UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Economics [अर्थशास्त्र] Chapter- 3 निर्धनता: एक चुनौती ( Nirdhanta Ek Chunauti) लघु उत्तरीय प्रश्न Laghu Uttariy Prashn
प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान इकाई-4: अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था खण्ड-2 के अंतर्गत चैप्टर 3 निर्धनता: एक चुनौती ( Nirdhanta Ek Chunauti) पाठ के लघु उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।
Subject | Social Science [Class- 9th] |
Chapter Name | निर्धनता: एक चुनौती ( Nirdhanta Ek Chunauti) |
Part 3 | Economics [अर्थशास्त्र ] |
Board Name | UP Board (UPMSP) |
Topic Name | निर्धनता: एक चुनौती ( Nirdhanta Ek Chunauti) |
निर्धनता: एक चुनौती ( Nirdhanta Ek Chunauti)
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. देश में गरीबी दूर करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर– 1. प्रधानमन्त्री रोज़गार योजना (PMRY), 1993
- ग्रामीण रोज़गार विकास योजना (REGP), 1995
- स्वर्ण जयंती स्वरोज़गार योजना (SGSY), 1999 (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन 2010-11)
- प्रधानमन्त्री ग्रामोद्योग योजना (PMGY), 2000
- राष्ट्रीय कार्य के बदले भोजन योजना (NFWP), 2004
- महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार आश्वासन अधिनियम (MGNREGA), 2005
- अन्त्योदय अन्न योजना (AAY)
प्रश्न 2. ‘आर्थिक संवृद्धि एवं निर्धनता उन्मूलन के बीच सम्बन्ध है।‘ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1980 के दशक से भारत की आर्थिक संवृद्धि दर विश्व में सबसे अधिक रही। संवृद्धि दर 1970 के दशक के बीच 3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई। अधिक संवृद्धि दर निर्धनता उन्मूलन को कम करने में सहायक होती है। इसलिए यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है। यह शिक्षा में निवेश से अधिक आर्थिक प्रतिफल पाने की आशा में लोगों को अपने बच्चों को लड़कियों सहित स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करती है।
प्रश्न 3. सरकार की वर्तमान निर्धनता निरोधी रणनीतियाँ किन दो कारकों पर आधारित हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– निर्धनता उन्मूलन भारत की विकास रणनीति का प्रमुख उद्देश्य रहा है। सरकार की वर्तमान निर्धनता निरोधी रणनीति मुख्य रूप से निम्नलिखित दो कारकों पर आधारित है-
- आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन – विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1980 के दशक से भारत की आर्थिक सवृद्धि दर विश्व में सबसे अधिक रही।
संवृद्धि दर 1970 के दशक के बीच 3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई। अधिक संवृद्धि दर निर्धनता उन्मूलन को कम करने में सहायक होती है। इसलिए यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है।
- लक्षित निर्धनता निरोधी कार्यक्रम – सरकार ने निर्धनता को समाप्त करने के लिए कई निर्धनता निरोधी कार्यक्रम चलाए। जैसे-महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) प्रधानमन्त्री रोज़गार योजना, ग्रामीण रोज़गार सृजन, स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन), प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना, अंत्योदय अन्न योजना, राष्ट्रीय काम के बदले अनाज।
प्रश्न 4. गरीबी की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर– गरीब चाहे ग्रामीण हों या शहरी उनकी विशेषताएँ लगभग एक जैसी होती हैं। उनकी सामान्य विशेषताओं को नीचे समझाया गया है-
- कार्य का निरन्तर न होना, सौदेबाजी की क्षमता में कमी–गरीब लोग बेरोज़गारी, अल्प रोज़गार एवं मौसमी बेरोज़गारी के शिकार होते हैं जो उनकी मजदूरी को कम करता है और इससे दुबारा उनकी गरीबी बढ़ती है।
- भूख, भुखमरी एवं कुपोषण– अपर्याप्त भोजन गरीबी की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। यह कुपोषण भूख और भुखमरी को पैदा करती है।
- सीमित आर्थिक अवसर– गरीबी संसाधनों की कमी से पीड़ित होती है। गरीबों को सीमित आर्थिक अवसरों की उपलब्धता के कारण फिर गरीबी का सामना करना पड़ता है। यह गरीब लोगों को निर्धनता के चक्र से निकलने नहीं देती।
- बुरा स्वास्थ्य एवं शिक्षा – बुरा स्वास्थ्य एवं बुरी शिक्षा सदैव गरीबी का ही परिणाम होता है।
प्रश्न 5. गरीब कौन है और इसकी पहचान किस आधार पर की जा सकती है?
उत्तर– सामान्य तौर पर एक व्यक्ति तब तक गरीब माना जाता है यदि वह भूमिहीन है, कृषि मजदूर, शहरी मजदूर, गम्भीर ऋणग्रस्तता के शिकार, बुरा स्वास्थ्य, भूख एवं भुखमरी में है। गरीब लोग कुपोषण, बेरोज़गारी, परिवार के बड़े आकार, असहाय एवं दुर्भाग्य के शिकार होते हैं। योजना आयोग (अब नीति आयोग) के अनुसार वह व्यक्ति जो गरीबी रेखा से नीचे है, गरीब है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिनके पास 2400 से कम एवं शहरी क्षेत्रों में 2100 से कम कैलोरी है।