UP Board Solution of Class 9 Social Science भूगोल (Geography) Chapter- 2 भारत का भौतिक स्वरूप (Bharat ka Bhautik Swarup) Long Answer

UP Board Solution of Class 9 Social Science [सामाजिक विज्ञान] Geography[भूगोल ] Chapter- 2 भारत का भौतिक स्वरूप (Bharat ka Bhautik Swarup) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Long Answer

प्रिय पाठक! इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कक्षा 9वीं की सामाजिक विज्ञान  इकाई-2: भूगोल समकालीन भारत-1 खण्ड-1  के अंतर्गत चैप्टर-2 भारत का भौतिक स्वरूप (Bharat ka Bhautik Swarup) पाठ के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रदान कर रहे हैं। जो की UP Board आधारित प्रश्न हैं। आशा करते हैं आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करेंगे।

Subject Social Science [Class- 9th]
Chapter Name भारत का भौतिक स्वरूप (Bharat ka Bhautik Swarup)
Part 3  Geography [भूगोल]
Board Name UP Board (UPMSP)
Topic Name समकालीन भारत-1

भारत का भौतिक स्वरूप (Bharat ka Bhautik Swarup)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

 

प्रश्न 1. भारत की सुरक्षा, जलवायु विभाजक, जल एवं वन सम्पदा के लिए हिमालय की उपयोगिता प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- सुरक्षा- हिमालय भारत की उत्तरी सीमा पर प्रहरी की भाँति प्राचीनकाल से भारत की निरन्तर सुरक्षा करता आ रहा है। हिमालय की उच्च पर्वत श्रृंखलाओं को पार करना कठिन है, इसीलिए विदेशी आक्रान्ताओं ने इस ओर भारत का अतिक्रमण करने का साहस नहीं किया। किन्तु आधुनिक सैन्य उपकरणों और अस्त्र-शस्त्र के चलते यह अब अभेद्य नहीं रह गया है।

जलवायु विभाजक – भारत का दक्षिणी भाग उष्ण कटिबन्ध में और उत्तरी भाग शीतोष्ण कटिबन्ध में स्थित है, परन्तु हिमालय की स्थिति के कारण ही सम्पूर्ण भारत की जलवायु उष्ण कटिबन्धीय है। हिमालय पर्वत श्रेणी के कारण भारत में स्पष्ट रूप से ऋतु चक्र चलता है। हिमालय शीत ऋतु में उत्तर-पूर्वी एशिया से आने वाली ठण्डी और शुष्क पवनों को रोककर, भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा करने में सहायक होता है। इस प्रकार हिमालय पर्वत जलवायु विभाजक का काम कर, भारत को एक विशिष्ट रूप प्रदान करता है।

जल सम्पदा का भण्डार – हिमालय हिम का घर है। हिमानियाँ मीठे जल की प्रमुख स्रोत हैं। ये हिमानियाँ भारत की प्रमुख नदियों की उद्गम स्थल हैं। अतः इन नदियों में सदैव पानी बना रहता है। ये नदियाँ न केवल पेयजल का स्रोत हैं, अपितु सिंचाई व जल विद्युत के निर्माण में भी ये बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। हिमालय से निकलने वाली नदियों में देश की कुल सम्भावित जल शक्ति की 60 प्रतिशत क्षमता है। इसके विकास से कृषि तथा उद्योगों के विकास में मदद मिलती है।

वन सम्पदा का भण्डार – हिमालय प्रदेश में संसार की सभी प्रकार की वनस्पति के दर्शन होते हैं। निम्न ढाल वाले क्षेत्र घने वनों से ढके हैं। हिमालय क्षेत्र में कठोर तथा मुलायम दोनों प्रकार की लकड़ी विपुल मात्रा में मिलती हैं। वनों की सघनता एवं विविधता पर्याप्त मात्रा में विविध प्रकार की लकड़ी प्रदान करती है। वन वन्य प्राणियों के घर हैं। आज इन क्षेत्रों में दुर्लभ वन्य प्राणियों के भी दर्शन होते हैं। इन वनों में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ भी प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए-

(i) ‘भाबर’ क्या है?

(ii) हिमालय के तीन प्रमुख विभागों के नाम उत्तर से दक्षिण के क्रम में बताइए ।

(iii) अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में कौन-सा पठार मात्रा स्थित है?

(iv) भारत के उन द्वीपों के नाम बताइए जो प्रवाल भित्ति के हैं।

उत्तर- (i) वे मैदानी प्रदेश जहाँ नदियाँ पहाड़ों से निकलकर मैदान में प्रवेश करती हैं और अपने साथ लाए रेत, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि का निक्षेप करती हैं। भाबर क्षेत्र में नदियाँ भूमि तल पर बहने के बजाय भूमि के नीचे बहती हैं। शिवालिक की तलहटी में एक ऐसा प्रदेश स्थित है जिसकी चौड़ाई 8 से 16 किमी तक है। प्रायः सभी नदियाँ भाबर प्रदेश में आकर विलुप्त हो जाती हैं।

(ii) हिमालय विश्व की सर्वाधिक ऊँची एवं मजबूत बाधाओं का प्रतिनिधित्व करता है। उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर इसे 3 मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. महान या आन्तरिक हिमालय अथवा हिमाद्रि- सबसे उत्तरी भाग जिसे महान या आन्तरिक हिमालय अथवा ‘हिमाद्रि’ कहा जाता है।
  2. हिमाचल या निम्न हिमालय – हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित श्रृंखला हिमाचल या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती है। यह श्रृंखला मुख्यतः अत्यधिक संपीड़ित कायान्तरित चट्टानों से बनी है। पीर पंजाल श्रृंखला सबसे बड़ी एवं सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण श्रृंखला का निर्माण करती है। कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाएँ धौलाधार और महाभारत श्रृंखलाएँ हैं।
  3. शिवालिक- हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है। यह गिरिपद श्रृंखला है तथा हिमालय के सबसे दक्षिणी भाग का प्रतिनिधित्व करती है।

(iii) मालवा पठार अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों के बीच स्थित है।

(iv) लक्षद्वीप समूह प्रवाल भित्ति से बनने वाले द्वीप हैं।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए-

(i) बांगर और खादर (ii) पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट

 

उत्तर- (i) बांगर व खादर में अन्तर

बांगर

खादर

1. यह मृदा नदी के बेसिन से दूर पायी जाती है। यह मृदा नदी के बेसिन के पास पायी जाती है।
2. यह भूमि कम उपजाऊ होती है तथा खेती के लिए आदर्श नहीं है। यह मृदा बहुत उर्वर होती है तथा कृषि के लिए आदर्श मानी जाती है।
3. बांगर पुरानी जलोढ़ मृदा होती है। नई जलोढ़ मृदा को खादर कहा जाता है।

(ii) पूर्वी एवं पश्चिमी घाट में अन्तर

पूर्वी घाट

पश्चिमी घाट

1. इस घाट की ढलानों पर वर्षा कम है। इस घाट की पश्चिमी ढलानों पर पूर्वी घाट की अपेक्षा वर्षा कम होती है।
2. यह बंगाल की खाड़ी के समानान्तर स्थित है। यह अरब सागर के समानान्तर स्थित हैं।
3. पूर्वी घाट सतत नहीं है व अनियमित है। बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इसको काट दिया है। यह सतत है तथा इसको केवल दरों के द्वारा ही पार किया जा सकता है।
4. इसकी सबसे अधिक ऊँची पहाड़ियों में महेन्द्रगिरि व जवादी शामिल हैं। इसकी सबसे अधिक ऊँची चोटियों में अनाईमुडी एवं डोडा बेट्टा शामिल हैं।
5. पूर्वी घाट कोरोमण्डल तट के समानान्तर है। पश्चिमी घाट मालाबार तट के समानान्तर है।
6. पूर्वी घाट प्रायद्वीपीय भारत की पूर्वी भुजा का निर्माण करता है। पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय भारत की पश्चिमी भुजा का निर्माण करता है।

प्रश्न 4. भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग कौन-से हैं? हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीपीय पठार के उच्चावच लक्षणों में क्या अन्तर है?

उत्तर-भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग-

(क) उत्तर के विशाल पर्वत

(ख) उत्तर भारत का मैदान

(ग) प्रायद्वीपीय पठार

(ङ) तटीय मैदान तथा

(घ) भारतीय मरुस्थल

(च) द्वीप समूह।

हिमालय क्षेत्र

प्रायद्वीपीय पठार

1. हिमालय से बहुत-सी प्रसिद्ध नदियाँ निकलती हैं, जैसे-सिन्धु, गंगा व ब्रह्मपुत्र। नर्मदा व ताप्ती जैसी कुछ ही नदियाँ प्रायद्वीपीय पठार से निकलती हैं।
2. यह विश्व का सर्वाधिक ऊँचा पर्वत है। मध्य उच्चभूमि नीची पहाड़ियों से बनी है और इसमें कोई भी चोटी विश्वविख्यात ऊँचाई की नहीं है।
3. भूवैज्ञानिक दृष्टि से यह अस्थिर क्षेत्र मैं आता है। भूवैज्ञानिक दृष्टि से यह स्थिर क्षेत्र मैं आता है।
4. तलछटी चट्टानों से बना है। आग्नेय एवं कायान्तरित चट्टानों से बना है।
5. इंडो-आस्ट्रेलियाई प्लेट व यूरेशियन प्लेट में टक्कर के कारण बना। गोंडवाना भूमि के टूटने व खिसकने के कारण बना।
6. विश्व के सर्वाधिक ऊँचे पर्वतों एवं गहरी घाटियों से मिलकर बना है। चौड़ी एवं छिछली घाटियों तथा गोलाकार पहाड़ियों से मिलकर बना है।
7. यह सिन्धु व गंगा के मैदान के सिरे पर बना हुआ है। यह दक्कन के पठार के सिरे पर बना हुआ है।
8. शिमला, मसूरी, दार्जिलिंग, नैनीताल आदि पहाड़ी स्थल हिमालय में पाए जाते हैं। यहाँ कोई विख्यात पहाड़ी स्थल नहीं पाया जाता।
9.इसकी औसत ऊँचाई 6,000 मीटर है। इस पठार की औसत ऊँचाई 600-900 मी. है।
10. यह नवीन वलित पर्वत है। यह प्राचीनकाल से ही अपरदन के चरण में है।
11. यह बहुत-से महाखड्डू एवं यू आकार की घाटियों से बना है। पठार को कई नदियों द्वारा बुरी तरह काट दिया गया है।
12.इसमें बहुत कम खनिज पाए जाते हैं यह खनिजों का भण्डार है।
13. सभी बारहमासी नदियों का उद्गम हिमालय से ही होता है। इस पठार से निकलने वाली नदियाँ बरसाती (मौसमी) हैं।

प्रश्न 5. भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारत का उत्तरी मैदान उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी से बना है। इस मिट्टी को जलोढ़क कहते हैं। इसीलिए इस मैदान को जलोढ़ मैदान कहते हैं। इस मैदान के उत्तर में हिमालय पर्वत स्थित है और दक्षिणी भाग में पठार का विस्तार है। यह मैदान 7 लाख वर्ग किमी में फैला हुआ है। यह मैदान 24000 किमी लम्बा तथा 240-320 किमी चौड़ा है। समृद्ध मृदा के आवरण, भरपूर पानी की आपूर्ति एवं अनुकूल जलवायु ने उत्तरी मैदान को कृषि की दृष्टि से भारत का अत्यधिक उपजाऊ भाग बना दिया है। इसी कारण यहाँ का जनसंख्या घनत्व भारत के सभी भौगोलिक विभाजनों की अपेक्षा इस क्षेत्र में सर्वाधिक है। उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब कहा जाता है। गंगा का मैदान घग्घर एवं तिस्ता नदियों के बीच स्थित है। यह उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों जैसे हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा झारखण्ड के कुछ भाग एवं पश्चिम बंगाल के पूर्व में फैला हुआ है।

उत्तरी मैदान का निर्माण दो नदी तन्त्रों के सहयोग से हुआ है –

  1. पश्चिम में सिन्धु नदी तन्त्र द्वारा,
  2. पूर्व में गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र द्वारा।

1.सिन्धु नदी तन्त्र –

  1. इस मैदान का विस्तार दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर से होकर पश्चिमी हिमालय के गिरिपाद तक है। यह 1,200 किलोमीटर की लम्बाई में फैला है।
  2. सिन्धु नदी तन्त्र द्वारा निर्मित मैदान को दो भागों में बाँट सकते हैं- पश्चिमी मरुभूमि और पंजाब का मैदान।
  3. उत्तरी मैदान के उत्तर-पश्चिमी भाग की रचना सिन्धु और उसकी सहायक नदियों ने की है। सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम इसकी प्रमुख नदियाँ हैं।

2.गंगा-ब्रह्मपुत्र का नदी तन्त्र – उत्तर के मैदान का अधिकांश भाग गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों की ही देन है। गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान को दो भागों में बाँटा जा सकता है-गंगा का मैदान तथा ब्रह्मपुत्र का मैदान।

  1. ब्रह्मपुत्र का मैदान उत्तर का विशाल पूर्वी भाग है। इसका विस्तार असम नौर मेघालय राज्यों में है। इसका निर्माण ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के द्वारा लाए गए अवसादों के जमाव से हुआ है।
  2. गंगा का मैदान सबसे अधिक विस्तृत है। इसका निर्माण गंगा और गंगा की सहायक नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी के जमाव से हुआ है। इस मैदान का ढाल पूर्व की ओर है। उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल पूर्णतः तथा हरियाणा, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश राज्यों के अधिकांश मैदानी भाग गंगा तन्त्र की देन हैं।

प्रश्न 6. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-

(i) मध्य हिमालय

(ii) मध्य उच्चभूमि

(iii) भारत के द्वीप समूह।

उत्तर – (i) मध्य हिमालय – मध्य हिमालय हिमाद्रि (महान हिमालय) के दक्षिण में फैला हुआ है। इस पर्वत की औसत चौड़ाई लगभग 50 किमी तथा ऊँचाई 3,700 से 4,500 मीटर तक है। कश्मीर की पीर पंजाल श्रेणी तथा जम्मू-कश्मीर और हिमालय प्रदेश में फैली धौलाधार श्रेणी मध्य हिमालय के ही भाग हैं। नेपाल की महाभारत श्रेणी भी इसी का अंग है। डलहौजी, धर्मशाला, शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग आदि सभी प्रमुख पर्वतीय नगर मध्य हिमालय में ही स्थित हैं।

(ii) मध्य उच्चभूमि – प्रायद्वीपीय पठार को नर्मदा नदी ने दो भागों में विभाजित किया है। प्रायद्वीपीय क्षेत्र का वह भाग जो नर्मदा नदी के उत्तर में पड़ता है और मालवा के पठार के एक बड़े हिस्से पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि कहा जाता है। यह दक्षिण में विंध्य श्रेणी और उत्तर-पश्चिम में अरावली की पहाड़ियों से घिरा है। आगे जाकर यह पश्चिम में भारतीय मरुस्थल से मिल जाता है जबकि पूर्व दिशा में इसका विस्तार छोटानागपुर के पठार द्वारा प्रकट होता है। इस क्षेत्र में नदियाँ दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर बहती हैं। इस क्षेत्र के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड और छोटानागपुर पठार कहा जाता है। छोटानागपुर पठार आग्नेय चट्टानों से बना है। आग्नेय चट्टानों में खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं और इसलिए इस पठार को खनिजों का भण्डार कहा जाता है।

(iii) भारत के द्वीप समूह – केरल तट के पश्चिम में अरब सागर में छोटे-छोटे अनेक द्वीप हैं। इनका निर्माण अल्पजीवी सूक्ष्म प्रवाल जीवों के अवशेषों के जमाव से हुआ है। इनमें से अनेक द्वीपों की आकृति घोड़े की नाल या अंगूठी के समान है। इसलिए इन्हें प्रवालद्वीप वलय कहते हैं। पहले लक्षद्वीप को लंकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था। 1973 ई. में इनका नाम लक्षद्वीप रखा गया। लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय कावारत्ती में है। यह द्वीप समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है। यह 32 वर्ग किमी के छोटे से क्षेत्र में फैला हुआ है। इस द्वीप समूह पर पौधों एवं जीवों की बहुत-सी प्रजातियाँ पायी जाती हैं। बंगाल की खाड़ी में भी भारत के अनेक द्वीप हैं। इन्हें अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह के नाम से पुकारते हैं। ये द्वीप बड़े भी हैं और संख्या में अधिक हैं। ये जल में डूबी हुई पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित हैं। इन द्वीपों में से कुछ की उत्पत्ति ज्वालामुखी के उद्गार से हुई है। भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी इन्हीं द्वीपों पर स्थित है।

प्रश्न 7. तटीय मैदानों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।

उत्तर- भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर के किनारों पर तटीय मैदान एक पट्टी के आकार में फैले हुए हैं। बंगाल की खाड़ी के किनारे मैदान चौड़ा और समतल है। उत्तरी भाग में इसे उत्तरी सरकार कहा जाता है जबकि दक्षिणी भाग को कोरोमण्डल तट कहा जाता है। बड़ी नदियाँ जैसे महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी इस तट पर एक बड़ा डेल्टा बनाती हैं। चिल्का झील (भारत की सबसे बड़ी नमकीन पानी की झील जो ओडिशा में स्थित है) पूर्वी तट की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।

भारत के इन तटीय भागों को 3 भागों में बाँटा गया है-

  1. केरल में मालाबार तट का विस्तार है।
  2. कर्नाटक में कन्नड़ तट का विस्तार है।
  3. महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक के दक्षिण भाग में कोंवण तट का विस्तार है।

प्रश्न 8. बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में स्थित द्वीप समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूह

अरब सागर में स्थित द्वीप समूह

1.  इस द्वीप समूह में 200 द्वीप सम्मिलित हैं। इस द्वीप समूह में मात्र 36 द्वीप सम्मिलित हैं।
2. बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूह का नाम अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह है। अरब सागर में स्थित द्वीप समूह का नाम लक्षद्वीप समूह है।
3.  इनका सबसे दूरस्थ किनारा इन्दिरा प्वाइंट है जो सुनामी के कारण जल में डूब गया था। इनका सबसे दक्षिणी किनारा हमारे पड़ोसी देश मालदीव के निकट स्थित है।
4. ये द्वीप आकार में बड़े हैं। ये द्वीप आकार में छोटे हैं।
5. इनकी जनसंख्या कम है। इनकी जनसंख्या अधिक है।
6. ये द्वीप जलमग्न पर्वत श्रेणियों की चोटियाँ हैं। इनमें से कुछ का निर्माण ज्वालामुखी क्रिया द्वारा भी हुआ है। ये द्वीप प्रवाल (मुंगे) के निक्षेपों से बने हैं। इनमें से अनेक द्वीपों की आकृति घोड़े की नाल अथवा मुद्रिका जैसी है।
7. इन द्वीपों का कुल क्षेत्रफल लगभग 350 वर्ग किमी है। इन द्वीपों का कुल क्षेत्रफल लगभग 32 वर्ग किमी है।

प्रश्न 9. प्रायद्वीपीय पठार का वर्णन कीजिए।

उत्तर- प्रायद्वीपीय पठार पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपान्तरित शैलों से बना है। यह गोंडवाना भूमि के टूटने एवं अपवाह के कारण बना था। इसीलिए यह प्राचीनतम भूभाग का हिस्सा है। इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियाँ एवं गोलाकार पहाड़ियाँ हैं। इस पठार के दो मुख्य भाग हैं- ‘मध्य उच्चभूमि’ तथा ‘दक्कन का पठार’।

  1. दक्कन का पठार – यह एक तिकोना भूखण्ड है जो नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है। उत्तर में इसके चौड़े आधार पर सतपुड़ा की श्रृंखला है जबकि महादेव, कैमूर की पहाड़ियाँ एवं मैकाल श्रृंखला इसके पूर्वी विस्तार हैं। दक्कन के पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर क्रमशः पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित हैं। पठारी क्षेत्र बहुत पुरानी स्थलाकृति है जिसका क्षेत्र बहुत विशाल है। इस पठार की एक प्रमुख विशेषता काली मिट्टी है जिसे दक्कन ट्रैप कहा जाता है। इसका उद्गम ज्वालामुखीय है और इसलिए चट्टानें आग्नेय हैं। पूरा दक्कन का पठार विषुवतीय क्षेत्र में स्थित है। इसमें वर्षा मध्यम होती है। दक्कन ट्रैप काली लावा मिट्टी से बना है जो कपास की खेती के लिए बहुत लाभदायक है। प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी एवं उत्तर पश्चिमी छोर पर अरावली पहाड़ियाँ स्थित हैं। ये गुजरात से दिल्ली तक दक्षिण-पश्चिम-उत्तरपूर्व दिशा में फैली हुई हैं।
  2. मध्य उच्चभूमि- नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि के नाम से जाना जाता है। विंध्य श्रृंखला दक्षिण में मध्य उच्चभूमि तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली से घिरी है।

प्रश्न 10. उत्तर के विशाल मैदान का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर- हिमालय के पर्वतीय प्रदेश तथा प्रायद्वीपीय पठार के बीच में उत्तर का विशाल मैदान स्थित है। पश्चिम में राजस्थान व पंजाब से लेकर असम तक इसका विस्तार है। यह मैदान 2,400 किमी लम्बा तथा 240 से 320 किमी तक चौड़ा है। इस मैदान का निर्माण हिमालय पर्वत तथा प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़क के जमाव से हुआ है। इसे विश्व के सर्वाधिक समतल एवं उपजाऊ मैदानों में शामिल किया जाता है। यह 7 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका निर्माण दो नदी तन्त्रों- पश्चिम में सिन्धु नदी तन्त्र और पूर्व में गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र द्वारा सम्मिलित रूप से किया गया है।

सिन्धु नदी तन्त्र

  1. उत्तरी मैदान के उत्तर-पश्चिमी भाग की रचना सिन्धु और उसकी सहायक नदियों ने की है। सतलुज, व्यास, राबी, चिनाब और झेलम इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
  2. इस मैदान का विस्तार दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर से लेकर पश्चिमी हिमालय के गिरपाद तक है। यह 1,200 किलोमीटर की लम्बाई में फैला है।

सिन्धु नदी तन्त्र द्वारा पश्चिमी  निर्मित मैदान को दो भागों में बाँट सकते हैं-

(i)मरुभूमि और

(ii) पंजाब का मैदान।

गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र – उत्तर के मैदान का पुत्र नदियों अधिकांश भाग गंगा- की ही देन है। गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान को दो भागों में बाँटा जा सकता  हैं-

(i) गंगा का मैदान तथा (ii) ब्रह्मपुत्र का मैदान।

प्रश्न 11. भारत के प्रमुख भौतिक भागों के नाम लिखो। प्रायद्वीपीय कार की विशेषताओं का वर्णन करिए।

उत्तर- धरातल के आधार पर हम भारत को निम्नलिखित पाँच भौतिक पागो बाँट सकते हैं-1. प्रायद्वीपीय पठार, 2. हिमालय पर्वत, 3. द्वीप समूह, 4. उत्तरी मैदान, 5. तटीय मैदान।

प्रायद्वीपीय पठार

प्रायद्वीपीय भारत का पठार उत्तरी मैदानों के दक्षिण में विस्तृत है। यह भारतीय पमहाद्वीप का सबसे प्राचीन भाग है। इस पठार को दो भागों में विभाजित किया बाता है- मध्यवर्ती उच्च भूमियाँ तथा दकन का पठार।

  1. दक्कन का पठार- यह पठार विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर के मध्य फैला है। इसकी आकृति त्रिभुज के समान है। उत्तर में इसकी चौड़ाई सबसे ज्यादा है। पठार के पश्चिम में पश्चिमी घाट तथा पूर्वी किनारे पर पूर्वी घाट के पर्वत हैं। पश्चिमी घाट के पर्वत बहुत ही खड़ी ढाल वाले हैं। ये उत्तर से दक्षिण तक अरब सागर के समानान्तर फैले हैं। अनाईमुडी इन पर्वतों का सर्वोच्च शिखर है जो समुद्र तल से 2695 मीटर ऊँचा है। पूर्वी घाट पश्चिमी घाट की तुलना में कम स्पष्ट है। इन्हें महानदी, गोदावरी, कृष्णा आदि नदियों ने काट दिया है। पठार के उत्तर-पश्चिमी भाग का निर्माण ज्वालामुखी प्रक्रिया में उत्पन्न आग्नेय शैलों से हुआ है। दक्कन के पठार के पश्चिम तथा पूर्व में तटीय मैदान फैले हैं। अरब सागर के तटीय मैदानों को पश्चिमी तटीय मैदान तथा बंगाल की खाड़ी की तटीय पट्टी को पूर्वी तटीय मैदान कहते हैं। पूर्वी तटीय मैदान पश्चिमी मैदानों की तुलना में अधिक तथा समतल हैं। यहाँ नदियों द्वारा बनाए गए उपजाऊ डेल्टा भी हैं।
  2. मध्यवर्ती उच्च भूमियाँ- प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग को मध्यवर्ती उच्च भूमियाँ कहते हैं। यह भाग कठोर आग्नेय तथा अवसादी शैलों का बना है। नर्मदा नदी ने इस भूखण्ड को दो भागों में विभाजित कर दिया है। इसके उत्तरी भाग की एक सीमा पर विंध्याचल तथा उसके पूर्वी विस्तार हैं। उत्तर-पश्चिम में यह अरावली पर्वत श्रृंखला से घिरा है। उत्तर तथा उत्तर-पूर्व की ओर ये भूमियाँ गंगा के मैदान में विलीन हो जाती हैं। इस भूभाग को मालवा का पठार कहते हैं। यह पठार पश्चिम में बहुत चौड़ा है। पूर्व की ओर यह तंग होता जाता है।

प्रश्न 12. हिमालय की समानान्तर श्रेणियों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर-हिमालय पर्वत श्रृंखला अपने देशान्तरीय विस्तार में तीन समानान्तर श्रेणियों के सम्मिलन से बना है, जो इस प्रकार है-

  1. निम्न हिमालय (हिमाचल) – महान हिमालय के दक्षिण में स्थित श्रृंखला हिमालय पर्वत श्रृंखला में सबसे अधिक असम है और हिमाचल या मध्य या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती है। यह श्रृंखला मुख्यतः अत्यधिक संपीड़ित कायान्तरित चट्टानों से बनी है। पीर पंजाल श्रृंखला सबसे बड़ी एवं सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण श्रृंखला का निर्माण करती है। कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाएँ धौलाधार और महाभारत श्रृंखलाएँ हैं। इसी श्रृंखला में कश्मीर की घाटी तथा हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लू की घाटियाँ स्थित हैं। इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरों जैसे-शिमला, नैनीताल, मसूरी, दार्जलिंग, श्रीनगर एवं कांगड़ा आदि के लिए जाना जाता है।
  2. बाह्य हिमालय (शिवालिक) – हिमालय की बाह्य श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है। इसका विस्तार 10-50 किमी की बौड़ाई में है और ऊँचाई 900 मीटर से 1,100 मीटर के बीच है। यह हिमालय की सबसे कम ऊँचाई की पर्वत श्रृंखला है। ये श्रृंखलाएँ उत्तर में स्थित मुख्य हिमालय की श्रृंखलाओं से नदियों द्वारा लाई गई असंपीडित अवसादयत मुसा हैं। ये घाटियाँ बजरी तथा जलोढ़ की मोटी परत से ढकी हुई हैं। निम्न हिमाचल तथा शिवालिक के बीच में स्थित लम्बवत् घाटी को दून के नाम से जाना जाता है। दून इस श्रेणी की विशेषता है। कुछ प्रसिद्ध दून हैं- देहरादून, कोटलीदून एवं पाटलीदून।
  3. महान हिमालय (हिमाद्रि) – हिमालय पर्वत श्रृंखला के सबसे उत्तरी भाग में स्थित श्रृंखला को महान् (आन्तरिक हिमालय या हिमाद्रि) हिमालय कहते हैं। इस श्रृंखला की औसत ऊँचाई 6,000 मीटर है। इस श्रेणी के बीच में अनेक गहरी घाटियाँ भी हैं। सभी प्रमुख हिमालयी चोटियाँ इस श्रेणी के अन्तर्गत आती हैं। यह क्षेत्र वर्ष भर हिमाच्छादित रहता है।

प्रश्न 13.” भारत एक सुगठित भौगोलिक इकाई है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- भारत को तीन भौतिक भागों में बाँटा गया है- उत्तर का विशाल हिमालय पर्वत, उत्तर का विशाल मैदान तथा प्रायद्वीपीय पठार। ये न केवल आपस में एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं, बल्कि ये एक-दूसरे के पूरक भी हैं। इस तरह इन भौतिक विभागों ने मिलकर भारत को एक सुगठित भौगोलिक इकाई बनाने में अपना योगदान दिया है। इन तीनों खण्डों का वर्णन इस प्रकार है-

भारत का प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश- यहाँ लौह अयस्क, कोयला, ताँबा, बॉक्साइट, मैंगनीज, अभ्रक आदि खनिजों के अपार भण्डार हैं। खनिजों पर आधारित उद्योगों के विकास के कारण आज भारत विश्व के प्रमुख औद्योगिक देशों में गिना जाता है। कहवा, रबड़, गर्म मसाले आदि की उपज के निर्यात द्वारा देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।

इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत एक सुगठित भौगोलिक इकाई है तथा देश को ऐसा बनाने में उसके विभिन्न भौतिक विभागों ने पूर्ण योगदान दिया है।

उत्तरी विशाल मैदान – ये मैदान हिमालय पर्वतीय प्रदेश से निकलने वाली नदियों के द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी से बने हैं। ये मैदान बहुत उपजाऊ हैं। यहाँ विभिन्न खाद्यान्न फसलों के साथ-साथ व्यापारिक फसलें; जैसे गन्ना, कपास तथा पटसन पैदा की जाती हैं जिन पर यहाँ के कई उद्योग निर्भर करते हैं। जीविकोपार्जन की सुविधाएँ सुलभ होने के कारण देश की आधी से अधिक जनसंख्या इस मैदानी भाग में रहती है।

विशाल हिमालय पर्वत – हिमालय पर्वत का प्रदेश उत्तर दिशा में भारत के प्रहरी का कार्य करता है। इस प्रकार शान्ति व सुरक्षा के साथ प्रगति करने का अवसर देता है। ऐतिहासिक काल से ऐसा होते रहने से ही भारत अपनी संस्कृति व सभ्यता का विकास कर पाया। हिमालय पर्वत के कारण ही देश को मानसूनी एकता प्राप्त हुई। वर्ष के विभिन्न समयों में ऋतु क्रम की एकता व फसलें पैदा करने के लिए पूरे वर्ष का वर्धन काल भी इसी भौतिक विभाग की देन है। हिमालय पर्वत अपार जल सम्पदा तथा वन सम्पदा के लिए जाने जाते हैं। यहाँ अनेक प्रकार के फल, जड़ी-बूटियाँ तथा चाय के भण्डार हैं, जो देश के अन्य भौतिक भागों में रहने वाले लोगों द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं।

 

UP Board Solution of Class 9 Social Science भूगोल (Geography) Chapter- 1 भारत: आकार एवं स्थिति (Bharat: Aakaar Aur Sthiti) Long Answer

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