शब्द भेद : शब्द की परिभाषा,उनके प्रकार भेद, और उनके उदाहरण-(Shabd ki Paribhasha Bhed and Udaharan.)
शब्द-भेद
ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्णसमुदाय को ‘शब्द’ कहते हैं। शब्द अकेले और कभी दूसरे शब्दों के साथ मिलकर अपना अर्थ प्रकट करते हैं। इन्हें हम दो रूपों में पाते हैं — एक तो इनका अपना बिना मिलावट का रूप है, जिसे संस्कृत में प्रकृति या प्रातिपदिक कहते हैं और दूसरा वह, जो कारक, लिंग, वचन, पुरुष और काल बताने वाले अंश को आगे-पीछे लगाकर बनाया जाता है, जिसे पद कहते हैं। यह वाक्य में दूसरे शब्दों से मिलकर अपना रूप झट से सँवार लेता है।
शब्दों की रचना- (1) ध्वनि और (2) अर्थ के मेल से होती है।
एक या अधिक वर्गों से बनी स्वतंत्र सार्थक ध्वनि को शब्द कहते हैं; जैसे— लड़की, आ, मैं, धीरे, परंतु इत्यादि ।
अतः शब्द मूलतः ध्वन्यात्मक होंगे या वर्णात्मक। किंतु, व्याकरण में ध्वन्यात्मक शब्दों की अपेक्षा वर्णात्मक शब्दों का अधिक महत्त्व है। वर्णात्मक शब्दों में भी उन्हीं शब्दों का महत्त्व है, जो सार्थक हैं, जिनका अर्थ स्पष्ट और सुनिश्चित है। व्याकरण में निरर्थक शब्दों पर विचार नहीं होता।
शब्द के प्रकार
सामान्यतः शब्द दो प्रकार के होते हैं—
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द।
सार्थक शब्दों के अर्थ होते हैं और निरर्थक शब्दों के अर्थ नहीं होते।जैसे—’पानी’ सार्थक शब्द है और ‘नीपा’ निरर्थक शब्द, क्योंकि इसका कोई अर्थ नहीं।
भाषा की परिवर्तनशीलता उसकी स्वाभाविक क्रिया है। समय के साथ संसार की सभी भाषाओं के रूप बदलते हैं। हिंदी इस नियम का अपवाद नहीं है। संस्कृत के अनेक शब्द पालि, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिंदी में आए हैं। इनमें कुछ शब्द तो ज्यों-के-त्यों अपने मूलरूप में हैं और कुछ देश-काल के प्रभाव के कारण विकृत हो गए हैं।
व्युत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों का वर्गीकरण
उत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों के चार भेद हैं-
- (1) तत्सम
- (2) तद्भव
- (3) देशज
- (4) विदेशी शब्द |
(1) तत्सम
किसी भाषा के मूलशब्द को ‘तत्सम’ कहते हैं। ‘तत्सम’ का अर्थ ही है- ‘उसके समान’ या ‘ज्यों-का-त्यों’ (तत्, तस्य उसके – संस्कृत के, सम-समान) । यहाँ संस्कृत के उन तत्समों की सूची है, जो संस्कृत से होते हुए हिंदी में आए हैं-
तत्सम | हिंदी |
आम्र | आम्र |
गोमल, गोमय | गोबर |
उष्ट्र | ऊँट |
घोटक | घोड़ा |
चुल्लि: | चूल्हा |
शत | सौ |
चतुष्पादिका | चौकी |
सपत्नी | सौत |
हरिद्रा | हल्दी, हरदी |
(2) तद्भव
ऐसे शब्द, जो संस्कृत और प्राकृत से विकृत होकर हिंदी में आए हैं, ‘तद्भव’ कहलाते हैं। तत् + भव का अर्थ है— उससे (संस्कृत से) उत्पन्न। ये शब्द संस्कृत से सीधे न आकर पालि, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिंदी में आए हैं। इसके लिए इन्हें एक लंबी यात्रा तय करनी पड़ी है। सभी तद्भव शब्द संस्कृत से आए हैं, परंतु कुछ शब्द देश – काल के प्रभाव से ऐसे विकृत हो गए हैं कि उनके मूलरूप का पता नहीं चलता। फलतः, तद्भव शब्द दो प्रकार के हैं- – (1) संस्कृत से आनेवाले और (2) सीधे प्राकृत से आनेवाले। हिंदी भाषा में प्रयुक्त होनेवाले बहुसंख्य शब्द ऐसे तद्भव हैं, जो संस्कृत-प्राकृत से होते हुए हिंदी में आए हैं। हिंदी में शब्दों के सरलतम रूप बनाए रखने का पुराना अभ्यास है।
निम्नलिखित उदाहरणों से तद्भव शब्दों के रूप स्पष्ट हो जाएँगे-
संस्कृत | प्राकृत | तद्भव हिंदी |
अग्नि | अग्गि | आग |
मया | मई | मैं |
वत्स | वच्छ | बच्चा, बाछा |
चतुर्दश | चोदस, चउद्दह | चौदह |
पुष्प | पुप्फ | फूल |
चतुर्थ | चउट्ठ, चडत्थ | चौथा |
प्रिय | पिय, पिया | प्रिय |
कृतः | कओ | किया |
मध्य | मज्झ | में |
(3) ‘देशज’ शब्द
‘देशज’ वे शव्द हैं, जिनकी व्युत्पत्ति का पता नहीं चलता। ये अपने ही देश में बोलचाल से बने हैं, इसलिए इन्हें देशज कहते हैं। हेमचंद्र ने उन शब्दों को ‘देशी’ कहा है, जिनकी व्युत्पत्ति किसी संस्कृत धातु या व्याकरण के नियमों से नहीं हुई। लोकभाषाओं में ऐसे शब्दों की अधिकता है;
जैसे- तेंदुआ, चिड़िया, कटरा, अंटा, ठेठ, कटोरा, खिड़की, ठुमरी, खखरा, चसक, जूता, कलाई, फुनगी, खिचड़ी, पगड़ी, बियाना, लोटा, डिबिया, डोंगा, डाब इत्यादि विदेशी विद्वान् जॉन बीम्स ने देशज शब्दों को मुख्यरूप से अनार्यस्रोत से संबद्ध माना है।
(4) विदेशी शब्द
विदेशी भाषाओं से हिंदी भाषा में आए शब्दों को ‘विदेशी शब्द’ कहते हैं। इनमें फारसी, अरबी, तुर्की, अँगरेजी, पुर्तगाली और फ्रांसीसी भाषाएँ मुख्य हैं। अरबी, फारसी और तुर्की के शब्दों को हिंदी ने अपने उच्चारण के अनुरूप या अपभ्रंश रूप में ढाल लिया है।
यह भी देखें–
Post Name | Shabd ki Paribhasha Bhed and Udaharan |
Class | All |
Subject | Hindi Grammar (हिंदी व्याकरण) |
Topic | हिंदी व्याकरण |
Exams | TGT PGT KVS NVS UPP B.Ed. entrance, NET/JRF (Hindi), Sikshaka/Adhyapaka/Prawakta recruitment, UDA/LDA, Assistant Grade, Stenographer, Auditor, Hindi Translator, Police Sub-Inspector, Deputy Jailer, CBI, Bank exams, LIC, PCS, RRB, NTPC, SI UPP Constable, UPP, SSC, PO Hindi Bhasha (Hindi Language), Hindi Vyakarana (Hindi Grammar) |
State | All State of INDIA |
Session | All |
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