकी विरोधी धारणा यह भी प्रचलित है कि रैदास मीरा के गुरु थे। मीरा का समय 16वीं शताब्दी के मध्य से 17वीं शताब्दी के आरम्भ तक माना गया है। प्रायः सभी विद्वानों की धारणा है कि रैदास कबीर (जन्म संवत् 1455) के समकालीन थे। प्रायः सभी विद्वान इस बात पर सहमत हैं कि इनका जन्म संवत् 1471 के आस-पास हुआ था।

रैदास के माता-पिता के बारे में प्रामाणिक रूप से कुछ कहना कठिन जान पड़ता है। जनश्रुतियों तथा साम्प्रदायिक सूचनाओं के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले गये हैं। भविष्यपुराण में रैदास के पिता का नाम मानदास बताया गया है। रैदास पुराण में रैदास की माता का नाम ‘भगवती’ दिया गया है।

रैदास का निर्वाण (तिथि तथा स्थल) रैदास के निर्वाण की तिथि तथा स्थल के विषय में कोई प्रामाणिक सूचना नहीं मिलती। चित्तौड़ के रविदासी भक्तों का कथन है कि चित्तौड़ में कुम्भनश्याम के मन्दिर के निकट जो रविदास की छतरी बनी हुई है, वही उनके निर्वाण का स्थल है। उस छतरी में रैदास जी के निर्वाण की स्मृतिस्वरूप रैदास जी के चरण-चिह्न भी बने हुए हैं। रैदास-रामायण के रचयिता ने लिखा है कि रैदास गंगा तट पर तपस्या करते हुए जीवन-मुक्त हुए। दोनों ही विचारधारा वाले लोग रैदास का ‘सदेह गुप्त’ होना मानते हैं। श्रद्धालु भक्त महापुरुषों का ‘सदेह गुप्त’ होना ही मान सकते हैं किन्तु इस सदेह गुप्त होने से एक संशय उत्पन्न होता है। वस्तुतः रैदास के निर्वाण को किसी ने देखा नहीं और इसीलिए उनकी मृत्यु को श्रद्धापूर्वक ‘सन्देह गुप्त’ अथवा ‘सदेह गुप्त’ कह दिया गया। वस्तुतः रैदास जी अचानक किसी स्थल पर अनायास स्वर्गवासी हो गये होंगे और भक्तों को ज्ञात नहीं हो सका होगा इसीलिए उनके विषय में श्रद्धापूर्वक सदेह गुप्त होने की बात चल पड़ी। रैदास के मृत्यु-स्थल का किसी को भी पता नहीं है।

जहाँ तक रैदास की निर्वाण तिथि का प्रश्न है, रविदासी सम्प्रदाय तथा भक्तों में रैदास की निर्वाण तिथि चैत बदी चतुर्दशी मानी जाती है। किसी अन्य प्रमाण के अभाव में हम भी इसी तिथि को रैदास की निर्वाण तिथि मान सकते हैं। जहाँ तक रैदास के निर्वाण के वर्ष का प्रश्न है, कुछ विद्वानों ने रैदास का मृत्यु-वर्ष संवत् 1597 माना है। ‘मीरा-स्मृति-ग्रंथ’ में उनका मृत्यु-वर्ष संवत् 1576 माना गया है। रैदास की जन्म तिथि को देखते हुए इनमें से कोई भी वर्ष असंगत ज्ञात नहीं होता। हाँ, यह बात अवश्य है कि रैदास के निर्वाण के सम्बन्ध में इन वर्षों को मानने वाले श्रद्धालु भक्तों ने उनकी आयु 130 वर्ष तक मानकर उनको कबीर से भी ज्येष्ठ सिद्ध करने की चेष्टा अवश्य की है।

कृतियाँ

(1) आदि ग्रन्थ में उपलब्ध रैदास की वाणी, (2) रैदास की वाणी, वेलवेडियर प्रेस।

हिन्दी साहित्य से जुड़े अनेक विद्वानों ने रैदास जी पर आधारित अनेक रचनाएँ की हैं, जो निम्नलिखित हैं- (1) सन्त रैदास और उनका काव्य (सम्पादक : रामानन्द शास्त्री तथा वीरेन्द्र पाण्डेय), (2) सन्त सुधासार (सम्पादक : वियोगी हरि), (3) सन्त-काव्य (परशुराम चतुर्वेदी), (4) सन्त रैदास : व्यक्तित्व एवं कृतित्व (संगमलाल पाण्डेय), (5) सन्त रैदास (डॉ० जोगिन्दर सिंह), (6) रैदास दर्शन (सम्पादक: आचार्य पृथ्वीसिंह आजाद), (7) सन्त रविदास (श्री रत्नचन्द), (8) सन्त रविदास : विचारक और कवि (डॉ० पद्म गुरुचरण सिंह) और (9) सन्त गुरु रविदास वाणी (डॉ० वेणीप्रसाद शर्मा)।

 

प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी।।

प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा। जैसे चितवत चंद चकोरा।।

प्रभु जी तुम दीपक हम बाती। जाकी जोति बरै दिन राती।।

प्रभु जी तुम मोती हम धागा। जैसे सोनहिं मिलत सोहागा।

प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा। ऐसी भक्ति करै रैदासा।।

 

  • निम्नलिखित पद्यांशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी।।

प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा। जैसे चितवत चंद चकोरा।।

प्रभु जी तुम दीपक हम बाती। जाकी जोति बरै दिन राती।।

प्रभु जी तुम मोती हम धागा। जैसे सोनहिं मिलत सोहागा।

प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा। ऐसी भक्ति करै रैदासा।।

प्रश्न- (क) राती, सोनहिं, मोती शब्द के तत्सम रूप लिखिए।

उत्तर- तत्सम रूप रात्रि, स्वर्ण, मुक्ता

(ख) ‘जैसे चितवत चंद चकोरा’ में कौन-सा अलंकार है?

उत्तर- अनुप्रास अलंकार है।

(ग) ‘जाकी जोति बरै दिन राति’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- हे ईश्वर ! आप दीपक हैं और मैं उस दीप की बाती हूँ जिसकी ज्योति दिन-रात निरन्तर जलती रहती है।

 

UP Board Solution of Class 9 Hindi Padya Chapter 12 -Yugvani- युगवाणी (शिवमंगल सिंह ‘सुमन’) Jivan Parichay, Padyansh Adharit Prashn Uttar Summary – Copy

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