वाक्य भेद : परिभाषा, भेद, और उदाहरण- Vakya Paribhasha Bhed and Udaharan

वाक्य भेद : परिभाषा, भेद, और उदाहरण- Vakya Paribhasha Bhed and Udaharan- Examples of Sentence In Hindi Grammar

अर्थ की दृष्टि से वाक्य के भेद (Arth Ki Drishti se vaky ke bhed) . रचना की दृष्टि से वाक्य के भेद  ( Rachana ke Adhar par vaakya ke bhed) Wakya ke Prakar. रचना के आधार पर वाक्य के भेद संपादित करें · संयोजक संयुक्त वाक्य · विभाजक संयुक्त वाक्य · विरोध वाचक संयुक्त वाक्य · परिणाम वाचक. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद · विधान वाचक वाक्य · निषेधवाचक वाक्य · प्रश्नवाचक वाक्य · विस्म्यादिवाचक वाक्य.

वाक्य भेद- वाक्यों का वर्गीकरण मुख्यतः दो दृष्टियों से होता है-

(क) रचना या स्वरूप की दृष्टि से और (ख) अर्थ की दृष्टि से ।

(क) रचना की दृष्टि से वर्गीकरण

रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन प्रकार हैं-  १. सरल वाक्य या साधारण वाक्य, २ मिश्र वाक्य और ३. संयुक्त वाक्य |

सरल वाक्य

जिस वाक्य में एक क्रिया होती है और एक कर्ता होता है, उसे ‘साधारण वाक्य’ या ‘सरल वाक्य’ कहते हैं। इसमें एक ‘उद्देश्य’ और एक विधेय’ रहते हैं। जैसे- ‘बिजली चमकती है’, ‘पानी बरसा। इन वाक्यों में एक-एक उद्देश्य, अर्थात कर्ता और विधेय, अर्थात क्रिया है। अतः ये साधारण या सरल वाक्य हैं।

मिश्र वाक्य

जिस वाक्य में एक साधारण वाक्य के अतिरिक्त उसके अधीन कोई दूसरा अंगवाक्य हो, उसे ‘मिश्र वाक्य’ कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जिस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ हों, उसे ‘मिश्र वाक्य’ कहते हैं । जैसे— ‘वह कौन-सा मनुष्य है, जिसने महाप्रतापी राजा भोज का नाम न सुना हो।’ ‘मिश्र वाक्य’ के ‘मुख्य उद्देश्य’ और ‘मुख्य विधेय’ से जो वाक्य बनता है, उसे ‘मुख्य उपवाक्य’ और दूसरे वाक्यों को ‘आश्रित उपवाक्य’ कहते हैं। पहले को ‘मुख्य वाक्य’ और दूसरे को ‘सहायक वाक्य’ भी कहते हैं। सहायक वाक्य अपने में पूर्ण या सार्थक नहीं होते, पर मुख्य वाक्य के साथ आने पर उनका अर्थ निकलता है। ऊपर जो उदाहरण दिया गया है, उसमें ‘वह कौन-सा मनुष्य है’ मुख्य वाक्य है और शेष ‘सहायक वाक्य’, क्योंकि वह मुख्य वाक्य पर आश्रित है।

संयुक्त वाक्य

जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अवयवों द्वारा होता है, उसे ‘संयुक्त वाक्य’ कहते हैं। ‘संयुक्त वाक्य’ उस वाक्य समूह को कहते हैं, जिसमें दो या दो से अधिक सरल वाक्य अथवा मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा संयुक्त हों। इस प्रकार के वाक्य लंबे और आपस में उलझे होते हैं। जैसे— ‘मैं रोटी खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा, और दर्द इतना बढ़ा कि तुरंत डॉक्टर को बुलाना पड़ा।’ इस लंबे वाक्य में संयोजक ‘और’ है, जिसके द्वारा दो मिश्र वाक्यों को मिलाकर संयुक्त वाक्य बनाया गया। इसी प्रकार, ‘मैं आया और वह गया इस वाक्य में दो सरल वाक्यों को जोड़नेवाला संयोजक ‘और’ है। यहाँ यह याद रखने की बात है कि संयुक्त वाक्यों में प्रत्येक वाक्य अपनी स्वतंत्र सत्ता बनाए रखता है, वह एक-दूसरे पर आश्रित नहीं होता, केवल संयोजक अव्यय उन स्वतंत्र वाक्यों को मिलाते हैं। इन मुख्य और स्वतंत्र वाक्यों को व्याकरण में ‘समानाधिकरण’ उपवाक्य’ भी कहते हैं।

(ख) अर्थ की दृष्टि से वर्गीकरण

अर्थ के अनुसार वाक्य के आठ भेद हैं-

  • (१) विधिवाचक (२) निषेधवाचक,
  • (३) आज्ञावाचक, (४) प्रश्नवाचक,
  • (५) विस्मयवाचक, (६) संदेहवाचक,
  • (७) इच्छावाचक और (८) संकेतवाचक |

१. विधिवाचक वाक्य (Affirmative Sentence ) —

जिससे किसी बात के होने का बोध हो। जैसे-

सरल वाक्य – हम खा चुके ।

मिश्र वाक्य – मैं खाना खा चुका, तब वह आया ।

संयुक्त वाक्य – मैंने खाना खाया और मेरी भूख मिट गई।

२. निषेधवाचक वाक्य (Negative Sentence ) —

जिससे किसी बात के न होने का बोध हो। जैसे—

  • सरल वाक्य- हमने खाना नहीं खाया।
  • मिश्र वाक्य – मैंने खाना नहीं खाया, इसलिए मैंने फल नहीं खाया।
  • संयुक्त वाक्य—मैंने भोजन नहीं किया और इसलिए मेरी भूख नहीं मिटी ।

३. आज्ञावाचक वाक्य (Imperative Sentence ) जिससे किसी तरह की आज्ञा का बोध हो। जैसे—तुम खाओ। तुम पढ़ो।।

४. प्रश्नवाचक वाक्य (Interrogative Sentence ) — जिससे किसी प्रकार के प्रश्न किए जाने का बोध हो । जैसे – क्या तुम खा रहे हो? तुम्हारा नाम क्या है ?

५. विस्मयवाचक वाक्य (Exclamatory Sentence ) — जिससे आश्चर्य, दुःख या सुख का बोध हो । जैसे – ओह ! मेरा सिर फटा जा रहा है।

६. संदेहवाचक वाक्य जिससे किसी बात का संदेह प्रकट हो । जैसे – उसने खा लिया होगा, मैंने कहा होगा।

७. इच्छावाचक वाक्य – जिससे किसी प्रकार की इच्छा या शुभकामना का बोध हो । जैसे – तुम अपने कार्य में सफल रहो ।

८. संकेतवाचक वाक्य – जहाँ एक वाक्य दूसरे की संभावना पर निर्भर हो । जैसे— पानी न बरसता तो धान सूख जाता । यदि तुम खाओ तो मैं भी खाऊँ।

वाक्य का रूपांतर

किसी वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में, बिना अर्थ बदले, परिवर्तित करने की प्रक्रिया को ‘वाक्यपरिवर्तन’ कहते हैं। हम किसी भी वाक्य को भिन्न-भिन्न वाक्य प्रकारों में परिवर्तित कर सकते हैं और उनके मूल अर्थ में तनिक विकार नहीं आएगा। हम चाहें तो एक सरल वाक्य को मिश्र या संयुक्त वाक्य में बदल सकते हैं।

सरल वाक्य — हर तरह के संकटों से घिरा रहने पर भी वह निराश नहीं हुआ।

संयुक्त वाक्य – संकटों ने उसे हर तरह से घेरा, किंतु वह निराश नहीं हुआ।

मिश्र वाक्य – यद्यपि वह हर तरह के संकटों से घिरा था, तथापि निराश नहीं हुआ।

वाक्य परिवर्तन करते समय एक बात खास तौर से ध्यान में रखनी चाहिए कि वाक्य का मूल अर्थ किसी भी हालत में विकृत न हो। यहाँ नीचे कुछ और उदाहरण देकर विषय को स्पष्ट किया जाता है—

               (क) सरल वाक्य से मिश्र वाक्य

सरल वाक्य – उसने अपने मित्र का पुस्तकालय खरीदा।

मिश्र वाक्य – उसने उस पुस्तकालय को खरीदा, जो उसके मित्र का था ।

सरल वाक्य – अच्छे लड़के परिश्रमी होते हैं।

मिश्र वाक्य – जो लड़के अच्छे होते हैं, वे परिश्रमी होते हैं।

सरल वाक्य – लोकप्रिय कवि का सम्मान सभी करते हैं।

मिश्र वाक्य – जो कवि लोकप्रिय होता है, उसका सम्मान सभी करते हैं।

       (ख) सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य

सरल वाक्य — अस्वस्थ रहने के कारण वह परीक्षा में सफल न हो सका।

संयुक्त वाक्य – वह अस्वस्थ था और इसीलिए परीक्षा में सफल न हो सका ।

सरल वाक्य – सूर्योदय होने पर कुहासा जाता रहा ।

संयुक्त वाक्य – सूर्योदय हुआ और कुहासा जाता रहा। सरल वाक्य – गरीब को लूटने के अतिरिक्त उसने उसकी हत्या भी कर दी ।

संयुक्त वाक्य – उसने न केवल गरीब को लूटा, बल्कि उसकी हत्या भी कर दी।

                (ग) मिश्र वाक्य से सरल वाक्य

मिश्र वाक्य – उसने कहा कि मैं निर्दोष हूँ।

सरल वाक्य – उसने अपने को निर्दोष घोषित किया।

मिश्र वाक्य – मुझे बताओ कि तुम्हारा जन्म कब और कहाँ हुआ था ।

सरल वाक्य – तुम मुझे अपने जन्म का समय और स्थान बताओ।

मिश्र वाक्य – जो छात्र परिश्रम करेंगे, उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी।

सरल वाक्य — परिश्रमी छात्र अवश्य सफल होंगे।

  (घ) कर्तृवाचक से कर्मवाचक वाक्य

कर्तृवाचक वाक्य — लड़का रोटी खाता है।

कर्मवाचक वाक्य — लड़के से रोटी खाई जाती है। –

कर्तृवाचक वाक्य — तुम व्याकरण पढ़ाते हो ।

कर्मवाचक वाक्य – – तुमसे व्याकरण पढ़ाया जाता है।

कर्तृवाचक वाक्य — – मोहन गीत गाता है।

कर्मवाचक वाक्य – – मोहन से गीत गाया जाता है।

      (ङ) विधिवाचक से निषेधवाचक वाक्य

विधिवाचक वाक्य — वह मुझसे बड़ा है।

निषेधवाचक वाक्य — मैं उससे बड़ा नहीं हूँ।

विधिवाचक वाक्य –- अपने देश के लिए हरएक भारतीय अपनी जान देगा।

निषेधवाचक वाक्य – अपने देश के लिए कौन भारतीय अपनी जान न देगा?

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क्रिया – परिभाषा, भेद
संधि – सामान्य नियम
भाषा की परिभाषा
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विराम चिह्नों के प्रयोग
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वर्ण विचार Jivan Parichay (Biography) वाक्य भेद : परिभाषा, भेद, और उदाहरण वर्णों का उच्चारण 
Post Overview
Post Name Vakya Paribhasha Bhed and Udaharan
Class All
Subject Hindi Grammar (हिंदी व्याकरण)
Topic Jivan Parichay/ Biography/ Jeevani 
Exams TGT PGT KVS NVS UPP B.Ed. entrance, NET/JRF (Hindi), Sikshaka/Adhyapaka/Prawakta recruitment, UDA/LDA, Assistant Grade, Stenographer, Auditor, Hindi Translator, Police Sub-Inspector, Deputy Jailer, CBI, Bank exams, LIC, PCS, RRB, NTPC, SI UPP Constable, UPP, SSC, PO Hindi Bhasha (Hindi Language), Hindi Vyakarana (Hindi Grammar)
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